कवि दीपक बारहठ
18K subscribers
733 photos
34 videos
137 files
228 links
यूट्यूब चैनल लिंक - youtube.com/dbarhat
फेसबुक पेज लिंक- facebook.com/kavideepaksingh
इंस्टाग्राम- https://instagram.com/dbarhat
आपका स्नेह ही हमारा सम्बल है.....
जयहिंद
Download Telegram
‎Follow the कवि दीपक बारहठ channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaiBzMM11ulXcldC3a3G
सभी बैचेज 8 बजे से हैं जिनकी कक्षा सुबह 6 या 7 से हैं
जैसी करनी,वैसी भरनी
जैसी करनी - वैसा फल
आज नहींं तो निश्चित कल

जमीन पर बैठे IAS सजल चक्रवर्ती झारखंड के मुख्यसचिव रहे हैं। लालू के चारा घोटाले में दोषी सिद्ध हुए चक्रवर्ती के न जाने कितने IAS/IPS पैर छूते रहे होंगे, मगर आज इनकी बेबसी देखकर मन बहुत विचलित हुआ। आजकल इनका वजन 150 kg के आस पास है, ये कई बिमारियों से ग्रसित हैं और ठीक से चल भी नही पाते।
रांची कोर्ट की पहली मंज़िल में पेशी थी, एक सीढ़ी घसीट कर उतरे। फिर दूसरी सीढ़ी पहुँचने के लिए खुद को घसीट रहे थे। यह दृश्य जीवन का यथार्थबोध कराने वाला था।
माता-पिता नही रहे,भाई सेना में बड़े अफसर थे, अब वे भी नही रहे। जिसको गोद लिए, उसकी शादी हो गई। अब उसे भी इनसे मतलब नहीं है। अपने घर मे कुछ बन्दर और कुत्ते पाल रखे हैं, ये शानो शौकत, पैसे सब बेकार सिद्ध हुए......अब बस मृत्यु ही शायद इनका कष्ट दूर कर सकती है।
जरा सोंचिये! कल तक बड़े बड़े अधिकारी/कर्मचारी जिनकी गाड़ी का दरवाज़ा खोलने के लिए आतुर रहते थे, वही आज दुनिया के सामने जमीन पर असहाय पड़ा था। उसने दो शादी की, मगर दोनों बीबियों ने तलाक दे दिया। कोर्ट में सबका कोई न कोई आया था,लेकिन वे अकेले थे..
इसकी वजह बिल्कुल स्पष्ट है कि जब वह पद पर रहे होंगे, सिर्फ धन अर्थात रुपैया को ही अपना सब कुछ मान लिए होंगे। किसी की दिल से मदद नहींं की होगी। अगर की होती तो शायद आज कोई न कोई उनके लिये जरूर खड़ा रहता।
एक बात तय मानिए, भ्रष्टाचार यानी लूट-खसोट की कमाई सर चढ़कर अपना असर दिखाती है। इसलिये जब हम सामर्थ्यवान हों तो हमें दूसरे की मदद जरूर करनी चाहिए, जिससे की लोग बाद में आपको भी याद करें, आपके साथ रहे।
इसलिये जीवन को जीवन्त बनायें। लोगों की मदद करते हुए अपना जीवन जिएं। पाप की कमाई आखिर किसके लिए ?
जरा सोंचिए तो सही कि पैसा बहुत कुछ तो है पर , सब कुछ नहींं।
आपको भी शिक्षक दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएँ जी …..
जयहिंद
आप सबके भावों के समक्ष नत हूँ…..
शिक्षक दिवस को आप सब विद्यार्थियों ने जिस सम्मान और नेह से नवाज़ा है…..मैं कृत-कृत्य हुआ …
धन्यवाद
जयहिंद
📚 शिक्षक दिवस एवं 𓆩ꨄ︎𓆪 गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर
कलाम एकेडमी के सभी ऑनलाइन कोर्सेस पर Flat 50% Off
साथ ही, कोर्स को renew कराने पर 50% + 40% का अतिरिक्त छूट

🗓 ऑफर की वैधता: 5 सितंबर से 7 सितंबर तक
गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएँ ….
जयहिंद
सुबह L1 की हिन्दी की कक्षा नहीं है….
जीवन में शुचिता (पवित्रता)ही प्रभामंडल में दिव्य ज्योति की भांति प्रदीप्त होती है...इसकी पुष्टि हेतु एक उद्धरण...
योगवाशिष्ठ के एक श्लोक का अर्थ है कि
"जिस तरह पृथ्वी पर वसंत ऋतु आने से वृक्ष के नए पत्तों के ताजा सौन्दर्य से हरीतिमा सुशोभित होती है, उसी प्रकार जिसने सत् को देख लिया है, वह, बढ़ते बल, बुद्धि और तेज से प्रदीप्त होगा। "
(योगवाशिष्ठ, 5-76-श्लोक 20)
- वसंत ऋतु, प्रकृति का श्रृंगार करती है। पेड़-पौधों, वृक्ष-वनस्पतियों में रंग-बिरंगी नयी कोपलें, पत्ते हर किसी का मन आकर्षित करते हैं। ज्ञानोदय से भी ज्ञानी में आत्मा का सौन्दर्य प्रकट होता है। कान्ति, मेधा, शक्ति की आभा उसके प्रभा-मण्डल में चमकती है। शास्त्र इन्हें ही ओजस, तेजस एवं वर्चस के नाम से संबोधित करते हैं। उसके इन विभूतियों का लाभ, सृष्टि के हर जीवधारी को मिलता है।
(भ्रमण के दौरान ली गई तस्वीर)
कवि दीपक बारहठ
जयहिंद
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं .....
सदैव माँ हिंदी की अहेतु की कृपा रही है ....सच भी है यह केवल माँ ही कर सकती हैं ...साहित्य की विराट विरासत से समृद्ध हिंदी की सेवा कर स्वयं को धन्य समझता हूँ...
ईश्वर से प्रार्थना है कि सदैव मां हिंदी की छत्रच्छाया बनी रहे.
कवि दीपक बारहठ
जय हिंदी
जय हिंद
हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी को जन्मदिवस की शुभकामनायें........ईश्वर आपको आरोग्यमय ,यश से पूरित ,राष्ट्र हितों में समर्पित चिरंजीवी जीवन प्रदान करें.... राजनीतिक विचारधाराएँ,समर्थन और विरोध यह अपनी जगह हो सकता है ,आपकी कुछ उपलब्धियों के हम प्रशंसक हो और कुछ अनुपलब्धियों के विरोधी भी लेकिन एक सामान्य परिवार में जन्म लेकर फर्श से अर्श तक की आपकी जो यात्रा है... विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नायक बनने की जो यात्रा है.... नि:संदेह प्रेरणास्पद है...
कवि दीपक बारहठ
जयहिन्द
हमारी पृथ्वी की परिधि लगभग 25 हजार मील या 40 हजार 233.6 किलोमीटर है, इसका व्यास 8 हजार मील या 12874.752 किलोमीटर है, और इसका क्षेत्रफल 19 करोड़ 70 लाख वर्ग मील या 510228030 करोड़ वर्ग किलोमीटर है,अतः यह अपनी धुरी पर 23 घंटे,56 मिनट और 4 सेकंड में एक चक्र लगाती है, जबकि सूर्य के गिर्द यह 29.76 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से चक्र लगा रही है,जो यह 365.2564 दिनों में पूरा करती है,यह सारा खेल सूर्य की आकर्षण शक्ति का है,अन्यथा 29.76 किलोमीटर प्रति सेकंड से गति करने में कोई अर्थ नहीं है,
चंद्रमा किसी स्थिर ग्रह के गिर्द 27 दिन 7 घंटे और 43 मिनट में चक्र लगाता है,परंतु पृथ्वी क्योंकि खुद गति कर रही है, अतः यह चंद्रमा के चक्र लगाने के दौरान 30 डिगरी आगे बढ़ जाती है,इस कारण उसे पृथ्वी का चक्र लगाने में 29 दिन 12 घंटे और 44 मिनट लग जाते हैं,.
बुध को अपनी धुरी पर एक चक्र लगाने में 59 दिन लगते हैं, जबकि उसे सूर्य के गिर्द चक्र लगाने में 88 दिन लगते हैं,
शुक्र को सूर्य के गिर्द चक्र लगाने में तो 225 दिन लगते हैं,पर अपनी धुरी पर चक्र लगाने में 243 दिन लग जाते हैं,यह अपनी धुरी पर पूर्व से पश्चिम की ओर चक्र लगाता है,जबकि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर चक्र लगाती है,मंगल 687 दिनों में सूर्य के गिर्द चक्र लगाता है; बृहस्पति 11 वर्षों में; शनि 29 वर्षों में,यूरेनस 84 वर्षों में और नेपच्यून 164 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा करता है;जबकि अपनी धुरी पर मंगल 24 घंटे 37 मिनट में, बृहस्पति 9 घंटे 50 मिनट में, शनि 10 घंटे 47 मिनट में, यूरेनस 10 घंटे 42 मिनट में और नेपच्यून 15 घंटे 48 मिनट में चक्र लगाता है.
यह सब क्या है? पृथिवी पर दिनरात 24 घंटे का है और साल 365 दिनों का है,जबकि बुध का दिन रात हमारे 59 दिनों के बराबर है,पर उस के साल में सिर्फ 88 दिन हैं; मंगल का दिन रात 24 1/2 (साढ़े चौबीस घंटों का है,पर साल 687 दिनों का है; शनि का दिन रात 10 घंटे 47 मिनट का है,पर साल हमारे ग्यारह वर्षों के बराबर है; यूरेनस का दिनरात 10 घंटे 42 मिनट का है,पर साल हमारे 84 वर्षों के बराबर है; नेपच्यून का दिनरात 15 घंटे 48 मिनट का है पर साल हमारे 164 वर्षों के बराबर है.
यह सब इस बात पर निर्भर है कि कौन सा ग्रह कहां है,उस का आकार कितना है,उस की दैनिक और वार्षिक गति की रफ्तार कितनी है,इस में सूर्य की
आकर्षण शक्ति का मुख्य हाथ है. यह किसी बुद्धिमान की बुद्धिमत्ता का नहीं
बल्कि अराजकता का प्रमाण है, जो ग्रह कक्षा में जहां फिट हो गया और जितने कम या ज्यादा जोर से घूम रहा है; अपनी धुरी और सूर्य के गिर्द उतने जोर से ही
सूर्य की आकर्षण शक्ति के वशीभूत हुआ घूम रहा है,पृथ्वी एक हजार (1037.
5646) मील अथवा 1660 किलोमीटर प्रति घंटे के हिसाब से ज्यादा तेजी से अपनी धुरी पर घूम ही नहीं सकती तो दिनरात 24 घंटों में ही बनेंगे,इस में किस की कौन सी महिमा है.?.जब तक वह गुरुत्वाकर्षण से बंधी है, घूमती ही जाएगी,इसे कोई रोक नहीं सकता,इसमें किसी की कौन सी किसकी बुद्धिमत्ता है.?.पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूम रही है,पर शुक्र पूर्व से पश्चिम की ओर घूम रहा है,इसमें किसी की क्या बुद्धिमत्ता है.?.
( नोट- इस किताब का नाम भले ही चार्वाक दर्शन हो पर इसमें जानकारी अत्याधुनिक वैज्ञानिक है,इतनी पेचीदा जानकारियों का वर्णन सैंकड़ो वर्ष पूर्व लिखी पुस्तकों ,ग्रंथों में है…आप भी अवलोकन कीजिए).
चार्वाक दर्शन- पृष्ठ -97

जयहिन्द