🍺 Beer
Beer grains (jaise barley) se banti hai. Grains ko boil karke hops dalte hain taste ke liye, phir yeast sugar ko alcohol me convert karta hai. Bas ferment karke thoda age karke bottle kar dete hain.
🍷 Wine
Wine grapes se banti hai. Grapes crush karke juice nikalte hain aur usko yeast ke saath ferment karte hain. Red wine me skin bhi saath hota hai, white wine me skin alag kar dete hain. Kabhi kabhi oak barrels me age bhi hoti hai.
🥃 Spirits (Hard Liquor)
Ye beer/wine jaisa hi start hota hai (fermentation), par uske baad distillation hoti hai jisse alcohol strong ho jata hai. Whiskey grains se, vodka grains/potato se, rum sugarcane se, tequila agave se aur brandy wine se banti hai. Barrel aging se flavor aur strong ho jata hai.
🍸 Liqueurs
Liqueurs basically spirits + sugar + flavors hote hain. Jaise coffee, fruits, nuts, cream ya herbs add karke sweet aur flavored bana dete hain. Example: Baileys, Kahlúa, Jägermeister.
🌿 Other Fermented Drinks
Cider apples se, Sake rice se, Mead honey se, Kombucha tea se, Pulque agave se, Chicha corn se aur Palm Wine tree sap se banta hai. Ye sab natural fermentation wale drinks hain.
Beer grains (jaise barley) se banti hai. Grains ko boil karke hops dalte hain taste ke liye, phir yeast sugar ko alcohol me convert karta hai. Bas ferment karke thoda age karke bottle kar dete hain.
🍷 Wine
Wine grapes se banti hai. Grapes crush karke juice nikalte hain aur usko yeast ke saath ferment karte hain. Red wine me skin bhi saath hota hai, white wine me skin alag kar dete hain. Kabhi kabhi oak barrels me age bhi hoti hai.
🥃 Spirits (Hard Liquor)
Ye beer/wine jaisa hi start hota hai (fermentation), par uske baad distillation hoti hai jisse alcohol strong ho jata hai. Whiskey grains se, vodka grains/potato se, rum sugarcane se, tequila agave se aur brandy wine se banti hai. Barrel aging se flavor aur strong ho jata hai.
🍸 Liqueurs
Liqueurs basically spirits + sugar + flavors hote hain. Jaise coffee, fruits, nuts, cream ya herbs add karke sweet aur flavored bana dete hain. Example: Baileys, Kahlúa, Jägermeister.
🌿 Other Fermented Drinks
Cider apples se, Sake rice se, Mead honey se, Kombucha tea se, Pulque agave se, Chicha corn se aur Palm Wine tree sap se banta hai. Ye sab natural fermentation wale drinks hain.
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Life With Rishav
🍺 Beer Beer grains (jaise barley) se banti hai. Grains ko boil karke hops dalte hain taste ke liye, phir yeast sugar ko alcohol me convert karta hai. Bas ferment karke thoda age karke bottle kar dete hain. 🍷 Wine Wine grapes se banti hai. Grapes crush karke…
It's Totally Veg... Bekar me badnam hai ye sab 😐
कभी-कभी आपको परिस्थिति को स्वीकार करना पड़ता है और कहना पड़ता है कि कोई बात नहीं, ऐसा होता है, यही जीवन है।
💔6💯2👍1
Dear Algorithm: connect me to people who love travel, nature, mountains, bikes & photography.
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ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,
तुम ने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा।
~बशीर बद्र
तुम ने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा।
~बशीर बद्र
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Forwarded from Magadh University Info (Rishav Mehta)
बिहार की शिक्षा व्यवस्था : जब विश्वविद्यालयों के मुखिया दिखावे में व्यस्त हों और छात्रों की समस्याएँ अनसुनी रह जाएँ
हमारे अनुग्रह मेमोरियल कॉलेज और जे.जे. कॉलेज जैसे संस्थानों की हालत बेहद चिंताजनक है। हर साल बरसात के मौसम में पूरे कैंपस में पानी भर जाता है। क्लासरूम और गलियारों तक में गंदा पानी जमा रहता है जिससे पढ़ाई का माहौल प्रभावित होता है। यह समस्या वर्षों से बनी हुई है लेकिन आज तक इसका कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया।
दूसरी तरफ विश्वविद्यालयों की स्थिति देखें तो वहाँ छात्रों की ज़रूरतों और शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने के बजाय फालतू के खर्चों के लिए पैसे उपलब्ध रहते हैं। नाम और दिखावे के लिए बड़े-बड़े कार्यक्रम आसानी से आयोजित हो जाते हैं, लेकिन जब बात छात्रों की बुनियादी सुविधाओं की आती है तो सब चुप हो जाते हैं। यही हमारी शिक्षा व्यवस्था की सबसे बड़ी विडंबना है कि जहाँ असली ज़रूरत है वहाँ फंड की कमी दिखाई जाती है, और जहाँ दिखावा करना है वहाँ करोड़ों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं।
अब सवाल उठता है कि क्या सच में बिहार में शिक्षा को महत्व दिया जाता है? यहाँ उच्च शिक्षा की हालत किसी से छिपी नहीं है। ऐसा लगता है कि शिक्षा हमेशा सबसे कम प्राथमिकता में रही है। नेताओं पर दोष डालना आसान है लेकिन सच्चाई यह भी है कि हम आम लोग भी उतने ही ज़िम्मेदार हैं।
हम चुनावों और रैलियों में लाखों की संख्या में पहुँचते हैं, सिर्फ इसलिए कि कोई नेता हमारी जाति से जुड़ा है या फिर हमें पैसों और धर्म आधारित विचारधाराओं से आकर्षित करता है। लेकिन विचारधारा किस चीज़ की? सिर्फ धार्मिक मुद्दों की? शिक्षा का क्या, उद्योग-कारखानों का क्या और उन करोड़ों बिहारी मज़दूरों का क्या जो आज भी दूसरे राज्यों में मामूली वेतन पर जीने को मजबूर हैं?
पिछले कुछ वर्षों में बिहार में सड़कें बेहतर हुई हैं, बिजली की स्थिति सुधरी है और बुनियादी ढांचे पर भी काम हुआ है। लेकिन शिक्षा और व्यवसाय पर अब तक गंभीर ध्यान नहीं दिया गया। जब तक शिक्षा को सच में प्राथमिकता नहीं दी जाएगी और जब तक हम अपनी सोच नहीं बदलेंगे, तब तक बिहार की तस्वीर बदलना मुश्किल है।
हमारे अनुग्रह मेमोरियल कॉलेज और जे.जे. कॉलेज जैसे संस्थानों की हालत बेहद चिंताजनक है। हर साल बरसात के मौसम में पूरे कैंपस में पानी भर जाता है। क्लासरूम और गलियारों तक में गंदा पानी जमा रहता है जिससे पढ़ाई का माहौल प्रभावित होता है। यह समस्या वर्षों से बनी हुई है लेकिन आज तक इसका कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया।
दूसरी तरफ विश्वविद्यालयों की स्थिति देखें तो वहाँ छात्रों की ज़रूरतों और शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने के बजाय फालतू के खर्चों के लिए पैसे उपलब्ध रहते हैं। नाम और दिखावे के लिए बड़े-बड़े कार्यक्रम आसानी से आयोजित हो जाते हैं, लेकिन जब बात छात्रों की बुनियादी सुविधाओं की आती है तो सब चुप हो जाते हैं। यही हमारी शिक्षा व्यवस्था की सबसे बड़ी विडंबना है कि जहाँ असली ज़रूरत है वहाँ फंड की कमी दिखाई जाती है, और जहाँ दिखावा करना है वहाँ करोड़ों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं।
अब सवाल उठता है कि क्या सच में बिहार में शिक्षा को महत्व दिया जाता है? यहाँ उच्च शिक्षा की हालत किसी से छिपी नहीं है। ऐसा लगता है कि शिक्षा हमेशा सबसे कम प्राथमिकता में रही है। नेताओं पर दोष डालना आसान है लेकिन सच्चाई यह भी है कि हम आम लोग भी उतने ही ज़िम्मेदार हैं।
हम चुनावों और रैलियों में लाखों की संख्या में पहुँचते हैं, सिर्फ इसलिए कि कोई नेता हमारी जाति से जुड़ा है या फिर हमें पैसों और धर्म आधारित विचारधाराओं से आकर्षित करता है। लेकिन विचारधारा किस चीज़ की? सिर्फ धार्मिक मुद्दों की? शिक्षा का क्या, उद्योग-कारखानों का क्या और उन करोड़ों बिहारी मज़दूरों का क्या जो आज भी दूसरे राज्यों में मामूली वेतन पर जीने को मजबूर हैं?
पिछले कुछ वर्षों में बिहार में सड़कें बेहतर हुई हैं, बिजली की स्थिति सुधरी है और बुनियादी ढांचे पर भी काम हुआ है। लेकिन शिक्षा और व्यवसाय पर अब तक गंभीर ध्यान नहीं दिया गया। जब तक शिक्षा को सच में प्राथमिकता नहीं दी जाएगी और जब तक हम अपनी सोच नहीं बदलेंगे, तब तक बिहार की तस्वीर बदलना मुश्किल है।
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