जब मैं माध्यमिक स्तर में पढ़ता था, तो कोचिंग के लिए अक्सर अपने अंकल के पास जाया करता था। वे मेरे स्कूल में भी शिक्षक थे। एक दिन पढ़ाई के दौरान मैंने उनसे पूछा कि हमारे देश, खासकर हिन्दू धर्म में, इतने त्योहार क्यों होते हैं। उन्होंने कहा कि इंसान को खुश रहने के लिए पर्व-त्योहार बेहद जरूरी होते हैं। हम चाहे कितना भी मनचाहा सामान खरीद लें या कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर लें, उसकी खुशी कुछ ही दिनों की होती है। लेकिन त्योहार ऐसे मौके होते हैं जो हमें बिना किसी कारण के भी हँसने और अपनों के साथ समय बिताने का अवसर देते हैं।
उनकी बात उस समय मेरे दिल को छू गई थी, क्योंकि मैंने हाल ही में एक नई साइकिल खरीदी थी, जिसके लिए मैं बहुत दिनों से उत्साहित था। लेकिन कुछ ही दिनों में उसकी खुशी कम हो गई और सब कुछ फिर से सामान्य लगने लगा। तभी मुझे महसूस हुआ कि त्योहार वास्तव में ज़िंदगी को थोड़ा और खूबसूरत बनाने के लिए बनाए गए हैं।
पर आज के समय में शायद हम इस भावना को भूल चुके हैं। त्योहार अब खुशी का नहीं, जिम्मेदारियों और तैयारियों का बोझ बनते जा रहे हैं। हम उन्हें मनाने के बजाय निभाने लगे हैं। पहले जहां त्योहारों का मतलब था अपनों के साथ सच्चा समय बिताना, अब वह भाव धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। और शायद सबसे बड़ी बात यह है कि मैं खुद भी अब वैसा ही बन चुका हूं। पहले जिन त्योहारों में मैं दिल से शामिल होता था, अब उन्हीं त्योहारों को लेकर तनाव और उलझन महसूस होती है।
हमें एक बार फिर से यह समझने की ज़रूरत है कि त्योहारों का असली उद्देश्य क्या था। ये अवसर थे ज़िंदगी की भागदौड़ से थोड़ी देर रुकने के, अपनों के साथ हँसने और रिश्तों को महसूस करने के। त्योहारों को फिर से वही सादगी और आत्मीयता लौटानी चाहिए, जिससे वे कभी बनाए गए थे। यही कोशिश हमें फिर से त्योहारों को त्योहार की तरह जीने में मदद कर सकती है।
उनकी बात उस समय मेरे दिल को छू गई थी, क्योंकि मैंने हाल ही में एक नई साइकिल खरीदी थी, जिसके लिए मैं बहुत दिनों से उत्साहित था। लेकिन कुछ ही दिनों में उसकी खुशी कम हो गई और सब कुछ फिर से सामान्य लगने लगा। तभी मुझे महसूस हुआ कि त्योहार वास्तव में ज़िंदगी को थोड़ा और खूबसूरत बनाने के लिए बनाए गए हैं।
पर आज के समय में शायद हम इस भावना को भूल चुके हैं। त्योहार अब खुशी का नहीं, जिम्मेदारियों और तैयारियों का बोझ बनते जा रहे हैं। हम उन्हें मनाने के बजाय निभाने लगे हैं। पहले जहां त्योहारों का मतलब था अपनों के साथ सच्चा समय बिताना, अब वह भाव धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। और शायद सबसे बड़ी बात यह है कि मैं खुद भी अब वैसा ही बन चुका हूं। पहले जिन त्योहारों में मैं दिल से शामिल होता था, अब उन्हीं त्योहारों को लेकर तनाव और उलझन महसूस होती है।
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Texting is cool, but what if we explore the mountains together instead?
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Filled with peace, creativity, and stunning white marble architecture, these temples are a true escape from the world. No matter how hot the weather is outside, inside the temple, it always feels cool and calm. Visit once, and you'll feel the magic yourself.
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