GutarGu (गुटरगूँ)
36 subscribers
24 photos
3 links
GutarGu एक प्रयास है विविध प्रकार से आपके लिए अनेक मनोरंजक सामग्री जुटाने का....


*चैनल से जुड़े रहने के लिए धन्यवाद !!!!!!🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻😍
Download Telegram
रिलेशनशिप ठीक नही चल रहा हो

तो उसे ढोये नही आप लवर है लेबर नही..!!
😂😂😂
साथ उसी का पकड़ो जो जान निकलने तक साथ दे,,


//


जैसे कि,,



//



//



बिजली का तार.. 😜🤪😂
कल एक भाभी जी ने स्माइल दी. 😍

//

मैंने 50 के नोट पे नंबर लिख कर दिया,, 🤗

//

उसने आगे जा कर गोलगप्पे खा लिए,, 😔

//

आज गोलगप्पे वाले का सुबह से दस बार मैसेज आ चुका है कैसे लगे गोलगप्पे ??? 😜😜
🥀सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते...
╔══════════════════╗
║ •||जय माता की||• ║
╚══════════════════╝
सुख, शान्ति एवम समृध्दि की
मंगलमयी
कामनाओं के साथ
आप एवं आप के परिवार जनो को नवरात्र की हार्दिक मंगल कामनायें । माँ अम्बे आपको सुख समृद्धि वैभव ख्याति प्रदान करे। जय माँ भवानी।।
🌻 •शारदीय नवरात्र•🌻
की
🥀 !!!हार्दिक शुभकामनाएं !!!🥀
🙏🙏🙏
🌳🦚 कहानी🦚🌳



💐💐अंतिम प्रयास💐💐



एक समय की बात है. एक राज्य में एक प्रतापी राजा राज करता था. एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी आगंतुक आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर उपहार स्वरूप प्रदान किया. राजा वह पत्थर देख बहुत प्रसन्न हुआ. उसने उस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा का निर्माण कर उसे राज्य के मंदिर में स्थापित करने का निर्णय लिया और प्रतिमा निर्माण का कार्य राज्य के महामंत्री को सौंप दिया. महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, “महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं।

सात दिवस के भीतर इस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा तैयार कर राजमहल पहुँचा देना. इसके लिए तुम्हें 50 स्वर्ण मुद्रायें दी जायेंगी.” 50 स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार ख़ुश हो गया और महामंत्री के जाने के उपरांत प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने औज़ार निकाल लिए. अपने औज़ारों में से उसने एक हथौड़ा लिया और पत्थर तोड़ने के लिए उस पर हथौड़े से वार करने लगा. किंतु पत्थर जस का तस रहा. मूर्तिकार ने हथौड़े के कई वार पत्थर पर किये. किंतु पत्थर नहीं टूटा।

पचास बार प्रयास करने के उपरांत मूर्तिकार ने अंतिम बार प्रयास करने के उद्देश्य से हथौड़ा उठाया, किंतु यह सोचकर हथौड़े पर प्रहार करने के पूर्व ही उसने हाथ खींच लिया कि जब पचास बार वार करने से पत्थर नहीं टूटा, तो अब क्या टूटेगा. वह पत्थर लेकर वापस महामंत्री के पास गया और उसे यह कह वापस कर आया कि इस पत्थर को तोड़ना नामुमकिन है. इसलिए इससे भगवान विष्णु की प्रतिमा नहीं बन सकती। महामंत्री को राजा का आदेश हर स्थिति में पूर्ण करना था. इसलिए उसने भगवान विष्णु की प्रतिमा निर्मित करने का कार्य गाँव के एक साधारण से मूर्तिकार को सौंप दिया।

पत्थर लेकर मूर्तिकार ने महामंत्री के सामने ही उस पर हथौड़े से प्रहार किया और वह पत्थर एक बार में ही टूट गया. पत्थर टूटने के बाद मूर्तिकार प्रतिमा बनाने में जुट गया. इधर महामंत्री सोचने लगा कि काश, पहले मूर्तिकार ने एक अंतिम प्रयास और किया होता, तो सफ़ल हो गया होता और 50 स्वर्ण मुद्राओं का हक़दार बनता।

शिक्षा:-
मित्रों, हम भी अपने जीवन में ऐसी परिस्थितियों से दो-चार होते रहते हैं. कई बार किसी कार्य को करने के पूर्व या किसी समस्या के सामने आने पर उसका निराकरण करने के पूर्व ही हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है और हम प्रयास किये बिना ही हार मान लेते हैं. कई बार हम एक-दो प्रयास में असफलता मिलने पर आगे प्रयास करना छोड़ देते हैं. जबकि हो सकता है कि कुछ प्रयास और करने पर कार्य पूर्ण हो जाता या समस्या का समाधान हो जाता। यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है, तो बार-बार असफ़ल होने पर भी तब तक प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिये, जब तक सफ़लता नहीं मिल जाती. क्या पता, जिस प्रयास को करने के पूर्व हम हाथ खींच ले, वही हमारा अंतिम प्रयास हो और उसमें हमें कामयाबी प्राप्त हो जाये।


टेलीग्राम ग्रुप 👉🏻 👇🏻 👈🏻

https://t.me/gutarguOfficial




सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।

🙏🙏🙏🙏🌳🌳🌳🙏🙏🙏🙏🙏
🌳🦚आज की कहानी🦚🌳


💐💐दयालू गोपी💐💐


वृंदावन की एक गोपी रोज दूध दही बेचने मथुरा जाती थी।

एक दिन व्रज में एक संत आये, गोपी भी कथा सुनने गई,

संत कथा में कह रहे थे, भगवान के नाम की बड़ी महिमा है, नाम से बड़े बड़े संकट भी टल जाते है.।

नाम तो भव सागर से तारने वाला है,

यदि भव सागर से पार होना है तो भगवान का नाम कभी मत छोडना.।

कथा समाप्त हुई गोपी अगले दिन फिर दूध दही बेचने चली,

बीच में यमुना जी थी,गोपी को संत की बात याद आई, संत ने कहा था भगवान का नाम तो भवसागर से पार लगाने वाला है।

जिस भगवान का नाम भवसागर से पार लगा सकता है तो क्या उन्ही भगवान का नाम मुझे इस साधारण सी नदी से पार नहीं लगा सकता ?

ऐसा सोचकर गोपी ने मन में भगवान के नाम का आश्रय लिया भोली भाली गोपी यमुना जी की ओर आगे बढ़ गई.।

अब जैसे ही यमुना जी में पैर रखा तो लगा मानो जमीन पर चल रही है और ऐसे ही सारी नदी पार कर गई,

पार पहुँचकर बड़ी प्रसन्न हुई, और मन में सोचने लगी कि संत ने तो ये तो बड़ा अच्छा तरीका बताया पार जाने का।

रोज-रोज नाविक को भी पैसे नहीं देने पड़ेगे।

एक दिन गोपी ने सोचा कि संत ने मेरा इतना भला किया मुझे उन्हें खाने पर बुलाना चाहिये।

अगले दिन गोपी जब दही बेचने गई, तब संत से घर में भोजन करने को कहा संत तैयार हो गए,

अब बीच में फिर यमुना नदी आई।

संत नाविक को बुलने लगा तो गोपी बोली बाबा नाविक को क्यों बुला रहे है. हम ऐसे ही यमुना जी में चलेगे.


संत बोले - गोपी ! कैसी बात करती हो, यमुना जी को ऐसे ही कैसे पार करेगे ?

गोपी बोली - बाबा ! आप ने ही तो रास्ता बताया था, आपने कथा में कहा था कि भगवान के नाम का आश्रय लेकर भवसागर से पार हो सकते है


तो मैंने सोचा जब भव सागर से पार हो सकते है तो यमुना जी से पार क्यों नहीं हो सकते ?

और मै ऐसा ही करने लगी, इसलिए मुझे अब नाव की जरुरत नहीं पड़ती।

संत को विश्वास नहीं हुआ बोले - गोपी तू ही पहले चल ! मै तुम्हारे पीछे पीछे आता हूँ,

गोपी ने भगवान के नाम का आश्रय लिया और जिस प्रकार रोज जाती थी वैसे ही यमुना जी को पार कर गई।

अब जैसे ही संत ने यमुना जी में पैर रखा तो झपाक से पानी में गिर गए, संत को बड़ा आश्चर्य, अब गोपी ने जब देखा तो कि संत तो पानी में गिर गए है तब गोपी वापस आई है और संत का हाथ पकड़कर जब चली तो संत भी गोपी की भांति ही ऐसे चले जैसे जमीन पर चल रहे हो।


संत तो गोपी के चरणों में गिर पड़े, और बोले - कि गोपी तू धन्य है !

वास्तव में तो सही अर्थो में नाम का आश्रय तो तुमने लिया है और मै जिसने नाम की महिमा बताई तो सही पर स्वयं नाम का आश्रय नहीं लिया..।
सच मे मित्रो हम भगवान नाम का जप एंव आश्रय तो लेते है पर भगवान नाम मे पूर्ण विश्वाव एंव श्रद्धा नही होने से हम इसका पूर्ण लाभ प्राप्त नही कर पाते..
शास्त्र बताते है कि भगवान श्री कृष्ण का एक नाम इतने पापो को मिटा सकता है जितना कि एक पापी व्यक्ति कभी कर भी नही सकता..

*अतएव भगवान नाम पे पूर्ण श्रद्धा एंव विश्वास रखकर ह्रदय के अंतकरण से भाव विह्वल होकर जैसे एक छोटा बालक अपनी माँ के लिए बिलखता है ..उसी भाव से सदैव नाम प्रभु का सुमिरन एंव जप करे*

*कलियुग केवल नाम अधारा !*
*सुमिर सुमिर नर उताराहि ही पारा!!*


अगर आप अपने दोस्तों को जोड़ना चाहते है तो लिंक को आगे शेयर जरूर करे,,ताकि ज्यादा से ज्यादा सदस्य गुटरगूँ में जुड़ सके,,🙏🏻🙏🏻









हमारे टेलीग्राम ग्रुप में जुड़ने के लिए इस लिंक की सहायता ली जा सकती हैं👇👇👇

https://t.me/gutarguOfficial





💐💐संकलनकर्ता ~ गुटरगूँ ऑफिसियल💐💐


सदैव प्रसन्न रहिये!!
जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!

*शुभ रात्रि...🌜🌜🌜*
🙏🙏🙏🙏🙏🌳🌳🙏🙏🙏🙏
सेवा-सहायता डिबेट का विषय नहीं, जीवन जीने की कला है।
जो अपने आचरण से शिक्षा देने का साहस न रखता हो, उसके वक्तव्य कितने भी प्रभावी क्यों न हों, वह पुरस्कार पाने के योग्य नहीं है।
परीक्षा में एक छात्र कॉपी पर फूल बना रहा था...
.
टीचर - यह क्या कर रहे हो...
फूल क्यों बना रहे हो...?
.
छात्र - सर, यह फूल मेरी याददाश्त को समर्पित है,
जो अभी-अभी गुजर गई.🤣
दर्द का खुशी से, खुशी का दर्द से
अजब सा है नाता
जिसे मिलता है और जो देता है
ये दोनो का है हो जाता।
स्वयं के प्रति संतोष और दूसरों के प्रति दया, इन्हीं दो पंखों से जीवन के आकाश को छू सकते हैं हम...।।

सुप्रभातम

आपका दिन शुभ हो... 🙏🙏
जब कोई आपसे प्रेम करता है
तब आपका भी फर्ज बनता है
उस प्रेम के रिश्ते में भरोसे को
कायम रखने का...!

झूठ ना बोलने का,
बातों को ना छिपाने का
और बुरे वक्त में साथ रहने का,

देखो थोड़ी गलतियां सबसे होती हैं,
हर किसी में थोड़ी बुराइयां या कमियां होती हैं,
लेकिन रिश्ता जुड़ने के बाद
इन बातों का कोई मतलब नहीं बनता है,

आपको चाहिए कि उन कमियों को
स्वीकार करके जिंदगी में
प्रेम और भरोसा कायम रखना,
ये दोनों की जिम्मेदारी होती है.....!!!!
🌹✍️✍️✍️