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শ্রী লক্ষ্মী পাঁচালী | Lakshmi Panchali PDF in Bengali
শ্রী লক্ষ্মী পাঁচালী | Lakshmi Panchali PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/lakshmi-panchali-509.jpg">শ্রী লক্ষ্মী পাঁচালী | Lakshmi Panchali</a>PDF Name<b>শ্রী লক্ষ্মী পাঁচালী | Lakshmi Panchali PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.27 MB</b>Language<b>Bengali</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
শ্রী লক্ষ্মী পাঁচালী | Lakshmi Panchali Bengali PDF SummaryToday we are going to share শ্রী লক্ষ্মী পাঁচালী PDF / Lakshmi Panchali PDF in Bengali with you in which you can read vrat katha and pooja vidhi. The devotees of Mata Laxmi is chanting the Laxmi Panchali in during the Lakshmi Pooja. Goddess Lakshmi is a Goddess of wealth, worshipped at every household with great ardour and devotion. We always try to provide all regional PDFs to our daily users and devotees. In this article, we have provided the direct download link for Shri Lakshmi Panchali PDF in Bengali / শ্রী লক্ষ্মী পাঁচালী PDF.শ্রী লক্ষ্মী পাঁচালী PDF | Lakshmi Panchali PDF in Bengali<strong>শ্রী শ্রী লক্ষ্মীর ধ্যান মন্ত্র :</strong>
ওঁ পাশাক্ষমালিকাম্ভোজ সৃণিভির্যাম্য সৌম্যয়োঃ
পদ্মাসনাস্থাং ধায়েচ্চ শ্রীয়ং ত্রৈলোক্য মাতরং।
গৌরবর্ণাং স্বরূপাঞ্চ সর্বালঙ্কার ভূষিতাম্,
রৌক্নোপদ্মব্যগ্রকরাং বরদাং দক্ষিণেন তু।<strong>শ্রী শ্রী লক্ষ্মীর স্তব মন্ত্র :</strong>
ওঁ ত্রৈলোক্য-পূজিতে দেবী কমলে বিষ্ণুবল্লভে,
যথা ত্বং সুস্থিরা কৃষ্ণে তথা ভব ময়ি স্থিরা।
ঈশ্বরী কমলা লক্ষ্মীশ্চলা ভূতির্হরিপ্রিয়া,
পদ্মা পদ্মালয়া সম্পৎপ্রদা শ্রী: পদ্মধারিণী।
দ্বাদশৈতানি নামানি লক্ষীং সম্পূজ্য য: পঠেৎ,
স্থিরা লক্ষীর্ভবেত্তস্য পুত্রদারাদিভি: সহ।<strong>শ্রী শ্রী লক্ষ্মীর প্রণাম মন্ত্র :</strong>
ওঁ বিশ্বরূপস্য ভার্যাসি পদ্মে পদ্মালয়ে শুভে
সর্বতঃ পাহি মাং দেবী মহালক্ষ্মী।<strong>লক্ষ্মী পাঁচালি ব্রতকথা ও মন্ত্র :</strong>
শরৎ পূর্ণিমার নিশি নির্মল গগন,
মন্দ মন্দ বহিতেছে মলয় পবন।
লক্ষ্মীদেবী বামে করি বসি নারায়ণ,
বৈকুন্ঠধামেতে বসি করে আলাপন।
হেনকালে বীণা হাতে আসি মুনিবর,
হরিগুণগানে মত্ত হইয়া বিভোর।
গান সম্বরিয়া উভে বন্দনা করিল,
বসিতে আসন তারে নারায়ণ দিল।
মধুর বচনে লক্ষ্মী জিজ্ঞাসিল তায়,
কিবা মনে করি মুনি আসিলে হেথায়।
কহে মুনি তুমি চিন্ত জগতের হিত,
সবার অবস্থা আছে তোমার বিদিত।
সুখেতে আছয়ে যত মর্ত্যবাসীগণ,
বিস্তারিয়া মোর কাছে করহ বর্ণন।
লক্ষ্মীমার হেন কথা শুনি মুনিবর,
কহিতে লাগিলা তারে জুড়ি দুই কর।
অপার করুণা তোমার আমি ভাগ্যবান,
মর্ত্যলোকে নাহি দেখি কাহার কল্যাণ।
সেথায় নাই মা আর সুখ শান্তি লেশ,
দুর্ভিক্ষ অনলে মাগো পুড়িতেছে দেশ।
রোগ-শোক নানা ব্যাধি কলিতে সবায়,
ভুগিতেছে সকলেতে করে হায় হায়।
অন্ন-বস্ত্র অভাবেতে আত্মহত্যা করে,
স্ত্রী-পুত্র ত্যাজি সবাই যায় দেশান্তরে।
স্ত্রী-পুরুষ সবে করে ধর্ম পরিহার,
সদা চুরি প্রবঞ্চনা মিথ্যা অনাচার।
তুমি মাগো জগতের সর্বহিতকারী,
সুখ-শান্তি সম্পত্তির তুমি অধিকারী।
স্থির হয়ে রহ যদি প্রতি ঘরে ঘরে,
তবে কি জীবের এত দুঃখ হতে পারে।
নারদের বাক্য শুনি লক্ষ্মী বিষাদিতা,
কহিলেন মুনি প্রতি দোষ দাও বৃথা।
নিজ কর্মফলে সবে করে দুঃখভোগ,
অকারণে মোর প্রতি কর অনুযোগ।
শুন হে নারদ বলি যথার্থ তোমায়,
মম অংশে জন্ম লয় নারী সমুদয়।
তারা যদি নিজ ধর্ম রক্ষা নাহি করে,
তবে কি অশান্তি হয় প্রতি ঘরে ঘরে।
লক্ষ্মীর বচন শুনি মুনি কহে ক্ষুণ্ন মনে,
কেমনে প্রসন্ন মাতা হবে নারীগণে।
কিভাবেতে পাবে তারা তব পদছায়া,
দয়াময়ী তুমি মাগো না করিলে দয়া।
মুনির বাক্যে লক্ষ্মীর দয়া উপজিল,
মধুর বচনে তারে বিদায় করিল।
নারীদের সর্বদুঃখ যে প্রকারে যায়,
কহ তুমি নারায়ণ তাহার উপায়।
শুনিয়া লক্ষ্মীর বচন কহে লক্ষ্মীপতি,
কি হেতু উতলা প্রিয়ে স্থির কর মতি।
প্রতি গুরুবারে মিলি যত বামাগণে,
করিবে তোমার ব্রত ভক্তিযুক্ত মনে।
নারায়ণের বাক্যে লক্ষ্মী অতি হৃষ্টমন,
ব্রত প্রচারিতে মর্ত্যে করিল গমন।
মর্ত্যে আসি ছদ্মবেশে ভ্রমে নারায়ণী,
দেখিলেন বনমধ্যে বৃদ্ধা এক বসিয়া আপনি।
সদয় হইয়া লক্ষ্মী জিজ্ঞাসিল তারে,
কহ মাগো কি হেতু এ ঘোর কান্তারে।
বৃদ্ধা কহে শোন মাতা আমি অভাগিনী,
কহিল সে লক্ষ্মী প্রতি আপন কাহিনী।
পতি-পুত্র ছিল মোর লক্ষ্মীযুক্ত ঘর,
এখন সব ছিন্নভিন্ন যাতনাই সার।
যাতনা সহিতে নারি এসেছি কানন,
ত্যাজিব জীবন আজি করেছি মনন।
নারায়ণী বলে শুন আমার বচন,
আত্মহত্যা মহাপাপ নরকে গমন।
যাও মা গৃহেতে ফিরি…
दामोदर अष्टकम | Damodar Ashtakam PDF in Hindi
दामोदर अष्टकम | Damodar Ashtakam PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/damodar-ashtakam-hindi-951.jpg">दामोदर अष्टकम | Damodar Ashtakam</a>PDF Name<b>दामोदर अष्टकम | Damodar Ashtakam PDF</b>No. of Pages<b>2</b>PDF Size<b>0.08 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>gokulbhajan.com</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
दामोदर अष्टकम | Damodar Ashtakam Hindi PDF Summaryदोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं Damodar Ashtakam PDF in Hindi / दामोदर अष्टकम PDF यह श्रीकृष्ण को समर्पित एक लोकप्रिय प्रार्थना है। कार्तिक मास के सभी दिनों में इस प्रार्थना का जाप किया जाता है। श्रीकृष्ण को समर्पित विशेष अवसरों पर भी इसका जाप किया जाता है। यह विशेष दामोदरस्तकम प्रार्थना पीडीएफ प्रारूप में हिंदी में है। इसमें हिंदी में अर्थ और व्याख्या के साथ गीत शामिल हैं। पद्म पुराण से श्री दामोदर अष्टकम का जप कार्तिक माह में भक्तों द्वारा किया जाता है।दामोदर या दामोदर भगवान विष्णु के बारह महत्वपूर्ण नामों में से एक है। श्रीकृष्ण को दामोदर नाम मिला जब उन्हें बचपन में वृंदावन में उनकी पालक मां यशोदा द्वारा पीसने वाले मोर्टार से बांध दिया गया था।दामोदर अष्टकम PDF | Damodar Ashtakam PDF in Hindiनमामीश्वरं सच्चिदानंदरूपं
लसत्कुण्डलं गोकुले भ्राजमानं
यशोदाभियोलूखलाद्धावमानं
परामृष्टमत्यं ततो द्रुत्य गोप्या ॥ १॥मैं परम प्रभु को अपनी श्रद्धा अर्पित करता हूं, जो परम आनंद का प्रकटीकरण हैं, जिनके गालों को छूती हुई बालियां हैं, जिनका निवास गोकुला है। और जो गोपियों ने छिपी हुई जगहों पर रखी हुई मक्खन चुरा लिया था। माँ यशोदा उससे नाराज़ हैं क्योंकि उसने मक्खन के बर्तन को तोड़ दिया था। मां यशोदा से डरकर, वह तेजी से कूद गया और भाग गया, लेकिन अंत में उसे पकड़ लिया।रुदन्तं मुहुर्नेत्रयुग्मं मृजन्तम्
कराम्भोज-युग्मेन सातङ्क-नेत्रम्
मुहुः श्वास-कम्प-त्रिरेखाङ्क-कण्ठ
स्थित-ग्रैवं दामोदरं भक्ति-बद्धम् ॥ २॥अपनी माँ को कोड़े से मारते देखकर, वह रोने लगती है और डर के मारे अपने कमल के हाथों से बार-बार अपनी आँखों को रगड़ती है। उसकी आँखें डर से भरी हुई थीं, और वह तेज़ी से साँस ले रहा है, जिसके कारण मोती का हार उसकी त्रि-पंक्तिबद्ध गर्दन में हिल रहा है। मैं सर्वोच्च भगवान को नमन करता हूं, जिनका पेट माता यशोदा द्वारा प्रेम की रस्सी से बंधा हुआ है।इतीदृक् स्वलीलाभिरानंद कुण्डे
स्व-घोषं निमज्जन्तम् आख्यापयन्तम्
तदीयेशितज्ञेषु भक्तिर्जितत्वम
पुनः प्रेमतस्तं शतावृत्ति वन्दे ॥ ३॥‘हे’ प्रभु, यद्यपि आप सभी प्रकार के वरदान दे सकते हैं, लेकिन मैं आपसे भौतिक संसार से मुक्ति की आशा नहीं करता, न ही मुझे आपके स्वर्गीय वैकुंठ में स्थान की आवश्यकता है, न ही मुझे किसी प्रकार के बंधन की आवश्यकता है हे भगवान, मैं केवल आपके बचपन के रूप की दृष्टि के लिए प्रार्थना करता हूं जो हमेशा मेरे दिल में रहें। मुझे इसके अलावा कोई इच्छा नहीं है।वरं देव! मोक्षं न मोक्षावधिं वा
न चान्यं वृणेऽहं वरेशादपीह
इदं ते वपुर्नाथ गोपाल बालं
सदा मे मनस्याविरास्तां किमन्यैः ॥ ४॥हे भगवान, यद्यपि आप सभी प्रकार के वरदान दे सकते हैं, मैं आपसे सांसारिक जीवन से मुक्ति की आशा नहीं करता, न ही मुझे आपके स्वर्गीय वैकुंठ में कोई स्थान चाहिए, न ही कोई श्रद्धा, हे प्रभु केवल आपके लिए प्रार्थना करता हूं। आपके बचपन के रूप की दृष्टि हमेशा मेरे दिल में रहती है। उसके अलावा कोई इच्छा नहीं है।इदं ते मुखाम्भोजम् अत्यन्त-नीलैः
वृतं कुन्तलैः स्निग्ध-रक्तैश्च गोप्या
मुहुश्चुम्बितं बिम्बरक्ताधरं मे
मनस्याविरास्तामलं लक्षलाभैः ॥ ५॥हे भगवन! अपने काले स्वरूपित कमल चेहरा है, जो घुंघराले बाल के ताले से घिरे रहते हैं, मां यशोदा के चुंबन की वजह से bimb फल की तरह लाल हो गया है। मुझे किसी भी सांसारिक सुख की आवश्यकता नहीं है, लेकिन केवल यह दृष्टि मेरे दिमाग में हमेशा के लिए रहती है।नमो देव दामोदरानन्त विष्णो
प्रभो दुःख-जालाब्धि-मग्नम्
कृपा-दृष्टि-वृष्ट्याति-दीनं बतानु
गृहाणेष मामज्ञमेध्यक्षिदृश्यः ॥ ६॥हे प्रेम के सागर! दामोदर! हे अनंत विष्णु! और मुझ पर प्रसन्न हो! मैं दुःख के समुद्र के बीच में गहरी हूँ। मुझ पर अपनी कृपा बरसाओ और मुझ पर अपनी कृपालु अमृत दृष्टि डालो।कुबेरात्मजौ बद्ध-मूर्त्यैव यद्वत्
त्वया मोचितौ भक्ति-भाजौ कृतौ च
तथा प्रेम-भक्तिं स्वकां मे प्रयच्छ
न मोक्षे ग्रहो मेऽस्ति दामोदरेह ॥ ७॥हे भगवान दामोदर! जब आप माता यशोदा द्वारा पत्थर को पीसने…
Damodar Ashtakam PDF
Damodar Ashtakam PDF DetailsDamodar AshtakamPDF NameDamodar Ashtakam PDFNo. of Pages5PDF Size0.21 MBLanguageEnglishCategoryReligion & SpiritualityAvailable atbhaktiswarupadamodara.comDownload LinkAvailable Downloads26
Damodar Ashtakam PDF SummaryHello Friends, today we are going to upload the Damodar Ashtakam PDF to help you. To the supreme controller, who possesses an eternal form of blissful knowledge, whose glistening earrings swing to and fro, who manifests Himself in Gokula, who stole the butter that the gopis kept hanging from the rafters of their storerooms and who then quickly jumped up and ran in retreat in fear of Mother Yasoda but was ultimately caught – to that Supreme Lord, Sri Damodara, I offer my humble obeisances.Upon seeing His mother’s whipping stick, He cried and rubbed His eyes again and again with His two lotus hands. His eyes were fearful and His breathing quick, and as Mother Yasoda bound His belly with ropes, He shivered in fright and His pearl necklace shook. To this Supreme Lord, Sri Damodara, I offer my humble obeisances.Damodar Ashtakam PDFnamamisvaram sac-cid-ananda-rupam
lasat-kundalam gokule bhrajamanam
yasoda-bhiyolukhalad dhavamanam
paramrishtam atyantato drutya gopyarudantam muhur netra-yugmam mrijantam
karambhoja-yugmena satanka-netram
muhuh svasa-kampa-trirekhanka-kanthasthita-
graivam damodaram bhakti-baddhamitidrik sva-lilabhir ananda-kunde
sva-ghosham nimajjantam akhyapayantam
tadiyeshita-jneshu bhaktair jitatvam
punah prematas tam satavritti vandevaram deva moksham na mokshavadhim va
na canyam vrine ’ham vareshad apiha
idam te vapur natha gopala-balam
sada me manasy avirastam kim anyaihidam te mukhambhojam atyanta-nilair
vritam kuntalaih snigdha-raktais ca gopya
muhus cumbitam bimba-raktadharam me
manasy avirastam alam laksha-labhaihnamo deva damodarananta vishno
prasida prabho duhkha-jalabdhi-magnam
kripa-drishti-vrishtyati-dinam batanu
grihanesha mam ajnam edhy akshi-drisyahkuveratmajau baddha-murtyaiva yadvat
tvaya mocitau bhakti-bhajau kritau ca
tatha prema-bhaktim svakam me prayaccha
na mokshe graho me ‘sti damodarehanamas te ’stu damne sphurad-dipti-dhamne
tvadiyodarayatha visvasya dhamne
namo radhikayai tvadiya-priyayai
namo ’nanta-lilaya devaya tubhyamHere you can download the Damodar Ashtakam PDF by clicking on the link given below.#Damodar #Ashtakam #PDFThe post Damodar Ashtakam PDF appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि | Kartik Purnima Puja Vidhi PDF in Hindi
कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि | Kartik Purnima Puja Vidhi PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/-----kartik-purnima-puja-vidhi-894.jpg">कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि | Kartik Purnima Puja Vidhi</a>PDF Name<b>कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि | Kartik Purnima Puja Vidhi PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.82 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि | Kartik Purnima Puja Vidhi Hindi PDF Summaryयदि आप कार्तिक मास में पूजन करना चाहते हैं तथा कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि PDF प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। कार्तिक माह का पुराणों में बहुत अधिक महत्व है तथ इस माह में किये जाने वाले सतकर्म कई गुना फल देते हैं। कार्तिक माह में सभी देवगण अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं। पूर्णिमा तिथि का अपने आप में ही बहुत अधिक महत्व होता है।लेकिन कार्तिक माह में पूर्णिमा का जो स्थान है, उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। किसी भी प्रकार का पूजन करना हो तो उसे विधिपूर्वक करना ही उचित रहता है। जब तक पूजा पूर्ण विधि – विधान से न की जाये तब तक उसका कोई महत्व नहीं है। यदि आप भी घर पर यह पूजा करना चाहते हैं तो यहां से कार्तिक पूर्णिमा विधि पढ़ सकते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि / Kartik Purnima Pooja Vidhiकार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदियों और कुण्डों आदि में स्नान करना चाहिए।अगर संभव ना हो तो घर पर नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान किया जा सकता है।फिर भगवान लक्ष्मी नारायण की आराधना करें।उनके समक्ष घी या सरसों के तेल का दीपक जलाकर विधिपूर्वक पूजा करें।]साथ ही आप घर पर हवन कर सकते हैं।इसके बाद भगवान सत्यनारायण की कथा कहनी या सुननी चाहिए।अब उन्हें खीर का भोग लगाकर प्रसाद बांटें।शाम के समय लक्ष्मी नारायण जी की आरती करने के बाद तुलसी जी की आरती करें।साथ ही दीपदान भी करें।घर की चौखट पर दीपक जलाएं।कोशिश करें कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी ब्राह्मण, गरीब या जरूरतमंद को भोजन करवाएं। कार्तिक पूर्णिमा की कथा / Kartik Purnima Katha in Hindiपौराणिक कथा के मुताबिक तारकासुर नाम का एक राक्षस था। उसके तीन पुत्र थे – तारकक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली…भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया। अपने पिता की हत्या की खबर सुन तीनों पुत्र बहुत दुखी हुए।तीनों ने मिलकर ब्रह्माजी से वरदान मांगने के लिए घोर तपस्या की। ब्रह्माजी तीनों की तपस्या से प्रसन्न हुए और बोले कि मांगों क्या वरदान मांगना चाहते हो। तीनों ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा, लेकिन ब्रह्माजी ने उन्हें इसके अलावा कोई दूसरा वरदान मांगने को कहा।तीनों ने मिलकर फिर सोचा और इस बार ब्रह्माजी से तीन अलग नगरों का निर्माण करवाने के लिए कहा, जिसमें सभी बैठकर सारी पृथ्वी और आकाश में घूमा जा सके। एक हज़ार साल बाद जब हम मिलें और हम तीनों के नगर मिलकर एक हो जाएं, और जो देवता तीनों नगरों को एक ही बाण से नष्ट करने की क्षमता रखता हो, वही हमारी मृत्यु का कारण हो।ब्रह्माजी ने उन्हें ये वरदान दे दिया।तीनों वरदान पाकर बहुत खुश हुए। ब्रह्माजी के कहने पर मयदानव ने उनके लिए तीन नगरों का निर्माण किया। तारकक्ष के लिए सोने का, कमला के लिए चांदी का और  विद्युन्माली के लिए लोहे का नगर बनाया गया। तीनों ने मिलकर तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया। इंद्र देवता इन तीनों राक्षसों से भयभीत हुए और भगवान शंकर की शरण में गए। इंद्र की बात सुन भगवान शिव ने इन दानवों का नाश करने के लिए एक दिव्य रथ का निर्माण किया।इस दिव्य रथ की हर एक चीज़ देवताओं से बनी। चंद्रमा और सूर्य से पहिए बने। इंद्र, वरुण, यम और कुबेर रथ के चाल घोड़े बने। हिमालय धनुष बने और शेषनाग प्रत्यंचा बने।  भगवान शिव खुद बाण बने और बाण की नोक बने अग्निदेव। इस दिव्य रथ पर सवार हुए खुद भगवान शिव।भगवानों से बनें इस रथ और तीनों भाइयों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। जैसे ही ये तीनों रथ एक सीध में आए, भगवान शिव ने बाण छोड़ तीनों का नाश कर दिया। इसी वध के बाद  भगवान शिव को त्रिपुरारी कहा जाने लगा। यह वध कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुआ, इसीलिए इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा नाम से भी जाना जाने लगा।<strong>You may also like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/kartik-maas-katha-hindi/">कार्तिक मास की कथा | Kartik Maas Katha PDF in H…
Sukhmani Sahib PDF in Punjabi
Sukhmani Sahib PDF DetailsSukhmani SahibPDF NameSukhmani Sahib PDFNo. of Pages145PDF Size0.27 MBLanguagePunjabiCategoryReligion & SpiritualityAvailable atsikhnet.comDownload LinkAvailable Downloads26
Sukhmani Sahib Punjabi PDF SummaryIf you are searching for (ਸੁਖਮਨੀ ਸਾਹਿਬ PDF) Sukhmani Sahib Path PDF in Punjabi but you didn’t find any link so don’t worry you are on the right page. Here we have provided this PDF to help you. This is a famous prayer of Sikhism in which they pray to god for their healthy and wealthy life. This Gurbani text (writing of the Gurus) was written by the 5th Guru, Guru Arjan (1563–1606) at Amritsar in around 1602. In this post, we have provided the download link for (ਸੁਖਮਨੀ ਸਾਹਿਬ PDF) Sukhmani Sahib Punjabi PDF.ਗਉੜੀ ਸੁਖਮਨੀ ਮਃ 5 ॥
ਸਲੋਕੁ ॥
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ਆਦਿ ਗੁਰਏ ਨਮਹ ॥
ਜੁਗਾਦਿ ਗੁਰਏ ਨਮਹ ॥
ਸਤਿਗੁਰਏ ਨਮਹ ॥
ਸ੍ਰੀ ਗੁਰਦੇਵਏ ਨਮਹ ॥1॥
ਅਸਟਪਦੀ ॥
ਸਿਮਰਉ ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਸੁਖੁ ਪਾਵਉ ॥
ਕਲਿ ਕਲੇਸ ਤਨ ਮਾਹਿ ਮਿਟਾਵਉ ॥
ਸਿਮਰਉ ਜਾਸੁ ਬਿਸੁੰਭਰ ਏਕੈ ॥
ਨਾਮੁ ਜਪਤ ਅਗਨਤ ਅਨੇਕੈ ॥
ਬੇਦ ਪੁਰਾਨ ਸਿੰਮ੍ਰਿਤਿ ਸੁਧਾਖ੍ਹਰ ॥
ਕੀਨੇ ਰਾਮ ਨਾਮ ਇਕ ਆਖ੍ਹਰ ॥
ਕਿਨਕਾ ਏਕ ਜਿਸੁ ਜੀਅ ਬਸਾਵੈ ॥
ਤਾ ਕੀ ਮਹਿਮਾ ਗਨੀ ਨ ਆਵੈ ॥
ਕਾਂਖੀ ਏਕੈ ਦਰਸ ਤੁਹਾਰੋ ॥
ਨਾਨਕ ਉਨ ਸੰਗਿ ਮੋਹਿ ਉਧਾਰੋ ॥1॥
ਸੁਖਮਨੀ ਸੁਖ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਪ੍ਰਭ ਨਾਮੁ ॥
ਭਗਤ ਜਨਾ ਕੈ ਮਨਿ ਬਿਸ੍ਰਾਮ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਗਰਭਿ ਨ ਬਸੈ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਦੂਖੁ ਜਮੁ ਨਸੈ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਕਾਲੁ ਪਰਹਰੈ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਦੁਸਮਨੁ ਟਰੈ ॥
ਪ੍ਰਭ ਸਿਮਰਤ ਕਛੁ ਬਿਘਨੁ ਨ ਲਾਗੈ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਅਨਦਿਨੁ ਜਾਗੈ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਭਉ ਨ ਬਿਆਪੈ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਦੁਖੁ ਨ ਸੰਤਾਪੈ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਾ ਸਿਮਰਨੁ ਸਾਧ ਕੈ ਸੰਗਿ ॥
ਸਰਬ ਨਿਧਾਨ ਨਾਨਕ ਹਰਿ ਰੰਗਿ ॥2॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਰਿਧਿ ਸਿਧਿ ਨਉ ਨਿਧਿ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਗਿਆਨੁ ਧਿਆਨੁ ਤਤੁ ਬੁਧਿ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਜਪ ਤਪ ਪੂਜਾ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਬਿਨਸੈ ਦੂਜਾ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਤੀਰਥ ਇਸਨਾਨੀ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਦਰਗਹ ਮਾਨੀ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਹੋਇ ਸੁ ਭਲਾ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਸੁਫਲ ਫਲਾ ॥
ਸੇ ਸਿਮਰਹਿ ਜਿਨ ਆਪਿ ਸਿਮਰਾਏ ॥
ਨਾਨਕ ਤਾ ਕੈ ਲਾਗਉ ਪਾਏ ॥3॥
ਪ੍ਰਭ ਕਾ ਸਿਮਰਨੁ ਸਭ ਤੇ ਊਚਾ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਉਧਰੇ ਮੂਚਾ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਤ੍ਰਿਸਨਾ ਬੁਝੈ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਸੁਝੈ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਨਾਹੀ ਜਮ ਤ੍ਰਾਸਾ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਪੂਰਨ ਆਸਾ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਮਨ ਕੀ ਮਲੁ ਜਾਇ ॥
ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਨਾਮੁ ਰਿਦ ਮਾਹਿ ਸਮਾਇ ॥
ਪ੍ਰਭ ਜੀ ਬਸਹਿ ਸਾਧ ਕੀ ਰਸਨਾ ॥
ਨਾਨਕ ਜਨ ਕਾ ਦਾਸਨਿ ਦਸਨਾ ॥4॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਸੇ ਧਨਵੰਤੇ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਸੇ ਪਤਿਵੰਤੇ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਸੇ ਜਨ ਪਰਵਾਨ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਸੇ ਪੁਰਖ ਪ੍ਰਧਾਨ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਸਿ ਬੇਮੁਹਤਾਜੇ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਸਿ ਸਰਬ ਕੇ ਰਾਜੇ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਸੇ ਸੁਖਵਾਸੀ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਸਦਾ ਅਬਿਨਾਸੀ ॥
ਸਿਮਰਨ ਤੇ ਲਾਗੇ ਜਿਨ ਆਪਿ ਦਇਆਲਾ ॥
ਨਾਨਕ ਜਨ ਕੀ ਮੰਗੈ ਰਵਾਲਾ ॥5॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਸੇ ਪਰਉਪਕਾਰੀ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਤਿਨ ਸਦ ਬਲਿਹਾਰੀ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਸੇ ਮੁਖ ਸੁਹਾਵੇ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਤਿਨ ਸੂਖਿ ਬਿਹਾਵੈ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਤਿਨ ਆਤਮੁ ਜੀਤਾ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਤਿਨ ਨਿਰਮਲ ਰੀਤਾ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਤਿਨ ਅਨਦ ਘਨੇਰੇ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਉ ਸਿਮਰਹਿ ਬਸਹਿ ਹਰਿ ਨੇਰੇ ॥
ਸੰਤ ਕ੍ਰਿਪਾ ਤੇ ਅਨਦਿਨੁ ਜਾਗਿ ॥
ਨਾਨਕ ਸਿਮਰਨੁ ਪੂਰੈ ਭਾਗਿ ॥6॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਕਾਰਜ ਪੂਰੇ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਕਬਹੁ ਨ ਝੂਰੇ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਹਰਿ ਗੁਨ ਬਾਨੀ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਸਹਜਿ ਸਮਾਨੀ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਨਿਹਚਲ ਆਸਨੁ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਕਮਲ ਬਿਗਾਸਨੁ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕੈ ਸਿਮਰਨਿ ਅਨਹਦ ਝੁਨਕਾਰ ॥
ਸੁਖੁ ਪ੍ਰਭ ਸਿਮਰਨ ਕਾ ਅੰਤੁ ਨ ਪਾਰ ॥
ਸਿਮਰਹਿ ਸੇ ਜਨ ਜਿਨ ਕਉ ਪ੍ਰਭ ਮਇਆ ॥
ਨਾਨਕ ਤਿਨ ਜਨ ਸਰਨੀ ਪਇਆ ॥7॥
ਹਰਿ ਸਿਮਰਨੁ ਕਰਿ ਭਗਤ ਪ੍ਰਗਟਾਏ ॥
ਹਰਿ ਸਿਮਰਨਿ ਲਗਿ ਬੇਦ ਉਪਾਏ ॥
ਹਰਿ ਸਿਮਰਨਿ ਭਏ ਸਿਧ ਜਤੀ ਦਾਤੇ ॥
ਹਰਿ ਸਿਮਰਨਿ ਨੀਚ ਚਹੁ ਕੁੰਟ ਜਾਤੇ ॥
ਹਰਿ ਸਿਮਰਨਿ ਧਾਰੀ ਸਭ ਧਰਨਾ ॥
ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਹਰਿ ਕਾਰਨ ਕਰਨਾ ॥
ਹਰਿ ਸਿਮਰਨਿ ਕੀਓ ਸਗਲ ਅਕਾਰਾ ॥
ਹਰਿ ਸਿਮਰਨ ਮਹਿ ਆਪਿ ਨਿਰੰਕਾਰਾ ॥
ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਜਿਸੁ ਆਪਿ ਬੁਝਾਇਆ ॥
ਨਾਨਕ ਗੁਰਮੁਖਿ ਹਰਿ ਸਿਮਰਨੁ ਤਿਨਿ ਪਾਇਆ ॥8॥1॥Download the (ਸੁਖਮਨੀ ਸਾਹਿਬ PDF) Sukhmani Sahib Punjabi PDF by going through the following link.#Sukhmani #Sahib #PDF #PunjabiThe post Sukhmani Sahib PDF in Punjabi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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Balopasana Kalavati Aai PDF in Marathi
Balopasana Kalavati Aai PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/balopasana-book-124.jpg">Balopasana Kalavati Aai</a>PDF Name<b>Balopasana Kalavati Aai PDF</b>No. of Pages<b>7</b>PDF Size<b>0.45 MB</b>Language<b>Marathi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
Balopasana Kalavati Aai Marathi PDF Summaryमित्रांनो, आज आम्ही तुमच्यासाठी Balopasana PDF in Mararhi / बालोपसना PDF घेऊन आलो आहोत बाळगोपाळांनो रोज़ सकाळी अंघोळ झाली की तुम्ही या बालोपासनेतिल प्रार्थना म्हणा, म्हणजे तुमचे मन अत्यंत उत्साही बनेल .त्यावर जर शाळेतील अभ्यास केला तर तो पूर्ण तुमच्या लक्षात राहिल आणि तुम्ही परीक्षेत नक्की पास व्हाल.मात्र प्रार्थना दररोज व नियमित केली पाहिजे वडील माणसांच्या धाकने कपाळाला आठ्या घालून प्राथना केल्यास ती देवाला आवडणार नाही हं ! तुमच्यासाठी आईने खाऊ समोर ठेवला असता तो कधी खाईन कधी खाईन असे तुम्हाला होता असते ना ? त्याप्रमाणे देवाची प्रार्थना कधी करीन असे तुम्हाला वाटले पाहिजे म्हणजेच देवाचा आशीर्वाद मिळून मोठेपणी सुद्धा प्रत्येक कामात तुम्ही यशस्वी व्हाल.त्याचप्रमाणे कोणत्याही प्रसंगी आनंदी राहू शकाल. या पोस्टमध्ये दिलेल्या लिंकवर क्लिक करून तुम्ही Balopasana Kalavati Aai PDF in Marathi खूप सहज डाउनलोड करू शकता.Kalavati Aai Balopasana PDF in Marathi | Balopasana Kalavati Aai PDF in Marathi*बालोपसना*
श्रीगणपते विघ्ननाशना
मंगलमुरुते मूषकवाहना |१|
तिमिर नशिसी निजज्ञान देउनि
रक्षिसी सदा सुभक्तांलागुनी |२|
खड़ग दे मला प्रेमरुपी हे
मारिन षड्र्रीपू दूष्ट दैत्य हे |३|
बालकापरी जवळी घे मज
ईश जगाचा तू मी तव पदरज| ४|
मनोहर तुजी मूर्ति पहावया
लागी दिव्य दृष्टि देई मोरया |५|
पूरवी हेतुला करुनी करूणा
रमवी भजनी कलिमलदहना|६|<strong>पूजा :-</strong>गिरिधर मी पूजणार आजी. यदुवीर मी पूजणार. रत्ना झाड़ता सिहसनी बसवुनी. झरित घेवुनी गुलाब पानी. प्रभुरयाचे मुख्न्यलोनी. स्वकरे पाया धुवानर आजी. गिरिधर मी पूजणार आजी. चन्दन उती लावुनी अंगाला. नेसवुनी पीताम्बर पीवाला. अंगावरी भरझारी लाल शेला . पांघराया देणार . जय जुए मोगरा मालती । चाफा बकुली सुगंधी शेवंती । दवाना वर भा तुलस वजयंती । गुफुनी हार कार्नर. कपाली लावुनी कस्तूरी तिला. सुमन हार घालुनी गला. हाश्य्वादन घनश्याम सवाल. डोले भर पहना. धुप घालुनी दीप लविं. दूध फलते प्रेमे अर्पिना. मनागालारती ओवालुनी प्रभुचे गुण गाणार. परम पावना रुकमिनी जीवन . निशिदिन करी रत तव गुण गाना . ऐसे भावे करुनी प्रार्थना. पड़ी मस्तक तह्वानर. तव भक्ति लगी तनु हु झिजू दे. तव चरण कमली मन हे निजु दे. तव स्मरणी ठेवी वाचा रिज्य. नमस्कार माझअ तुला यदुराया.<strong>कृष्णाची आरती</strong>जय जय कृष्णनाथा। तिन्ही लोकिंचा ताता| आरती ओवालिता|हरली घोर भाव चिंता ।
धन्य ते गोकुळ हो. जेथे करी कृष्ण लीला| धन्य ती देवकी माता , कृष्ण नवमॉस वाहिला ।
धन्य ते वासुदेव , कृष्ण गुप्तपणे रक्षिला| धन्य ती यमुनाई , कृष्णपदी ठेवी माता |
धन्य ते नंदयशोदा ज्यानी प्रभु खेळविला| धन्य ते बालगोपाल , कृष देई दहिकाला|
धन्य ते गोपगोपी , भोगिती सुखसोहळा | धन्य त्या राधारुक्मिणी, कृष्णप्रेमासरिता ।<strong>कलावती आई आरती</strong>ऒवाळू आरती माता कलावती ।
पाहत तुझी मूर्ति मनकमाना पूर्ति ।
भावे वन्दिता तव दिव्या पाऊले |
संसरापसुनी मजे मन भांगले|
तुझा भजनी नित चित रंगले|
झाली हस्त पाशी पूरण शांति|
गौरवर्ण तानुवारी शोभे शुबरा अम्बर|
दर्शन मात्रे लाभे आनंद थोर|
भाषानी सकल संशय जाती दूर|
विशालाक्ष मज दे गुणवंती|<strong>उद्यापन</strong>हे विश्वजनाका , विशावाम्बरा , विश्वपलाका , विश्वेश्वर . मजा मनाची चंचलता दूर कर . हे सर्वव्यापी , सर्वसाक्षी , सर्वोतम , सर्वग्न्य ! तुला ओलोख्न्याचे माला नयन दे । हे प्रेमसागर , प्रेमानान्दा , प्रेम्मुरते , प्रेमरूप , माझे दुर्गुण नाहीसे करूँ शुद्ध प्रेमाने हृदय भारू दे । ! हे न्यानेषा , न्यानाजन , नयनज्योति ! तज्य चरनी माजी श्रधा भक्ति दरूद कर . हे मायातीता , मायबापा , मायाचालाका , मायामोहारना , समदृष्टि अणि अदल शांति माला दे । हे कमाल्नायाना , कमाल्कंता , कमलनाथ , कमाल्दिषा , माझा नेत्रना सर्व्स्तावर जग्मत तुझे दर्शन घडू दे । माझे कान तुझे कीर्तन श्रवण करू देत । हे पतित्पवाना , परमेशा , परमानंदा , परमप्रिय । माझा हस्तानी तुझी पूजा घडू दे , तुझा भवति माझे पाया प्रदक्षाना घालू देत . हे गुरुनाथा , गुरुमुरते , गुरुराजा , गुरुदेव ! मजे मन निरंतर तुजे ध्यान…
Manqoos Moulid PDF in Urdu
Manqoos Moulid PDF DetailsManqoos MoulidPDF NameManqoos Moulid PDFNo. of Pages12PDF Size2.41 MBLanguageUrduCategoryReligion & SpiritualityAvailable at452734-1780326-raikfcquaxqncofqfm.stackpathdns.comDownload LinkAvailable Downloads26
Manqoos Moulid Urdu PDF SummaryToday we are going to upload the Manqoos Moulid PDF to help you. This prayer was composed by Islamic scholar from Malabar first Makhdoom Sheikh Zainudden bin Ali bin Ahmad 500 years ago. The Maulid is known by the title of ‘Al-Maulidul Manqoos’ in which the word Manqus in Arabic means the Shortened. Here, the word ‘Maulid’ refers to the biographical histories of the prophet, other prophets (alaihimussalam), and pious servants of Allah. Normally ‘Maulid’ is compiled in a combination of the phrase and the poem.Here you can download the Manqoos Moulid PDF by click on the link given below.#Manqoos #Moulid #PDF #UrduThe post Manqoos Moulid PDF in Urdu appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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Ashraka Baith PDF in Urdu
Ashraka Baith PDF DetailsAshraka BaithPDF NameAshraka Baith PDFNo. of Pages9PDF Size0.06 MBLanguageUrduCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
Ashraka Baith Urdu PDF SummaryHello Friends, if you are searching for Ashraka Baith PDF but you didn’t find it anywhere so don’t worry you are on the right page. In this article, we have uploaded the Ashraka Baith Urdu PDF to help you. This is a famous Muslim prayer to impress Allah. If you recite this prayer in morning or evening daily Allah will give you the strength and power to live a happy life.Ashraka Baith PDF in UrduMediaAshraka Baith PDFMediaAshraka Baith PDFHere you can download the Ashraka Baith PDF in Urdu by click on the link given below.#Ashraka #Baith #PDF #UrduThe post Ashraka Baith PDF in Urdu appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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नात शरीफ बुक हिंदी | Naat Sharif Lyrics PDF in Hindi
नात शरीफ बुक हिंदी | Naat Sharif Lyrics PDF Detailsनात शरीफ बुक हिंदी | Naat Sharif LyricsPDF Nameनात शरीफ बुक हिंदी | Naat Sharif Lyrics PDFNo. of Pages13PDF Size0.28 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
नात शरीफ बुक हिंदी | Naat Sharif Lyrics Hindi PDF SummaryHere you can get the Naat Sharif Book PDF in Hindi and recite it whenever you want. It is the collection of various verses related to Naat Sharif. There are several places where you can find it but not in pdf format. But here you can get it for free of cost without any issue.Here you can read so many verses that will motivate you and indicate you about life and help you to understand about them. Naʽat is poetry in praise of the Islamic prophet, Muhammad. The practice is popular in South Asia, commonly in Bengali, Punjabi, or Urdu but here you can read it in Hindi. People who recite Naʽat are known as Naʽat Khawan or sanaʽa-khuaʽan नात शरीफ कव्वाली हिंदी / Naat Sharif Book Hindi PDFजिंदगी अपनी यू खुशनुमा कीजिएजिक्रे अहमद हमेशा किया कीजिएदर्स हमको मिला ये नबी पाक सेदुश्मनों के भी हक में दुआ कीजिएकामयाबी की कुंजी अगर चाहिएसरवरे दीन से राब्ता कीजिएवह सफायत करेंगे यकीनन मगरआप पाबंदे सुन्नत रहा कीजिएलज़्ज्ते ज़िक्र का फिर मजा आएगापहले दिल को बलाली बना लीजिएहर बला सर से चलती रहेगी सदासानी सजदा खुशी से दिया कीजिएनूरुद्दीन सानीनाते पाकऐ कलम तू सबसे पहले अहमदे मुख्तार लिखफिर इमाम उल अंबिया के शीरतो किरदार लिखहर तरफ फैला उजाला मुस्तफा की जात सेताजदार ए अंबिया को मरकज ए अनवार लिखमजहब ए इस्लाम की खातिर हुए कुर्बान जोजांनिसार ए कर्बला का जज्बा ए ऐसार लिखनात लिखने की अगर ख्वाहिश है ऐ मेरे अजीजमिद्हते सरकार में डूबे हुए अशआर लिखचार यार मुस्तफा का नाम गर पूछे कोईबू बकर, फारुक उस्मां, हैदर ए किरदार लिखऔर कुछ भी लिख न लिख ऐ कातिबे तकदीर तूमेरी किस्मत में रसूले पाक का दरबार लिखशाह ए दीं फखरे दो आलम की मुकद्दस ज़ात कोऐ बशर तू दो जहां का मालिको मुख्तार लिखक्या पूछते हैं शान और अजमत हुजूर कीदोनों जहां बने हैं बदौलत हुजूर कीचूमेगी कामयाबी कदम उसका बिल्यक़ींअपनाई जिस किसी ने भी सीरत हुजूर कीजब नबी को सीने में महफूज कर लियाबख्शीश को मेरे काफी है उल्फत हुजुर कीअहले जमीन से वस्फ़े नबी क्या बयान होअर्शे बरीं पे होती है मिद्हत हुजूर कीबेखौफ होके गुजरेगा पुले सिरात सेरखता है जो भी दिल में अकीदत हुजूर कीकुंजी तो मगफिरत की है दस्ते हुजूर मेंकरते हैं लोग फिर भी अहानत हुजूर कीमोहकम यकीन रखिए बशर उनकी जात परमिहशर में काम आएगी शफकत हुजूर कीबशर रहीमी, महुआ, वैशाली, बिहारनात ए पाकसारे जहाँ में हैं वही फ़रज़ाने या नबी।जो हैं तुम्हारे नाम के दीवाने या नबी।मस्ती में झूम जायेंगे मस्ताने या नबी।कौसर के जब लुटाओगे पैमाने या नबी।बेनूर आसमान था बेरंग यह जहां।आ कर सजाए आप ने वीराने या नबी।हम पर निगाह कीजिए दर पर बुलाइए।बनने लगे असीरी के अफ़साने या नबी।सुन्नत से दूर हो गए हम जब से आपकी।दिल हो गए हमारे ये ज़म ख़ाने या नबी।सब कुछ मिला है आपके सदक़े में जब हमें।कैसे अदा हों आप के शुक्राने या नबी।हो जाऐं तिशना खाब मुकम्मल फ़राज़ के।इस पर खुलें जो दीद के मयख़ाने या नबी।सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़मुरादाबाद उत्तर प्रदेशYou can download Naat Sharif Lyrics PDF in Hindi by clicking on the following download button.#नत #शरफ #बक #हद #Naat #Sharif #Lyrics #PDF #HindiThe post नात शरीफ बुक हिंदी | Naat Sharif Lyrics PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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श्री गंगा चालीसा | Ganga Chalisa PDF in Hindi
श्री गंगा चालीसा | Ganga Chalisa PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/----ganga-chalisa-232.jpg">श्री गंगा चालीसा | Ganga Chalisa</a>PDF Name<b>श्री गंगा चालीसा | Ganga Chalisa PDF</b>No. of Pages<b>7</b>PDF Size<b>0.41 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
श्री गंगा चालीसा | Ganga Chalisa Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के द्वारा आप श्री गंगा चालीसा पीडीऍफ़ को प्राप्त कर सकते हैं। हिन्दू धर्म में माँ गंगा का बहुत विशेष स्थान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा स्नान से व्यक्ति के सारे पा धूल जाते हैं तथा उसका तन – मन निर्मल हो जाता है। गंगा माँ का महत्व न केवल भौतिक रुप से बल्कि अध्यात्म जगत में भी इनका बहुत अधिक महत्व है।बहुत से ऐसे हिन्दू त्यौहार हैं जिन पर गंगा में स्नान का विशेष महत्व होता है। गंगा चालीसा का प्रतिदिन पाठ करने से आप मानसिक शांति का अनुभव कर सकते हैं। गंगा चालीसा माँ गंगा को समर्पित बहुत ही महत्वपूर्ण रचना है जिसके पाठ से आप जाने – अनजाने में हुए गलत कर्मों बच सकते हैं तथा जो कर्म हो चुके हैं उनके दंड से बच सकते हैं। गंगा चालीसा लिरिक्स / Ganga Chalisa Lyrics in Hindi॥दोहा॥जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग।जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥ ॥चौपाई॥जय जय जननी हराना अघखानी।आनंद करनी गंगा महारानी॥जय भगीरथी सुरसरि माता।कलिमल मूल डालिनी विख्याता॥जय जय जहानु सुता अघ हनानी।भीष्म की माता जगा जननी॥धवल कमल दल मम तनु सजे।लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई॥ ४ ॥वहां मकर विमल शुची सोहें।अमिया कलश कर लखी मन मोहें॥जदिता रत्ना कंचन आभूषण।हिय मणि हर, हरानितम दूषण॥जग पावनी त्रय ताप नासवनी।तरल तरंग तुंग मन भावनी॥जो गणपति अति पूज्य प्रधान।इहूं ते प्रथम गंगा अस्नाना॥ ८ ॥ब्रह्मा कमंडल वासिनी देवी।श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो।गंगा सागर तीरथ धरयो॥अगम तरंग उठ्यो मन भवन।लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन॥तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता।धरयो मातु पुनि काशी करवत॥ १२ ॥धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी।तरनी अमिता पितु पड़ पिरही॥भागीरथी ताप कियो उपारा।दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा॥जब जग जननी चल्यो हहराई।शम्भु जाता महं रह्यो समाई॥वर्षा पर्यंत गंगा महारानी।रहीं शम्भू के जाता भुलानी॥ १६ ॥पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो।तब इक बूंद जटा से पायो॥ताते मातु भें त्रय धारा।मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा॥गईं पाताल प्रभावती नामा।मन्दाकिनी गई गगन ललामा॥मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी।कलिमल हरनी अगम जग पावनि॥ २० ॥धनि मइया तब महिमा भारी।धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी॥मातु प्रभवति धनि मंदाकिनी।धनि सुर सरित सकल भयनासिनी॥पन करत निर्मल गंगा जल।पावत मन इच्छित अनंत फल॥पुरव जन्म पुण्य जब जागत।तबहीं ध्यान गंगा महं लागत॥ २४ ॥जई पगु सुरसरी हेतु उठावही।तई जगि अश्वमेघ फल पावहि॥महा पतित जिन कहू न तारे।तिन तारे इक नाम तिहारे॥शत योजन हूं से जो ध्यावहिं।निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं॥नाम भजत अगणित अघ नाशै।विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे॥ २८ ॥जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना।धर्मं मूल गंगाजल पाना॥तब गुन गुणन करत दुख भाजत।गृह गृह सम्पति सुमति विराजत॥गंगहि नेम सहित नित ध्यावत।दुर्जनहूं सज्जन पद पावत॥उद्दिहिन विद्या बल पावै।रोगी रोग मुक्त हवे जावै॥ ३२ ॥गंगा गंगा जो नर कहहीं।भूखा नंगा कभुहुह न रहहि॥निकसत ही मुख गंगा माई।श्रवण दाबी यम चलहिं पराई॥महं अघिन अधमन कहं तारे।भए नरका के बंद किवारें॥जो नर जपी गंग शत नामा।सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा॥ ३६ ॥सब सुख भोग परम पद पावहीं।आवागमन रहित ह्वै जावहीं॥धनि मइया सुरसरि सुख दैनि।धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी॥ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा।सुन्दरदास गंगा कर दासा॥जो यह पढ़े गंगा चालीसा।मिली भक्ति अविरल वागीसा॥ ४० ॥॥ दोहा ॥नित नए सुख सम्पति लहैं। धरें गंगा का ध्यान।अंत समाई सुर पुर बसल। सदर बैठी विमान॥संवत भुत नभ्दिशी। राम जन्म दिन चैत्र।पूरण चालीसा किया। हरी भक्तन हित नेत्र॥ गंगा मैया की आरती / Ganga Maiya Ki Aarti PDF in Hindiॐ जय गंगे माता,मैया जय गंगे माता।जो नर तुमको ध्याता,मनवांछित फल पाता॥ॐ जय गंगे माता॥चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी,जल निर्मल आता।शरण पड़े जो तेरी,सो नर तर जाता॥ॐ जय गंगे माता॥पुत्र सगर के तारे,सब जग को ज्ञाता।कृपा दृष्टि हो तुम्हारी,त्रिभुवन सुख दाता॥ॐ जय गंगे माता॥एक बार जो प्राणी,शरण तेरी आता।यम की त्रास मिटाकर,परमगति पाता॥ॐ जय गंगे माता॥आरती मातु तुम्हारी,जो नर नित गाता।सेवक वही सहज…
गंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki Aarti PDF in Hindi
गंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki Aarti PDF Detailsगंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki AartiPDF Nameगंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki Aarti PDFNo. of Pages3PDF Size0.39 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
गंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki Aarti Hindi PDF Summaryप्रिय पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप श्री गंगा मैया की सुन्दर आरती की पीडीऍफ़ डाउनलोड कर सकते हैं। हिन्दू धर्म में गंगा मैया का बहुत अधिक महत्व है। माना जाता है कि माता गंगा जनकल्याण के लिए स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक पर आयी हैं। माता गंगा को पृथ्वीलोक पर लाने का श्रेय भगीरथ जी को जाता है, वह भगवान् श्री राम जी के पूर्वज थे।यह गंगा मैया की बहुत प्रचलित आरती है जिसका गायन गंगा माँ से सम्बंधित विभिन्न अवसरों पर किया जाता है। यदि आप भी जीवन में गंगा माँ की तरह निर्मल रहना चाहते हैं, तो आपको इस आरती का गायन अवश्य करना चाहिए। गंगा मैया की यह आरती ऋषिकेश पर भी की जाती है। आप यही जानते ही होंगे की हरिद्वार की गंगा आरती भारत समेत पूरे विश्व में प्रसिद्द है। आप भी इस आरती को घर में करके इसका लाभ उठा सकते हैं। गंगा माता जी की आरती / Ganga Ji Ki Aarti PDFॐ जय गंगे माता,मैया जय गंगे माता।जो नर तुमको ध्याता,मनवांछित फल पाता॥ॐ जय गंगे माता॥ चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी,जल निर्मल आता।शरण पड़े जो तेरी,सो नर तर जाता॥ॐ जय गंगे माता॥ पुत्र सगर के तारे,सब जग को ज्ञाता।कृपा दृष्टि हो तुम्हारी,त्रिभुवन सुख दाता॥ॐ जय गंगे माता॥ एक बार जो प्राणी,शरण तेरी आता।यम की त्रास मिटाकर,परमगति पाता॥ॐ जय गंगे माता॥ आरती मातु तुम्हारी,जो नर नित गाता।सेवक वही सहज में,मुक्ति को पाता॥ॐ जय गंगे माता॥ पवित्र गंगा स्तोत्रम / Ganga Stotram in Hindi PDF देवि सुरेश्वरि भगति गंगे त्रिभुवनतारिणि तरलतरंगे ।शंकरमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ।।1।। भागीरथि सुखदायिनि मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यात: ।नाहं जाने तव महिमानं पाहि कृपामयि मामज्ञानम ।।2।। हरिपदपाद्यतरंगिणि गंगे हिमविधुमुक्ताधवलतरंगे ।दूरीकुरू मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपारम ।।3।। तव जलममलं येन निपीतं परमपदं खलु तेन गृहीतम ।मातर्गंगे त्वयि यो भक्त: किल तं द्रष्टुं न यम: शक्त: ।।4।। पतितोद्धारिणि जाह्रवि गंगे खण्डितगिरिवरमण्डितभंगे ।भीष्मजननि हेमुनिवरकन्ये पतितनिवारिणि त्रिभुवनधन्ये ।।5।। कल्पलतामिव फलदां लोके प्रणमति यस्त्वां न पतति शोके ।पारावारविहारिणि गंगे विमुखयुवतिकृततरलापांगे ।।6।। तव चेन्मात: स्रोत: स्नात: पुनरपि जठरे सोsपि न जात: ।नरकनिवारिणि जाह्रवि गंगे कलुषविनाशिनि महिमोत्तुंगे ।।7।। पुनरसदड़्गे पुण्यतरंगे जय जय जाह्रवि करूणापाड़्गे ।इन्द्रमुकुट मणिराजितचरणे सुखदे शुभदे भृत्यशरण्ये ।।8।। रोगं शोकं तापं पापं हर मे भगवति कुमतिकलापम ।त्रिभुवनसारे वसुधाहारे त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे ।।9।।अलकानन्दे परमानन्दे कुरु करुणामयि कातरवन्द्ये ।तव तटनिकटे यस्य निवास: खलु वैकुण्ठे तस्य निवास: ।।10।। वरमिह: नीरे कमठो मीन: कि वा तीरे शरट: क्षीण: ।अथवा श्वपचो मलिनो दीनस्तव न हि दूरे नृपतिकुलीन: ।।11।। भो भुवनेश्वरि पुण्ये धन्ये देवि द्रवमयि मुनिवरकन्ये ।गंगास्तवमिमममलं नित्यं पठति नरो य: सजयति सत्यम ।।12।। येषां ह्रदये गंगाभक्तिस्तेषां भवति सदा सुख मुक्ति: ।मधुराकान्तापंझटिकाभि: परमानन्द कलितललिताभि: गंगास्तोत्रमिदं भवसारं वांछितफलदं विमलं सारम ।शंकरसेवकशंकरचितं पठति सुखी स्तव इति च समाप्त: ।।You can download Ganga Maiya Ki Aarti PDF in Hindi by clicking on the following download button.#गग #मय #क #आरत #Ganga #Maiya #Aarti #PDF #HindiThe post गंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki Aarti PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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वैभव लक्ष्मी व्रत की विधि | Vaibhav Lakshmi Vrat Vidhi PDF in Hindi
वैभव लक्ष्मी व्रत की विधि | Vaibhav Lakshmi Vrat Vidhi PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/------vaibhav-lakshmi-vrat-vidhi-668.jpg">वैभव लक्ष्मी व्रत की विधि | Vaibhav Lakshmi Vrat Vidhi</a>PDF Name<b>वैभव लक्ष्मी व्रत की विधि | Vaibhav Lakshmi Vrat Vidhi PDF</b>No. of Pages<b>5</b>PDF Size<b>0.56 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
वैभव लक्ष्मी व्रत की विधि | Vaibhav Lakshmi Vrat Vidhi Hindi PDF Summaryहिन्दू धर्म में अनेक प्रकार के व्रत व उपवास का विधान है। वैभव लक्ष्मी माता का व्रत भी उन्हीं व्रतों में से एक है। वैभव लक्ष्मी व्रत बहुत ही अधिक प्रचलित है। इस व्रत का पालन बहुत लम्बे समय से होता आ रहा है। माता वैभव लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में धन – धान्य तथा वैभव की वर्षा होती है।यदि आप भी अपने जीवन में आर्थिक समस्याओं से बहुत अधिक परेशान हैं, तथा अब उन परेशानियों से बाहर आना चाहते हैं, तो माता वैभव लक्ष्मी जी का व्रत पूरे विधि – विधान से अवश्य करें। इस व्रत की सफलता के लिए व्रत के दौरान श्री वैभव लक्ष्मी व्रत कथा का पठन – पाठन भी अवश्य करना चाहिए। वैभव लक्ष्मी व्रत करने की विधि / Vaibhav Laxmi Vrat Vidhi in Hindi PDFशुक्रवार के दिन महिलाओं को ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाना चाहिए।सभी नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें।इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और मंदिर की साफ-सफाई कर लें।मां लक्ष्‍मी का ध्‍यान करें और व्रत का संकल्प लें।पूरे दिन फलाहार कर आप व्रत कर सकते हैं।व्रत पूरा होने के बाद शाम के समय अन्न ग्रहण करना चाहिए।पूरे दिन उपवास के बाद शाम के समय फिर से स्नान करें।शाम के पूजा करने के लिए पूर्व दिशा की तरफ मुंह कर बैठ जाएं।इसके बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर वैभव लक्ष्‍मी की तस्‍वीर या मूर्ति स्‍थापित करें।मूर्ति के पीछे या बगल में श्रीयंत्र रखें।मूर्ति या तस्वीर के सामने एक मुट्ठी भकर चावल का ढेर रख दें।इस पर पानी से भरा हुआ तांबे का कलश रख दें।कलश के ऊपर एक छोटी कटोरी रखें। इसमें सोने या चांदी का कोई आभूषण रख दें।वैभव लक्ष्‍मी के समक्ष लाल चंदन, गंध, लाल वस्‍त्र, लाल फूल अवश्य रखें।प्रसाद में गाय से दूध से निर्मित चावल की खीर बनाएं।अगर आप खीर नहीं बना पाए हैं तो सफेद मिठाई का भोग भी लगा दें।पूजा के बाद लक्ष्‍मी स्‍तवन का पाठ करें।साथ ही मां के निम्न मंत्र का जाप भी करें।या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥इस दौरान श्रीयंत्र की भी पूजा करनी चाहिए।इसके बाद व्रत कथा पढ़ें।फिर गोघृत दीपक से मां की आरती करें।व्रत कथा करने के बाद महिलाओं को कम से कम 7 बार अपनी मनोकामना को मन में दोहराना होगा।मां लक्ष्मी का ध्यान कर प्रसाद ग्रहण करें।घर के मुख्‍य द्वार पर घी का एक दीपक जला दें।वैभव लक्ष्मी माता की आरती / Vaibhav Laxmi Vrat Aarti Lyrics in Hindiॐ वैभव लक्ष्मी माता
मैया वैभव लक्ष्मी माता
भक्तों के हितकारिनी
भक्तों के हितकारिनी
सुख वैभव दाता
ॐ वैभव लक्ष्मी माता(ॐ वैभव लक्ष्मी माता
मैया वैभव लक्ष्मी माता
भक्तों के हितकारिनी
भक्तों के हितकारिनी
सुख वैभव दाता
ॐ वैभव लक्ष्मी माता)लक्ष्मी माँ का नाम जो लेता
सुख सम्पति पाता
मैया सुख सम्पति पाता
दुःख दरिद्र मिटता
दुःख दरिद्र मिटता
बांछित फल पाता(ॐ वैभव लक्ष्मी माता
मैया वैभव लक्ष्मी माता
भक्तों के हितकारिनी
भक्तों के हितकारिनी
सुख वैभव दाता
ॐ वैभव लक्ष्मी माता)लक्ष्मी माता तू जग माता
जग पालक रानी
मैया जग पालक रानी
हाथ जोड़ गुण गाते
हाथ जोड़ गुण गाते
जग के सब प्राणी
ॐ वैभव लक्ष्मी माता(ॐ वैभव लक्ष्मी माता
मैया वैभव लक्ष्मी माता
भक्तों के हितकारिनी
भक्तों के हितकारिनी
सुख वैभव दाता
ॐ वैभव लक्ष्मी माता)हे माँ तेरी शरण में जो आता
तेरी भक्ति पाता
मैया तेरी भक्ति पाता
माँ तेरी ममता पा के
माँ तेरी ममता पा के
अंत स्वर्ग जाता
ॐ वैभव लक्ष्मी माता(ॐ वैभव लक्ष्मी माता
मैया वैभव लक्ष्मी माता
भक्तों के हितकारिनी
भक्तों के हितकारिनी
सुख वैभव दाता
ॐ वैभव लक्ष्मी माता)(ॐ वैभव लक्ष्मी माता
मैया वैभव लक्ष्मी माता
भक्तों के हितकारिनी
भक्तों के हितकारिनी
सुख वैभव दाता
ॐ वैभव लक्ष्मी माता
ॐ वैभव लक्ष्मी माता
ॐ वैभव लक्ष्मी माता)<strong>You can download…
శివషడక్షర స్తోత్రమ్ | Shiva Shadakshar Astotram PDF in Telugu
శివషడక్షర స్తోత్రమ్ | Shiva Shadakshar Astotram PDF Detailsశివషడక్షర స్తోత్రమ్ | Shiva Shadakshar AstotramPDF Nameశివషడక్షర స్తోత్రమ్ | Shiva Shadakshar Astotram PDFNo. of Pages4PDF Size0.60 MBLanguageTeluguCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
శివషడక్షర స్తోత్రమ్ | Shiva Shadakshar Astotram Telugu PDF Summaryవిశ్వంలోని త్రిమూర్తులలో ఒకరైన శివుడికి అంకితం చేయబడిన అత్యంత శక్తివంతమైన వేద స్తోత్రాలలో శివ షడక్షర స్తోత్రం ఒకటి. శివుడిని భోలేనాథ్ మరియు శంకరుడు అని కూడా అంటారు. ఒక వ్యక్తి జీవితంలో జరిగే అన్ని రకాల అవాంఛిత సంఘటనల నుండి అతను తన భక్తులను రక్షిస్తాడు.మీరు శివుడిని స్తుతించాలనుకుంటే మరియు అతని ఆశీర్వాదం పొందాలనుకుంటే, మీరు ప్రతిరోజూ శివుడు మరియు పార్వతి ముందు ఈ స్తోత్రం పఠించాలి. వివాహం చేసుకోకుండా సమస్యలు ఎదుర్కొంటున్న అవివాహితులు కూడా త్వరగా మరియు సంతోషంగా మరియు సంపన్నమైన జీవితం కోసం వివాహం చేసుకోవడానికి దీనిని చదవాలి. Shiva Shadakshara Stotram Lyrics in Teluguశివాయ నమః ||శివషడక్షర స్తోత్రమ్ఓంకారం బిన్దుసంయుక్తం నిత్యం ధ్యాయన్తి యోగినః |కామదం మోక్షదం చైవ ఓంకారాయ నమో నమః ||౧|| నమన్తి ఋషయో దేవా నమన్త్యప్సరసాం గణాః |నరా నమన్తి దేవేశం నకారాయ నమో నమః ||౨|| మహాదేవం మహాత్మానం మహాధ్యాన పరాయణమ్ |మహాపాపహరం దేవం మకారాయ నమో నమః ||౩|| శివం శాన్తం జగన్నాథం లోకానుగ్రహకారకమ్ |శివమేకపదం నిత్యం శికారాయ నమో నమః ||౪|| వాహనం వృషభో యస్య వాసుకిః కణ్ఠభూషణమ్ |వామే శక్తిధరం దేవం వకారాయ నమో నమః ||౫|| యత్ర యత్ర స్థితో దేవః సర్వవ్యాపీ మహేశ్వరః |యో గురుః సర్వదేవానాం యకారాయ నమో నమః ||౬|| షడక్షరమిదం స్తోత్రం యః పఠేచ్ఛివసన్నిధౌ |శివలోకమవాప్నోతి శివేన సహ మోదతే ||౭|| ఇతి శ్రీరుద్రయామలే ఉమామహేశ్వరసంవాదే శివషడక్షరస్తోత్రం సంపూర్ణమ్ || Shiva Shadakshara Stotram Path Vidhi in Teluguస్నానం చేసిన తర్వాత సిద్ధంగా ఉండండి.చెక్క పలకను ఉంచండి మరియు దానిని ఎర్రటి వస్త్రంతో కప్పండి.ఇప్పుడు శివుడిని మరియు పార్వతీ దేవిని ఇన్‌స్టాల్ చేయండి.ఆ తర్వాత రెండు దేవతలను ఆవాహన చేసుకోండి.ధూప్, దీప, నైవేద్య, మరియు పుష్ప్ రెండింటికీ అందించండి.ఆ తర్వాత శివ షడక్షర స్తోత్రం పఠించండి.మీకు మరియు మీ జీవితానికి ఇద్దరి దీవెనలు కోరండి.You may also like :Shiva Shadakshara Stotram PDFYou can download Shiva Shadakshara Stotram in Telugu PDF by clicking on the following download button.#శవషడకషర #సతతరమ #Shiva #Shadakshar #Astotram #PDF #TeluguThe post శివషడక్షర స్తోత్రమ్ | Shiva Shadakshar Astotram PDF in Telugu appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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Shiva Shadakshara Stotram PDF
Shiva Shadakshara Stotram PDF DetailsShiva Shadakshara StotramPDF NameShiva Shadakshara Stotram PDFNo. of Pages4PDF Size0.54 MBLanguageEnglishCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
Shiva Shadakshara Stotram PDF SummaryShiva Shadakshara Stotram is one of the most powerful Vedic hymns dedicated to Lord Shiva who is one of the Trimurti of the universe. Lord Shiva is also known as Bholenath and Shankara. He saves his devotees from all kinds of unwanted events that are going to happen in one’s life.If you want to praise lord Shiva and want to seek his blessing then you should recite this Stotram daily in front of Shiva and Parvati Ji. Those unmarried ones who are facing problems in getting married should also recite it to get married early and for and happy and prosperous life. Shiva Shadakshara Stotram Lyrics in Sanskritॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः ।कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः ॥ १॥ नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः ।नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो नमः ॥ २॥ महादेवं महात्मानं महाध्यानं परायणम् ।महापापहरं देवं मकाराय नमो नमः ॥ ३॥ शिवं शांतं जगन्नाथं लोकानुग्रहकारकम् ।शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नमः ॥ ४॥ वाहनं वृषभो यस्य वासुकिः कंठभूषणम् ।वामे शक्तिधरं वेदं वकाराय नमो नमः ॥ ५॥ var.  देवं यत्र यत्र स्थितो देवः सर्वव्यापी महेश्वरः ।यो गुरुः सर्वदेवानां यकाराय नमो नमः ॥ ६॥ षडक्षरमिदं स्तोत्रं यः पठेच्छिवसंनिधौ ।शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥ ७॥ ॥ इति श्री रुद्रयामले उमामहेश्वरसंवादे षडक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥ How to Recite Shiva Shadakshara Stotram?Be ready after taking a bath.Place a wooden plank and cover it with red cloth.Now install Lord Shiva and Goddess Parvati Ji.After that invoke both deities.Offer the Dhoop, Deepa, Naivedya, and Pushp to both.After that recite the Shiva Shadakshara Stotram.Seek the blessing of both for you and your life.You may also like :శివషడక్షర స్తోత్రమ్ | Shiva Shadakshar Astotram PDF in TeluguYou can download Shiva Shadakashara Stotram PDF by clicking on the following download button.#Shiva #Shadakshara #Stotram #PDFThe post Shiva Shadakshara Stotram PDF appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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शरद पूर्णिमा पूजा विधि | Sharad Purnima Puja Vidhi PDF in Hindi
शरद पूर्णिमा पूजा विधि | Sharad Purnima Puja Vidhi PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/-----sharad-purnima-puja-vidhi-682.jpg">शरद पूर्णिमा पूजा विधि | Sharad Purnima Puja Vidhi</a>PDF Name<b>शरद पूर्णिमा पूजा विधि | Sharad Purnima Puja Vidhi PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.54 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
शरद पूर्णिमा पूजा विधि | Sharad Purnima Puja Vidhi Hindi PDF Summaryशरद पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन चन्द्रमा पृथ्वी पर अमृत वर्षा करता है। इसीलिए बहुत से लोग इस दिन अपने घर पर खीर बनाते हैं तथा उसको रात भर चन्द्रमा की रौशनी में रखते हैं तथा सुबह उसे प्रसाद के रूप में परिवार वालों के साथ मिलबाँट कर कहते हैं।माना जाता है कि इस खीर को खाने से व्यक्ति के विभिन्न प्रकार के रोग समाप्त होते हैं। चंद्रदेव की कृपा से व्यक्ति की मानसिक परशानियाँ भी दूर होती हैं। वैदिक धर्मशात्रों में कहा गया है, चन्द्रमा मनसोः जातः, अथार्त चन्द्रमा मन का करक होता है। यदि आप भी अपना मनोबल बढ़ाना चाहते हैं तो शरद पूर्णिंमा को पूज व व्रत अवश्य करें। शरद पूर्णिमा की पूजा करने की विधि / Sharad Purnima Pooja Vidhi in Hindiइस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। साथ ही किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें अथवा घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर नहाना चाहिए।फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।इस पर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।मां लक्ष्मी को लाल फूल, नैवेद्य, इत्र जैसी चीजें चुढ़ाएं।फिर मां को वस्त्र, आभूषण, और अन्य श्रंगार पहनाएं।मां लक्ष्मी का आह्वान करें।फिर फूल, धूप (अगरबत्ती), दीप (दीपक), नैवेद्य, सुपारी, दक्षिणा आदि मां को अर्पित करें।इसके बाद लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। मां लक्ष्मी की आरती भी गाएं।फिर पूजा धूप और दीप (दीपक) से मां की आरती करें।फिर मां को खीर चढ़ाएं।इस दिन अपने सामार्थ्यनुसार किसी ब्राह्मण को दान करें।खीर को गाय के दूध से ही बनाएं।मध्यरात्रि को मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं।इसे प्रसाद के तौर पर भी वितरित करें।पूजा के दौरान कथा जरूर सुनें।एक कलश में पानी रखें और एक गिलास में गेहूं भरकर रखें।फिर एक पत्ते का दोना लें। इसमें रोली और चावल रखें।फिर कलश की पूजा करें और दक्षिणा अर्पित करें।मां लक्ष्मी के साथ भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान कार्तिकेय की भी पूजा करें।शरद पूर्णिमा मंत्र / Sharad Purnima Puja Mantra<strong>मां लक्ष्मी मंत्र:</strong>ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः<strong>कुबेर मंत्र:</strong>ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।।<strong>सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करने का मंत्र</strong>:पुत्रपौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम् प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु में। शरद पूर्णिमा व्रत कथा / Sharad Purnima Vrat Kathaपौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक साहूकार था जिसकी दो बेटियां थीं। साहूकार की दोनों बेटियां पूर्णिमा का व्रत करती थीं। जहां एक तरफ बड़ी बेटी ने विधिवत् व्रत को पूरा किया। वहीं, छोटी बेटी ने व्रत को अधूरा छोड़ दिया। इसका प्रभाव यह हुआ कि छोटी लड़की के बच्चों का जन्म होते ही उनकी मृत्यु हो गई। फिर एक बार बड़ी बेटी ने अपनी बहन के बच्चे को स्पर्श किया वो स्पर्श इतना पुण्य था कि उससे बालक जीवित हो गया। बस उसी दिन से यह व्रत विधिपूर्वक किया जाने लगा।<strong>You may also like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/sharad-purnima-vrat-katha-hindi/">शरद पूर्णिमा व्रत कथा | Sharad Purnima Vrat Katha PDF in Hindi</a><strong>You can download Sharad Purnima Vrat Vidhi PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#शरद #परणम #पज #वध #Sharad #Purnima #Puja #Vidhi #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%b6%e0%a4%b0%e0%a4%a6-%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a3%e0%a4%bf%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%9c%e0%a4%be-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a7%e0%a4%bf-sharad-purnima-puja-vid">शरद पूर्णिमा पूजा विधि | Sharad Purnima Puja Vidhi PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www…
गृह प्रवेश पद्धति | Griha Pravesh Puja Vidhi PDF in Hindi
गृह प्रवेश पद्धति | Griha Pravesh Puja Vidhi PDF Detailsगृह प्रवेश पद्धति | Griha Pravesh Puja VidhiPDF Nameगृह प्रवेश पद्धति | Griha Pravesh Puja Vidhi PDFNo. of Pages5PDF Size0.45 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
गृह प्रवेश पद्धति | Griha Pravesh Puja Vidhi Hindi PDF Summaryअपना घर लेना सभी का एक सपना होता है लेकिन उससे अधिक यह जरुरी है की घर में सब कुछ ठीक रहे तथा परिवार में हमेशा सुख – शांति बनी रहे। यदि आप भी अपने नए घर में प्रवेश करने वाले हैं तथा यह चाहते हैं कि सब कुछ सही रहे और आपके परिवारजनों पर कभी कोई भी अनचाही विपत्ति न आये तो आपको घर में जाने से पहले विधि – विधान से गृह प्रवेश पूजा करनी चाहिए।देश दुइनया में लोग अपने अपने तरीकों से ग्रह प्रवेश की रस्म को पूरा करते हैं। हमने यहां पर सबसे अधिक प्रचलित गृह प्रवेश विधि दी है तथा साथ ही हमने कुछ ऐसी बातें भी बतायीं हैं जिनका ध्यान आपको नए घर में जाने से पहले रखना चाहिए। यदि आप इन बातों का ध्यान रखते हियँ तो आपके घर में हेमशा सुख शांति का वास रहेगा। गृह प्रवेश पूजन विधि | Griha Pravesh Puja Vidhi अपने ही नहीं, किराए के घर में भी गृहप्रवेश हमेशा दिन, तिथि, वार और नक्षत्र को देख कर करना चाहिए। यदि कोई दिन आपका मान है तो उस दिन गृह प्रवेश बिलकुल न करें। गृहप्रवेश ब्राह्मण के मंत्रोच्चारण के साथ करें।गृहप्रवेश के लिए माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ का महीना उत्तम होता है, जबकि आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, पौष शुभ नहीं माने जाते।रविवार और शनिवार के दिन दिन भी गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।गृह प्रवेश की पूजा सामग्री में कलश, नारियल, दीपक, फूल शुद्ध जल, कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, धूपबत्ती, पांच शुभ मांगलिक वस्तुएं, आम या अशोक के पत्ते, पीली हल्दी, गुड़, चावल, दूध आदि जरूर होना चाहिए।मंगल कलश के साथ पति-पत्नी को साथ में गृह प्रवेश करना चाहिए।गृह प्रवेश वाले दिन घर को बंदनवार, रंगोली, फूलों से जरूर सजाएं।मंगल कलश में जल में गंगाजल मिलाएं और आम या अशोक के आठ पत्तों के बीच नारियल रखें। कलश पर नारियल पर कुमकुम से स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं।नए घर में प्रवेश के समय पति-पत्नी को पांच चीजें अपने हाथ में लेकर प्रवेश करना चाहिए। इसमें नारियल, पीली हल्दी, गुड़, चावल, दूध या दही होना चाहिए।जिस दिन आपका गृहप्रवेश हो उसी दिनभगवान गणेश की मूर्ति, दक्षिणावर्ती शंख, श्री यंत्र को घर में ले जाना चाहिए।पुरुष पहले दाहिना पैर और महिला को अपना बायां पैर घर में सर्वप्रथम रखना चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश के मंत्रों के साथ घर के ईशान कोण में या फिर पूजा घर में कलश की स्थापना करें।गृह प्रवेश पूजा के साथ ही रसोई घर में भी पूजा भी करनी चाहिए। चूल्हे, पानी रखने के स्थान और स्टोर आदि में धूप, दीपक के साथ कुमकुम, हल्दी, चावल आदि से पूजन कर स्वास्तिक चिन्ह बनाना चाहिए।  रसोई में पहले दिन कुछ मीठा बनाना चाहिए। घर में बने भोजन से सबसे पहले भगवान को भोग लगाएं। इसके बाद गाय, कौआ, कुत्ता, चींटी आदि के निमित्त भोजन निकालना चाहिए।ब्राह्मण को भोजन कराने के साथ गरीबों को दान करना चाहिए।घर में प्रवेश के नियम हमेशा याद रखें। गृह प्रवेश की ये विधि आपके घर में सुख और सौभाग्य ले कर आएगी। You can download Griha Pravesh Puja Vidhi PDF in Hindi by clicking on the following download link.#गह #परवश #पदधत #Griha #Pravesh #Puja #Vidhi #PDF #HindiThe post गृह प्रवेश पद्धति | Griha Pravesh Puja Vidhi PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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गौरी गणेश पूजन वैदिक मंत्र | Gauri Ganesh Puja Mantra PDF in Hindi
गौरी गणेश पूजन वैदिक मंत्र | Gauri Ganesh Puja Mantra PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/------gauri-ganesh-puja-mantra-536.jpg">गौरी गणेश पूजन वैदिक मंत्र | Gauri Ganesh Puja Mantra</a>PDF Name<b>गौरी गणेश पूजन वैदिक मंत्र | Gauri Ganesh Puja Mantra PDF</b>No. of Pages<b>8</b>PDF Size<b>0.70 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
गौरी गणेश पूजन वैदिक मंत्र | Gauri Ganesh Puja Mantra Hindi PDF Summaryगौरी गणेश का पूजा किसी भी पूजा के आरम्भ में किया जाने वाला बहुत ही महत्वपूर्ण पूजन है। गौरी गणेश पूजा को वैदिक मन्त्रों के साथ किया जाता है। इस पूजन को वैदिक मन्त्रों के साथ किया जाता है तथा प्रत्येक पूजन चरण के लिए एक निश्चित मन्त्र का उच्चारण किया जाता है। यदि आपके घर में कोई भी धार्मिक आयोजन हो रहा है तो उसके आरम्भ में गौरी गणेश पूजन अवश्य करें।यदि आप भी गौरी गणेश पूजन विधि जानना चाहते हैं तथा अपने घर पर होने वाले किसी भी मांगलिक कार्यक्रम से पूर्व मन्त्र सहित गौरी गणेश पूजन करना चाहते हैं तो इस लेख के माध्यम से सम्पूर्ण पूजन विधि मन्त्र सहित प्राप्त कर सकते हैं। यह विधि भिन्न – भिन्न क्षेत्रों के अनुसार भिन्न – भिन्न हो सकती है। अतः इस विधि में अपने अनुसार परिवर्तन कर सकते हैं। गौरी गणेश पूजन मंत्र PDF / Gowri Ganesha Pooja Vidhanaस्नान करने के पश्चात अपने पास समस्त सामग्री रख लें फिर आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठकर तीन बार निम्न मंत्र बोलकर आचमन करें।ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम:, ॐ माधवाय नम:आचमन के पश्चात हाथ में जल लेकर ‘ॐ ऋषिकेशाय नम: बोलकर हाथ धो लें।हाथ धोने के बाद पवित्री धारण करें, पवित्री के बाद बाएं हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ से अपने ऊपर और पूजन सामग्री पर छिड़क ले।ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु बोलकर गणेश जी एवं अम्बिका (सुपारी में मौली लपेटकर) को स्थापित करें निम्न मंत्र बोलकर आवाहन करें।ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नम:!!फिर कामना-विशेष का नाम लेकर संकल्प ले लें, अर्थात दाहिने हाथ में जल, सुपारी, सिक्का, फूल एवं चावल लेकर जिस निमित्त पूजन कर रहे है उसका मन में उच्चारण करके थाली या गणेश जी के सामने छोड़ दें।अब हाथ में चावल लेकर गणेश अम्बिका का ध्यान करें।ॐ भूर्भुव:स्व: सिध्दिबुध्दिसहिताय गणपतये नम:,गणपतिमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च!ॐ भूर्भुव:स्व:गौर्ये नम:,गौरीमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च!आसन के लिए चावल चढ़ाएं,ॐ गणेश-अम्बिके नम:आसनार्थे अक्षतान समर्पयामि!फिर स्नान के लिए जल चढ़ाएं,ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नम:स्नानार्थ जलं समर्पयामि!फिर दूध चढ़ाएंॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,पय:स्नानं समर्पयामि!फिर दही चढ़ाएंॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, दधिस्नानं समर्पयामि!फिर घी चढ़ाएंॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,घृतस्नानं समर्पयामि!फिर शहद चढ़ाएं।ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,मधुस्नानं समर्पयामि।फिर शक्कर चढ़ाएं।ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,शर्करास्नानं समर्पयामि।फिर पंचामृत चढ़ाएं। (दूध, दही, शहद, शक्कर एवं घी को मिलाकर)ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,पंचामृतस्नानं समर्पयामि!फिर चंदन घोलकर चढ़ाएं।ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,गंधोदकस्नानं समर्पयामि!फिर शुद्ध जल डालकर शुद्ध करें।ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,शुध्दोदकस्नानं समर्पयामि!फिर उनको आसन पर विराजमान करें।फिर वस्त्र चढ़ाएं।ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,वस्त्रं समर्पयामि!फिर आचमनी जल छोड़ दें,उसके बाद उपवस्त्र (मौली) चढ़ाएं।ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, उपवस्त्रं समर्पयामि!फिर आचमनी जल छोड़ दे,फिर गणेश जी को यज्ञोपवित (जनेऊ) चढ़ाएं!ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाभ्यां नम:यज्ञोपवितं समर्पयामि!फिर आचमनी जल छोड़ दें।फिर चन्दन लगाएं।ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,चंदनानुलेपनं समर्पयामि!फिर चावल चढ़ाएं।ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,अक्षतान समर्पयामि!फिर फूल-फूलमाला चढ़ाएं।ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,पुष्पमालां समर्पयामि!फिर दूर्वा चढ़ाएं।ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, दुर्वाकरान समर्पयामि।फिर सिन्दूर चढ़ाएं!ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, सिन्दूरं समर्पयामि!फिर अबीर, गुलाल, हल्दी आदि चढ़ाएं।ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, नानापरिमलद्रव्याणि समर्पयामि!फिर सुगंधित (इत्र) चढ़ाएं।ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां…
कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF in Hindi
कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/-----kojagari-lakshmi-puja-katha-593.jpg">कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha</a>PDF Name<b>कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.54 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha Hindi PDF Summaryहिन्दू धर्म में कोजागिरी पौर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा – आराधना तथा व्रत आदि किया जाता है। देवी लक्ष्मी का महत्व तो आप सभी जानते ही होंगे। उनकी कृपा के बिना व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार का भौतिक सुख नहीं रह सकता। देवी लक्ष्मी धन – वैभव आदि को नियंत्रित करती हैं।जिन लोगों के घर में दुःख – दारिद्य ने डेरा डाल रखा हो, उन्हें कोजागिरी पौर्णिमा का व्रत अवश्य करना चाहिए ताकि वह अपने जीवन को सुचारु रूप से चला सकें तथा जीवन में आने वाली आर्थिक समस्याओं से बच सकें। यदि आप भी अपने घर में इस व्रत का आयोजन कर रहें हैं तो कोजागिरी व्रत कथा का पठन – पाठन अवश्य करें।कोजागरी व्रत कथा / Kojagari Lakshmi Puja Vrat Kathaपौराणिक कथा के अनुसार एक साहुकार को दो पुत्रियां थीं। दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं, लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। व्रत अधूरा रहने के कारण छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी। अपना दुख जब उसने पंडित को बताया तो उन्होंने बताया कि व्रत अधूरा रखने के कारण ऐसा होता है तुम यदि पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है।इसके बाद उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया और इसके पुण्य से उसे संतान की प्राप्ति हुई, लेकिन वह भी कुछ दिनों बाद मर गया। उसने लड़के को एक पीढ़ा पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढंक दिया और फिर बड़ी बहन को बुला कर घर ले आई और बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया। बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी जो उसका लहंगा बच्चे का छू गया। बच्चा लहंगा छूते ही रोने लगा। तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता। तब छोटी बहन बोली कि यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। उसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया। तब से ये दिन एक उत्सव के रुप में मनाया जाने लगा और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाने लगी। कोजागरी पूर्णिमा पूजा विधिइस दिन पीतल, चांदी, तांबे या सोने से बनी देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को कपड़े से ढंककर पूजा की जाती है। सुबह देवी की पूजा करने के बाद रात में चंद्रोदय के बाद फिर से की जाती है। इस दिन रात 9 बजे के बाद चांदी के बर्तन में खीर बना कर चांद के निकलते ही आसमान के नीचे रख देनी चाहिए। इसके पश्चात रात्रि में देवी के समक्ष घी के दीपक जला दें। इसके बाद देवी के मंत्र, आरती और विधिवत पूजन करना चाहिए। कुछ समय बाद चांद की रोशनी में रखी हुई खीर का देवी लक्ष्मी को भोग लगाकर उसमें से ही ब्राह्मणों को प्रसाद स्वरूप दान देना चाहिए। अगले दिन माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का पारण करना चाहिए। कोजागिरी पौर्णिमा पूजा मुहूर्तकोजागर पूजा मंगलवार, अक्टूबर 19, 2021 कोकोजागर पूजा निशिता काल – 11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 20अवधि – 00 घण्टे 51 मिनट्सकोजागर पूजा के दिन चन्द्रोदय – 05:20 पी एमपूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 19, 2021 को 07:03 पी एम बजेपूर्णिमा तिथि समाप्त – अक्टूबर 20, 2021 को 08:26 पी एम बजे<strong>You may also like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/kojagari-lakshmi-puja-vidhi-hindi/">कोजागरी व्रत विधि | Kojagari Lakshmi Puja Vidhi PDF in Hindi</a><strong>You can download Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF by clicking on the following download button. </strong>#कजगर #परणम #वरत #कथ #Kojagari #Lakshmi #Puja #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%97%e0%a4%bf%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%aa%e0%a5%8c%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a3%e0%a4%bf%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95">कोजागिरी पौर्णिमा व्रत…
कोजागरी व्रत विधि | Kojagari Lakshmi Puja Vidhi PDF in Hindi
कोजागरी व्रत विधि | Kojagari Lakshmi Puja Vidhi PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/----kojagari-lakshmi-puja-586.jpg">कोजागरी व्रत विधि | Kojagari Lakshmi Puja Vidhi</a>PDF Name<b>कोजागरी व्रत विधि | Kojagari Lakshmi Puja Vidhi PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.55 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
कोजागरी व्रत विधि | Kojagari Lakshmi Puja Vidhi Hindi PDF Summaryकोजागर व्रत देवी लक्ष्मी के लिए किया जाने वाला एक ऐसा व्रत है, जिसका पालन करने से व्यक्ति के जीवन से निर्धनता का नाश होता है तथा व्यक्ति के जीवन में आने वाली विभिन्न प्रकार की आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। यदि आप अपने जीवन में आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो आपको भी इस व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए।कोजागरी पूजा करना बहुत आसान है तथा इस आप अपने घर में भी कर सकते हैं। हमने इस लेख में अपने पाठकों के लिए सम्पूर्ण कोजागरी व्रत पूजा विधि का वर्णन किया है। इस विधि का पालन करने से आप घर पर ही कोजागर लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं। देवी लक्ष्मी की कृपा से आप अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के भौतिक सुखों को प्राप्त कर सकते हैं। कोजागरी पूजा विधि | Kojagara Puja Vidhi in Hindiनारद पुराण के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन पीतल, चांदी, तांबे या सोने से बनी देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को कपड़े से ढंककर पूजा किया जाता है।सुबह देवी की पूजा समान्य तरीके से करने के बाद रात में चंद्रोदय के बाद फिर से की जाती है।इस दिन रात 9 बजे के बाद चांदी के बर्तन में खीर बना कर चांद के निकलते ही आसमान के नीचे रख देनी चाहिए।इसके पश्चात रात्रि में देवी के समक्ष घी के 100 दीपक जला दें।इसके बाद देवी के मंत्र, आरती और विधिवत पूजन करना चाहिए।कुछ समय बाद चांद की रोशनी में रखी हुई खीर का देवी लक्ष्मी को भोग लगाकर उसमें से ही ब्राह्मणों को प्रसाद स्वरूप दान देना चाहिए।अगले दिन माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का पारण करना चाहिए। कोजागरी पूर्णिमा का महत्व / Significance of Kojagari Purnimaकोजागरी पर्व शरद पूर्णिमा के दिन देश के विभिन्न हिस्सों में लोग अपनी-अपनी मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार मनाते हैं। इस तिथि पर मध्य रात्रि या निशिथ काल में पूजा करने से देवी लक्ष्मी की कृपा होती है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है और इस रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है। देवी लक्ष्मी कोजागरी पूर्णिमा की रात पृथ्वी पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों को धन-संपदा और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कोजागरी पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा की रात्रि में माता लक्ष्मी जब धरती पर विचरण करती हैं तो ‘को जाग्रति’ शब्द का उच्चारण करती हैं. इसका अर्थ होता है कौन जाग रहा है। वो देखती हैं कि रात्रि में पृथ्वी पर कौन जाग रहा है। जो लोग माता लक्ष्मी की पूरी श्रद्धा से पूजा करते हैं, उनके घर मां लक्ष्मी जरुर जाती हैं।कोजागरी पूजा का शुभ मुहूर्त / Kojagari Purnima 2021 Subh Muhuratकोजागर पूजा मंगलवार, अक्टूबर 19, 2021 कोकोजागर पूजा निशिता काल – 11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 20अवधि – 00 घण्टे 51 मिनट्सकोजागरी व्रत कथा / Kojagari Vrat Kathaपौराणिक कथा के अनुसार एक साहुकार को दो पुत्रियां थीं। दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं, लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। व्रत अधूरा रहने के कारण छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी। अपना दुख जब उसने पंडित को बताया तो उन्होंने बताया कि व्रत अधूरा रखने के कारण ऐसा होता है तुम यदि पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है।इसके बाद उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया और इसके पुण्य से उसे संतान की प्राप्ति हुई, लेकिन वह भी कुछ दिनों बाद मर गया। उसने लड़के को एक पीढ़ा पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढंक दिया और फिर बड़ी बहन को बुला कर घर ले आई और बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया। बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी जो उसका लहंगा बच्चे का छू गया। बच्चा लहंगा छूते ही रोने लगा। तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता। तब छोटी बहन बोली कि यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। उसके बाद नगर…
हनुमान जी के 108 नाम | Hanuman 108 Names PDF in Hindi
हनुमान जी के 108 नाम | Hanuman 108 Names PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/---108---hanuman-108-names-648.jpg">हनुमान जी के 108 नाम | Hanuman 108 Names</a>PDF Name<b>हनुमान जी के 108 नाम | Hanuman 108 Names PDF</b>No. of Pages<b>9</b>PDF Size<b>0.81 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
हनुमान जी के 108 नाम | Hanuman 108 Names Hindi PDF Summaryहनुमान जी की पूजा करने से व्यक्ति को किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता। हनुमान जी का एक नाम संकटमोचन भी है, अतः उनकी पूजा करने से आप विभिन्न प्रकार के संकटों से बच सकते हैं। हनुमान जी को न केवल भारत में बल्कि सम्पूर्ण विश्वभर में बहुत बड़ी संख्या में पूजा जाता है। हनुमान जी अपने भक्तों बल, बुद्धि तथा विद्या प्रदान करते हैं।हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए आप बहुत से सरल उपाय कर सकते हैं। आप भी हनुमान जी के 108 नाम पढ़ कर उन्हें आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं तथा उनकी कृपा प्राप्त कर अपने जीवन को उत्तम बन सकते हैं। हनुमान जी की पूजा – अर्चना करने से हनुमान जी तो प्रसन्न होते ही हैं, साथ ही श्री राम जी भी आप पर व आपके परिवार पर कृपा करते हैं। हनुमान जी के 108 नाम / Lord Hanuman 108 Names in Hindi1.आंजनेया : अंजना का पुत्र2.महावीर : सबसे बहादुर3.हनूमत : जिसके गाल फुले हुए हैं4.मारुतात्मज : पवन देव के लिए रत्न जैसे प्रिय5.तत्वज्ञानप्रद : बुद्धि देने वाले6.सीतादेविमुद्राप्रदायक : सीता की अंगूठी भगवान राम को देने वाले7.अशोकवनकाच्छेत्रे : अशोक बाग का विनाश करने वाले8.सर्वमायाविभंजन : छल के विनाशक9.सर्वबन्धविमोक्त्रे : मोह को दूर करने वाले10.रक्षोविध्वंसकारक : राक्षसों का वध करने वाले11.परविद्या परिहार : दुष्ट शक्तियों का नाश करने वाले12.परशौर्य विनाशन : शत्रु के शौर्य को खंडित करने वाले13.परमन्त्र निराकर्त्रे : राम नाम का जाप करने वाले14.परयन्त्र प्रभेदक : दुश्मनों के उद्देश्य को नष्ट करने वाले15.सर्वग्रह विनाशी : ग्रहों के बुरे प्रभावों को खत्म करने वाले16.भीमसेन सहायकृथे : भीम के सहायक17.सर्वदुखः हरा : दुखों को दूर करने वाले18.सर्वलोकचारिणे : सभी जगह वास करने वाले19.मनोजवाय : जिसकी हवा जैसी गति है20.पारिजात द्रुमूलस्थ : प्राजक्ता पेड़ के नीचे वास करने वाले21.सर्वमन्त्र स्वरूपवते : सभी मंत्रों के स्वामी22.सर्वतन्त्र स्वरूपिणे : सभी मंत्रों और भजन का आकार जैसा23.सर्वयन्त्रात्मक : सभी यंत्रों में वास करने वाले24.कपीश्वर : वानरों के देवता25.महाकाय : विशाल रूप वाले26.सर्वरोगहरा : सभी रोगों को दूर करने वाले27.प्रभवे : सबसे प्रिय28.बल सिद्धिकर :29.सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायक : ज्ञान और बुद्धि प्रदान करने वाले30.कपिसेनानायक : वानर सेना के प्रमुख31.भविष्यथ्चतुराननाय : भविष्य की घटनाओं के ज्ञाता32.कुमार ब्रह्मचारी : युवा ब्रह्मचारी33.रत्नकुण्डल दीप्तिमते : कान में मणियुक्त कुंडल धारण करने वाले34.चंचलद्वाल सन्नद्धलम्बमान शिखोज्वला : जिसकी पूंछ उनके सर से भी ऊंची है35.गन्धर्व विद्यातत्वज्ञ, : आकाशीय विद्या के ज्ञाता36.महाबल पराक्रम : महान शक्ति के स्वामी37.काराग्रह विमोक्त्रे : कैद से मुक्त करने वाले38.शृन्खला बन्धमोचक: तनाव को दूर करने वाले39.सागरोत्तारक : सागर को उछल कर पार करने वाले40.प्राज्ञाय : विद्वान41.रामदूत : भगवान राम के राजदूत42.प्रतापवते : वीरता के लिए प्रसिद्ध43.वानर : बंदर44.केसरीसुत : केसरी के पुत्र45.सीताशोक निवारक : सीता के दुख का नाश करने वाले46.अन्जनागर्भसम्भूता : अंजनी के गर्भ से जन्म लेने वाले47.बालार्कसद्रशानन : उगते सूरज की तरह तेजस48.विभीषण प्रियकर : विभीषण के हितैषी49.दशग्रीव कुलान्तक : रावण के राजवंश का नाश करने वाले50.लक्ष्मणप्राणदात्रे : लक्ष्मण के प्राण बचाने वाले51.वज्रकाय : धातु की तरह मजबूत शरीर52.महाद्युत : सबसे तेजस53.चिरंजीविने : अमर रहने वाले54.रामभक्त : भगवान राम के परम भक्त55.दैत्यकार्य विघातक : राक्षसों की सभी गतिविधियों को नष्ट करने वाले56.अक्षहन्त्रे : रावण के पुत्र अक्षय का अंत करने वाले57.कांचनाभ : सुनहरे रंग का शरीर58.पंचवक्त्र : पांच मुख वाले59.महातपसी : महान तपस्वी60.लन्किनी भंजन : लंकिनी का वध करने वाले61.श्रीमते : प्रतिष्ठित62.सिंहिकाप्राण भंजन : सिंहिका के प्राण लेने वाले63.गन्धमादन शैलस्थ : गंधमादन पर्वत पार निवास करने वाले64.लंकापुर विदायक : लंका को जलाने वाले65.सुग्रीव सचिव : सुग्रीव…
వేంకటేశ్వర అష్టోత్తర శతనామావళి | Venkateswara Ashtothram PDF in Telugu
వేంకటేశ్వర అష్టోత్తర శతనామావళి | Venkateswara Ashtothram PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/----venkateswara-ashtothram-125.jpg">వేంకటేశ్వర అష్టోత్తర శతనామావళి | Venkateswara Ashtothram</a>PDF Name<b>వేంకటేశ్వర అష్టోత్తర శతనామావళి | Venkateswara Ashtothram PDF</b>No. of Pages<b>8</b>PDF Size<b>0.65 MB</b>Language<b>Telugu</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
వేంకటేశ్వర అష్టోత్తర శతనామావళి | Venkateswara Ashtothram Telugu PDF SummaryVenkateswara Ashtothram is one of the most beautiful Stotram which is chanted to please the Lord Venkateswara. Venkateswara Ashtothram is a collection of 108 precious names of Sir Venkateswara. You should chant these names daily at your home during Pujan So that you can attain mental peace and solidarity.There are many of us who are facing many unwanted events during our day-to-day life. Therefore, if you want to get over these types of unwanted problems. Lord Venkateswara is a highly worshipped deity of South India and other souther parts around the nation. Venkateswara Swamy Ashtothram Lyrics in Teluguశ్రీ వేంకటేశ్వర అష్టోత్తర శత నామావళిఓం శ్రీ వేంకటేశాయ నమఃఓం శ్రీనివాసాయ నమఃఓం లక్ష్మీపతయే నమఃఓం అనామయాయ నమఃఓం అమృతాశాయ నమఃఓం జగద్వంద్యాయ నమఃఓం గోవిందాయ నమఃఓం శాశ్వతాయ నమఃఓం ప్రభవే నమఃఓం శేషాద్రినిలయాయ నమః (10)ఓం దేవాయ నమఃఓం కేశవాయ నమఃఓం మధుసూదనాయ నమఃఓం అమృతాయ నమఃఓం మాధవాయ నమఃఓం కృష్ణాయ నమఃఓం శ్రీహరయే నమఃఓం జ్ఞానపంజరాయ నమఃఓం శ్రీవత్సవక్షసే నమఃఓం సర్వేశాయ నమఃఓం గోపాలాయ నమఃఓం పురుషోత్తమాయ నమఃఓం గోపీశ్వరాయ నమఃఓం పరస్మై జ్యోతిషే నమఃఓం వ్తెకుంఠ పతయే నమఃఓం అవ్యయాయ నమఃఓం సుధాతనవే నమఃఓం యాదవేంద్రాయ నమఃఓం నిత్య యౌవనరూపవతే నమఃఓం చతుర్వేదాత్మకాయ నమః (30)ఓం విష్ణవే నమఃఓం అచ్యుతాయ నమఃఓం పద్మినీప్రియాయ నమఃఓం ధరాపతయే నమఃఓం సురపతయే నమఃఓం నిర్మలాయ నమఃఓం దేవపూజితాయ నమఃఓం చతుర్భుజాయ నమఃఓం చక్రధరాయ నమఃఓం త్రిధామ్నే నమః (40)ఓం త్రిగుణాశ్రయాయ నమఃఓం నిర్వికల్పాయ నమఃఓం నిష్కళంకాయ నమఃఓం నిరాంతకాయ నమఃఓం నిరంజనాయ నమఃఓం విరాభాసాయ నమఃఓం నిత్యతృప్తాయ నమఃఓం నిర్గుణాయ నమఃఓం నిరుపద్రవాయ నమఃఓం గదాధరాయ నమః (50)ఓం శార్-ంగపాణయే నమఃఓం నందకినే నమఃఓం శంఖధారకాయ నమఃఓం అనేకమూర్తయే నమఃఓం అవ్యక్తాయ నమఃఓం కటిహస్తాయ నమఃఓం వరప్రదాయ నమఃఓం అనేకాత్మనే నమఃఓం దీనబంధవే నమఃఓం ఆర్తలోకాభయప్రదాయ నమః (60)ఓం ఆకాశరాజవరదాయ నమఃఓం యోగిహృత్పద్మమందిరాయ నమఃఓం దామోదరాయ నమఃఓం జగత్పాలాయ నమఃఓం పాపఘ్నాయ నమఃఓం భక్తవత్సలాయ నమఃఓం త్రివిక్రమాయ నమఃఓం శింశుమారాయ నమఃఓం జటామకుట శోభితాయ నమఃఓం శంఖమద్యోల్లస-న్మంజుకింకిణ్యాఢ్యకరండకాయ నమః (70)ఓం నీలమోఘశ్యామ తనవే నమఃఓం బిల్వపత్రార్చన ప్రియాయ నమఃఓం జగద్వ్యాపినే నమఃఓం జగత్కర్త్రే నమఃఓం జగత్సాక్షిణే నమఃఓం జగత్పతయే నమఃఓం చింతితార్థప్రదాయ నమఃఓం జిష్ణవే నమఃఓం దాశార్హాయ నమఃఓం దశరూపవతే నమః (80)ఓం దేవకీ నందనాయ నమఃఓం శౌరయే నమఃఓం హయగ్రీవాయ నమఃఓం జనార్దనాయ నమఃఓం కన్యాశ్రవణతారేజ్యాయ నమఃఓం పీతాంబరధరాయ నమఃఓం అనఘాయ నమఃఓం వనమాలినే నమఃఓం పద్మనాభాయ నమఃఓం మృగయాసక్త మానసాయ నమః (90)ఓం అశ్వారూఢాయ నమఃఓం ఖడ్గధారిణే నమఃఓం ధనార్జన సముత్సుకాయ నమఃఓం ఘనసార లసన్మధ్యకస్తూరీ తిలకోజ్జ్వలాయ నమఃఓం సచ్చితానందరూపాయ నమఃఓం జగన్మంగళ దాయకాయ నమఃఓం యజ్ఞరూపాయ నమఃఓం యజ్ఞభోక్త్రే నమఃఓం చిన్మయాయ నమఃఓం పరమేశ్వరాయ నమః (100)ఓం పరమార్థప్రదాయకాయ నమఃఓం శాంతాయ నమఃఓం శ్రీమతే నమఃఓం దోర్దండ విక్రమాయ నమఃఓం పరాత్పరాయ నమఃఓం పరస్మై బ్రహ్మణే నమఃఓం శ్రీవిభవే నమఃఓం జగదీశ్వరాయ నమః (108)ఇతి శ్రీవేంకటేశ్వరాష్టోత్తర శతనామావళిః సంపూర్ణః How to Recite Venkateswara Ashtothram?Firstly be pure bt taking bath.Place an Idol of Lord Venkateswara on a wooden plank.now invoke the Sri Venkateswara.Start chanting Venkateswara Ashtothram with dedication.After completion of Chanting, seek the blessings of the lord.<strong>You can download Venkateswara Ashtothram PDF in Telugu by clicking on the following download button.</strong>#వకటశవర #అషటతతర #శతనమవళ #Venkateswara #Ashtothram #PDF #TeluguThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%b0%b5%e0%b1%87%e0%b0%82%e0%b0%95%e0%b0%9f%e0%b1%87%e0%b0%b6%e0%b1%8d%e0%b0%b5%e0%b0%b0-%e0%b0%85