Dr. SHAHNAWAZ ANSARI official
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Fikr e Millat
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जब वो दिल से उतर गया तो फिर क्या फर्क पड़ता है किधर गया 😊
अब उनके भी कत्ल के इल्ज़ाम हमीं पर हैं, जो हमें ज़हर पिलाते हुए मर गए
गैर-मुस्लिम लड़कों के साथ लव-ट्रैप में फंसने वाली मेरी बहनों!

जो शख्स अल्लाह से मुहब्बत नहीं करता,भला वह तुमसे कैसे मुहब्बत करेगा? जिसको तौहीद समझ ना आई उसको भला तुम्हारे इमोशन और फीलिंग्स कैसे समझ आ सकते हैं? जो अपनी आखिरत के लिए फिक्रमंद नहीं और जहन्नुम से नहीं बच रहा, भला उसको तुम्हारे फ्यूचर की उसको क्या फिक्र?
तहकीक से पता चला है कि जिन दुकानदारों की बराबर में ब्यूटी-पार्लर होता है,उन दुकानदारों का दिमाग खिसका हुआ होता है। 😂
मर्दों ने जंग लडी, समुंदर जीता, ज़मीन जीती , आसमान जीता....
औरत ने बस मर्द को अपने कंट्रोल में लिया और सब चीजों पर कब्जा कर लिया
आज की कड़वी सच्चाई यह भी है कि इंसान ऐसे लोगों के जरिए तकलीफ उठाता है जिनके लिए वह दुआएं करता है।
लफ्ज़ - मुहब्बत
रिजल्ट - धोखा
प्रोसेसर - अब्बा नहीं मानेंगे
ईमान के साथ हर वह इंसान खूबसूरत है जो एक हमदर्द रूह और खूबसूरत मुस्कुराहट का मालिक है
मुसलमानों को यह समझ आ जाना चाहिए कि बीजेपी विरोधी शख्स मुसलमानों का हमदर्द हो यह जरूरी नहीं है। क्यों तुम ऐसे लोगों को अपना मसीहा और रहबर मानने लगते हो? क्या मुसलमानों के अंदर यह शुऊर भी बाकी नहीं है कि अपना रहबर चुन सके?
एक थी उर्दू एक थी इंग्लिश
दोनों में रहती थी रंजिश

इंग्लिश गौरी हट्टी कट्टी
उर्दू दुबली-पतली पट्ठी

इंग्लिश के होंठों पर गाली
उर्दू गाती थी कव्वाली

दोनों के अंदाज़ अलग थे
सोज़ अलग थे,साज़ अलग थे

इंग्लिश के लाखों मतवाले
उर्दू वाले भोले भाले

इंग्लिश के चर्चे भी बहुत थे
मंहगी थी, खर्चे भी बहुत थे

ये गौरी अंग्रेज़ों वाली
मूंहजोरी सौ नेज़ों वाली

इंग्लिश के मदाह थे घर-घर
बोल रहे थे सब फर-फर-फर

दोनों का टकराव अजब था
घाव अलग,उलझाव अजग था

लेकिन उर्दू, उर्दू ठहरी
हर एक बात थी उसकी गहरी

अपने क़ौल पर पूरी उतरी
हर माहौल पर पूरी उतरी

मुझको इंग्लिश रास ना आई
वो भी मेरे पास ना आई

इंग्लिश धूप थी, उर्दू साया
मैंने उर्दू को अपनाया

उर्दू ने तहज़ीब सिखाई
जीने की तरतीब सिखाई
कैरियर पर ध्यान देने की उम्र में लड़कियों के इनबॉक्स में हाय-हाय करोगे तो ज़िन्दगी भी बाय-बाय ही करा देगी
“Width of life is more important than length of life”
मुझे तमाशबीन लोगों से ज्यादा हमदर्दी दिखाने वालों से डर लगता है, यहां लोगों के डबल चेहरे हैं, एक चेहरा शराफत का जबकि चोला उतरने के बाद दूसरा चेहरा शैतानी भेड़िए का।

इन सबका बड़ा नुक्सान उन लोगों को होता है जो सच्चे हमदर्द होते हैं, जो अपने आप से ज्यादा दूसरों से हमदर्दी रखते हैं लेकिन सच्चे लोग भी इन दोगले चेहरे वालों की वजह से शक और गलतफहमियों का शिकार हो जाते हैं।
مَثَلُ الْمَرْأَۃِ الصَّالِحَۃِ عِنْدَ الرَّجُلِ کَمَثَلِ التَّاجِ الْمَخُوصِ بِالذَّہَبِ عَلَی رَأْسِ الْمَلِکِ
नेक बीवी की मिसाल सोने जड़ें हुए उस ताज की है जो किसी बादशाह के सर पर हो
कभी कभी हम रिश्तों को बचाते बचाते बहुत सारा ज़हर अपने अंदर उतार देते हैं, ऐसे में हम खुद को मारकर अगले को जिंदा रखते हैं लेकिन हमारी कद्र फिर भी नहीं होती.....

It takes a strong heart to love but it takes a strongest heart to continue to love after it's heart......
जब भी एक सामान दूसरे सामान से टकराएगा तो कमजोर सामान के टुकड़े हो जाएंगे और ताकतवर सामान जीत जाएगा
उदाहरण:- द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के मुकाबले में अमेरिका एटमबम ले आया था, जापान कमजोर पड़ गया था, नतीजा आप सबको मालूम होगा कि जापान के कैसे परखच्चे उड़ा दिए गए।

जब भी सामान का मुकाबला ईमान से होगा तो फिर ईमान जीतेगा, सामान की कोई हेसियत फिर नहीं रहेगी, गैबी मदद का ईमान तुम्हारे दिलों पर फतेह लिख देगा, जब भी अहले ईमान का मुकाबला सामान से होगा तो ईमान वाले या तो गाजी बनेंगे या फिर शहादत पाकर सुर्खरू हो जाएंगे । कुल मिलाकर फतेह अहले ईमान का मुकद्दर है।
उदाहरण:- जंगे बदर देखिए,किस तरह ताकतवर सामान का मुकाबला ईमान से हुआ और सामान के परखच्चे उड़ा दिए गए।

आज तुम्हारे पास ना मजबूत ईमान है और ना ताकतवर सामान, फिर ज़िल्लत तुम्हारा मुकद्दर क्यों ना हो?
दिल किसलिए बनाए गए हैं?

इब्ने तैमिया फरमाते हैं:- "दिल इसलिए बनाया गया है ताकि वो अल्लाह तआला से मुहब्बत करे"

लोगों की मुहब्बत को तुम अपना ग़म ना बनाओ, लोगों के दिल तो उलटते पलटते रहते हैं लेकिन अपना ग़म अल्लाह की मुहब्बत को बना लो क्योंकि जब अल्लाह तुमसे मुहब्बत करेगा तो लोगों के दिल भी ऐसे बना देगा कि वो तुमसे मुहब्बत करें।
अच्छे फल और खाने मां-बाप को उनकी ज़िंदगी में खिलाना, उनके मरने के बाद बिरादरी और रिश्तेदारों को खिलाने से हजारों गुना बेहतर है।
उस तक खामोश रहना लाजिम है जब तक आपको वह टॉपिक ही समझ ना आए जिस पर आप अपना स्टेटमेंट देना चाह रहे हैं।
मोमिन बातें कम और अमल ज्यादा करता है जबकि मुनाफिक अमल कम बातें ज्यादा करता है।
(फुजैल बिन अयाज रहमतुल्लाह अलैह)