बात बात पर गोबर गोमूत्र का मजाक उडाने वाले,
हवन को प्रदूषण का जनक मानने वाले,
मनुस्मृति को अव्यवहारिक मानकर जलाने वाले,
कन्या दान को घटिया सोच मानने वाले,
जनेऊ और चोटी को एंटीना कहने वाले,
सनातन संस्कृति के विरोध में तत्पर होकर
बात बात पर वैज्ञानिक बनने वाले
हमारी प्रार्थना पूर्ण न होने पर; "यदि भगवान है तो आपकी सुनता क्यों नहीं" कहने वाले कल से अपने कराँचीवुडिया अब्बा की फूँक को पवित्र दुआ, वैज्ञानिक, धार्मिक, मानवता हितैषी, सिद्ध करने में जी जान से लगे पड़े हैं ।
यदि किसी मोमिन की अंतिम यात्रा में किसी ने गल्ती से भी राम नाम सत्य बोल दिया तो उसको साम्प्रदायिक सिद्ध करने लगेंगे।
और हाँ! यही लोग कल से फिर अंधविश्वास पर ज्ञान झाड़ेंगे।
गिरगिट कहीं के...
हवन को प्रदूषण का जनक मानने वाले,
मनुस्मृति को अव्यवहारिक मानकर जलाने वाले,
कन्या दान को घटिया सोच मानने वाले,
जनेऊ और चोटी को एंटीना कहने वाले,
सनातन संस्कृति के विरोध में तत्पर होकर
बात बात पर वैज्ञानिक बनने वाले
हमारी प्रार्थना पूर्ण न होने पर; "यदि भगवान है तो आपकी सुनता क्यों नहीं" कहने वाले कल से अपने कराँचीवुडिया अब्बा की फूँक को पवित्र दुआ, वैज्ञानिक, धार्मिक, मानवता हितैषी, सिद्ध करने में जी जान से लगे पड़े हैं ।
यदि किसी मोमिन की अंतिम यात्रा में किसी ने गल्ती से भी राम नाम सत्य बोल दिया तो उसको साम्प्रदायिक सिद्ध करने लगेंगे।
और हाँ! यही लोग कल से फिर अंधविश्वास पर ज्ञान झाड़ेंगे।
गिरगिट कहीं के...
आप कहते हैं कि मुसलमान इस देश के कानून को नहीं मानते ये गलत लोग हैं लेकिन मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि क्या आपने संसार में किसी भी ऐसे जानवर को देखा है जो किसी भी मानवीय संविधान को मानते हों?
नहीं देखा न ? देखोगे भी नहीं; क्योंकि मानवीय संविधान मात्र मानवों के लिए ही होता है कुत्ते,भालू, बंदर, भेड़, बकरी जैसे जानवरों के लिए नहीं
इनको जंगल राज ही पसंद होता है जो जिससे अधिक शक्तिशाली है वह अपने से दुर्बल जानवर का शिकार कर लेता है। जानवर जिसकी लाठी उसकी भैंस वाले सिद्धांत पर चलते हैं जो कि जानवरों में होना स्वाभाविक भी है क्योंकि उनके पास मानवीय चेतना का कोई आधार ही नहीं होता है।
यदि आप जानवरों को आईपीसी सीआरपीसी बताते हैं तो आप का ही दोष है उस जानवर का दोष नहीं हैं।
यदि आपको वह विधि आती है जिस विधि से जानवरों को नियंत्रित किया जाता है और यदि आप उसका प्रयोग करने में आप उसमें सक्षम है तो आप उसी का प्रयोग करें
जानवरों से तर्क करना बुद्धिमत्ता बिल्कुल भी नहीं हैं
#burqa
https://t.me/darshnikvichar
नहीं देखा न ? देखोगे भी नहीं; क्योंकि मानवीय संविधान मात्र मानवों के लिए ही होता है कुत्ते,भालू, बंदर, भेड़, बकरी जैसे जानवरों के लिए नहीं
इनको जंगल राज ही पसंद होता है जो जिससे अधिक शक्तिशाली है वह अपने से दुर्बल जानवर का शिकार कर लेता है। जानवर जिसकी लाठी उसकी भैंस वाले सिद्धांत पर चलते हैं जो कि जानवरों में होना स्वाभाविक भी है क्योंकि उनके पास मानवीय चेतना का कोई आधार ही नहीं होता है।
यदि आप जानवरों को आईपीसी सीआरपीसी बताते हैं तो आप का ही दोष है उस जानवर का दोष नहीं हैं।
यदि आपको वह विधि आती है जिस विधि से जानवरों को नियंत्रित किया जाता है और यदि आप उसका प्रयोग करने में आप उसमें सक्षम है तो आप उसी का प्रयोग करें
जानवरों से तर्क करना बुद्धिमत्ता बिल्कुल भी नहीं हैं
#burqa
https://t.me/darshnikvichar
Telegram
Darshnik Vichar
विद्रोह ही अध्यात्म की आधारशिला है ।
💬 @Acharyaprashant
https://twitter.com/aach_prashant
💬 @Acharyaprashant
https://twitter.com/aach_prashant
जहाँ की प्रजा भावुक होती है, वहाँ के नेता "राज्य कैसे चलाऐं" यह जानने की अपेक्षा यह जानने का प्रयास करते हैं कि आपकी भावनात्मक कमजोर नस कैसे दबाऐं।
बस उनके शासक होने के लिए इतना पर्याप्त है 🙏
बस उनके शासक होने के लिए इतना पर्याप्त है 🙏
इन्द्र जिमि जंभ पर, बाडब सुअंभ पर,
रावन सदंभ पर, रघुकुल राज हैं।
पौन बारिबाह पर, संभु रतिनाह पर,
ज्यौं सहस्रबाह पर राम-द्विजराज हैं॥
दावा द्रुम दंड पर, चीता मृगझुंड पर,
'भूषन वितुंड पर, जैसे मृगराज हैं।
तेज तम अंस पर, कान्ह जिमि कंस पर,
त्यौं मलिच्छ बंस पर, सेर शिवराज हैं
#chhatrapati_shivaji 🚩
रावन सदंभ पर, रघुकुल राज हैं।
पौन बारिबाह पर, संभु रतिनाह पर,
ज्यौं सहस्रबाह पर राम-द्विजराज हैं॥
दावा द्रुम दंड पर, चीता मृगझुंड पर,
'भूषन वितुंड पर, जैसे मृगराज हैं।
तेज तम अंस पर, कान्ह जिमि कंस पर,
त्यौं मलिच्छ बंस पर, सेर शिवराज हैं
#chhatrapati_shivaji 🚩
आज़ाद की माताजी की अनसुनी कहानी
पति और पुत्रों के निधन के बाद शहीद चन्द्रशेखर आजाद की मां बेहद गरीबी में जीवन जी रहीं थी। उन्होंने किसी के आगे हाथ फैलाने की जगह जंगल से लकड़ियां काटकर अपना पेट पालना शुरू कर दिया था।
वह कभी ज्वार, तो कभी बाजरा खरीद कर उसका घोल बनाकर पीती थीं। क्योंकि दाल, चावल, गेंहू और उसे पकाने के लिए ईंधन खरीदने लायक उनमें शारीरिक सामर्थ्य बचा नहीं था।
सबसे शर्मनाक बात तो यह है कि उनकी यह स्थिति देश को आजादी मिलने के दो वर्ष बाद (1949) तक जारी रही। 'सदाशिव' (आज़ाद के एक विश्वसनीय साथी) ने जब यह देखा, तो उनका मन काफी व्यथित हो गया।
आजाद की मां दो वक्त की रोटी के लिए तरस रही है, यह कारण जब उन्होंने गांव वालों से जानना चाहा तो पता चला कि उन्हें डकैत की मां कहकर बुलाया जाता है। साथ ही उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया था।
आजाद की मां की ऐसी दुर्दशा सदाशिव से नहीं देखी गई। वह उन्हें अपने वचन का वास्ता देकर अपने साथ झांसी लेकर आ गए।
मार्च, 1951 में आजाद की मां का झांसी में निधन हो गया। सदाशिव ने उनका सम्मान अपनी मां की तरह करते हुए उनका अंतिम संस्कार खुद अपने हाथों से बड़ागांव गेट के पास के श्मशान में किया।
पति और पुत्रों के निधन के बाद शहीद चन्द्रशेखर आजाद की मां बेहद गरीबी में जीवन जी रहीं थी। उन्होंने किसी के आगे हाथ फैलाने की जगह जंगल से लकड़ियां काटकर अपना पेट पालना शुरू कर दिया था।
वह कभी ज्वार, तो कभी बाजरा खरीद कर उसका घोल बनाकर पीती थीं। क्योंकि दाल, चावल, गेंहू और उसे पकाने के लिए ईंधन खरीदने लायक उनमें शारीरिक सामर्थ्य बचा नहीं था।
सबसे शर्मनाक बात तो यह है कि उनकी यह स्थिति देश को आजादी मिलने के दो वर्ष बाद (1949) तक जारी रही। 'सदाशिव' (आज़ाद के एक विश्वसनीय साथी) ने जब यह देखा, तो उनका मन काफी व्यथित हो गया।
आजाद की मां दो वक्त की रोटी के लिए तरस रही है, यह कारण जब उन्होंने गांव वालों से जानना चाहा तो पता चला कि उन्हें डकैत की मां कहकर बुलाया जाता है। साथ ही उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया था।
आजाद की मां की ऐसी दुर्दशा सदाशिव से नहीं देखी गई। वह उन्हें अपने वचन का वास्ता देकर अपने साथ झांसी लेकर आ गए।
मार्च, 1951 में आजाद की मां का झांसी में निधन हो गया। सदाशिव ने उनका सम्मान अपनी मां की तरह करते हुए उनका अंतिम संस्कार खुद अपने हाथों से बड़ागांव गेट के पास के श्मशान में किया।
जादूगर दो प्रकार के होते हैं पहले वे हैं जो सर्कस में जादू दिखाते हैं और दूसरे वे हैं जो धार्मिक मंचों पर वाणी का जादू दिखाते हैं इन दोनों में भेद यही है कि सर्कस वाला जादूगर बता देता है कि मैं आपको हाथ की सफाई से भ्रमित कर रहा हूँ लेकिन धार्मिक जादूगर यह बात नहीं बताता है कि मैं वाणी से भ्रमित कर रहा हूं🙏