प्रेम उपहास नहीं, पूजा है लेकिन वर्तमान में कला और प्रेम दोनों ही उपहास के पात्र बन गए हैं, प्रेम में भौतिकता ज्यादा आ गई है और कला में फूहड़ता फर्क समझ सकते पीतल सोने पर भारी पड़ रहा है प्रेम समझाने का विषय नहीं महसूस करने का है किसी ने क्या खूब लिखा है-
कहीं चुरा ले चोर न कोई दर्द तुम्हारा याद तुम्हारी इसलिए जगकर जीवन भर आंसू ने की पहरेदारी संस्कृति,, कला और प्रेम जीवन में रस है इन्हें इनके मूल रूप में ही जीये तो बेहतर है
Good morning friends
कहीं चुरा ले चोर न कोई दर्द तुम्हारा याद तुम्हारी इसलिए जगकर जीवन भर आंसू ने की पहरेदारी संस्कृति,, कला और प्रेम जीवन में रस है इन्हें इनके मूल रूप में ही जीये तो बेहतर है
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प्यारे दोस्तों मेरे vlog देखा करें (थोड़ा हस भी लिया करो)https://youtu.be/7cHPK2EIUSs?si=fres3eSlal90qtA7
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