Sant Shri Asharamji Ashram
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📜आश्रम दर्पण 📜

27 अप्रैल 2022

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🔹🔹🔹🔹

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दिनांक 28 अप्रैल 2022
दिन - गुरुवार
विक्रम संवत - 2079
शक संवत - 1944
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - कृष्ण
तिथि - त्रयोदशी रात्रि 12:26 तक तत्पश्चात चतुर्द्धशी
नक्षत्र - उत्तरभाद्रपद शाम 05:40 तक तत्पश्चात रेवती
योग - वैधृति शाम 04:29 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
राहुकाल - दोपहर 2:14 से 03:51 तक
सूर्योदय - 06:09
सूर्यास्त - 07:06
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:40 से 05:25 तक
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:11से 01:03 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12.15 से 12:59 तक
व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत , स्वामी समर्थ पुण्यतिथि
विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🌹गुरु प्रदोष व्रत - 28 अप्रैल🌹

🌹जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है । प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है। जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं , गुरुवार को पड़ता है, तो इसे गुरु प्रदोष के नाम से जाना जाता है। वह समय शिव पूजा व गुरु पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ होता है।

🌹गुरुभक्ति बढ़ाने के प्रयोग🌹

🌹गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :
🌹एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं।

🌹ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।

🌹फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति , गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें। थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें।
--लोककल्याण सेतु , अंक - 116

🔹इससे आपके घर में सुख-शांति की वृद्धि होगी
🔹संध्या के समय घर में किसीको सोना नहीं चाहिए | उस समय घर के प्रत्येक कक्ष में कुछ देर के लिए रोशनी अवश्य कर दें | यदि सम्भव हो तो बीमार व्यक्ति भी भले बिस्तर पर ही सही, निद्रा त्यागकर बैठ जाय | सभी लोग मन-ही-मन भगवन्नाम का सुमिरन करें | इससे घर में सुख-शांति की वृद्धि होती है |
📖 ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०१९ से

https://t.me/asharamjiashram/4419
🌞संत श्री आशारामजी बापू आश्रम🌞
📜आश्रम दर्पण 📜

28 अप्रैल 2022

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दिनांक 29 अप्रैल 2022
दिन -शुक्रवार
विक्रम संवत - 2079
शक संवत - 1944
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - कृष्ण
तिथि - चतुर्दशी रात्रि 12:57 तक तत्पश्चात अमावस्या
नक्षत्र - रेवती शाम 06:43 तक तत्पश्चात अश्विनी
योग - विष्कम्भ शाम 04:29 तक तत्पश्चात प्रिती
राहुकाल - सुबह 11:00 से दोपहर 12:37 तक
सूर्योदय - 06:08
सूर्यास्त - 07:06
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:40 से 05:24 तक
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:11से 01:03 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12.15 से 12:59 तक
व्रत पर्व विवरण - मासिक शिवरात्रि
विशेष - चतुर्दशी को तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

🌹आर्थिक परेशानी से बचने हेतु

🌹हर महीने में शिवरात्रि (मासिक शिवरात्रि-कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी) को जिसके घर में आर्थिक कष्ट रहते है वो श्याम के समय या संध्या के मसय जप-प्रार्थना करें एवं शिवमंदिर में दीप-दान करे । और रात को जब 12 बजे जायें तो थोड़ी देर जाग कर जप और एक श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें । तो आर्थिक परेशानी दूर हो जायेगी ।

🌹कर्जा से मुक्ति हेतु

🌹हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें, जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो, वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोले । इससे कर्जा से मुक्ति मिलेगी...

🌹1). ॐ नमः शिवाय नमः

🌹2). ॐ सर्वात्मने नमः

🌹3). ॐ त्रिनेत्राय नमः

🌹4). ॐ हराय नमः

🌹5). ॐ इर्न्द्मखाय नमः

🌹6). ॐ श्रीकंठाय नमः

🌹7). ॐ सद्योजाताय नमः

🌹8). ॐ वामदेवाय नमः

🌹9). ॐ अघोरर्ह्द्याय नमः

🌹10). ॐ तत्पुरुषाय नमः

🌹11). ॐ ईशानाय नमः

🌹12). ॐ अनंतधर्माय नमः

🌹13). ॐ ज्ञानभूताय नमः

🌹14). ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः

🌹15). ॐ प्रधानाय नमः

🌹16). ॐ व्योमात्मने नमः

🌹17). ॐ युक्तकेशात्मरुपाय नमः

-श्री सुरेशानंन्दजी
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*📜आश्रम दर्पण 📜*

*29 अप्रैल 2022*

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दिनांक 30 अप्रैल 2022
दिन - शनिवार
विक्रम संवत - 2079
शक संवत - 1944
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - कृष्ण
तिथि - अमावस्या रात्रि 01:57 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र - अश्विनी रात्रि 08:13 तक तत्पश्चात भरणी
योग - प्रिती अपरान्ह 03:20 तक तत्पश्चात आयुष्मान
राहुकाल - सुबह 09:22 से दोपहर 11:00 तक
सूर्योदय - 06:08
सूर्यास्त - 07:07
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:39 से 05:23 तक
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:11से 01:03 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12.15 से 12:59 तक
व्रत पर्व विवरण - अमावस्या , आशिंक सूर्यग्रहण

🔹आंशिक सूर्यग्रहण🔹

🔹भारत के समय अनुसार 30 अप्रैल मध्यरात्रि 12 बजकर 15 मिनट पर सूर्यग्रहण शुरू होगा और अगले दिन यानी 01 मई को सुबह 04 बजकर 07 मिनट तक रहेगा ।

🔹कहां-कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण ?

🔹यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन यह अटलांटिक, अंटार्कटिका, दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी पश्चिमी हिस्से और प्रशांत महासागर में दिखाई देगा।

☀️ये ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा और ना ही इसका सूतक काल माना जाएगा ।

🌹अमावस्या ( 30 अप्रैल ) के दिन ध्यान रखने की बात🌹

🌹1.जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महिने भर का पुण्य उस अन्न के स्वामी/दाता को मिल जाता है।
(स्कन्द पुराण, प्रभाव खं. 207.11.13)

🌹2.अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे " ब्रम्ह हत्या " का पाप लगता है ! -विष्णु पुराण

3🌹अमावस्या के दिन तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

🌹4.ज़मीन है अपनी... खेती काम करते हैं तो अमावस्या के दिन खेती का काम न करें .... न मजदूर से करवाएं |

🌹5. जप करें भगवत गीता का ७ वां अध्याय अमावस्या को पढ़ें ...और उस पाठ का पुण्य अपने पितृ को अर्पण करें ... सूर्य को अर्घ्य दें... और प्रार्थना करें " आज जो मैंने पाठ किया ...अमावस्या के दिन उसका पुण्य मेरे घर में जो गुजर गए हैं ...उनको उसका पुण्य मिल जाये | " तो उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पति बढ़ेगी |

🌹6.कर्जा हो गया है तो अमावस्या के दूसरे दिन से पूनम तक रोज रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दे, समृद्धि बढेगी ।

दीक्षा में जो मन्त्र मिला है उसका खूब श्रध्दा से जप करना शुरू करें , जो भी समस्या है हल हो जायेगी ।

- श्री सुरेशनंदजी -12th April 08, Sagar(M.P.)

🔹नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए🔹
घर में हर अमावस्या अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनेर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।
🌹पूज्य बापूजी - रजोकरी 30th Nov. 2010

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🌞संत श्री आशारामजी बापू आश्रम🌞
📜आश्रम दर्पण 📜

30 अप्रैल 2022

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दिनांक 01 मई 2022
दिन - रविवार
विक्रम संवत - 2079
शक संवत - 1944
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - शुक्ल
तिथि - प्रतिपदा रात्रि 03:25 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र - भरणी रात्रि 10:11 तक तत्पश्चात कृतिका
योग - आयुष्मान अपरान्ह 03:19 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहुकाल - शाम 05:29 से दोपहर 07:07 तक
सूर्योदय - 06:07
सूर्यास्त - 07:07
दिशाशूल - पश्चिम में
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:39 से 05:23 तक
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:11से 01:03 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12.15 से 12:59 तक
व्रत पर्व विवरण - महर्षि पराशर जयंती
विशेष - विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🌹अक्षय तृतीया ( 03 मई 2022 )का तात्त्विक संदेश :

🌹'अक्षयʹ यानी जिसका कभी नाश न हो। शरीर एवं संसार की समस्त वस्तुएँ नाशवान हैं, अविनाशी तो केवल परमात्मा ही है। यह दिन हमें आत्मविवेचन की प्रेरणा देता है। अक्षय आत्मतत्त्व पर दृष्टि रखने का दृष्टिकोण देता है। महापुरुषों व धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा और परमात्मप्राप्ति का हमारा संकल्प अटूट व अक्षय हो – यही अक्षय तृतीया का संदेश मान सकते हो।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2013, पृष्ठ संख्या 23, अंक 244

🔹ससुराल मे कोई तकलीफ🔹
👩🏻 किसी सुहागन बहन को ससुराल में कोई तकलीफ हो तो शुक्ल पक्ष की तृतीया को उपवास रखें …उपवास माने एक बार बिना नमक का भोजन कर के उपवास रखें..भोजन में दाल चावल सब्जी रोटी नहीं खाए, दूध रोटी खा लें..शुक्ल पक्ष की तृतीया को..अमावस्या से पूनम तक की शुक्ल पक्ष में जो तृतीया आती है उसको ऐसा उपवास रखें …नमक बिना का भोजन(दूध रोटी) , एक बार खाए बस……अगर किसी बहन से वो भी नहीं हो सकता पूरे साल का तो केवल
👉 माघ महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया
👉 वैशाख शुक्ल तृतीया
👉 भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया
जरुर ऐसे ३ तृतीया का उपवास जरुर करें …नमक बिना का भोजन करें ….जरुर लाभ होग. ..ऐसा व्रत वशिष्ठ जी की पत्नी अरुंधती ने किया था…. ऐसा आहार नमक बिना का भोजन…. वशिष्ठ और अरुंधती का वैवाहिक जीवन इतना सुंदर था कि आज भी सप्त ऋषियों में से वशिष्ठ जी का तारा होता है , उनके साथ अरुंधती का तारा होता है…आज भी आकाश में रात को हम उन का दर्शन करते हैं …
शास्त्रों के अनुसार शादी होती तो उनका दर्शन करते हैं ….. जो जानकार पंडित होता है वो बोलता है…शादी के समय वर-वधु को अरुंधती का तारा दिखाया जाता है और प्रार्थना करते हैं कि , “जैसा वशिष्ठ जी और अरुंधती का साथ रहा ऐसा हम दोनों पति पत्नी का साथ रहेगा..” ऐसा नियम है….
चन्द्रमा की पत्नी ने इस व्रत के द्वारा चन्द्रमा की यानी २७ पत्नियों में से प्रधान हुई….चन्द्रमा की पत्नी ने तृतीया के व्रत के द्वारा ही वो स्थान प्राप्त किया था…तो अगर किसी सुहागन बहन को कोई तकलीफ है तो ये व्रत करें ….उस दिन गाय को चंदन से तिलक करें … कुम-कुम का तिलक ख़ुद को भी करें उत्तर दिशा में मुख करके …. उस दिन गाय को भी रोटी गुड़ खिलाये॥
सुरेशानंदजी -19th May 08, Haridwar

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🌞संत श्री आशारामजी बापू आश्रम🌞
📜आश्रम दर्पण 📜

01 मई 2022

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दिनांक 02 मई 2022
दिन - सोमवार
विक्रम संवत - 2079
शक संवत - 1944
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - शुक्ल
तिथि - द्वितीया प्रातः 05:18 (03 मई) तक तत्पश्चात तृतीया
नक्षत्र - कृतिका रात्रि 12:34 तक तत्पश्चात रोहिणी
योग - सौभाग्य अपरान्ह 03:38 तक तत्पश्चात शोभन
राहुकाल - सुबह 07:44 से दोपहर 09:21 तक
सूर्योदय - 06:06
सूर्यास्त - 07:07
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:38 से 05:22 तक
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:11से 01:03 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12.15 से 12:58 तक
व्रत पर्व विवरण -
विशेष - विशेष -द्वितीया को बृहती (छोटा वैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🌹अक्षय तृतीया - 03 मई 2022
अक्षय तृतीया के दिन , तुम किसी भी इच्छा से तुम जप करोगे तो वो जप तुम्हारा 10000 गुना फल देगा | चाहे भगवान् के प्रीती के लिए करो , चाहे भगवान् के ज्ञान के लिए करो , चाहे भगवत रस के लिए करो , चाहे ब्रम्हचर्य पालने के लिए करो , चाहे कुटुंब में सुख शांति के लिए करो |जिसके लिए भी जप करोगे , वो फलेगा अक्षय तृतीया को"

- 🌹पूज्य बापूजी

🔹फालसा🔹
👉फालसा गर्मी से राहत दिलाता ही है और शरीर के लिए भी बहुत पौष्टिक भी है |
👉गर्मियों के सबसे लोकप्रिय फलों में फालसा प्रमुखत: से शामिल है | अपने लाजबाव स्वाद के कारण फालसा आहार सबके पसंदी का फल है | पके हुये फालसे को नमक, कालीमिर्च और चाट मसाला मिलाकर खाया ही नहीं जाता बल्कि इसका शर्बत भी काफी लोकप्रिय है | पोषक तत्वों की खान, छोटे से फल फालसा को पोषक तत्वों की खान और एंटी ओक्सिडेंट कहना गलत न होगा | देखा जाय तो फालसा फल का ६९% भाग ही खाने लायक होता है | बाकी हिस्से में गुठली होती है | इसमें मौजूद मँग्नेसियम, पोटेसियम, सोडियम, फोस्फरस, कैल्शियम,प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, लोहा, विटामिन ए और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व इसे हमारे लिए सेहत का खजाना बना देते हैं |

👉 फालसा में गर्मी के मौसम संबधित समस्याओं को दूर करने की अदभुत क्षमता होती है | फालसे के रस को शांत, ताजा और आसानी से पचने और गर्मी में प्यास से राहत पहुंचाने वाला आदर्श ठंडा टॉनिक भी कहा जाता है | इसका उपयोग शारीरिक विकारों और बीमारीयों के ईलाज के लिए किया जाता रहा है | ये पित्ताशय और जिगर की समस्याओं को दूर करता है | फालसे में थोडा कसैला पन भी है | जो शरीर से अतिरिक्त आम्लता को कम करके पाचन सबंधी समस्याओं दूर करता है | ये अपचक की समस्या से मुक्ति दिलाता है और भूख भी बढाता है | विटामिन सी और खनिज तत्वों से भरपूर फालसे के सेवन से रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है | इससे ह्रदय रोग का खतरा कम हो जाता है | अस्थमा और ब्रोमकैस्टेक के रोगियों को फालसा खाने से साँस की तकलीफ में राहत मिलती है | हाल में ही हुये वैज्ञानिक शोधों से ये बात सामने आयी है कि फालसा में रेडिओंधर्मी क्षमता भी होती है इस कारण ये कैंसर से लड़ने में भी शरीर को सहायता करता है | anemia से बचाता है |
👉 इससे मस्तिष्क की गर्मी और खुश्की भी दूर होती है | खनिज लवणों की अधिकता होने के कारण इसे खाने से शरीर में Hemoglobin भी बढ़ता है और anenia से बचाव होता है |

👉🏻 इसके सेवन से मूत्रसबंधी समस्याओं से राहत मिलती है | लू से भी रक्षा करता है फालसे का रस गर्मीयों में चलने वाली लू और उससे होने वाले बुखार से बचाने में ख़ास भूमिका निभाता है | अगर आपका स्वभाव चिडचिडा है तो फालसे को किसी भी रूप में खायें लाभ होगा | उल्टी और गबराहट दूर करता है | धूप में रहने के कारण शरीर के खुले अंगों पर होने वाली लालिमा, जलन, सूझन और कालेपन को दूर करने में भी ये मदद करता है | विटामिन सी से भरपूर फालसे का खट्टा-मीठा रस खाँसी-जुकाम को रोकने और गले में होने वाली समस्याओं से निजात पाने के लिए काफी प्रभावशाली होता है |
🙏🏻 - Pujya Bapuji Haridwar 20th May' 2013

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🌞संत श्री आशारामजी बापू आश्रम🌞
📜आश्रम दर्पण 📜

02 मई 2022

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🙏🏻 अहमदाबाद आश्रम 🙏🏻
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https://youtu.be/UBMCkWJ1DCQ
दिनांक 03 मई 2022
दिन - मंगलवार
विक्रम संवत - 2079
शक संवत - 1944
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - शुक्ल
तिथि - तृतीया पूर्णरात्रि तक
नक्षत्र - रोहिणी रात्रि 03:18 तक तत्पश्चात मृगशिरा
योग - शोभन अपरान्ह 04:16 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
राहुकाल - अपरान्ह 03:52 से 05:30 तक
सूर्योदय - 06:05
सूर्यास्त - 07:08
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:38 से 05:22 तक
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:11से 01:03 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12.14 से 12:58 तक
व्रत पर्व विवरण - अक्षय तृतीया, श्री परशुराम जयंती
विशेष- तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🌹अक्षय तृतीया - 03 मई 2022
( पूरा दिन शुभ मुहूर्त )

👉इस दिन गंगा-स्नान करने से सारे तीर्थ करने का फल मिलता है। गंगाजी का सुमिरन  एंव जल में आवाहन करके ब्राह्ममुहूर्त में पुण्यस्नान तो सभी कर सकते हैं। स्नान के पश्चात प्रार्थना करें-

🌹माधवे मेषगे भानौ मुरारे मधुसूदन।

🌹प्रातः स्नानेन मे नाथ फलदः पापहा भव।।

👉सप्तधान्य उबटन व गोझरण मिश्रित जल से स्नान पुण्यदायी है। पुष्प, धूप-दीप, चंदन, अक्षत (साबुत चावल) आदि से लक्ष्मी नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है।

👉इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ या सम्पन्न किया जा सकता है। जैसे – विवाह, गृह-प्रवेश या वस्त्र-आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषिकार्य का प्रारम्भ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है।

👉इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है। एक बार हलका भोजन करके भी उपवास कर सकते हैं।

👉इस दिन पानी के घड़े, पंखे, ओले (खाँड के लड्डू), पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूँ, चावल, गौ,  वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है। परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए।

👉इस दिन पितृ तर्पण करना अक्षय फलदायी है। पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति-समृद्धि व दिव्य संतानें आती हैं।

🔹पितृ-तर्पण का महत्त्व व विधि🔹

🌹इस दिन पितृ-तर्पण करना अक्षय फलदायी है । पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति-समृद्धि व दिव्य संताने आती है ।

🔹विधि : इस दिन तिल एवं अक्षत लेकर र्विष्णु एवं ब्रम्हाजी को तत्त्वरूप से पधारने की प्रार्थना करें । फिर पूर्वजों का मानसिक आवाहन कर उनके चरणों में तिल, अक्षत व जल अर्पित करने की भावना करते हुए धीरे से सामग्री किसी पात्र में छोड़ दें तथा भगवान दत्तात्रेय, ब्रम्हाजी व विष्णुजी से पूर्वजों की सदगति हेतु प्रार्थना करें ।

👉इस दिन माता-पिता, गुरुजनों की सेवा कर के उनकी विशेष प्रसन्नता, संतुष्टि व आशीर्वाद प्राप्त करें। इसका फल भी अक्षय होता है।

https://t.me/asharamjiashram/4434

🌞संत श्री आशारामजी बापू आश्रम🌞
📜आश्रम दर्पण 📜

03 मई 2022

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🙏🏻 अहमदाबाद आश्रम 🙏🏻
🌞 ~ आज का हिन्दू पंचांग ~ 🌞
https://youtu.be/-KQW9LcbQKg
दिनांक 04 मई 2022
दिन - बुधवार
विक्रम संवत - 2079
शक संवत - 1944
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - शुक्ल
तिथि - चतुर्थी सुबह 07:33 से 5 मई सुबह 10:00 बजे तक
नक्षत्र - मृगशिरा पूर्णरात्रि तक
योग - अतिगण्ड अपरान्ह 05:08 तक तत्पश्चात सुकर्मा
राहुकाल - दोपहर 12:37 से 02:15 तक
सूर्योदय - 06:05
सूर्यास्त - 07:08
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:37 से 05:21 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12.14 से 12:58 तक
व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी
विशेष- चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🔹लू से बचने के लिए🔹
लू से बचने के लिए तेज धूप में घर से बाहर निकलते समय पानी पीकर एवं जूते व टोपी पहन के ही निकलें | एक साबुत प्याज साथ में रखें | लू लगने पर मोसम्बी के रस का सेवन बहुत ही लाभदायी हैं |
ऋषिप्रसाद – मई २०२०

🔹सिर का सहज सुरक्षा-कवच टोपी🔹

👉धूप से अपने सिर की रक्षा करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है । धूप में नंगे सिर घूमने से सिर,आँख,नाक व कान के अनेक रोग होते हैं । सिर में गर्म हवा लगने एवं बारिश का पानी पड़ने से भी अनेक रोग होते हैं । धूप के दुष्प्रभाव से ज्ञान तंतुओं को क्षति पहुंचती है, जिससे यादशक्ति कम हो जाती है।

👉पूर्वकाल में हमारे दादा-परदादा नियमित रूप से टोपी या पगड़ी पहनते थे और महिलाएँ हमेशा सिर ढक कर रखती थी । इस कारण उन्हें समय से पूर्व बाल सफेद होना, अत्यधिक बाल झड़ना (गंजापन), सर्दी होना, सिर दर्द होना तथा आँख,कान,नाक के बहुत-से रोग इनका इतना सामना नहीं करना पड़ता था ।

👉यदि आप अपने शरीर के उपरोक्त महत्वपूर्ण अंगों की कार्यक्षमता लम्बे समय तक बनाये रखना चाहते हैं तो धूप से अपने सिर की रक्षा कीजिये । इसके लिए टोपी अत्यंत सुविधाजनक तथा उपयोगी है।

आयुर्वेद कहता है
उष्णीषं कान्तिकृत्केश्यं रजोवातकफापहम् ।।
लघु यच्छस्यते तस्मात् गुरुं पित्ताक्षिरोग कृत् ।।

'मस्तक पर उष्णीष (पगड़ी, साफा, टोपी आदि) धारण करना कांति की वृद्धि करने वाला,केश के लिए हितकारी,धूलि को दूर करनेवाला अर्थात धूलि से बालों को बचानेवाला और वात तथा कफ का नाशक होता है। परंतु ये सब उत्तम लाभ तभी होते हैं जब वह हलका हो। यदि उष्णीष बहुत भारी हो तो पित्त की वृद्धि और नेत्र संबंधी रोग को उत्पन्न करने वाला होता है।

(भावप्रकाश पु.लं., दिनचर्या दी प्रकरण ५.२३७)

👉सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा एवं होंठों के कैंसर का महत्वपूर्ण कारण मानी जाती हैं। ये किरणें काँचबिंदु जैसी आँखों की विकृतियों को भी जन्म देती है ।

👉वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसी टोपियाँ जिनमें किनारों पर कम-से-कम ३ इंच की पट्टी चारों तरफ लगी है,सिर,चेहरा,कानों तथा गले को सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती हैं, जिससे स्किन कैंसर से बचाव हो जाता है । घुमावदार टोपियाँ अधिक उपयुक्त होती हैं।

👉चुनाव-प्रचार में बाँटने वाली सिंथेटिक टोपियां लाभकारी नहीं होतीं टोपियाँ मोटे कपड़े की होनी चाहिए |
📚 ऋषि प्रसाद / मई २००९

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🌞संत श्री आशारामजी बापू आश्रम🌞