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बल तथा न्यूटन का गति विषयक नियम | Force and Newton's laws of motion - Apna UPSC
गति विषयक नियमों की जानकारी सर्वप्रथम आइजक न्यूटन ने वर्ष 1687 में - अपनी पुस्तक मैथेमेटिसया प्रिंसिपिया में प्रतिपादित किया था। जिनकी संख्या 03 थी।
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💢 मध्यकाल एवं ब्रिटिश काल के दौरान निज़ामत शब्द के अर्थ | nizaamat - Hindi meaning 💢
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👁️🗨️ मुगल साम्राज्य के दौरान स्थापित निज़ामत एक सरकारी कार्य था, जो सैन्य, पुलिस, और आपराधिक मामलों के नियंत्रण के लिए ज़िम्मेदार था.
👁️🗨️ ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण में रहे भारत के कुछ हिस्सों ने निज़ामत की प्रणाली के कुछ तत्वों को बरकरार रखा.
👁️🗨️ आधुनिक भारतीय इतिहास में, दीवानी अधिकारों के तहत, कंपनी सीधे अपना राजस्व इकट्ठा करती थी, जबकि उप सूबेदार को नामित करने के अधिकार के ज़रिए, वह निज़ामत या पुलिस और न्यायिक शक्तियों को नियंत्रित करती थी.
👁️🗨️ बंगाल में द्वैध शासन के दौरान दीवानी प्रणाली को राजस्व एकत्र करने का काम सौंपा गया था और यह अंग्रेजों द्वारा नियुक्त कलेक्टर के नियंत्रण में था। बहुत भारी कर लगाया जाता था और कर संग्रह के लिए कठोर उपाय अपनाए जाते थे। जो लोग कर चुकाने में असमर्थ थे वे अपने गाँव छोड़कर अन्य स्थानों पर भाग गए।
👁️🗨️ निजामत का प्रशासनिक कर्तव्य नवाब को सौंपे गए थे। प्रभारी व्यक्ति को नाज़िम और उसके प्रशासन के क्षेत्र को भी निज़ामत ही कहा जाता था।
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👁️🗨️ मुगल साम्राज्य के दौरान स्थापित निज़ामत एक सरकारी कार्य था, जो सैन्य, पुलिस, और आपराधिक मामलों के नियंत्रण के लिए ज़िम्मेदार था.
👁️🗨️ ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण में रहे भारत के कुछ हिस्सों ने निज़ामत की प्रणाली के कुछ तत्वों को बरकरार रखा.
👁️🗨️ आधुनिक भारतीय इतिहास में, दीवानी अधिकारों के तहत, कंपनी सीधे अपना राजस्व इकट्ठा करती थी, जबकि उप सूबेदार को नामित करने के अधिकार के ज़रिए, वह निज़ामत या पुलिस और न्यायिक शक्तियों को नियंत्रित करती थी.
👁️🗨️ बंगाल में द्वैध शासन के दौरान दीवानी प्रणाली को राजस्व एकत्र करने का काम सौंपा गया था और यह अंग्रेजों द्वारा नियुक्त कलेक्टर के नियंत्रण में था। बहुत भारी कर लगाया जाता था और कर संग्रह के लिए कठोर उपाय अपनाए जाते थे। जो लोग कर चुकाने में असमर्थ थे वे अपने गाँव छोड़कर अन्य स्थानों पर भाग गए।
👁️🗨️ निजामत का प्रशासनिक कर्तव्य नवाब को सौंपे गए थे। प्रभारी व्यक्ति को नाज़िम और उसके प्रशासन के क्षेत्र को भी निज़ामत ही कहा जाता था।
📌 मानव विकास रिपोर्ट 2023-24 📌
🔍 हाल ही में UNDP द्वारा जारी मानव विकास रिपोर्ट (एचडीआर) 2023-24 में, जिसका शीर्षक है, "ब्रेकिंग द ग्रिडलॉक: रीइमेजिनिंग कोऑपरेशन इन ए पोलराइज्ड वर्ल्ड" 2022 है, में भारत का एचडीआई प्रदर्शन बढ़कर 0.644 हो गया है, जिससे 193 देशों और क्षेत्रों में से भारत 134वें स्थान पर पहुंच गया है।
🔖 जीवन प्रत्याशा में 67.2 से 67.7 वर्ष की वृद्धि,
🔖 स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 12 से बढ़कर 12.6 हो गए
🔖 प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय $6,542 से बढ़कर $6,951 हो गई।
🔗 एचडीआई के आयाम
🔗 स्वास्थ्य आयाम
🔗 शिक्षा आयाम
🔗 जीवन स्तर का आयाम
🔍 हाल ही में UNDP द्वारा जारी मानव विकास रिपोर्ट (एचडीआर) 2023-24 में, जिसका शीर्षक है, "ब्रेकिंग द ग्रिडलॉक: रीइमेजिनिंग कोऑपरेशन इन ए पोलराइज्ड वर्ल्ड" 2022 है, में भारत का एचडीआई प्रदर्शन बढ़कर 0.644 हो गया है, जिससे 193 देशों और क्षेत्रों में से भारत 134वें स्थान पर पहुंच गया है।
🔖 जीवन प्रत्याशा में 67.2 से 67.7 वर्ष की वृद्धि,
🔖 स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 12 से बढ़कर 12.6 हो गए
🔖 प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय $6,542 से बढ़कर $6,951 हो गई।
🔗 एचडीआई के आयाम
🔗 स्वास्थ्य आयाम
🔗 शिक्षा आयाम
🔗 जीवन स्तर का आयाम
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💢 आलोक शुक्ला 35वें गोल्डमैन एन्वायरमेंट पुरस्कार (2024) से सम्मानित 💢
🔅 29 अप्रैल, 2024 को छतीसगढ़ के पर्यावरणविद आलोक शुक्ला को 35वें गोल्डमैन एन्वायरमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
🔅 इन्हें यह पुरस्कार छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य के जंगलों को बचाने के प्रयास हेतु दिया गया है।
🔅 यह पुरस्कार गोल्डमैन एनवायर्नमेंटल फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाता है।
🔅 पुरस्कार समारोह संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के सैन फ्रांसिस्को में वॉर मेमोरियल ओपेरा में आयोजित किया गया।
🔅 वर्ष 2024 में पर्यावरण की रक्षा हेतु "निरंतर और महत्वपूर्ण" प्रयासों के लिए यह पुरस्कार 7 व्यक्तियों को प्रदान किया गया।
🔅 इस पुरस्कार को ‘ग्रीन नोबेल’ के नाम से भी जाना जाता है, यह पुरस्कार विश्व के 6 महाद्वीपीय क्षेत्र- अफ्रीका, एशिया, यूरोप, अमेरिका आदि के पर्यावरण नायकों को सम्मानित करता है।
🔅 विजेताओं को पुरस्कार राशि के रूप में 200,000 अमेरिकी डॉलर से सम्मानित किया जाता है।
🔅 इस पुरस्कार की स्थापना रिचर्ड और रोडा गोल्डमैन द्वारा वर्ष 1989 में की गई थी ।
🔅 पहला गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार समारोह अप्रैल 1990 में आयोजित किया गया था।
🔅 29 अप्रैल, 2024 को छतीसगढ़ के पर्यावरणविद आलोक शुक्ला को 35वें गोल्डमैन एन्वायरमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
🔅 इन्हें यह पुरस्कार छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य के जंगलों को बचाने के प्रयास हेतु दिया गया है।
🔅 यह पुरस्कार गोल्डमैन एनवायर्नमेंटल फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाता है।
🔅 पुरस्कार समारोह संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के सैन फ्रांसिस्को में वॉर मेमोरियल ओपेरा में आयोजित किया गया।
🔅 वर्ष 2024 में पर्यावरण की रक्षा हेतु "निरंतर और महत्वपूर्ण" प्रयासों के लिए यह पुरस्कार 7 व्यक्तियों को प्रदान किया गया।
🔅 इस पुरस्कार को ‘ग्रीन नोबेल’ के नाम से भी जाना जाता है, यह पुरस्कार विश्व के 6 महाद्वीपीय क्षेत्र- अफ्रीका, एशिया, यूरोप, अमेरिका आदि के पर्यावरण नायकों को सम्मानित करता है।
🔅 विजेताओं को पुरस्कार राशि के रूप में 200,000 अमेरिकी डॉलर से सम्मानित किया जाता है।
🔅 इस पुरस्कार की स्थापना रिचर्ड और रोडा गोल्डमैन द्वारा वर्ष 1989 में की गई थी ।
🔅 पहला गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार समारोह अप्रैल 1990 में आयोजित किया गया था।
🌘 संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘डस्टलिक’ का 5वां संस्करण 🌒
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📌 15 से 28 अप्रैल 2024 तक उज्बेकिस्तान के टर्मेज़ जिले में भारत और उज्बेकिस्तान के मध्य संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘डस्टलिक’ का 5वां संस्करण आयोजित किया गया।
📌 भारतीय सशस्त्र बलों और उज्बेकिस्तान गणराज्य के सशस्त्र बलों ने आपसी सहयोग और भविष्य की सैन्य वार्ता की नींव को मजबूत करने के लिए एक साथ प्रशिक्षण किया।
📌 संयुक्त राष्ट्र के आदेशों के तहत उप-पारंपरिक संचालन में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसका उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच परिचालन प्रभावशीलता और समन्वय को बढ़ावा देना है।
📌 इससे पहले दोनों देशों के मध्य संयुक्त सैन्य अभ्यास का चौथा संस्करण 20 फरवरी, 2023 को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में आयोजित किया गया था।
📌 इस अभ्यास का पहला संस्करण नवंबर 2019 में उज्बेकिस्तान में आयोजित किया गया था।
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📌 15 से 28 अप्रैल 2024 तक उज्बेकिस्तान के टर्मेज़ जिले में भारत और उज्बेकिस्तान के मध्य संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘डस्टलिक’ का 5वां संस्करण आयोजित किया गया।
📌 भारतीय सशस्त्र बलों और उज्बेकिस्तान गणराज्य के सशस्त्र बलों ने आपसी सहयोग और भविष्य की सैन्य वार्ता की नींव को मजबूत करने के लिए एक साथ प्रशिक्षण किया।
📌 संयुक्त राष्ट्र के आदेशों के तहत उप-पारंपरिक संचालन में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसका उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच परिचालन प्रभावशीलता और समन्वय को बढ़ावा देना है।
📌 इससे पहले दोनों देशों के मध्य संयुक्त सैन्य अभ्यास का चौथा संस्करण 20 फरवरी, 2023 को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में आयोजित किया गया था।
📌 इस अभ्यास का पहला संस्करण नवंबर 2019 में उज्बेकिस्तान में आयोजित किया गया था।
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💢 *फर्म क्या है तथा यह कम्पनी से कैसे भिन्न है?* 💢
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🔅 फर्म एक व्यापारिक संस्थान होता है जिसे एक व्यक्ति या एक से अधिक व्यक्ति भी चला सकते हैं।
🔅 दरअसल यदि हम कोई व्यापार करते है या फिर किसी को कोई सेवा देना चाहते है या कोई अन्य संस्था खोल रहे है तो उसके लिए एक दुकान या ऑफिस खोलने की आवश्यकता होती है। अब वहां बैठकर हम सभी तरह के काम करते हैं। उस कार्यालय को ही फर्म के नाम से जाना जाता है। यहाँ बैठकर हम फर्म से संबंधित हर काम को देखते हैं और लाभ अर्जित करते है।
🔅 यह फर्म चाहे तो केवल हमारे नाम पर ही हो सकती हैं या फिर इसे एक से अधिक व्यक्ति पार्टनरशिप में संभाल सकते हैं। इसलिए आइये जाने फर्म के प्रकार क्या क्या हो सकते हैं।
🔅 अब बारी आती है फर्म को रजिस्टर करवाने की। सामान्यतः फर्म दो तरह के होते है, एक तो इकलौते मालिक वाला और दूसरा पार्टनरशिप वाला। अब उन्हें रजिस्टर करवाने की प्रक्रिया भी अलग अलग होती है। दरअसल यदि आप अपनी फर्म के एकलौते मालिक हैं तो ऐसे में फर्म की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया सरल होती है लेकिन यदि आप फर्म को पार्टनरशिप फर्म के रूप में रजिस्टर करवाना चाहते हैं तो इसकी प्रक्रिया थोड़ी लंबी होती हैं।
🎥 *प्रोपराइटरशिप फर्म रजिस्टर कैसे करें* 🎥
🔅 यदि आप प्रोपराइटरशिप फर्म को रजिस्टर करवाना चाहते हैं अर्थात किसी फर्म या संस्था को अपने नाम पर रजिस्टर करवाना चाहते हैं तो उसके लिए आपको मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट ऑफिस की वेबसाइट पर जाना होगा या फिर उनके ऑफिस में जाकर व्यक्तिगत रूप से आवेदन करना होगा।
🔅 सबसे पहले तो आपको रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर अपनी फर्म का नाम रजिस्टर करवाना होगा। कहने का अर्थ यह हुआ कि एक ही नाम पर दो फर्म नही बन सकती हैं। इसलिए सबसे पहले यह देखे कि आप जिस भी नाम से अपनी फर्म खोलने जा रहे हैं, क्या उसके नाम से पहले कोई अन्य फर्म बनी हुई हैं या नही।
🔅 अब जब आपकी फर्म का नाम रजिस्ट्रार कार्यालय से कन्फर्म हो जाए तो वहां यह नाम लिखवा ले। इसके बाद आपको मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट ऑफिस व्यक्तिगत रूप से जाना होगा। वहां जाकर आपको फॉर्म 16 भरना होगा।
🔅 यह फॉर्म 16 कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत आता है। इसके तहत ही कोई फर्म रजिस्टर करवाई जाती हैं। इसलिए इस फॉर्म को पूरा भरें।
🔅 इसके साथ ही आपको फॉर्म 18 भी भरना होगा जिसमें आपको फर्म से संबंधित हर जानकारी विस्तृत रूप में देनी होगी जैसे कि कंपनी का नाम, इसे खोलने का उद्देश्य, नियम, कार्यालय का पता, लाभ, हानि इत्यादि।
🔅 अंत में आपको अपने व कंपनी से संबंधित सभी दस्तावेज जमा करवाने होंगे। इसमें आपका पहचना पत्र, कंपनी का प्रमाण पत्र, बिजली बिल या पानी का बिल या गैस का बिल, पैन कार्ड, आधार कार्ड, आवास प्रमाण पत्र इत्यादि आवश्यक दस्तावेज।
यह सब भर कर आपको सभी फॉर्म सबमिट कर देने होंगे। उसके बाद मिनिस्ट्री ऑफ ऑफिस के द्वारा आपके फॉर्म के सत्यापन के लिए कुछ समय लिया जाएगा। अंत में आपकी फर्म को मान्यता दे दी जाएगी और इसके लिये एक सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया जाएगा।
🎥 *पार्टनरशिप फर्म रजिस्टर कैसे करें* 🎥
🔅 अब यदि आप किसी के साथ मिलकर या कई व्यक्तियों के साथ मिलकर पार्टनरशिप में किसी फर्म को रजिस्टर करवाना चाहते हैं तो उसके लिए भी एक प्रक्रिया है जिसका पालन आपको करना पड़ेगा। हालाँकि इसके लिए भी संपूर्ण प्रक्रिया को मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट एसोसिएशन के अंतर्गत ही करना पड़ेगा लेकिन इसमें आपको कुछ अन्य चीजों के बारे में भी देखना होगा ताकि बाद में कोई समस्या ना हो।
💢💢💢💢💢💢💢💢💢
🪻 *फर्म और कंपनी के बीच अंतर* 🪻
🔅 "फर्म" और "कंपनी" दोनों ही एक बिजनेस ऑर्गनाइजेशन के लिए इस्तेमल होते हैं, लेकिन उनमें कुछ अंतर होते हैं।
🔅 "फर्म" का मतलब होता है एक पार्टनरशिप या प्रोप्राइटरशिप टाइप के बिजनेस ऑर्गनाइजेशन, जहां दो या काई पार्टनर होते हैं जिनमे से कोई एक या सभी पार्टनर्स बिजनेस के लिए जिम्मेदार होते हैं।
🔅 "कंपनी", इसका मतलब होता है एक निगमित या पंजीकृत संगठन, जिस्मे शेयरधारक निवेश करते हैं और उनका स्वामित्व होता है। कंपनी आमतौर पर पब्लिक या प्राइवेट होती है और उनका मैनेजमेंट सेपरेट बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के द्वार होता है।
🔅 संक्षेप में, "फर्म" एक छोटा और सरल प्रकार का व्यावसायिक संगठन होता है, जबकी "कंपनी" एक पंजीकृत, निगमित और जटिल प्रकार का व्यवसाय संगठन होता है।
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🔅 फर्म एक व्यापारिक संस्थान होता है जिसे एक व्यक्ति या एक से अधिक व्यक्ति भी चला सकते हैं।
🔅 दरअसल यदि हम कोई व्यापार करते है या फिर किसी को कोई सेवा देना चाहते है या कोई अन्य संस्था खोल रहे है तो उसके लिए एक दुकान या ऑफिस खोलने की आवश्यकता होती है। अब वहां बैठकर हम सभी तरह के काम करते हैं। उस कार्यालय को ही फर्म के नाम से जाना जाता है। यहाँ बैठकर हम फर्म से संबंधित हर काम को देखते हैं और लाभ अर्जित करते है।
🔅 यह फर्म चाहे तो केवल हमारे नाम पर ही हो सकती हैं या फिर इसे एक से अधिक व्यक्ति पार्टनरशिप में संभाल सकते हैं। इसलिए आइये जाने फर्म के प्रकार क्या क्या हो सकते हैं।
🔅 अब बारी आती है फर्म को रजिस्टर करवाने की। सामान्यतः फर्म दो तरह के होते है, एक तो इकलौते मालिक वाला और दूसरा पार्टनरशिप वाला। अब उन्हें रजिस्टर करवाने की प्रक्रिया भी अलग अलग होती है। दरअसल यदि आप अपनी फर्म के एकलौते मालिक हैं तो ऐसे में फर्म की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया सरल होती है लेकिन यदि आप फर्म को पार्टनरशिप फर्म के रूप में रजिस्टर करवाना चाहते हैं तो इसकी प्रक्रिया थोड़ी लंबी होती हैं।
🎥 *प्रोपराइटरशिप फर्म रजिस्टर कैसे करें* 🎥
🔅 यदि आप प्रोपराइटरशिप फर्म को रजिस्टर करवाना चाहते हैं अर्थात किसी फर्म या संस्था को अपने नाम पर रजिस्टर करवाना चाहते हैं तो उसके लिए आपको मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट ऑफिस की वेबसाइट पर जाना होगा या फिर उनके ऑफिस में जाकर व्यक्तिगत रूप से आवेदन करना होगा।
🔅 सबसे पहले तो आपको रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर अपनी फर्म का नाम रजिस्टर करवाना होगा। कहने का अर्थ यह हुआ कि एक ही नाम पर दो फर्म नही बन सकती हैं। इसलिए सबसे पहले यह देखे कि आप जिस भी नाम से अपनी फर्म खोलने जा रहे हैं, क्या उसके नाम से पहले कोई अन्य फर्म बनी हुई हैं या नही।
🔅 अब जब आपकी फर्म का नाम रजिस्ट्रार कार्यालय से कन्फर्म हो जाए तो वहां यह नाम लिखवा ले। इसके बाद आपको मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट ऑफिस व्यक्तिगत रूप से जाना होगा। वहां जाकर आपको फॉर्म 16 भरना होगा।
🔅 यह फॉर्म 16 कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत आता है। इसके तहत ही कोई फर्म रजिस्टर करवाई जाती हैं। इसलिए इस फॉर्म को पूरा भरें।
🔅 इसके साथ ही आपको फॉर्म 18 भी भरना होगा जिसमें आपको फर्म से संबंधित हर जानकारी विस्तृत रूप में देनी होगी जैसे कि कंपनी का नाम, इसे खोलने का उद्देश्य, नियम, कार्यालय का पता, लाभ, हानि इत्यादि।
🔅 अंत में आपको अपने व कंपनी से संबंधित सभी दस्तावेज जमा करवाने होंगे। इसमें आपका पहचना पत्र, कंपनी का प्रमाण पत्र, बिजली बिल या पानी का बिल या गैस का बिल, पैन कार्ड, आधार कार्ड, आवास प्रमाण पत्र इत्यादि आवश्यक दस्तावेज।
यह सब भर कर आपको सभी फॉर्म सबमिट कर देने होंगे। उसके बाद मिनिस्ट्री ऑफ ऑफिस के द्वारा आपके फॉर्म के सत्यापन के लिए कुछ समय लिया जाएगा। अंत में आपकी फर्म को मान्यता दे दी जाएगी और इसके लिये एक सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया जाएगा।
🎥 *पार्टनरशिप फर्म रजिस्टर कैसे करें* 🎥
🔅 अब यदि आप किसी के साथ मिलकर या कई व्यक्तियों के साथ मिलकर पार्टनरशिप में किसी फर्म को रजिस्टर करवाना चाहते हैं तो उसके लिए भी एक प्रक्रिया है जिसका पालन आपको करना पड़ेगा। हालाँकि इसके लिए भी संपूर्ण प्रक्रिया को मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट एसोसिएशन के अंतर्गत ही करना पड़ेगा लेकिन इसमें आपको कुछ अन्य चीजों के बारे में भी देखना होगा ताकि बाद में कोई समस्या ना हो।
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🪻 *फर्म और कंपनी के बीच अंतर* 🪻
🔅 "फर्म" और "कंपनी" दोनों ही एक बिजनेस ऑर्गनाइजेशन के लिए इस्तेमल होते हैं, लेकिन उनमें कुछ अंतर होते हैं।
🔅 "फर्म" का मतलब होता है एक पार्टनरशिप या प्रोप्राइटरशिप टाइप के बिजनेस ऑर्गनाइजेशन, जहां दो या काई पार्टनर होते हैं जिनमे से कोई एक या सभी पार्टनर्स बिजनेस के लिए जिम्मेदार होते हैं।
🔅 "कंपनी", इसका मतलब होता है एक निगमित या पंजीकृत संगठन, जिस्मे शेयरधारक निवेश करते हैं और उनका स्वामित्व होता है। कंपनी आमतौर पर पब्लिक या प्राइवेट होती है और उनका मैनेजमेंट सेपरेट बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के द्वार होता है।
🔅 संक्षेप में, "फर्म" एक छोटा और सरल प्रकार का व्यावसायिक संगठन होता है, जबकी "कंपनी" एक पंजीकृत, निगमित और जटिल प्रकार का व्यवसाय संगठन होता है।
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Forwarded from Current Affairs & Gk, पत्रिकाएं एवं Newspaper
📌 वैश्विक प्लास्टिक संधि पर वार्ता का चौथा सत्र 📌
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🔮 समुद्री पर्यावरण सहित प्लास्टिक प्रदूषण पर एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी उपकरण विकसित करने के लिए अंतर सरकारी वार्ता समिति (INC-4) का चौथा सत्र 23 से 29 अप्रैल, 2024 के मध्य कनाडा की राजधानी ओटावा में हुआ।
🔮 इसका उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण पर एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी उपकरण के विकास के लिए वार्ता को आगे बढ़ाना था, ताकि अंतर सरकारी वार्ता समिति द्वारा नवंबर 2024 में अपने 5वें सत्र (INC -5) में दस्तावेज को अंतिम रूप दिया जा सके।
🔮 संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) ने इसे समाप्त करने के लिये एक कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि को लागू करने हेतु एक ऐतिहासिक संकल्प ‘प्लास्टिक प्रदूषण समाप्ति: एक बाध्यकारी कानूनी साधन की ओर’ (End Plastic Pollution: Towards an International Legally Binding Instrument) को अपनाया है।
🔮 यह 1950 में केवल 2 मिलियन टन था, जो 2019 में बढ़कर 450 मिलियन टन से अधिक हो गया।
🔮 यदि इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया, तो वर्तमान दर पर, वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण 2040 तक 3 गुना हो सकता है।
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🔮 समुद्री पर्यावरण सहित प्लास्टिक प्रदूषण पर एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी उपकरण विकसित करने के लिए अंतर सरकारी वार्ता समिति (INC-4) का चौथा सत्र 23 से 29 अप्रैल, 2024 के मध्य कनाडा की राजधानी ओटावा में हुआ।
🔮 इसका उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण पर एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी उपकरण के विकास के लिए वार्ता को आगे बढ़ाना था, ताकि अंतर सरकारी वार्ता समिति द्वारा नवंबर 2024 में अपने 5वें सत्र (INC -5) में दस्तावेज को अंतिम रूप दिया जा सके।
🔮 संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) ने इसे समाप्त करने के लिये एक कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि को लागू करने हेतु एक ऐतिहासिक संकल्प ‘प्लास्टिक प्रदूषण समाप्ति: एक बाध्यकारी कानूनी साधन की ओर’ (End Plastic Pollution: Towards an International Legally Binding Instrument) को अपनाया है।
🔮 यह 1950 में केवल 2 मिलियन टन था, जो 2019 में बढ़कर 450 मिलियन टन से अधिक हो गया।
🔮 यदि इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया, तो वर्तमान दर पर, वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण 2040 तक 3 गुना हो सकता है।
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📌 भारत गणराज्य का विदेश मंत्रालय भारत के नागरिकों को पासपोर्ट जारी करने के लिए जिम्मेदार है। पासपोर्ट अधिनियम 1967 के अनुसार, यह इसे रखने वाले व्यक्ति को विदेश यात्रा करने की अनुमति देता है और इसे भारतीय नागरिकता के प्रमाण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। किसी भी देश में पासपोर्ट के प्रकार (Types of Passports in Hindi) जानना हर किसी के लिए जरूरी है और हर एक का अपना-अपना महत्व होता है। ये पासपोर्ट व्यक्तियों को उनके व्यवसाय के आधार पर जारी किए जाते हैं। आइए विभिन्न पासपोर्ट के प्रकारों (Types of Passports in Hindi) के बारे में और जानें।
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1⃣ नीले रंग के पासपोर्ट में क्या-क्या होता है-
🌀 आम भारतीय नागरिकों के लिए नीले रंग का पासपोर्ट जारी किया जाता है. आम भारतीयों को सरकारी अधिकारियों और राजनयिकों से अलग रखने के लिए भारत सरकार ने पासपोर्ट के रंगों में अंतर रखा है.
🌀 इससे कस्टम ऑफिसर्स और दूसरे देश में पासपोर्ट चेक करने वाले अधिकारियों को आसानी होती है.
🌀 इस पासपोर्ट में धारक का नाम, बर्थडेट, बर्थप्लेस लिखा होता है. इसके अलावा इसमें धारक की तस्वीर, हस्ताक्षर और उससे जुड़ी दूसरी जानकारियां होती हैं.
🌀 पासपोर्ट को आईडेंटिटी का सबसे पुख्ता दस्तावेज माना जाता है. पासपोर्ट जारी होने के बाद भारतीय नागरिक उस पर किसी भी देश का वीजा लगवाकर यात्रा कर सकता है.
2⃣ माइग्रेंट लेबरर के लिए नारंगी पासपोर्ट
🌀 भारत सरकार नारंगी रंग का पासपोर्ट उन भारतीय नागरिकों के लिए जारी करती है, जो सिर्फ 10वीं तक ही पढ़े हों.
🌀 ये पासपोर्ट ज्यादातर उन भारतीयों के लिए जारी किया जाता है, जो विदेश में माइग्रेंट लेबरर के तौर पर काम करने के लिए जाते हैं.
🌀 नारंगी पासपोर्ट धारक को दिशानिर्देश समझने के लिए किसी की मदद की दरकार होती है.
🌀 नारंगी पासपोर्ट पर भी धारक के बारे में फोटो समेत पूरी जानकारी दर्ज की जाती है.
3⃣ सरकारी अधिकारी को सफेद पासपोर्ट
🌀 सरकारी कामकाज से विदेश यात्रा करने वाले अधिकारियों के लिए सफेद पासपोर्ट जारी किया जाता है.
🌀 ये पासपोर्ट सरकारी अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करता है. कस्टम चेकिंग के समय उनके साथ सरकारी अधिकारियों के जैसा बर्ताव किया जाता है.
🌀 सफेद पासपोर्ट के के लिए आवेदक को अलग से एक ऐप्लीकेशन देनी पड़ती है. इसमें उसे बताना पड़ता है कि उसे इस पासपोर्ट की जरूरत क्यों है? सफेद पासपोर्ट रखने वालों को अलग से कई सुविधाएं मिलती हैं.
4⃣ मरून पासपोर्ट पर वीजा की जरूरत नहीं
🌀 इंडियन डिप्लोमैट्स और सीनियर गवर्नमेंट ऑफिशियल्स के लिए मरून पासपोर्ट जारी किया जाता है.
🌀 इस कैटेगरी में इंडियन डिप्लोमैट्स और आईपीएस व आईएएस रैंक के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हैं.
🌀 इस पासपोर्ट का धारक विदेश में भारत का प्रतिनिधित्व करता है. इसका रंग इसे अतिविशिष्ट बना देता है.
🌀 इस पासपोर्ट के धारक को विदेश में एम्बेसी से लेकर यात्रा के दौरान कई अतिरिक्त सुविधाएं दी जाती हैं.
🌀 सबसे खास बात है कि मरून पासपोर्ट के धारक को दूसरे देशों में जाने के लिए वीजा की जरूरत नहीं पड़ती है. यही नहीं, इमिग्रेशन भी सामान्य लोगों की तुलना में तेजी और आसानी से होता है.
🌀 विदेश में इस पासपोर्ट के धारक के खिलाफ केस दर्ज करना भी आसान नहीं होता है.
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1⃣ नीले रंग के पासपोर्ट में क्या-क्या होता है-
🌀 आम भारतीय नागरिकों के लिए नीले रंग का पासपोर्ट जारी किया जाता है. आम भारतीयों को सरकारी अधिकारियों और राजनयिकों से अलग रखने के लिए भारत सरकार ने पासपोर्ट के रंगों में अंतर रखा है.
🌀 इससे कस्टम ऑफिसर्स और दूसरे देश में पासपोर्ट चेक करने वाले अधिकारियों को आसानी होती है.
🌀 इस पासपोर्ट में धारक का नाम, बर्थडेट, बर्थप्लेस लिखा होता है. इसके अलावा इसमें धारक की तस्वीर, हस्ताक्षर और उससे जुड़ी दूसरी जानकारियां होती हैं.
🌀 पासपोर्ट को आईडेंटिटी का सबसे पुख्ता दस्तावेज माना जाता है. पासपोर्ट जारी होने के बाद भारतीय नागरिक उस पर किसी भी देश का वीजा लगवाकर यात्रा कर सकता है.
2⃣ माइग्रेंट लेबरर के लिए नारंगी पासपोर्ट
🌀 भारत सरकार नारंगी रंग का पासपोर्ट उन भारतीय नागरिकों के लिए जारी करती है, जो सिर्फ 10वीं तक ही पढ़े हों.
🌀 ये पासपोर्ट ज्यादातर उन भारतीयों के लिए जारी किया जाता है, जो विदेश में माइग्रेंट लेबरर के तौर पर काम करने के लिए जाते हैं.
🌀 नारंगी पासपोर्ट धारक को दिशानिर्देश समझने के लिए किसी की मदद की दरकार होती है.
🌀 नारंगी पासपोर्ट पर भी धारक के बारे में फोटो समेत पूरी जानकारी दर्ज की जाती है.
3⃣ सरकारी अधिकारी को सफेद पासपोर्ट
🌀 सरकारी कामकाज से विदेश यात्रा करने वाले अधिकारियों के लिए सफेद पासपोर्ट जारी किया जाता है.
🌀 ये पासपोर्ट सरकारी अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करता है. कस्टम चेकिंग के समय उनके साथ सरकारी अधिकारियों के जैसा बर्ताव किया जाता है.
🌀 सफेद पासपोर्ट के के लिए आवेदक को अलग से एक ऐप्लीकेशन देनी पड़ती है. इसमें उसे बताना पड़ता है कि उसे इस पासपोर्ट की जरूरत क्यों है? सफेद पासपोर्ट रखने वालों को अलग से कई सुविधाएं मिलती हैं.
4⃣ मरून पासपोर्ट पर वीजा की जरूरत नहीं
🌀 इंडियन डिप्लोमैट्स और सीनियर गवर्नमेंट ऑफिशियल्स के लिए मरून पासपोर्ट जारी किया जाता है.
🌀 इस कैटेगरी में इंडियन डिप्लोमैट्स और आईपीएस व आईएएस रैंक के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हैं.
🌀 इस पासपोर्ट का धारक विदेश में भारत का प्रतिनिधित्व करता है. इसका रंग इसे अतिविशिष्ट बना देता है.
🌀 इस पासपोर्ट के धारक को विदेश में एम्बेसी से लेकर यात्रा के दौरान कई अतिरिक्त सुविधाएं दी जाती हैं.
🌀 सबसे खास बात है कि मरून पासपोर्ट के धारक को दूसरे देशों में जाने के लिए वीजा की जरूरत नहीं पड़ती है. यही नहीं, इमिग्रेशन भी सामान्य लोगों की तुलना में तेजी और आसानी से होता है.
🌀 विदेश में इस पासपोर्ट के धारक के खिलाफ केस दर्ज करना भी आसान नहीं होता है.
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🍃 सूखे और भीषण गर्मी के कारण लक्ष्मण तीर्थ नदी सूख गई 🍃
🌒 कर्नाटक के कोडागु जिले में स्थित लक्ष्मण तीर्थ नदी अपनी सुरम्य पहाड़ियों, घने जंगलों और क्रिस्टल-स्पष्ट नदियों के लिए प्रसिद्ध है। हालाँकि, चल रहे गंभीर सूखे की स्थिति और भीषण गर्मी के कारण, नदी को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
🌘 जिले में एक अन्य महत्वपूर्ण जल स्रोत, कावेरी नदी का भी प्रवाह कम हो गया है, और परिणामस्वरूप, लक्ष्मण तीर्थ नदी पूरी तरह से सूख गई है।
🍃 लक्ष्मण तीर्थ नदी 🍃
🌈 लक्ष्मण तीर्थ नदी पोन्नमपेट तालुक के कुट्टा में घने जंगलों से निकलती है और मैसूर में पियापटना और हुनसूर के माध्यम से कावेरी नदी में विलय होने से पहले लगभग 180 किमी तक फैली हुई है।
🌈 यह नदी दक्षिण कोडागु के समुदायों के लिए ऐतिहासिक रूप से जीवनधारा रही है, जो पूरे वर्ष लगातार बहती रहती है। हालाँकि, इस साल, अप्रैल की शुरुआत में, नदी सूख गई है, जिससे पानी का कोई निशान नहीं बचा है।
🎋 सूखने का कारण 🎋
🌺 वर्षा की कमी के कारण लक्ष्मण तीर्थ सूख गया है। इसका कारण पिछले वर्ष कोडागु में 40% कम वर्षा के कारण उत्पन्न चरम मौसम की स्थिति को माना जा सकता है।
🌺 पर्याप्त वर्षा की कमी के कारण पूरे जिले में भूजल स्तर में गिरावट के कारण फरवरी की शुरुआत में ही पहाड़ियों में छोटी नदियाँ सूख गईं।
🌺 इसके परिणामस्वरूप, नदियों में प्रवाह में कमी आई है, जिसके परिणामस्वरूप लक्ष्मण तीर्थ और कावेरी दोनों नदियाँ पूरी तरह से सूख गई हैं।
🪻 प्रभाव 🪻
🌑 दक्षिण कोडागु में किसान विकट स्थिति के कारण अपनी फसलों की सिंचाई करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे अपने कॉफी बागानों के लिए नदी पर निर्भर हैं, लेकिन पानी की कमी ने इसे मुश्किल बना दिया है।
🌑 निवासियों और उनके मवेशियों को पीने के पानी की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। जैसे ही हम अप्रैल के दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर रहे हैं, जिले में नदियों के सूखने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे जल संकट और गहरा रहा है।
🌑 जनवरी के बाद से नियमित वर्षा की अनुपस्थिति के कारण स्थिति और खराब हो गई है, जिससे इन महत्वपूर्ण जल स्रोतों को फिर से भरने के लिए बारिश होना अतिआवश्यक हो गया है। लेकिन तत्काल बारिश होने के कोई संकेत नहीं होने के कारण, कोडागु-मैसूर क्षेत्र के निवासी समुदाय अपनी भविष्य की जल आपूर्ति को लेकर काफी चिंतित हैं।
🌳 कावेरी नदी 🌳
🌼 उद्गम: कर्नाटक के कूर्ग जिले में पश्चिमी घाट में ब्रह्मगिरि श्रेणी की पहाड़ियों में तालाकावेरी
🌼 बेसिन: तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी
🌼 सहायक नदियाँ: बाईं ओर से हरंगी, हेमावती, शिम्शा और अर्कावती हैं जबकि दाईं ओर से लक्ष्मणतीर्थ, कब्बानी, सुवर्णावती, भवानी, नोयिल और अमरावती मिलती हैं।
🌼 अपवाह: बंगाल की खाड़ी में
🌒 कर्नाटक के कोडागु जिले में स्थित लक्ष्मण तीर्थ नदी अपनी सुरम्य पहाड़ियों, घने जंगलों और क्रिस्टल-स्पष्ट नदियों के लिए प्रसिद्ध है। हालाँकि, चल रहे गंभीर सूखे की स्थिति और भीषण गर्मी के कारण, नदी को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
🌘 जिले में एक अन्य महत्वपूर्ण जल स्रोत, कावेरी नदी का भी प्रवाह कम हो गया है, और परिणामस्वरूप, लक्ष्मण तीर्थ नदी पूरी तरह से सूख गई है।
🍃 लक्ष्मण तीर्थ नदी 🍃
🌈 लक्ष्मण तीर्थ नदी पोन्नमपेट तालुक के कुट्टा में घने जंगलों से निकलती है और मैसूर में पियापटना और हुनसूर के माध्यम से कावेरी नदी में विलय होने से पहले लगभग 180 किमी तक फैली हुई है।
🌈 यह नदी दक्षिण कोडागु के समुदायों के लिए ऐतिहासिक रूप से जीवनधारा रही है, जो पूरे वर्ष लगातार बहती रहती है। हालाँकि, इस साल, अप्रैल की शुरुआत में, नदी सूख गई है, जिससे पानी का कोई निशान नहीं बचा है।
🎋 सूखने का कारण 🎋
🌺 वर्षा की कमी के कारण लक्ष्मण तीर्थ सूख गया है। इसका कारण पिछले वर्ष कोडागु में 40% कम वर्षा के कारण उत्पन्न चरम मौसम की स्थिति को माना जा सकता है।
🌺 पर्याप्त वर्षा की कमी के कारण पूरे जिले में भूजल स्तर में गिरावट के कारण फरवरी की शुरुआत में ही पहाड़ियों में छोटी नदियाँ सूख गईं।
🌺 इसके परिणामस्वरूप, नदियों में प्रवाह में कमी आई है, जिसके परिणामस्वरूप लक्ष्मण तीर्थ और कावेरी दोनों नदियाँ पूरी तरह से सूख गई हैं।
🪻 प्रभाव 🪻
🌑 दक्षिण कोडागु में किसान विकट स्थिति के कारण अपनी फसलों की सिंचाई करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे अपने कॉफी बागानों के लिए नदी पर निर्भर हैं, लेकिन पानी की कमी ने इसे मुश्किल बना दिया है।
🌑 निवासियों और उनके मवेशियों को पीने के पानी की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। जैसे ही हम अप्रैल के दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर रहे हैं, जिले में नदियों के सूखने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे जल संकट और गहरा रहा है।
🌑 जनवरी के बाद से नियमित वर्षा की अनुपस्थिति के कारण स्थिति और खराब हो गई है, जिससे इन महत्वपूर्ण जल स्रोतों को फिर से भरने के लिए बारिश होना अतिआवश्यक हो गया है। लेकिन तत्काल बारिश होने के कोई संकेत नहीं होने के कारण, कोडागु-मैसूर क्षेत्र के निवासी समुदाय अपनी भविष्य की जल आपूर्ति को लेकर काफी चिंतित हैं।
🌳 कावेरी नदी 🌳
🌼 उद्गम: कर्नाटक के कूर्ग जिले में पश्चिमी घाट में ब्रह्मगिरि श्रेणी की पहाड़ियों में तालाकावेरी
🌼 बेसिन: तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी
🌼 सहायक नदियाँ: बाईं ओर से हरंगी, हेमावती, शिम्शा और अर्कावती हैं जबकि दाईं ओर से लक्ष्मणतीर्थ, कब्बानी, सुवर्णावती, भवानी, नोयिल और अमरावती मिलती हैं।
🌼 अपवाह: बंगाल की खाड़ी में
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