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17th Oct, 2022
7 PM
"Soul Journey: From an IIT to the Ashram"
An article on Acharya Prashant published in The New Indian Express.

To read the complete article: https://epaper.newindianexpress.com/m5/2231878/EDEX/08-07-2019#dual/3/1
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तैमूर और नादिरशाह पर गर्व है तुम्हें?
श्रीकृष्ण और श्रीराम का संगम (भाग-२)

किसी भी हालत में इसके आनंद से वंचित ना रह जाएँ। श्रीराम से सीखें: https://acharyaprashant.org/en/courses/campaign/cc-aswedf?cmId=0006

कुछ दिनों पहले आचार्य जी ने 'योगवासिष्ठ' से कुछ सूत्र हमें पढ़कर सुनाए थे, उन्हीं सूत्रों की एक माला हमने कल आपको भेजी थी, और जैसा हमने वादा किया था, उससे आगे सूत्र हम आपके लिए अभी लाए हैं:

🔥 प्रारब्ध (पिछले कर्म) और पुरुषार्थ दो भेड़ों की तरह आपस में लड़ते हैं। उनमें से *जो शक्तिशाली होगा वही जीतेगा*।

🔥 जैसे युवक द्वारा बालक जीत लिया जाता है, उसी प्रकार वर्तमान के सद्प्रयास पिछले कर्मों को जीत जाते हैं। जैसे किसानों द्वारा सालभर कमाई गई खेती को बदल एक दिन में समाप्त कर डालता है, यह बादलों का पौरुष है, उसी प्रकार अधिक प्रयत्न करने वाला ही जीतता है।

🔥 संतों की संगति का फल है उनके जैसे स्वभाव की प्राप्ति, और शास्त्रों के अभ्यास का फल है उनके अर्थ का ज्ञान, बुद्धि से शास्त्र-अभ्यास के सही गुण प्राप्त होते हैं तथा शास्त्र-अभ्यास से बुद्धि भी कुशाग्र होती है।

🔥 जिसके लिए मनुष्य सर्वाधिक प्रयास करता है, उसी में वह विजयी होता है। अतः व्यक्ति को पुरुषार्थ का आश्रय लेकर शास्त्रों के अभ्यास एवं सही संगति से बुद्धि को पावन बनाकर जगतरुपी समुद्र से अपना उद्धार करना चाहिए।

🔥 जिन कर्मों से आनंद की प्राप्ति और दुःख का निवारण होता है, उन कार्यों में यत्नपूर्वक सदा लगे रहने को विद्वान 'परम पुरुषार्थ' कहते हैं।

ऐसे ही सैकड़ों जीवनदायी सूत्र हैं योगवासिष्ठ में।

तो यदि आप भी ऐसे ही वेदांत के सूत्रों को आचार्य जी से आसान भाषा में समझना चाहते हैं तो 'योगवासिष्ठ' शृंखला आपके लिए ही है। किसी भी हालत में इसके आनंद से वंचित ना रह जाएँ: https://acharyaprashant.org/en/courses/campaign/cc-aswedf?cmId=0006

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वेदांत महोत्सव
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जब श्रीराम ने कहा “मैं वेदांत में वास करता हूँ”

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भारत का वेदांत से गहरा संबंध है ये तो हम सब जानते हैं, लेकिन वेदांत की एक कड़ी श्रीराम से भी जुड़ी है, आज आपको उसके विषय में बताते हैं।

क्या आप जानते हैं श्रीराम ने वेदांत के बारे में क्या कहा है?

नहीं जानते? तो बात शुरू होती है ‘मुक्तिका उपनिषद’ से। यह वो उपनिषद है जहाँ स्वयं श्रीराम ने हनुमानजी के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उपनिषदों को मुक्ति का द्वार बताया है और फिर उन्हें अध्ययन के लिए 108 उपनिषदों की एक पूरी सूची दी है।

इतना ही नहीं, जब हनुमान श्रीराम से पूछते हैं:

“हे राम! आप कृपा करके मुझे अपना मुक्ति देने वाला स्वरूप बताएँ जिससे मैं संसार के बंधन से मुक्त हो सकूँ”

तो श्रीराम कहते हैं:

साधु पृष्टं महाबाहो वदामि शृणु तत्त्वतः।
वेदान्ते सुप्रतिष्ठोऽहं वेदान्तं समुपाश्रय॥1.7॥

“हे महाबाहु हनुमान! तुम्हारा प्रश्न बहुत सुन्दर है। सुनो, मैं यथार्थ बात कहता हूँ। मैं वेदांत में वास करता हूँ। वहीं मेरा सच्चा स्वरूप भली प्रकार वर्णित है, इसलिए हे साधु! तुम वेदांत का आश्रय ग्रहण करो।”

भारत की सनातन परंपरा वेदों से आती है और वेदों का शिखर वेदांत को कहा जाता है, और इससे सुंदर बात और क्या होगी कि स्वयं श्रीराम ने खुद को वेदांत में अवस्थित बताया है।

हमने अक्सर यही सुना है कि रामजी ने भक्तों का बेड़ा पार लगाया है। लेकिन इसकी कम ही चर्चा होती है कि कैसे उन्होंने हम सभी को वेदांत का मार्ग दिखाया है।

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वेदांत महोत्सव
दिल्ली NCR
28 से 30 अक्टूबर,'22
जब श्रीराम ने दी भाई लक्ष्मण को सीख

कल हमने आपको श्रीराम और श्रीहनुमान के बीच हुए एक अद्भुत संवाद के बारे में बताया था।

इसी शृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज हम आपके लिए लाए हैं श्रीराम और भाई लक्ष्मण के बीच हुए संवाद को, जिसे *रामगीता* कहते हैं। ये संवाद अध्यात्म रामायण के उत्तरकांड में हमें मिलता है।

जब अर्जुन की तरह लक्ष्मण श्रीराम के सामने अपनी जिज्ञासा रखते हैं तो फिर श्रीराम उन्हें जो उपदेश देते हैं वे इस गीता में संकलित है।

इस ग्रंथ में मात्र 60 श्लोक हैं और आचार्य जी ने इसके कुछ विशेष श्लोकों पर चर्चा कर ग्रंथ को पढ़ने व आत्मसात करने का मार्ग दिया है।

आज के दिन को और शुभ बनाना चाहते हैं?

तो रामगीता के साथ समय बिताएँ: https://acharyaprashant.org/en/courses/course/ramgita

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मुंबई के सेंट ज़ेवियर कॉलेज में आचार्य प्रशांत