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*⚘JumuaH MuBaRak Special Status⚘*
⚘ ⏰ 00: 29 MinuᏆe's ⏰ ⚘
*⚘ ᴛᴀʟɪʙ ᴇ ᴅᴜ'ᴀᴀ 🤲🏻 ᴀᴅᴍɪɴ ᴛᴇᴀᴍ ⚘*
🌹⌨⚪⌨ 🔮 ⌨⚪⌨🌹
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🌴 •┄┅┅┅┅┅❂ ❀ ﷽ ❀ ❂┅┅┅┅┅┈•🌴
اَلصَّلوٰةُ وَالسَّلَامُ عَلَیۡكَ يَـــــــــــــــــــــــــــارَسُوۡلَ اللّٰهِ ﷺ
*🌹✨ सीरते मुस्तफा صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم*
❘༻ *पोस्ट नम्बर :- 311* ༺❘
*❝ गज़्वए तबूक #04 ❞*
••─────────•◦❈◦•─────────••
࿐ *तबूक को रवानगी :-* बहर हाल हुज़ूर ﷺ तीस हज़ार का लश्कर साथ ले कर तबूक के लिये रवाना हुए और मदीने का नज़्मो नस्क चलाने के लिये हज़रते अली को अपना ख़लीफ़ा बनाया। जब हज़रते अली ने निहायत ही हसरत व अफ्सोस के साथ अर्ज़ किया कि या रसूलल्लाह ﷺ क्या आप मुझे औरतों और बच्चों में छोड़ कर खुद जिहाद के लिये तशरीफ़ लिये जा रहे हैं तो इर्शाद फ़रमाया कि "क्या तुम इस पर राजी नहीं हो कि तुम को मुझ से वोह निस्बत है जो हज़रते हारून को हज़रते मूसा के साथ थी मगर येह कि मेरे बाद कोई नबी नहीं है।" यानी जिस तरह हज़रते मूसा कोहे तूर पर जाते वक्त हज़रते हारून को अपनी उम्मत बनी इस्राईल की देखभाल के लिये अपना ख़लीफ़ा बना कर गए थे इसी तरह मैं तुम को अपनी उम्मत सोंप कर जिहाद के लिये जा रहा हूं।
࿐ मदीने से चल कर मकामे “षनिय्यतिल वदाअ" में आप ﷺ ने क़ियाम फ़रमाया। फिर फ़ौज का जाएजा लिया और फ़ौज का मुक़द्दमा, मै-मना, मै-सरा वगैरा मुरत्तब फ़रमाया। फिर वहां से कूच किया। मुनाफ़िक़ीन किस्म किस्म के झूटे उज़्र और बहाने बना कर रह गए और मुख़्लिस मुसलमानों में से भी चन्द हज़रात रह गए उन में येह हज़रात थे : का'ब बिन मालिक, हिलाल बिन उमय्या, मुरारह बिन रबीअ, अबू खैषमा, अबू जर गिफारी। इन में से अबू खैषमा और अबू जर गिफारी तो बाद में जा कर शरीके जिहाद हो गए लेकिन तीन अव्वलुज्जिक्र नहीं गए।
࿐ हज़रते अबू जर गिफ़ारी के पीछे रह जाने का सबब येह हुवा कि उन का ऊंट बहुत ही कमज़ोर और थका हुवा था। इन्हों ने उस को चन्द दिन चारा खिलाया ताकि वोह चंगा हो जाए। जब रवाना हुए तो वोह फिर रास्ते में थक गया। मजबूरन वोह अपना सामान अपनी पीठ पर लाद कर चल पड़े और इस्लामी लश्कर में शामिल हो गए। हज़रते अबू खैषमा जाने का इरादा नहीं रखते थे मगर वोह एक दिन शदीद गर्मी में कहीं बाहर से आए तो उन की बीवी ने छप्पर में छिड़काव कर रखा था। थोड़ी देर उस सायादार और ठन्डी जगह में बैठे फिर ना गहां उन के दिल में हुज़ूर ﷺ का ख्याल आ गया। अपनी बीवी से कहा कि येह कहां का इन्साफ़ है कि मैं तो अपनी छप्पर में ठन्डक और साए में आराम व चैन से बैठा रहूं और खुदा के मुक़द्दस रसूल इस धूप की तमाज़त और शदीद लू के थपेड़ों में सफ़र करते हुए जिहाद के लिये तशरीफ़ ले जा रहे हों एक दम उन पर ऐसी ईमानी गैरत सुवार हो गई कि तोशे के लिये खजूर ले कर एक ऊंट पर सुवार हो गए और तेज़ी के साथ सफ़र करते हुए रवाना हो गए। लश्कर वालों ने दूर से एक शुतर सुवार को देखा तो हुजूर ﷺ ने फ़रमाया कि अबू खैषमा होंगे इस तरह येह भी लश्करे इस्लाम में पहुंच गए।
࿐ रास्ते में क़ौमे आद व षमूद की वोह बस्तियां मिलीं जो कहरे इलाही के अज़ाबों से उलट पलट कर दी गई थीं। आप ﷺ ने हुक्म दिया कि येह वोह जगहें हैं जहां खुदा का अज़ाब नाज़िल हो चुका है इस लिये कोई शख़्स यहां क़ियाम न करे बल्कि निहायत तेज़ी के साथ सब लोग यहां से सफ़र कर के इन अज़ाब की वादियों से जल्द बाहर निकल जाएं और कोई यहां का पानी न पिये और न किसी काम में लाए। इस ग़ज्वे में पानी की किल्लत, शदीद गर्मी, सुवारियों की कमी से मुजाहिदीन ने बेहद तक्लीफ़ उठाई मगर मन्ज़िले मक्सूद पर पहुंच कर ही दम लिया।
*📬 क़िताब :- सीरते मुस्तफा ﷺ सफ़ह- 492 📚*
*📮NexT ◍* आगे इन्शाअल्लाह तआला जारी रहेगा.!
𝖏𝖔𝖎𝖓 𝕲𝖗𝖔𝖚𝖕🪀https://wa.me/917566980838
*☝🏻 हमारी दावत सच्चे दीन की तरफ.. { इस्लाम }*
*📝 आओ इ़ल्म -ए- दीन सीखें और सिखाए.!✍🏻*
✜─━━━━━━━ ▣▣ 🥏 ▣▣ ━━━━━━━─✜
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࿐ हज़रते अबू जर गिफ़ारी के पीछे रह जाने का सबब येह हुवा कि उन का ऊंट बहुत ही कमज़ोर और थका हुवा था। इन्हों ने उस को चन्द दिन चारा खिलाया ताकि वोह चंगा हो जाए। जब रवाना हुए तो वोह फिर रास्ते में थक गया। मजबूरन वोह अपना सामान अपनी पीठ पर लाद कर चल पड़े और इस्लामी लश्कर में शामिल हो गए। हज़रते अबू खैषमा जाने का इरादा नहीं रखते थे मगर वोह एक दिन शदीद गर्मी में कहीं बाहर से आए तो उन की बीवी ने छप्पर में छिड़काव कर रखा था। थोड़ी देर उस सायादार और ठन्डी जगह में बैठे फिर ना गहां उन के दिल में हुज़ूर ﷺ का ख्याल आ गया। अपनी बीवी से कहा कि येह कहां का इन्साफ़ है कि मैं तो अपनी छप्पर में ठन्डक और साए में आराम व चैन से बैठा रहूं और खुदा के मुक़द्दस रसूल इस धूप की तमाज़त और शदीद लू के थपेड़ों में सफ़र करते हुए जिहाद के लिये तशरीफ़ ले जा रहे हों एक दम उन पर ऐसी ईमानी गैरत सुवार हो गई कि तोशे के लिये खजूर ले कर एक ऊंट पर सुवार हो गए और तेज़ी के साथ सफ़र करते हुए रवाना हो गए। लश्कर वालों ने दूर से एक शुतर सुवार को देखा तो हुजूर ﷺ ने फ़रमाया कि अबू खैषमा होंगे इस तरह येह भी लश्करे इस्लाम में पहुंच गए।
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☟ की जानिब से पेश के नजर ☟
पोस्ट ► 🕋 ﷽ 🕋 6️⃣8️⃣⭕
*• इस्लाम पर किए गए एतराज के जवाब •*
l|l•••••• l|l•••••• l|l•••••• l|l•••••• l|l•••••• l|l
❐ सवाल ❐ ➻ दुनिया में जिन क़ौमों पर अ़ज़ाब आया उस अ़ज़ाब में छोटे, बच्चे जानवर भी हलाक़ कर दिये गये, उन्होंने क्या क़सूर किया था ? उनको बग़ैर जुर्म हलाक़ करना ज़ुल्म है हालांकि क़ुरआन में है बेशक अल्लाह तआ़ला अपने बंदों पर ज़र्रा भर ज़ुल्म नहीं करता (आरिया).!?
❐ जवाब ❐ ➻ दुन्यावी अ़ज़ाब कुफ़्फ़ार के लिये अ़ज़ाब होते हैं, और बे क़सूर इंसानों के लिये रहमते इलाही का ज़रीया इसके एवज़ उन्हें आख़िरत में अच्छे बदले दिये जायेंगे, रहे जानवर, तो उनका वजूद इंसानों के लिये था, जब इंसान ही न रहे तो इन सामानों की क्या ज़रूरत थी इसलिये वह ख़त्म कर दिये जाते हैं, लिहाज़ा यह हलाक़त उनके लिये अज़ाब नहीं.!
*⊆ ↬ बा - हवाला ↫ ⊇*
📬 किताब :- हम से पूछिए सफ़ा 131📗
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*🤲🏻 अपनी नेक दुआओं में याद रखें..✍🏻*
❏ ❐ ❑ ❒ ❏ ❐ ❏ ❐ ❑ ❒ ❏ ❐ ❑ ❒
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❐ सवाल ❐ ➻ दुनिया में जिन क़ौमों पर अ़ज़ाब आया उस अ़ज़ाब में छोटे, बच्चे जानवर भी हलाक़ कर दिये गये, उन्होंने क्या क़सूर किया था ? उनको बग़ैर जुर्म हलाक़ करना ज़ुल्म है हालांकि क़ुरआन में है बेशक अल्लाह तआ़ला अपने बंदों पर ज़र्रा भर ज़ुल्म नहीं करता (आरिया).!?
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🌹✍🏻 Aaj ka Paigam ✍🏻🌹
*🌹Aao Quraan e Paak ke Noor se Apne DiL ko Roshan karen..✨♥*
Topic : • *"Dars - 690 // SuraH Tauba" 👌🏻🌹*
By : • 🎙️ Mufti Asif AbdullaH Qadri SaHaB
👨💻 Is paigam ko kHud Bhi Sune Or Apne Family's And Friend's ko Share karke Apne Liye Sadka e Jaariya Bnaye.
📡 https://t.me/Pyara_islam_786
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❘༻ *मुह़ासबा ए दींन* ༺❘
*आज की तफसील मालूमात नंबर ✧ 8️⃣6️⃣*
*हम आपसे यह बहुत उम्मीद रखते है कि तफसील को मुकम्मल पढ़ेंगे और ज़रूरत पर हमसे किताब (Reference) भी मांग सकते हैं!*
*सवाल :-* क्या मुसलमान गैर मुस्लिम को किसी भी कारोबार में अपना पाटनर बना सकता है.!?
*जवाब : -* कारोबार में गैर मुस्लिम को पाटनर बनाना इस शर्त पर जाइज़ है कि उस से दीन में कोई ज़रर न हो वरना हराम है
लेकिन मुआमला करना खरीदो फरोख्त के लिए या पड़ोस की वजह से या हमराही के सबब से, इस तौर पर कि उस से दीन में ज़रर (नुक़्सान) न हो हराम नहीं, इस क़िस्म के मुआमलात में मुसलमानों को कुफ्फार के साथ महल व मौक़ा पर हसब हाजत मकारिम अख्लाक़ का बर्ताव भी जाइज़ है ताकि वह भी अहले इस्लाम के साथ वैसा ही बर्ताव करें
*अल इंतिबाह :-* इस फतवे में कुफ्फार से मुराद अहले कुफ्र व शिर्क गैर मुसल्लिमीन हैं मुनाफिक़ीन व मुर्तदीन ज़माना वहाबी देवबंदी राफ्ज़ी वगैरा नहीं ! क्योंकि इनसे सलाम कलाम बाहमी खुर्द व नूश और मुआमलादारी भी मवालाते क़ल्बी यानी दिली दोस्ती की तरह हराम है, सिर्फ शरअन मजबूरी और इज़्तियार में ही उन से मुआमलादारी दुरुस्त होगी !
*📚 फतावा फखरे अज़हर जिल्द दो सफा 473+474*
ज़ारी रहेगा..! *✍🏻 मुहासबा ए दींन•* اِنْ شَآءَ اللہ
•------------------------------------------------------------•
🔮 𝑆𝑢𝑙𝑡𝑎𝑛 𝑒 𝐻𝑖𝑛𝑑 𝑔𝑟𝑜𝑢𝑝 ☏ 𝟩𝟧𝟨𝟨𝟫𝟪𝟢𝟪𝟥𝟪
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*सवाल :-* क्या मुसलमान गैर मुस्लिम को किसी भी कारोबार में अपना पाटनर बना सकता है.!?
*जवाब : -* कारोबार में गैर मुस्लिम को पाटनर बनाना इस शर्त पर जाइज़ है कि उस से दीन में कोई ज़रर न हो वरना हराम है
लेकिन मुआमला करना खरीदो फरोख्त के लिए या पड़ोस की वजह से या हमराही के सबब से, इस तौर पर कि उस से दीन में ज़रर (नुक़्सान) न हो हराम नहीं, इस क़िस्म के मुआमलात में मुसलमानों को कुफ्फार के साथ महल व मौक़ा पर हसब हाजत मकारिम अख्लाक़ का बर्ताव भी जाइज़ है ताकि वह भी अहले इस्लाम के साथ वैसा ही बर्ताव करें
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🗒️ *तारीख़* 04 - 08 - 2023 *दिन* जुमुआ
❥═❥ ❥⚘ ≼ *इल्म ए दीन* ≽ ⚘❥ ❥═❥
*🇮🇳 👑 सुल्तान // ए // हिन्द 👑 🇮🇳*
🕋💎🕋💎🕋💎🕋💎🕋💎🕋
🌹 *_ﺃﻋﻮﺫ ﺑﺎﻟﻠﻪ ﻣﻦ ﺍﻟﺸﻴﻄﺎﻥ ﺍﻟﺮﺟﻴﻢ_* 🌹
*_🌹 بسم الله الرحمن الرحيم_*🌹
*_🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله_*
*_صلی اللہ تعالی علیہ والہ وسلم_*🌹
🕋💎🕋💎🕋💎🕋💎🕋💎🕋
*☜◆█ 🔘 आज का सवाल 🔘 █◆☞*
*🔐⏱ हज़रते सईद बिन मुसय्यिब की मुर्सल रिवायत में है कि बीमार पुर्सी का अफ़ज़ल तरीका येही है कि...❓*
🕳 आपके ऑप्शन्स 🕳
📁Ⓐ📁 ➪ मरीज़ के लिए दुआ की जाएं
📁Ⓑ📁 ➪ मरीज़ को उमर दराज़ की तसल्ली दिलाएं
📁Ⓒ📁 ➪ बहुत जल्द मरीज़ के पास से उठ जाएं
📁Ⓓ📁 ➪ उसके इलाज़ के लिए कुछ पैसे दे दिये जाएं
*📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह तआला इल्म हासिल करेंगें!*
*⚠ 🄽🄾🅃🄴 ∵ ⤵*
🌍🔛🌍 *सभी मेम्बर्स जवाब देने की पूरी कोशिश करें सवाल जवाब में हिस्सा लेना ज़रूरी हैं ऑनलाइन रहकर जवाब न देने वाले मेम्बर्स को ग्रुप से बाहर कर दिया जाएगा सही जवाब 9:00 🅿〽 पर भेजा जायेगा तब तक का इंतजार करें!...✍🏻*
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💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ हज़रते जाबिर रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है इन्हों ने कहा कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया है कि जो शख़्स किसी मरीज़ की बीमार पुर्सी करता है तो वोह बराबर लगातार रेहमत में दाखिल होता रहता है यहां तक कि बैठ जाए और जब बैठ जाता है तो वोह रेहमत में डूब जाता है। इस हदीस को इमाम मालिक और इमाम अहमद ने रिवायत किया है।
📙 मिश्कात , जि. 1 स. 138
➦ हज़रते अबू हुरैरा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है इन्हों ने कहा कि रसूलुल्लाह ﷺ ने एक मरीज़ की बीमार पुर्सी फ़रमाई तो इरशाद फरमाया कि तुम खुश खबरी हासिल करो इस लिए कि अल्लाह तआला फ़रमाता है कि येह बुखार मेरी आग है मैं इस को बन्दए मोमिन पर दुन्या में मुसल्लत कर देता हूं ताकि कियामत के दिन येह जहन्नम से इस का हिस्सा हो जाए। इस हदीस को इमाम अहमद व इब्ने माजा ने व बैहक़ी ने शुअबुल ईमान में रिवायत किया है।
📙 मिश्कात , जि. 1 स. 138
➦ हज़रते उमर बिन ख़त्ताब रादिअल्लाहु तआला से रिवायत है इन्हों ने कहा कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया है कि जब तुम किसी मरीज़ के पास दाखिल हो तो उस से कहो कि वोह तुम्हारे लिए दुआ करे मिस्ल है। इस हदीस को क्यूंकि उस की दुआ फ़रिश्तों की दुआ के इब्ने माजा ने रिवायत किया है।
📙 मिश्कात, जि. 1 स. 138
➦ हज़रते इब्ने अब्बास रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है इन्हों ने फ़रमाया कि बीमार पुर्सी में मरीज के पास थोड़ी देर बैठना और शोर कम करना येह सुन्नत है। इस हदीस को रज़ीन ने रिवायत किया है।
📙 मिश्कात, जि. 1 स. 138
➦ हज़रते अनस रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है इन्हों ने कहा कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया है कि बीमार पुर्सी ऊंटनी दोहने के वक़्त की मिक्दार बराबर है और हज़रते सईद बिन मुसय्यिब की मुर्सल रिवायत में है कि बीमार पुर्सी का अफ़ज़ल तरीका येही है कि बहुत जल्द मरीज़ के पास से उठ जाएं। इस हदीस को इमाम बैहक़ी ने शुअबुल ईमान में रिवायत किया है।
📙मिश्कात, जि. 1 स. 138
*📬 बिहिश्त की कुन्जियां सफ़ह 178 - 179 📚*
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اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنْ عَذَابِ الْقَبْرِ، وَمِنْ عَذَابِ جَهَنَّمَ ، وَمِنْ فِتْنَةِ الْمَحْيَا وَالْمَمَاتِ، وَمِنْ فِتْنَةِ الْمَسِيحِ الدَّجَّالِ
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*📬 सुनन इब्न माजा जिल्द 1, 909 - सहीह*
⚘🤲 हम यहां जो कुछ भी सीख रहे हैं अल्लाह तआला सबसे पहले मुझे और तमाम तालिब ए इल्म को उस पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए
⚘💦 آمیــــن یارب العـالمیـــن 💦⚘
📃 ❈➧ सवाल जवाब का ये दिलचस्प सिलसिला आगे भी कंटीन्यू जारी रहेगा। इंशाअल्लाह फिर पेश ए खिदमत होंगे एक और सवाल के साथ तब तक आप आज के जवाब पर अमल करें औऱ इस पैगाम को , ज्यादा से ज्यादा आम ( शेयर ) करे..✍
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*_🌹الصــلوة والسلام عليك يارسول الله_*
*_صلی اللہ تعالی علیہ والہ وسلم_*🌹
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*☜◆█ 🔘 आज का जवाब 🔘█◆☞*
*🏐 © 🏐 बहुत जल्द मरीज़ के पास से उठ जाएं*
💻📃 तफसील 📃💻
🔰■☞ हज़रते जाबिर रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है इन्हों ने कहा कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया है कि जो शख़्स किसी मरीज़ की बीमार पुर्सी करता है तो वोह बराबर लगातार रेहमत में दाखिल होता रहता है यहां तक कि बैठ जाए और जब बैठ जाता है तो वोह रेहमत में डूब जाता है। इस हदीस को इमाम मालिक और इमाम अहमद ने रिवायत किया है।
📙 मिश्कात , जि. 1 स. 138
➦ हज़रते अबू हुरैरा रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है इन्हों ने कहा कि रसूलुल्लाह ﷺ ने एक मरीज़ की बीमार पुर्सी फ़रमाई तो इरशाद फरमाया कि तुम खुश खबरी हासिल करो इस लिए कि अल्लाह तआला फ़रमाता है कि येह बुखार मेरी आग है मैं इस को बन्दए मोमिन पर दुन्या में मुसल्लत कर देता हूं ताकि कियामत के दिन येह जहन्नम से इस का हिस्सा हो जाए। इस हदीस को इमाम अहमद व इब्ने माजा ने व बैहक़ी ने शुअबुल ईमान में रिवायत किया है।
📙 मिश्कात , जि. 1 स. 138
➦ हज़रते उमर बिन ख़त्ताब रादिअल्लाहु तआला से रिवायत है इन्हों ने कहा कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया है कि जब तुम किसी मरीज़ के पास दाखिल हो तो उस से कहो कि वोह तुम्हारे लिए दुआ करे मिस्ल है। इस हदीस को क्यूंकि उस की दुआ फ़रिश्तों की दुआ के इब्ने माजा ने रिवायत किया है।
📙 मिश्कात, जि. 1 स. 138
➦ हज़रते इब्ने अब्बास रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है इन्हों ने फ़रमाया कि बीमार पुर्सी में मरीज के पास थोड़ी देर बैठना और शोर कम करना येह सुन्नत है। इस हदीस को रज़ीन ने रिवायत किया है।
📙 मिश्कात, जि. 1 स. 138
➦ हज़रते अनस रादिअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है इन्हों ने कहा कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया है कि बीमार पुर्सी ऊंटनी दोहने के वक़्त की मिक्दार बराबर है और हज़रते सईद बिन मुसय्यिब की मुर्सल रिवायत में है कि बीमार पुर्सी का अफ़ज़ल तरीका येही है कि बहुत जल्द मरीज़ के पास से उठ जाएं। इस हदीस को इमाम बैहक़ी ने शुअबुल ईमान में रिवायत किया है।
📙मिश्कात, जि. 1 स. 138
*📬 बिहिश्त की कुन्जियां सफ़ह 178 - 179 📚*
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नज़र हो जिस पे तेरी उसका पूछना ही क्या
तेरी नज़र है नबी ﷺ की नजर ग़रीब नवाज़
*आओ बा - ज़मात नमाज़ ए फजर अदा करे*
📢 *अस्सलातो खैरूम मीनन नोम*
बेशक नमाज़ नींद से बेहतर है।
*▣ सैटरडे 05/08/2023 ▣*
▬ ▭▭▭ ▭▭▭ ★ ▭▭▭ ▭▭▭ ▬
*▣ शनिचर 17/01/1445 ▣*
▬ ▭▭▭ ▭▭▭ ★ ▭▭▭ ▭▭▭ ▬
*🇸🇦 🌙 माहे मुहर्रम-उल-हराम 🌙 🇸🇦*
🌅 सुबह बेदार होते वक्त की दुआ ⁀➷
*Alhamdu lillahil-lazi 'ahyana baada ma amatana wailayhin-Nushur*
अल्हम्दु लिल्लाहिल लजी अह-यना बा'अदा मा अमातना व इलैहिन नुशूर
اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِي أَحْيَانَا بَعْدَ مَا أَمَاتَنَا وَإِلَيْهِ النُّشُورُ
*࿅ तर्जुमा ࿅* ➫ अल्लाह के लिए ही तमाम तारीफें हैं जिसने हमें जिंदा किया इसके बाद इसी ने मौत तारी ( दे दी ) कर दी थी और उसी की तरफ लौटना है।
⚠नॉट ❁☞ *बन्दा जिस दिन नमाज नहीं पड़ता वह दिन उसके लिए मनहूस हो जाता है!*
╭•∽–∽–∽–∽–∽ ∽–∽•╮
┆ *आज का पैग़ाम*
╰•∽–∽–∽–∽–∽–∽•╮
•••➲ हर मुसलमान को सदका करना चाहिये तो लोगों ने कहा :- या रसूलल्लाह ﷺ जो शख़्स सदक़ा करने के लिये कोई चीज़ न पाए तो क्या करे ? तो इरशाद फ़रमाया कि उस को चाहिये कि वोह अपने हाथ से कोई काम कर के कुछ कमाए फिर खुद भी उस से नफ्अ उठाए और सदक़ा भी दे तो लोगों ने अर्ज़ किया कि अगर वोह कमाने की ताकत न रखता हो ? तो आप ﷺ ने फ़रमाया कि वोह किसी हाजत मन्द की किसी तरह मदद कर दे। इस पर लोगों ने कहा कि अगर वोह येह भी न करे ? तो आपने फ़रमाया कि उस को चाहिये कि वोह लोगों को अच्छी बातों का हुक्म देता रहे। येह सुन कर लोगों ने कहा कि अगर वोह येह भी न करे तो आप ﷺ ने इरशाद फ़रमाया कि वोह खुद बुराई करने से रुक जाए येह उस के लिये सदक़ा है।
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*⚘Ꭺ@j ҡα ιѕLαɱi sᏆαTus .:°°:.📲*
*⚘ COMING SOON YOUM E SAYYEDUNA IMAM ZAINUL ABEDIN ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ.⚘*
⚘ ⏰ 00: 37 MinuᏆe's ⏰ ⚘
*⚘ ᴛᴀʟɪʙ ᴇ ᴅᴜ'ᴀᴀ 🤲🏻 ᴀᴅᴍɪɴ ᴛᴇᴀᴍ ⚘*
🌹⌨⚪⌨ 🔮 ⌨⚪⌨🌹
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*⚘Ꭺ@j ҡα ιѕLαɱi sᏆαTus .:°°:.📲*
*⚘Mustafa Jane Rahmat (ﷺ) Pe Lakho Salaam 💚⚘*
⚘ ⏰ 00: 36 MinuᏆe's ⏰ ⚘
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اَلصَّلوٰةُ وَالسَّلَامُ عَلَیۡكَ يَـــــــــــــــــــــــــــارَسُوۡلَ اللّٰهِ ﷺ
*🌹✨ सीरते मुस्तफा صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم*
❘༻ *पोस्ट नम्बर :- 312* ༺❘
*❝ गज़्वए तबूक #05 ❞*
••─────────•◦❈◦•─────────••
࿐ *रास्ते के चन्द मोजिज़ात_* #01 हुजूर ﷺ ने हज़रते अबू जर गिफारी رضي الله عنه को देखा कि वोह सब से अलग अलग चल रहे हैं। तो इर्शाद फरमाया कि येह सब से अलग ही चलेंगे और अलग ही ज़िन्दगी गुज़ारेंगे और अलग ही वफ़ात पाएंगे। चुनान्चे ठीक ऐसा ही हुवा कि हज़रते उषमान अपने दौरे ख़िलाफ़त में इन को हुक्म दे दिया कि आप "रबज़ा" में रहें आप रबजा में अपनी बीवी और गुलाम के साथ रहने लगे। जब वफ़ात का वक्त आया तो आप رضي الله عنه ने फ़रमाया कि तुम दोनों मुझ को गुस्ल दे कर और कफ़न पहना कर रास्ते में रख देना। जब शुतर सुवारों का पहला गुरौह मेरे जनाज़े के पास से गुज़रे तो तुम लोग उस से कहना कि येह अबू जर गिफारी का जनाज़ा है इन पर नमाज़ पढ़ कर इन को दफ्न करने में हमारी मदद करो। खुदा की शान कि सब से पहला जो काफिला गुज़रा उस में हज़रते अब्दुल्लाह बिन मसऊद सहाबी رضي الله عنه थे। आपने जब येह सुना कि येह हज़रते अबू जर गिफ़ारी का जनाज़ा है तो उन्हों ने "اِنَّا لِلّٰهِ وَ اِنَّاۤ اِلَیْهِ رٰجِعُوْنَ" पढ़ा और काफ़िले को रोक कर उतर पड़े और कहा कि बिल्कुल सच्चा फ़रमाया था रसूलुल्लाह ﷺ ने कि “ऐ अबू जर ! तू तन्हा चलेगा, तन्हा मरेगा, तन्हा क़ब्र से उठेगा।" फिर हज़रते अब्दुल्लाह बिन मसऊद और क़ाफ़िले वालों ने उन को पूरे ए'ज़ाज़ के साथ दफ्न किया।
࿐ बा'ज़ रिवायतों में येह भी आया है कि उन की बीवी के पास कफ़न के लिये कपड़ा नहीं था तो आने वाले लोगों में से एक अन्सारी ने कफ़न के लिये कपड़ा दिया और नमाज़े जनाज़ा पढ़ कर दफ्न किया।
࿐ *हवा उड़ा ले गई :-* जब इस्लामी लश्कर मक़ामे "हजर" में पहुंचा तो हुज़ूर ﷺ ने हुक्म दिया कि कोई शख़्स अकेला लश्कर से बाहर कहीं दूर न चला जाए पूरे लश्कर ने इस हुक्मे नबवी की इताअत की मगर क़बीलए बनू साइदा के दो आदमियों ने आप ﷺ के हुक्म को नहीं माना। एक शख़्स अकेला ही रफ़ए हाजत के लिये लश्कर से दूर चला गया वोह बैठा ही था कि दफ्अतन किसी ने उस का गला घोंट दिया और वोह उसी जगह मर गया और दूसरा शख्स अपना ऊंट पकड़ने के लिये अकेला ही लश्कर से कुछ दूर चला गया तो ना गहां एक हवा का झोंका आया और उस को उड़ा कर क़बीलए "तय" के दोनों पहाड़ों के दरमियान फेंक दिया और वोह हलाक हो गया आप ﷺ ने उन दोनों का अन्जाम सुन कर फ़रमाया कि क्या मैं ने तुम लोगों को मन्अ नहीं कर दिया था?
*📬 क़िताब :- सीरते मुस्तफा ﷺ सफ़ह- 495 📚*
*📮NexT ◍* आगे इन्शाअल्लाह तआला जारी रहेगा.!
𝖏𝖔𝖎𝖓 𝕲𝖗𝖔𝖚𝖕🪀https://wa.me/917566980838
*☝🏻 हमारी दावत सच्चे दीन की तरफ.. { इस्लाम }*
*📝 आओ इ़ल्म -ए- दीन सीखें और सिखाए.!✍🏻*
✜─━━━━━━━ ▣▣ 🥏 ▣▣ ━━━━━━━─✜
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࿐ बा'ज़ रिवायतों में येह भी आया है कि उन की बीवी के पास कफ़न के लिये कपड़ा नहीं था तो आने वाले लोगों में से एक अन्सारी ने कफ़न के लिये कपड़ा दिया और नमाज़े जनाज़ा पढ़ कर दफ्न किया।
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☟ की जानिब से पेश के नजर ☟
पोस्ट ► 🕋 ﷽ 🕋 6️⃣8️⃣1⃣
*• इस्लाम पर किए गए एतराज के जवाब •*
l|l•••••• l|l•••••• l|l•••••• l|l•••••• l|l•••••• l|l
❐ सवाल ❐ ➻ अल्लाह और रसूल की इत़ाअ़त सिर्फ़ मुसल्मानों पर ही ज़रूरी है तो इस्लामी हुकूमत में कुफ़्फ़ार को खुली इजाज़त है कि वह चोरियां डकेतियां करते रहें और उन से कुछ कहा न जाये और वह कह दिया करें कि हम मुसल्मान ही नहीं, इसलिये हम पर क़ुरआन व अहादीस के अहकाम जारी ही नहीं, इस दुनिया में फिर अमन व अमान कैसे क़ायम हो.!?
❐ जवाब ❐ ➻ इस्लामी इबादात के मुक़ल्लिफ़ सिर्फ़ मुसल्मान ही हैं, रहे मामलात और मुल्की क़वानीन तो वह सारे इंसानों पर जारी होंगे ख्वाह मोमिन हो या काफ़िर जिन की ख़िलाफ़वर्ज़ी करने पर सब को सज़ा मिलेगी, मगर इन क़वानीन पर पाबंदी करने में आख़िरत का सवाब सिर्फ़ मुसल्मान ही को है कुफ़्फ़ार को नहीं.!
*⊆ ↬ बा - हवाला ↫ ⊇*
📬 किताब :- हम से पूछिए सफ़ा 133📗
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*🤲🏻 अपनी नेक दुआओं में याद रखें..✍🏻*
❏ ❐ ❑ ❒ ❏ ❐ ❏ ❐ ❑ ❒ ❏ ❐ ❑ ❒
☟ की जानिब से पेश के नजर ☟
पोस्ट ► 🕋 ﷽ 🕋 6️⃣8️⃣1⃣
*• इस्लाम पर किए गए एतराज के जवाब •*
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❐ सवाल ❐ ➻ अल्लाह और रसूल की इत़ाअ़त सिर्फ़ मुसल्मानों पर ही ज़रूरी है तो इस्लामी हुकूमत में कुफ़्फ़ार को खुली इजाज़त है कि वह चोरियां डकेतियां करते रहें और उन से कुछ कहा न जाये और वह कह दिया करें कि हम मुसल्मान ही नहीं, इसलिये हम पर क़ुरआन व अहादीस के अहकाम जारी ही नहीं, इस दुनिया में फिर अमन व अमान कैसे क़ायम हो.!?
❐ जवाब ❐ ➻ इस्लामी इबादात के मुक़ल्लिफ़ सिर्फ़ मुसल्मान ही हैं, रहे मामलात और मुल्की क़वानीन तो वह सारे इंसानों पर जारी होंगे ख्वाह मोमिन हो या काफ़िर जिन की ख़िलाफ़वर्ज़ी करने पर सब को सज़ा मिलेगी, मगर इन क़वानीन पर पाबंदी करने में आख़िरत का सवाब सिर्फ़ मुसल्मान ही को है कुफ़्फ़ार को नहीं.!
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🌹✍🏻 Aaj ka Paigam ✍🏻🌹
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Topic : • *"Dars - 691 // SuraH Tauba" 👌🏻🌹*
By : • 🎙️ Mufti Asif AbdullaH Qadri SaHaB
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Topic : • *"Dars - 691 // SuraH Tauba" 👌🏻🌹*
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🗒️ *तारीख़* 05 - 08 - 2023 *दिन* शनीचर
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*_🌹 بسم الله الرحمن الرحيم_*🌹
*_🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله_*
*_صلی اللہ تعالی علیہ والہ وسلم_*🌹
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*☜◆█ 🔘 आज का सवाल 🔘 █◆☞*
*🔐⏱ ________________ की निहायत अज़मत में एक हिक्मत येह है कि _____________ अल्लाह करीम से हमारी महब्बत के इज़्हार और उस की जाते पाक पर हमारे ईमान का इक़रार व सुबूत है...❓*
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📁Ⓐ📁 ➪ कलमा ए तय्यब
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📁Ⓒ📁 ➪ सूरह इख़्लास
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*📎E📎 ➪ मुझे नहीं मालूम इंशाअल्लाह तआला इल्म हासिल करेंगें!*
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🌍🔛🌍 *सभी मेम्बर्स जवाब देने की पूरी कोशिश करें सवाल जवाब में हिस्सा लेना ज़रूरी हैं ऑनलाइन रहकर जवाब न देने वाले मेम्बर्स को ग्रुप से बाहर कर दिया जाएगा सही जवाब 9:00 🅿〽 पर भेजा जायेगा तब तक का इंतजार करें!...✍🏻*
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🔰■☞ इरशादे बारी है : *तर्जमए कन्जुल ईमान :* और तुम्हारे रब ने फ़रमाया मुझ से दुआ करो, मैं कबूल करूंगा।
➦ तफ़्सीर : इस आयते लफ्ज़ "اُدْعُوْنِںْ" के बारे में एक क़ौल येह है कि इस से मुराद “दुआ" है। माना येह हुवा कि ऐ लोगो ! मुझ से दुआ करो, मैं उसे कबूल करूंगा! और एक क़ौल येह है कि इस से मुराद "इबादत" है। माना येह हुवा कि तुम मेरी इबादत करो, मैं तुम्हें सवाब दूंगा।
➦ दुआ एक अजीमुश्शान इबादत है जिस की अजमत व फ़ज़ीलत पर ब कसरत आयाते करीमा और अहादीसे तय्यबा वारिद हैं। दुआ की निहायत अज़मत में एक हिक्मत येह है कि दुआ अल्लाह करीम से हमारी महब्बत के इज़्हार और उस की जाते पाक पर हमारे ईमान का इक़रार व सुबूत है।
➦ हमारा अकीदा है कि अल्लाह करीम हमारा खालिक, मालिक, राजिक है, तमाम इज्जतें, अजमतें, खजाने उसी के पास हैं, सारी मखलूक उसी की बारगाह की मोहताज और उसी के दरबार में सुवाली है जब कि वोह अजमतों वाला खुदा बे नियाज़ और तमाम हाजतों से पाक है, बख़्शिशें फ़रमाता और जूदो करम के दरया बहाता है। एक एक फर्द, मखलूक को अरबों खज़ाने अता कर दे तब भी उस के ख़ज़ानों में सूई की नोक बराबर कमी न होगी और किसी को कुछ अता न करे, तो कोई उस से छीन नहीं सकता है, वोह किसी को देना चाहे, तो कोई उसे रोक नहीं सकता है और वोह किसी से रोक ले, तो कोई उसे दे नहीं सकता।
*📬 कबूलिय्यते दुआ मअ दुआ मांगने का तरीका सफ़ह 15 - 16📚*
❦❦❦❦❦ तालिब - ए - दुआ ❦❦❦❦❦
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★ दुआ ★
اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنْ عَذَابِ الْقَبْرِ، وَمِنْ عَذَابِ جَهَنَّمَ ، وَمِنْ فِتْنَةِ الْمَحْيَا وَالْمَمَاتِ، وَمِنْ فِتْنَةِ الْمَسِيحِ الدَّجَّالِ
*⚘तर्जुमा⚘* ❁☞ या अल्लाह मैं तेरी पनाह मांगता हूं क़ब्र के अज़ाब से जहन्नुम के अज़ाब से मौत और ज़िन्दगी के हयात से और मसीह दज्जाल के फ़ितनों से,
*📬 सुनन इब्न माजा जिल्द 1, 909 - सहीह*
⚘🤲 हम यहां जो कुछ भी सीख रहे हैं अल्लाह तआला सबसे पहले मुझे और तमाम तालिब ए इल्म को उस पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए
⚘💦 آمیــــن یارب العـالمیـــن 💦⚘
📃 ❈➧ सवाल जवाब का ये दिलचस्प सिलसिला आगे भी कंटीन्यू जारी रहेगा। इंशाअल्लाह फिर पेश ए खिदमत होंगे एक और सवाल के साथ तब तक आप आज के जवाब पर अमल करें औऱ इस पैगाम को , ज्यादा से ज्यादा आम ( शेयर ) करे..✍
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🌹✍🏻اَلصَّلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَیۡكَ يَــــارَسُوۡلَ اللّٰهِ ﷺ
❘༻ *मुह़ासबा ए दींन* ༺❘
*आज की तफसील मालूमात नंबर ✧ 8️⃣7️⃣*
*हम आपसे यह बहुत उम्मीद रखते है कि तफसील को मुकम्मल पढ़ेंगे और ज़रूरत पर हमसे किताब (Reference) भी मांग सकते हैं!*
*सवाल :-* बाज़ (कुछ) लोग कहते हैं कि अल्लाह ने तुम्हारे लिए अच्छा सोचा होगा, यह कहना कैसा ?
*जवाब : -* अल्लाह पाक के लिए लफ्ज़े सोचना या सोच का इस्तेमाल नाजाइज़ है क्योंकि अल्लाह पाक सोचने से पाक है, हमारे यहां इल्म की कमी और अल्फाज़ के दुरुस्त इंतिखाब न होने की वजह से इरादे की जगह सोच का लफ़्ज़ इस्तेमाल कर देते हैं और (हमारा) मुराद इरादा फरमाना होता है, लोगों को चाहिए कि उस की जगह लफ़्ज़ फैसला या मुक़द्दर इस्तेमाल करें
अलबत्ता किसी का अक़ीदा ही यह हो कि अल्लाह पाक क़ादिर नहीं या आलिमुल गैब नहीं, और बाद में सोचा है कि क्या करना है (मआ़ज़ल्लाह) तो यह अल्फाज़ इस्तेमाल करना सरीह कुफ्र है, मुफ्ती शरीफुल हक़ अमजदी अलैहिर्रहमा लिखते हैं कि यह जुमला कि "अल्लाह भी अपने दिल में सोचता होगा" यक़ीनन सरीह कुफ्र है इस जुमले में तीन कुफरियात हैं (पहला: अल्लाह के लिए दिल माना, दूसरा: दिल जिस्म का एक टुकड़ा है, तीसरा: अल्लाह जिस्म और आज़ाए जिस्मानियात से मुनज़्ज़ाह यानी पाक है, इसके इलावा) दूसरा यह कि उसने कहा सोचता होगा, सोचता वह है जो आलिमुल गैब न हो और क़ुदरत न रखता हो, अल्लाह के लिए सोचने का अस्बात उसके क़ादीर होने और आलिमुल गैब होने से इंकार है!
*दर्से हिदाया : -* हमारे अंदर आज इल्म की इतनी कमी है जिसका कोई हद हिसाब नहीं लगाया जा सकता, न जाने कितने ऐसे जुमले हम रोज़ दिन ब दिन इस्तेमाल करते हैं, और वो सही है या गलत इसका ज़रा भी दिलों दिमाग में ख्याल तक नहीं होता, दौरे हाजिर में अपना ईमान बचाना बहुत मुश्किल है वजह बस इल्म की कमी, लिहाज़ा अगर अपना ईमान सही सलामत ले जाना और अज़ाबात से बचना चाहते हैं तो हमें चाहिए कि हर चीज़ को स्टेप बाय स्टेप सब इल्म सीखें इतना कि अपने अक़ाइद व आमाल गलतियों से महफूज़ रहते हुवे दुरुस्त हो सके!
¹📚 फतावा शारेह बुखारी जिल्द अव्वल सफा 162
¹📚 सौ शरई मसाइल का मजमुआ सफा 1
ज़ारी रहेगा..! *✍🏻 मुहासबा ए दींन•* اِنْ شَآءَ اللہ
•------------------------------------------------------------•
🔮 𝑆𝑢𝑙𝑡𝑎𝑛 𝑒 𝐻𝑖𝑛𝑑 𝑔𝑟𝑜𝑢𝑝 ☏ 𝟩𝟧𝟨𝟨𝟫𝟪𝟢𝟪𝟥𝟪
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अलबत्ता किसी का अक़ीदा ही यह हो कि अल्लाह पाक क़ादिर नहीं या आलिमुल गैब नहीं, और बाद में सोचा है कि क्या करना है (मआ़ज़ल्लाह) तो यह अल्फाज़ इस्तेमाल करना सरीह कुफ्र है, मुफ्ती शरीफुल हक़ अमजदी अलैहिर्रहमा लिखते हैं कि यह जुमला कि "अल्लाह भी अपने दिल में सोचता होगा" यक़ीनन सरीह कुफ्र है इस जुमले में तीन कुफरियात हैं (पहला: अल्लाह के लिए दिल माना, दूसरा: दिल जिस्म का एक टुकड़ा है, तीसरा: अल्लाह जिस्म और आज़ाए जिस्मानियात से मुनज़्ज़ाह यानी पाक है, इसके इलावा) दूसरा यह कि उसने कहा सोचता होगा, सोचता वह है जो आलिमुल गैब न हो और क़ुदरत न रखता हो, अल्लाह के लिए सोचने का अस्बात उसके क़ादीर होने और आलिमुल गैब होने से इंकार है!
*दर्से हिदाया : -* हमारे अंदर आज इल्म की इतनी कमी है जिसका कोई हद हिसाब नहीं लगाया जा सकता, न जाने कितने ऐसे जुमले हम रोज़ दिन ब दिन इस्तेमाल करते हैं, और वो सही है या गलत इसका ज़रा भी दिलों दिमाग में ख्याल तक नहीं होता, दौरे हाजिर में अपना ईमान बचाना बहुत मुश्किल है वजह बस इल्म की कमी, लिहाज़ा अगर अपना ईमान सही सलामत ले जाना और अज़ाबात से बचना चाहते हैं तो हमें चाहिए कि हर चीज़ को स्टेप बाय स्टेप सब इल्म सीखें इतना कि अपने अक़ाइद व आमाल गलतियों से महफूज़ रहते हुवे दुरुस्त हो सके!
¹📚 फतावा शारेह बुखारी जिल्द अव्वल सफा 162
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ज़ारी रहेगा..! *✍🏻 मुहासबा ए दींन•* اِنْ شَآءَ اللہ
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✭ ★ ﺑِﺴْــــــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ ★ ✭
*_🛌 मैं सो जाऊँ या मुस्तफा ﷺ कहते कहते.!_*
*_🌅 खुले आँख सल्ले अला कहते कहते!_*
⇩ ❏ सोते वक़्त पढ़ने की दुआ ❏ ⇩
*अल्लाहुम्मा बिअस्मिका अमूतु व'आहया*
اللَّهُمَّ بِاسْمِكَ أَمُوتُ وَأَحْيَا ⇩ ✪ ترجمہ ✪ ⇩
*ऐ अल्लाह ﷻ मैं तेरे नाम के साथ ही मरता हूँ और जीता हूँ।* (या'नी सोता हूँ औऱ जागता हूँ )
*⇩ ❏ उसी के साथ होगा जिस से उस ने महब्बत की ❏ ⇩*
╭┈► *ऐक आराबी ने अर्ज़ की:* "या रसूलल्लाह ﷺ कियामत कब कायम होगी ? आप ﷺ ने इस्तीफ्सार फ़रमाया : तुम ने उस के लिए क्या तय्यारी की है ? उस ने अर्ज़ की : "मैं ने उस के लिए नमाज़ रोज़ा की कोई ज़्यादा तय्यारी नहीं कि, अलबत्ता मैं अल्लाह عزوجل और उस के रसूलﷺ से महब्बत करता हूं। तो मेहबूबे रब्बुल आलमिन ﷺ ने इरशाद फरमाया : आदमी उसी के साथ होगा जिस से उस ने महब्बत की।”
*(📮 صحیح البخاری حدیث: ٦١٧١ )*
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*_🛌 मैं सो जाऊँ या मुस्तफा ﷺ कहते कहते.!_*
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*अल्लाहुम्मा बिअस्मिका अमूतु व'आहया*
اللَّهُمَّ بِاسْمِكَ أَمُوتُ وَأَحْيَا ⇩ ✪ ترجمہ ✪ ⇩
*ऐ अल्लाह ﷻ मैं तेरे नाम के साथ ही मरता हूँ और जीता हूँ।* (या'नी सोता हूँ औऱ जागता हूँ )
*⇩ ❏ उसी के साथ होगा जिस से उस ने महब्बत की ❏ ⇩*
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*(📮 صحیح البخاری حدیث: ٦١٧١ )*
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