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🔥 भारतीय रेलवे के लिए प्रौद्योगिकी मिशन पर रेलवे, एचआरडी और एस एंड टी मंत्रालय की शाई एमओयू
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▪ तीन तीन मंत्रालय अर्थात रेल मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारतीय रेलवे (टीएमआईआर) के लिए प्रौद्योगिकी मिशन के संयुक्त धन के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
एमओयू की विशेषताएं
▪ डूएल एमओ का उद्देश्य अनुशंसित अनुसंधान के लिए पहचान रेलवे परियोजनाओं के लिए निवेश शेयरिंग द्वारा सह-वित्तपोषण (टीएमआईआर) को सुगम बनाना है। भारतीय रेलवे के लिए प्रौद्योगिकी मिशन के लिए तीन मंत्रालयों के बीच फंडिंग का प्रतिशत विभाजन रेल मंत्रालय है: 30%, मानव संसाधन विकास मंत्रालय: 25% और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग: 25%
▪ एमयूयू के तहत, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और एसएंडटी मंत्रालय ने टीएमआईआर परियोजनाओं को 75 करोड़ रुपये की राशि के लिए निधि देने पर सहमति जताई है जबकि रेलवे और उद्योग अपने संबंधित शेयरों में भी योगदान देंगे।
भारतीय रेलवे के लिए प्रौद्योगिकी मिशन
▪ रेलवे मंत्रालय ने रेलवे मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निवेश साझाकरण मॉडल पर कंसोर्टियम के रूप में टीएमआईआर की स्थापना की है। भारी ढोका, सुरक्षा, ऊर्जा, पर्यावरण और शहरी रेलवे के क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को ले जाने के लिए टीएमआईआर को काम सौंपा गया है। इन परियोजनाओं को कार्यान्वयन मिशन क्रियान्वयन और समन्वय समिति के माध्यम से किया जाएगा जो तीन मंत्रालयों, शिक्षाविदों और उद्योगों के सदस्य हैं। इसके अलावा, इन परियोजनाओं को राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाओं और शैक्षणिक संस्थानों में लागू किया जाएगा।
▪ अधिकतर सहयोग जहां भी आवश्यक हो, विदेशी संस्थानों के साथ भी दर्ज किया जाएगा।
महत्व का महत्व
▪ भारतई रेलवे मिशन मोड में प्रौद्योगिकी विकास के लिए इस कंसोर्टियम दृष्टिकोण के माध्यम से बहुत ही उचित कीमत पर विश्व स्तर के स्वदेशी प्रौद्योगिकियों की उपलब्धता के साथ लाभान्वित होगा।
▪ इसके अलावा, अकादमिक अनुसंधान संस्थानों को तत्काल उपयोग के लिए नए उत्पादों के रूप में लागू अनुसंधान और वास्तविक स्थिति उत्पादन के साथ लाभ होगा। भारतीय उद्योगों को अतिरिक्त निर्यात क्षमता के साथ भारतीय रेल में इस्तेमाल होने वाली नई वस्तुओं के उत्पादन के रूप में लाभ मिलेगा।
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🔥 भारतीय रेलवे के लिए प्रौद्योगिकी मिशन पर रेलवे, एचआरडी और एस एंड टी मंत्रालय की शाई एमओयू
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▪ तीन तीन मंत्रालय अर्थात रेल मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारतीय रेलवे (टीएमआईआर) के लिए प्रौद्योगिकी मिशन के संयुक्त धन के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
एमओयू की विशेषताएं
▪ डूएल एमओ का उद्देश्य अनुशंसित अनुसंधान के लिए पहचान रेलवे परियोजनाओं के लिए निवेश शेयरिंग द्वारा सह-वित्तपोषण (टीएमआईआर) को सुगम बनाना है। भारतीय रेलवे के लिए प्रौद्योगिकी मिशन के लिए तीन मंत्रालयों के बीच फंडिंग का प्रतिशत विभाजन रेल मंत्रालय है: 30%, मानव संसाधन विकास मंत्रालय: 25% और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग: 25%
▪ एमयूयू के तहत, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और एसएंडटी मंत्रालय ने टीएमआईआर परियोजनाओं को 75 करोड़ रुपये की राशि के लिए निधि देने पर सहमति जताई है जबकि रेलवे और उद्योग अपने संबंधित शेयरों में भी योगदान देंगे।
भारतीय रेलवे के लिए प्रौद्योगिकी मिशन
▪ रेलवे मंत्रालय ने रेलवे मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निवेश साझाकरण मॉडल पर कंसोर्टियम के रूप में टीएमआईआर की स्थापना की है। भारी ढोका, सुरक्षा, ऊर्जा, पर्यावरण और शहरी रेलवे के क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को ले जाने के लिए टीएमआईआर को काम सौंपा गया है। इन परियोजनाओं को कार्यान्वयन मिशन क्रियान्वयन और समन्वय समिति के माध्यम से किया जाएगा जो तीन मंत्रालयों, शिक्षाविदों और उद्योगों के सदस्य हैं। इसके अलावा, इन परियोजनाओं को राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाओं और शैक्षणिक संस्थानों में लागू किया जाएगा।
▪ अधिकतर सहयोग जहां भी आवश्यक हो, विदेशी संस्थानों के साथ भी दर्ज किया जाएगा।
महत्व का महत्व
▪ भारतई रेलवे मिशन मोड में प्रौद्योगिकी विकास के लिए इस कंसोर्टियम दृष्टिकोण के माध्यम से बहुत ही उचित कीमत पर विश्व स्तर के स्वदेशी प्रौद्योगिकियों की उपलब्धता के साथ लाभान्वित होगा।
▪ इसके अलावा, अकादमिक अनुसंधान संस्थानों को तत्काल उपयोग के लिए नए उत्पादों के रूप में लागू अनुसंधान और वास्तविक स्थिति उत्पादन के साथ लाभ होगा। भारतीय उद्योगों को अतिरिक्त निर्यात क्षमता के साथ भारतीय रेल में इस्तेमाल होने वाली नई वस्तुओं के उत्पादन के रूप में लाभ मिलेगा।
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#RAS
बाड़मेर के पचपदरा में लगने वाली रिफाइनरी राजस्थान में सबसे बड़ा निवेश है, जो प्रदेश का भविष्य संवारने जा रही है। करीब 43 हज़ार करोड़ रूपए की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का कार्य शुभारम्भ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 16 जनवरी को पचपदरा में करेंगे।
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने प्रदेश के हित में लगने वाली इस रिफाइनरी के फायदे जन-जन तक पहुंचाने के लिए मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास से झंड़ी दिखाकर जागरूकता रथ रवाना किए। इस प्रकार के 30 रथ अगले 15 दिनों तक प्रदेश के 29 ज़िलों की गांव-ढाणियों में जाकर फिल्मों एवं नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से बाड़मेर रिफाइनरी एवं पेट्रोकेमिकल परियोजना और इससे होने वाले फायदों की जानकारी आमजन तक पहुंचाएंगे।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने एचपीसीएल के साथ पूर्व में हुए एमओयू की समीक्षा करते हुए राजस्थान और प्रदेश के लोगों के हित में पुनः एमओयू किया था। इस नए एमओयू से प्रदेश पर पड़ने वाले आर्थिक भार में उल्लेखनीय कमी आई है।
इस अवसर पर विधायक अशोक परनामी, प्रमुख शासन सचिव खान एवं पेट्रोलियम अपर्णा अरोरा एवं एचपीसीएल के अधिकारीगण उपस्थित थे|
#RAS
बाड़मेर के पचपदरा में लगने वाली रिफाइनरी राजस्थान में सबसे बड़ा निवेश है, जो प्रदेश का भविष्य संवारने जा रही है। करीब 43 हज़ार करोड़ रूपए की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का कार्य शुभारम्भ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 16 जनवरी को पचपदरा में करेंगे।
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने प्रदेश के हित में लगने वाली इस रिफाइनरी के फायदे जन-जन तक पहुंचाने के लिए मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास से झंड़ी दिखाकर जागरूकता रथ रवाना किए। इस प्रकार के 30 रथ अगले 15 दिनों तक प्रदेश के 29 ज़िलों की गांव-ढाणियों में जाकर फिल्मों एवं नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से बाड़मेर रिफाइनरी एवं पेट्रोकेमिकल परियोजना और इससे होने वाले फायदों की जानकारी आमजन तक पहुंचाएंगे।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने एचपीसीएल के साथ पूर्व में हुए एमओयू की समीक्षा करते हुए राजस्थान और प्रदेश के लोगों के हित में पुनः एमओयू किया था। इस नए एमओयू से प्रदेश पर पड़ने वाले आर्थिक भार में उल्लेखनीय कमी आई है।
इस अवसर पर विधायक अशोक परनामी, प्रमुख शासन सचिव खान एवं पेट्रोलियम अपर्णा अरोरा एवं एचपीसीएल के अधिकारीगण उपस्थित थे|
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झालावाड़ में अगस्त 2018 तक बनेगा इंटरनेशनल एयरपोर्ट
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दक्षिण राजस्थान के निवासियों के लिए एक अच्छी खबर है। राज्य सरकार झालावाड़ के कोलाना में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण कराने जा रही है। इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में एयरपोर्ट घरेलू यात्रियों के आवागमन के लिए तैयार किया जाएगा और इसे अगस्त 2018 से शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है।
झालावाड़ में वर्तमान में कोलाना में हवाई पट्टी है। अभी हवाई पट्टी और भवन 85 एकड़ क्षेत्र में बना है। 5976 फीट लम्बी इस हवाई पट्टी से वर्तमान में छोटे विमानों (चार्टर्ड) का संचालन हो रहा है। पीडब्ल्यूडी ने एक निजी कंपनी संगीता एविएशन से इसकी कंसल्टेंसी रिपोर्ट मांगी थी, जो सबमिट हो चुकी है। रिपोर्ट में कंपनी ने पहले चरण का कार्य 169 करोड़ रुपए लागत में पूरा करने की बात कही है। इसमें कहा गया कि एयरपोर्ट बिल्डिंग पिरामिड आकृति की बनाई जाएगी। बिल्डिंग चार मंज़िला और 12 मीटर ऊंचाई की बनेगी। @RAS_MAINS एयरपोर्ट के रनवे की बात करें तो वर्तमान में चौड़ाई 100 फीट है, जिसे बढ़ाकर 150 फीट किया जाएगा। रनवे की लंबाई अगले चरणों में बढ़ाई जाएगी। पहले चरण में यहाँ एटीआर-72 और एयरबस 320 आकार के विमानों को उतारने की तैयारी है। एयरबस-320 आकृति के विमान में 180 यात्री एकसाथ सफर कर सकते हैं। तीसरे चरण में यहाँ पर दुनिया के सबसे बड़े हवाई जहाज एयरबस-380 को भी उतारने की योजना है। एयरबस-380 विमान वर्तमान में केवल दिल्ली और मुम्बई एयरपोर्ट से ही संचालित होता है।
🌸डिटेंशनरूम, 8 टिकट काउंटर भी होंगे🌸
झालावाड़ एयरपोर्ट चूंकि इंटरनेशनल स्तर का नहीं है, ऐसे में यहाँ इमिग्रेशन और कस्टम विभागों के काउंटर भी नहीं बनेंगे। कंसल्टेंसी फर्म संगीता एविएशन के सीईओ अमित अग्रवाल ने बताया कि पिरामिड आकृति में बनने वाला यह पहला एयरपोर्ट होगा। गौरतलब है कि पिरामिड आकृति का एयरपोर्ट ऊर्जा संरक्षण के लिहाज से सबसे बेहतर माना जाता है। डिपार्चर और अराइवल टर्मिनल के साथ-साथ यहां कार्गो टर्मिनल भी विकसित किया जाएगा। वहीं फायर स्टेशन, एटीसी ब्लॉक, डीवीओआर सहित तमाम सुविधाएं यहां पर विकसित की जाएंगी। यदि इस रिपोर्ट पर जनवरी से कार्य शुरू हो जाता है, तो अगस्त-2018 तक यहाँ से विमानों का संचालन शुरू होने की उम्मीद है।
🙏💐Credit : samanaya Adhyan🙏💐
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झालावाड़ में अगस्त 2018 तक बनेगा इंटरनेशनल एयरपोर्ट
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दक्षिण राजस्थान के निवासियों के लिए एक अच्छी खबर है। राज्य सरकार झालावाड़ के कोलाना में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण कराने जा रही है। इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में एयरपोर्ट घरेलू यात्रियों के आवागमन के लिए तैयार किया जाएगा और इसे अगस्त 2018 से शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है।
झालावाड़ में वर्तमान में कोलाना में हवाई पट्टी है। अभी हवाई पट्टी और भवन 85 एकड़ क्षेत्र में बना है। 5976 फीट लम्बी इस हवाई पट्टी से वर्तमान में छोटे विमानों (चार्टर्ड) का संचालन हो रहा है। पीडब्ल्यूडी ने एक निजी कंपनी संगीता एविएशन से इसकी कंसल्टेंसी रिपोर्ट मांगी थी, जो सबमिट हो चुकी है। रिपोर्ट में कंपनी ने पहले चरण का कार्य 169 करोड़ रुपए लागत में पूरा करने की बात कही है। इसमें कहा गया कि एयरपोर्ट बिल्डिंग पिरामिड आकृति की बनाई जाएगी। बिल्डिंग चार मंज़िला और 12 मीटर ऊंचाई की बनेगी। @RAS_MAINS एयरपोर्ट के रनवे की बात करें तो वर्तमान में चौड़ाई 100 फीट है, जिसे बढ़ाकर 150 फीट किया जाएगा। रनवे की लंबाई अगले चरणों में बढ़ाई जाएगी। पहले चरण में यहाँ एटीआर-72 और एयरबस 320 आकार के विमानों को उतारने की तैयारी है। एयरबस-320 आकृति के विमान में 180 यात्री एकसाथ सफर कर सकते हैं। तीसरे चरण में यहाँ पर दुनिया के सबसे बड़े हवाई जहाज एयरबस-380 को भी उतारने की योजना है। एयरबस-380 विमान वर्तमान में केवल दिल्ली और मुम्बई एयरपोर्ट से ही संचालित होता है।
🌸डिटेंशनरूम, 8 टिकट काउंटर भी होंगे🌸
झालावाड़ एयरपोर्ट चूंकि इंटरनेशनल स्तर का नहीं है, ऐसे में यहाँ इमिग्रेशन और कस्टम विभागों के काउंटर भी नहीं बनेंगे। कंसल्टेंसी फर्म संगीता एविएशन के सीईओ अमित अग्रवाल ने बताया कि पिरामिड आकृति में बनने वाला यह पहला एयरपोर्ट होगा। गौरतलब है कि पिरामिड आकृति का एयरपोर्ट ऊर्जा संरक्षण के लिहाज से सबसे बेहतर माना जाता है। डिपार्चर और अराइवल टर्मिनल के साथ-साथ यहां कार्गो टर्मिनल भी विकसित किया जाएगा। वहीं फायर स्टेशन, एटीसी ब्लॉक, डीवीओआर सहित तमाम सुविधाएं यहां पर विकसित की जाएंगी। यदि इस रिपोर्ट पर जनवरी से कार्य शुरू हो जाता है, तो अगस्त-2018 तक यहाँ से विमानों का संचालन शुरू होने की उम्मीद है।
🙏💐Credit : samanaya Adhyan🙏💐
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🎊 🎤 🌸Motivational Seminar 🌸🎤🎊
#RAS,#IAS जैसी एग्जाम की तैयारी के लिए कड़ी मेहनत , बुलंद इरादों एवं सकारात्मक चिंतनकी जरूरत होती है।
कई बार मेहनत करने के बाद भी सफलता से दूर रह जाते है या फिर मनचाही रैंकनही मिल पाती , कुछ दिन पूरे अटेंशन से पढ़ते है और कुछ दिन बाद वो उत्साह थोड़ा कम हो जाता है ।
तो ऐसी situation को अच्छे से कैसे हैंडल करे और पूरी एनर्जी के साथ कैसे लक्ष्य को प्राप्त करते हुए ... Life को Celebrate कैसे करे ?
इस विषय पर जाने माने मोटिवेशनल स्पीकर द्वारा जयपुर में एक सेमिनार/वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है ।
प्रवेश निशुल्क
लेकिन रजिस्ट्रेशन जरूरी है।
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
You are cordially invited to attend a session on "Celebrating Life" by renowned motivation speaker BK Shivani on Jan 21st at 5:00 - 7:00pm @ BM Birla Auditorium Jaipur.
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
👇👇👇👇👇
To get free e-pass (Limited Seats) please register 👉 http://bkregistration.caresoftindia.com
🎊 🎤 🌸Motivational Seminar 🌸🎤🎊
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You are cordially invited to attend a session on "Celebrating Life" by renowned motivation speaker BK Shivani on Jan 21st at 5:00 - 7:00pm @ BM Birla Auditorium Jaipur.
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To get free e-pass (Limited Seats) please register 👉 http://bkregistration.caresoftindia.com
#Rajasthan_History
Bijoliya Movement (बिजोलिया आंदोलन)
It was a pioneer agrarian movement in the Mewar State in present Udaipur District. The Jagirdar of Bijolia was a Parmar Rajput having 96 villages in his jagir. There were 86 different taxes on peasants against which peasants revolted in 1905. The initial leadership was provided by Sitaram Das. The movement got linked to national movement. Vijay (Bijoy) Singh Pathik and Manik Lal Verma (future Chief Minister of Rajasthan) led a no tax movement in 1916. It was called Bijolia movement. The peasants refused to do begar and held back the taxes. The movement continued through 1920s and spread over to other States of Rajputana.
#RAS
Bijoliya Movement (बिजोलिया आंदोलन)
It was a pioneer agrarian movement in the Mewar State in present Udaipur District. The Jagirdar of Bijolia was a Parmar Rajput having 96 villages in his jagir. There were 86 different taxes on peasants against which peasants revolted in 1905. The initial leadership was provided by Sitaram Das. The movement got linked to national movement. Vijay (Bijoy) Singh Pathik and Manik Lal Verma (future Chief Minister of Rajasthan) led a no tax movement in 1916. It was called Bijolia movement. The peasants refused to do begar and held back the taxes. The movement continued through 1920s and spread over to other States of Rajputana.
#RAS