करीना ए जिंदगी
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आओ इलमे दीन सीखें
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*★الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ★*
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  📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕

  ✍🏻 *_....भाग-4⃣9⃣_*

      *_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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*_🔵[इन रातों में सोहबत न करें]🔵_*

✍🏻 *_अमीरूल-मोमिनीन हज़रत अली_* और *_हज़रत अबू ह़ुरैरा_* और *_हज़रत अमीर मुआ़विया_* _[रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा] से रिवायत किया है कि.........!_

 💫 _"(हर महीने की) चाँद रात, और चाँद की पन्द्रहवी शब, और चाँद के महीने की आख़िरी शब, सोहबत करना मकरूह है, कि इन रातों मे जिमा के वक्त़ शैतान मौजूद होते है"_

📕 *_[कीमीया-ए-सआ़दत, सफा नं 266]_*

✍🏻 _तहक़ीक़ यह है कि इन रातों में सोहबत करना जाइज़ है, लेकिन एहतियात इसी मे है कि सोहबत करने से इन रातो मे परहेज करे।_ *_(वल्लाहु तआला आ़लम)_*
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*_🔵[रमज़ान-उल मुबारक मे मुबाशरत]🔵_*
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💎 *_आयत :_* _अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इर्शाद फरमाता है.................._ *_तर्जुमा_* _रोज़ों की रातों में अपनी औरतों के पास जाना तुम्हारे लिए हलाल हुआ ।_

📕 *_[तर्जुमा कन्जुल इमान, सूर ए बखरा आयत नं 187,]_*

     👉🏻 _रमज़ान के महीने मे रात को सोहबत कर सकते है नापाक़ी की हालत मे सेहरी किया तो जाइज़ है और रोज़ा भी हो जाता है। लेकिन नापाक रहना सख़्त गुनाह है।_
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✍🏻 *_मसअ़ला :_* _रोज़े की हालत मे मर्द औरत ने सोहबत की तो रोज़ा टूट गया मर्द ने औरत का बोसा लिया, गले लगाया और इन्ज़ाल हो गया तो रोज़ा टूट गया!औरत को कपडे के उपर से छुआ और कपडा इतना मोटा है की बदन की गर्मी महसुस नही होती तो रोजा न टुटा, अगरचे मर्द को इंजाल हो गया और अगर औरत ने मर्द को छुआ और मर्द को इंजाल हो गया तो रोजा न गया!_

📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5, सफा नं 59]_*
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✍🏻 *_मसअ़ला :_* _किसी ने मर्द को या औरत को रोजे की हालत मे मजबुर किया की जिमा करे, नही तो कत्ल करने की उज्व काट डालने की या किसी और तरह की जानी नुक्सान पहु्ंचाने की धमकी दी, और रोजदार को यह यकीन है के अगर उसका कहेना न माना तो जो कहता है कर गुजरेंगा लिहाजा उसने जिमा किया तो रोजा टुट गया, लेकीन कफ्फारा लाजीम न हुआ, सिर्फ कजा रोजा रखना होंगा!_

📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5, सफा नं 61]_*
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✍🏻 *_मसअ़ला :_* _औरत ने मर्द को जिमा करने पर मजबुर किया तो मर्द औरत का रोजा टुट गया, लेकीन औरत पर कफ्फारा वाजीब है मर्द पर नही बल्की वह सिर्फ कजा रोजा रखेंगा_

📕 *_[बहारे शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5, सफा नं 62]_*
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✍🏻 *_मसअ़ला :_* _जान बूझकर मर्द ने रोजे की हालत मे औरत से जिमा किया, इंजाल हो न हो (यानी मनी निकले या न निकले) तो रोज़ा टूट गया और कफ़्फ़ारा भी लाजीम हो गया।_

📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5, सफा नं 61]_*
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💎💎 *_कफ़्फ़ारा: कफ़्फ़ारा यह है कि एक गुलाम आजाद करे! (मौजुदा दौर मे यह किसी भी मुल्क मे मुमकीन नही) दुसरी सुरत यह है के लगातार साठ (60) रोज़े रखे! अगर यह भी न हो सके तो फिर 60 मिस्कीनो (गरीब मोहताज़ों) को पेट भर कर दोनो वक्त़ो का खाना खिलाए। और अगर रोज़ा रखने की सूरत में अगर बीच में एक दिन का भी रोज़ा छूट गया तो अब फिर से साठ (60) रोज़े रखने होगें पहले रखे हुए रोज़ों को गिना नही जाएगा। मसलन (59) रख चुका था साठवॉं नही रख सका तो फिर से रोज़े रखे। पहले के उन्सठ (59) बेकार हो गए। लेकिन अगर औरत को रोज़े रखने के दौरान हैज़ (माहवारी) आ गई तो हालते हैज़ मे रोज़े रखना छोड़ दे फिर बाद में पाक़ होने के बाद बचे हुए रोज़े रखे यानी पहले के रोज़े और हैज़ के बाद वाले रोज़े पुरे कर ले! हैज से पहले और हैज के बाद के दोनों को मिला कर साठ (60) रोजे हो जाने से कफ़्फ़ारा अदा हो जाएेगा अगर कफ़्फ़ारा अदा न किया तो सख़्त गुनाहगार होगा और बरोज़े महशर सख़्त अज़ाब़ होंगा।_*

📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5 सफा नं 62]_*
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✍🏻 *_बाकी अगले पोस्ट में..._*

📮 *_जारी है..._*
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_✍🏻 मुसन्नीफ -मुहम्मद फारुख खान अशरफी रजवी साहब, नागपुर महाराष्ट्र!_
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*_طالِبِ دُعا سید محمّد حسن قادری _*

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اسلام کے دشمنوں کی کتابیں پڑھنے کے نتائج

Islam Kay Dushmanon Ki Kitabain Parhnay Kay Nataij

🎙مبلغ:مفتی قاسم عطاری

ثواب کی نیت سے شئیر کیجیے

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  📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕

  ✍🏻 *_....भाग-5⃣0⃣_*

      *_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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 🔵 *_[हैज़ (माहवारी) का बयान]_*  🔵
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            👉🏻 _बालेग़ा औरत के आगे के मक़ाम (शर्मगाह) से जो खून आदत के मुताबिक़ निकलता है उसे हैज़ (माहवारी MC Period) कहते है। लड़की को जिस उम्र से यह खून आना शुरू हो जाएे तो शरई रू से वह उस वक्त़ से बालिग़ समझी जाएंगी।_

✍🏻 *_मसअ़ला_* _हैज़ (माहवारी) की मुद्दत कम से कम तीन दिन और तीन रातें है यानी पूरे बहत्तर (72) घंटे, एक मिनट भी अगर कम है तो हैज़ नही। और ज़्यादा से ज़्यादा दस (10) दिन और दस रातें है।_

📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 42, कानूने शरीयत, जिल्द नं 1, सफा नं 51]_*
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✍🏻 *_मसअ़ला :_* _हैज़ में जो खून आता है उस के छह (6) रंग है, काला, लाल, हरा, पीला, गदला, (कीचड़ के रंग जैसा) और मटीला (मिट्टी के रंग जैसा) उन रंगों मे से किसी भी रंग का खून आए तो हैज़ है ! सफ़ेद रंग की रूतूबत (गीलापन) हैज़ नही।_

📕 *_[बहारे शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 43, कानूने शरीयत, जिल्द नं 1 सफा नं 52]_*
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✍🏻 *_मसअ़ला :_* _हैज़ और निफ़ास (निफ़ास का बयान आगे तफ्सील मे आएगा) की हालत में क़ुरआने करीम को छूना, देख कर या ज़बानी पढ़ना, नमाज पढना, दीनी किताबों को छूना, यह सब हराम है! लेकिन दुरूद शरीफ, कलीमा शरीफ, वगै़रह पढ़ने मे कोई हर्ज नही ।_

📕 *_[बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 46,]_*
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✍🏻 *_मसअ़ला :_* _हालते हैज़ मे औरत को नमाज़ मुआ़फ है! और उसकी कज़ा भी नही यानी पाक होने के बाद छूटी हुयी नमाज़ पढ़ना भी नही है। इसी तरह रमज़ान शरीफ के रोज़े हालते हैज़ मे न रखे लेकिन बाद में पाक होने के बाद जितने रोज़े छूटे थे वोह सब क़ज़ा रखने होंगे।_

📕 *_[फ़तावा-ए-मुस्तफ़विया, जिल्द नं 3, सफा नं 13, कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 46,]_*
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✍🏻 *_मसअ़ला :_* _यह जरूरी नही के मुद्दत मे हर वक्त खुन जारी रहे, बल्की अगर कुछ-कुछ वक्त आए जब भी हैज है!_
📕 *_[बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 42,]_*
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🔵 *_[हालत ए हैज़ मे मुबाशरत (सोहबत) हराम है!]_*  🔵
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💎 *_आयत:_* _अल्लाह तआला इर्शाद फरमाता है..._

*_وَ یَسۡئَلُوۡنَکَ عَنِ الۡمَحِیۡضِ ؕ قُلۡ ہُوَ اَذًی ۙ فَاعۡتَزِلُوا النِّسَآءَ فِی الۡمَحِیۡضِ ۙ وَ لَا تَقۡرَبُوۡہُنَّ حَتّٰی یَطۡہُرۡنَ ۚ فَاِذَا تَطَہَّرۡنَ فَاۡتُوۡہُنَّ مِنۡ حَیۡثُ اَمَرَکُمُ اللّٰہُ ؕ اِنَّ اللّٰہَ یُحِبُّ التَّوَّابِیۡنَ وَ یُحِبُّ الۡمُتَطَہِّرِیۡنَ_*

*_💎तर्जुमा : (ए महेबुब!) और तुम से पुछते है हैज का हुक्म! तुम फरमाओ के वह नापाकी है! तो औरतों से अलग रहो हैज़ के दिनों, और इनसे नज़दीकी न करो, जब तक पाक न हो लें, फिर जब पाक हो जाए तो इनके पास जाओ जहाँ से तुम्हे अल्लाह ने हुक़्म दिया। बेशक अल्लाह पसंद करता है बहुत तौबा करने वालो को, और पसंद रखता है सुथरो (पाक रहने वालो) को!_*

📕 *_[तर्जुमा :- कन्जुल इमान सूर ए बखरा, आयत नं 222]_*
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👉 *_जब औरत हाइजा (हैज की हालत मे हो तो उससे जिमा करना सख्त गुनाहे कबीरा, नाजाइज व सख्त हराम है! इस बात का खयाल हमेशा रखे की जब कभी सोहबत का इरादा हो तो पहले औरत से दर्याफ्त कर ले, और औरत पर लाजीम है की अगर वह हाइजा है, तो मर्द को इस बात से आगाह कर दे! और मुबाशरत से बाज रखे! "और औरत पर वाजीब है के अगर वह हाइजा हो तो अपनी हालत से शौहर को वाकीफ कर दे ताकी शौहर मुबाशरत न करे वर्ना औरत सख्त गुनाहगार होंगी!_*
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✍🏻 *_अक्सर मर्द शादी की पहली रात बेसब्री का मुजाहरा करते है, और बावजुद इसके के औरत हाइजा होती है जिमा कर बैठते! अगर औरत हाइजा हो तो उससे मुबाशरत करना जाइज नही, चाहे शादी की पहली ही रात क्यो न हो! इसलिये मर्द की जिम्मेदारी है के वह शादी की पहली रात से ही अपनी बिवी को इन मसाईल से आगाह कर दे!_*
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जश्ने विलादत के मौके पर दावते इस्लामी का अनमोल तोह़फ़ा

कन्ज़ुल ईमान हिन्दी पहला पारा अोन लाइन हो चुका है
Kalma & Dua App for Kids कलमा और दुआ स्पेशल बच्चों के लिये एक शानदार तोहफा आलमी तहरीक दावतेइसलामी का👌👆
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  📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕

  ✍🏻 *_....भाग-5⃣1⃣_*

      *_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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🔵 *_[हालत ए हैज़ मे मुबाशरत (सोहबत) हराम है!]_*  🔵
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✍🏻 _हजरत इमाम मुहम्मद गजाली रदि अल्लाहु तआला अन्हु इर्शाद फरमाते है......._

💫 _"इल्मे दीन जो नमाज रोजा, तहारत वगैरह मे काम आता है, औरत को सिखाए! अगर न सिखाएंगा तो औरत को बाहर जाकर आलीम ए दीन से पुछना वाजीब और फर्ज है! अगर शौहर ने सिखा दिया है तो उसकी इजाजत के बगैर बाहर जाना और किसी से पुछना औरत को दुरूस्त नही, अगर दीन सिखाने मे कसुर करेंगा तो खुद गुनाहगार होंगा की हक तआला ने इर्शाद फरमाया.. ए इमान वालो! अपनी जानो और अपने घर वालो को जहन्नम की आग से बचाओ!_
📕 *_[किमीया ए सादात, सफा नं 265]_*

👉 *_हालते हैज मे औरत से सोहबत करना सख्त हराम है! जो की कुरआन से साबीत है! अल्लाह अज्जा व जल्ला और उसके रसुल ﷺ ने ऐसे शख्स से बेजारी का इजहार फरमाया है, जो हाइजा औरत से हम बिस्तरी करता है!_*
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*_🔵[हैज़ में मुबाशरत से नुकसान]🔵_* *________________________________*

      👉🏻 _हकीमों ने लिखा है कि औरत से हैज़ की हालत में सोहबत करने से मर्द और औरत को जुज़ाम (कोढ) की बीमारी हो जाती है। और कुछ हकीमों का कहेना है, कि हैज़ की हालत में सोहबत किया और अगर हमल ठहर गया तो औलाद नाकिस (अधूरी) या फिर जुजामी पैदा होगी।_

📕 *_[इहया उल उलुम, जिल्द नं 2, सफा नं 95]_*

  👉🏻 _हालते हैज़ मे सोहबत करने से औरत को सख्त नुक्सान है, क्योंकि औरत की फरज से लगातार गंदा खून खारीज होता रहता है, जिस की वजह से वह मकाम नर्म और नाजुक़ हो जाता है! अब अगर ऐसी हालत मे जिमा किया गया तो इस मकाम मे रगड की वजह से वहां ज़ख़्म बन जाता है! फिर मजीद यह की जख्म मे गर्मी की वजह से पीप भर जाता है! बाद मे मुख्तलीफ बिमारीयॉ पैदा होने लगती है!_

👉🏻 _हकीमो के मुताबीक हैज मे मुबाशरत करने से *सोजीशे रहम, सुजाक व आतिश्क* जैसे मर्ज लाहिक हो जाते है! इसलिये हालते हैज मे जिन्सी इख्तिलात सेहत के लिये नुक्सानदेह है!_
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✍🏻 *_मसअ़ला :_* _औरत हैज़ की हालत मे है और मर्द को शहवत (Sex) का ज़ोर है, और डर यह है कि कही जिना मे न फंस जाऊ, तो ऐसी हालत मे औरत के पेट पर अपने आले (लिंग) को मस कर के इंजाल कर सकता है, जो जाइज़ है लेकिन रान पर नाजाइज़ है कि हालते हैज़ मे नाफ़ के नीचे से घुटने तक अपनी औरत के बदन से फाइदा हासील नही कर सकता।_

📕 *_[इहया उल उलुम, जिल्द नं 2, सफा नं 95, फ़तावा-ए-अफ़्रीक़ा, सफा नं 171]_*

👉🏻 *_याद रहे यह मसअ़ला ऐसे शख़्स के लिए है जिसे ज़िना हो जाने का गालीब गुमान हो तो वह इस तरह से फरागत हासिल कर सकता है। लेकिन सब्र करना और उन दिनों (हैज) मे सोहबत से परहेज करना ही अफ़जल है।_*

📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1 सफा नं 42]_*
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  📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕

  ✍🏻 *_....भाग-5⃣2⃣_*

      *_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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  *_🔵हैज़ में औरत अछूत क्यों 🔵_*
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✍🏻 _कुछ लोग औरत को हालते हैज़ (माहवारी) में ऐसा नापाक और अछुत समझ लेते है के, उसके हाथ का छुआ पानी, खाने पिने से परहेज करते है! यहॉ तक के उसके साथ बैठना भी छोड देते है! यह आम खयाल है की जिस कमरे मे हाईजा औरत हो वह कमरा नापाक है और अगर ऐसे मौके पर किसी बुजुर्ग की फातीहा आ जाए तो उस घर मे फातीहा नही होती! या अगर फातीहा दी भी जाए तो यह खयाल रखा जाता है के ऐसी औरत का हाथ भी इन चिजो को नही लगना चाहीये जो फातीहा के लिये रखी जाती है! गरज के हाइजा औरत के के मुतअल्लीक कई तरह की जाहीलाना बाते आज कौम ए मुस्लीम मे देखी जा सकती है! यह सब लग्व व फुजुल व जेहालत है! याद रखीये हाइजा औरत फातीहा का खाना पका सकती है, इसमे कोई कबाहत नहीं, हॉ फातीहा नहीं दिला सकती की इसमे कुरआने करीम की सुरते पढी जाती है_

_👉🏻 ऐसे लोग जो हालते हैज मे औरत को अछुत समझते है, उनके मुतअल्लीक शहज़ाद-ए-आला हज़रत हुज़ूर मुफ़्ती-ए-आज़मे हिन्द [रहमतुल्लाह तआला अलैह] अपने फ़तवे में इरशाद फरमाते है ........_

 💫 *_"जो लोग ऐसा करते है वह नाजाइज़ व गुनाह का काम करते है, और मुशरेकीन यहूद, मजुस की रस्मे मरदूद की पैरवी करते है। हालते हैज़ मे सिर्फ़ सोहबत करना नाजाइज़ है बस इससे परहेज़ ज़रूरी है ! मुशरेकीन, यहूद, और मजूस की तरह हैज़ वाली औरत को Sweeper से भी बदतर समझना बहुत ना पाक ख़याल निरा, जुल्म अजीम वबाल है, यह उन की मनघडत है।_*

📕 *_[फ़तावा-ए-मुस्तफ़्विया, जिल्द नं 3, सफा नं 13]_*
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📚 *_हदीस :_* _उम्मुल मोमीनिन हजरत आइशा सिद्दीका रजी अल्हाहु तआला अन्हा इर्शाद फरमाती है....._

💫 _हुजुर ए अक्रम ﷺ ने मुझ से फरमाया की "ए आइशा! हाथ बढाकर मस्जीद से मुसल्ला उठा कर दो" मैने अर्ज किया "मै हैज से हु!" हुजुर ﷺ ने फरमाया "तुम्हारा हैज तुम्हारे हाथ मे नही!"_

📕 *_[सही मुस्लीम शरीफ जिल्द नं 1, किताबुल हैज, बाब नं 3 सफा नं 143,]_*
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📚 *_हदीस :_* _हालते हैज़ मे सोहबत करना बहुत बड़ा गुनाह हराम व नाजाइज़ है! लेकिन औरत का बोसा ले सकते है। ख़बरदार बात बोस व कनार तक ही रहे उससे आगे मुबाशरत तक न पहुँच जाए। इसी तरह एक ही प्लेट में साथ खाने पीने यहां तक कि हाइजा औरत का झूठा खाने पीने मे भी कोई हर्ज नही है। गरज कि औरत से वैसा ही सुलूक रखे जैसा आम दिनो मे रहता है।_

📕 *_[मुलख्खस तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, सफा नं 136,]_*
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📚 *_हदीस :_* _उम्मुल मोमीनिन हजरत आइशा सिद्दीका रजी अल्हाहु तआला अन्हा इर्शाद फरमाती है....._

💫 _"जमानाए हैज (हैज के दौरान) मे मै पानी पिती फिर हुजुर ﷺ को देती तो जिस जगह मेरे लब लगे होते हुजुर ﷺ वही दहने मुबारक रख कर पीते, और हालते हाज मे मै हड्डी से गोश्त मुंह से तोड कर खाती फिर हुजुर ﷺ को देती तो हुजुर ﷺ अपना दहन शरीफ उस जगह पर रखते जहॉ मेरा मुंह लगा था!"_
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✍🏻 *_मसअ़ला :_* _हालते हैज़ मे औरत के साथ शौहर का सोना जाइज़ है। और अगर साथ सोने में शहवत (Sex) का ग़लबा और अपने आपको को क़ाबू मे न रखने का शुबह (शक) हो तो साथ न सोए । और अगर खुद पर ऐतमाद व पक्का यक़ीन हो तो साथ सोना गुनाह नही है।_

📕 *_[बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 74,]_*

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✍🏻 *_बाकी अगले पोस्ट में..._*

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_✍🏻 मुसन्नीफ -मुहम्मद फारुख खान अशरफी रजवी साहब, नागपुर महाराष्ट्र!_
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  🔵 *_हैज़ के बाद सोहबत कब जाइज है_*  🔵
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             👉🏻 _हमारे इमाम, इमामे आ़ज़म अबू हनीफ़ा [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] के नज़दीक औरत को हैज का खुन (10) दस दिनो के बाद आना बन्द हो जाए तो ग़ुस्ल से पहले भी सोहबत करना जाइज़ है, लेकिन बेहतर यह है के औरत ग़ुस्ल कर ले उस के बाद ही मुबाशरत की जाए।_
          
📚 *_हदीस :_* _हज़रत सालिम बिन अब्दुल्लाह और हज़रत सुलेमान बिन यासीर रदी अल्लाहु तआला अन्हुमा से हैज़ वाली औरत के बारे में पूछा गया की........._

 💫 *_"क्या उस का शौहर उसे पाक देखे तो ग़ुस्ल से पहले सोहबत कर सकता है या नही"? दोनों ने जवाब दिया...."न करे यहाँ तक कि वह ग़ुस्ल कर ले।_*

📕 *_[मोअत्ता इमाम मालिक, जिल्द नं 1, बाब नं 26, हदीस नं 90, सफा नं 79,]_*
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✍🏻 *_मसअ़ला :_* _दस (10) दिन से कम मे खून आना बंद हो गया हो तो जब तक औरत ग़ुस्ल न करे सोहबत जाइज़ नही।_

📕 *_[बहारे शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 2, सफा नं 47,]_*

✍🏻 *_मसअ़ला :_* _आदत के दिन पूरे होने से पहले ही हैज़ का खून आना बंद हो गया तो अगर्चे औरत ग़ुस्ल कर ले सोहबत जाइज़ नही, मसलन किसी औरत की हैज़ की आ़दत चार दिन व चार रात थी और इस बार हैज़ आया तीन दिन व रात तो चार दिन व रात जब तक पूरे न हो जाए सोहबत जाइज़ नही।_

📕 *_[बहारे शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 2, सफा नं 47,]_*
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  🔵 *_हैज़ से पाक होने का तरीका_*  🔵
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✍🏻 *_मसअ़ला :_* _औरत को जब हैज़ (खुन आना) बंद हो जाए तो उसे ग़ुस्ल करना फ़र्ज़ है।_

📕 *_[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 38,]_*

💫 *_हैज से फरागत के फौरन बाद गुस्ल करना जरुरी है! बिला कीसी उज्रे शरई गुस्ल मे ताखीर (देरी) करना सख्त हराम है!_*
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📚 *_हदीस :_* _उम्मुल मोमीनीन हज़रत आएशा सिद्दीक़ा [रदि अल्लाहु तआला अन्हा] से रिवायत है कि......._

*_أن امرأة سألت النَّبيّ - صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ - عَن غسلها مِن المحيض، فأمرها كيف تغتسل، قالَ: خذي فرصة مِن مسك فتطهري بها . قالت: كيف أتطهر بها؟ قالَ: تطهري بها . قالت: كيف؟ قالَ: سبحان الله، تطهري ، فاجتذبها إلي، فقلت: تتبعي بها أثر الدم_*

💫💫 _"एक औरत ने *रसूलुल्लाह ﷺ* से हैज़ के ग़ुस्ल के बारे मे पूछा । आप ने उसे बताया.. "यूं गुस्ल करें" और फिर फ़रमाया..... "मुश्क (कस्तूरी) मे बसा हुआ रूई का फाया ले और उस से तहारत हासिल करे"! वह औरत समझ न सकी और अर्ज किया..... "किस तरह से तहारत करूँ"? फरमाया....... "सुब्हानल्लाह! उससे तहारत करो " (हज़रत आएशा सिद्दीका फरमाती है) "मैंने उस औरत को अपनी तरफ़ ख़ींच लिया और उसे बताया कि उसे खून के मुक़ाम पर फेरे "।_

📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 215, हदीस नं 305, सफा नं 201,]_*

✍🏻 *_नोट :-_* _इस ज़माने में मुश्क मिलना मुश्किल है इसलिए उसकी जगह गुलाब जल या इत् वगैरह का फाया लें।_

💫 _इसी हदीस के तहत इमाम अहमद रजा कादरी रजी अल्लाहु अन्हु नक्ल फरमाते है_

👉 *_हैज वाली औरत को मुस्तहब है की बाद फरागे हैज जब गुस्ल करे, पुराने कपडे से फर्जे दाखील (गुप्तांग) के अंदर से खुन का असर साफ करले_*

📕 *_[फतावा रज्वीया जिल्द नं 1, किताबुत्तहारत बाबुल वजु सफा नं 54]_*

💫 _आगे मजीद "रद्दुल मुहतार, फतावा शामी, और फतावा तातर खानीया वगैरह के हवाले से फरमाते है......_

💫 *_गुस्ल मे औरत को मुस्तहब है के फरजे दाखील (गुप्तांग) के अंदर उंगली डालकर धो ले, हॉ वाजीब नही बगैर उसके भी गुस्ल उतर जाएंगा!_*
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          👉🏻 *_इस हदीस से मालुम हुआ कि हैज़ का खून आना बंद हो जाए तो, जब औरत ग़ुस्ल करने बैठे तो पहले रूई (Cotton,) को इत्र वगै़रा की ख़ूशबू में बसा ले फिर उससे खून के मक़ाम पर अच्छी तरह फेरे ताकि वहॉ की गंदगी अच्छी तरह से साफ़ हो जाए, फिर उस के बाद ग़ुस्ल कर ले! (गुस्ल का तरीका आगे आऐंगा)_*
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✍🏻 *_बाकी अगले पोस्ट में..._*

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  📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕

  ✍🏻 *_....भाग-5⃣4⃣_*

      *_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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🔥🔥 *_दुबूर (पीछे के मकाम) में सोहबत_* 🔥🔥
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          👉🏻 _कुछ कम अक़्ल जाहिल, हालते हैज़ मे औरत से उस के दुबुर (पीछे के मक़ाम, पाख़ाने की जगह) में सोहबत कर बैठते है और दीन व दुनिया दोनो अपने ही हाथों बरबाद करते है। होश में आईये यह कोई मामूली सा गुनाह नही बल्कि शरीअ़त मे सख़्त हराम है और गुनाहे कबीरा है। बल्कि कुछ हदीसो में तो इस फे'ल को कुफ़्र तक बताया गया है।_

📚 *_हदीस :_* _हज़रत अबु ज़र [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है कि *रसूलुल्लाह ﷺ* ने इर्शाद फरमाया.........._

💎 *_"पीछे के मकाम मे औरत से वती (सोहबत) करना हराम है।"_*

📕 *_[मुस्नदे इमामे आ़ज़म, सफा नं 223,]_*
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📚 *_हदीस :_* _हज़रत अबू ह़ुरैरा [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है की ..... *रसूलुल्लाह ﷺ* ने इर्शाद फरमाया.........._

💎 *_"जिस ने औरत या मर्द से उस के पीछे के मुक़ाम में (जाइज़ समझते हुए) सोहबत की उस ने यक़ीनन कुफ़्र किया"।_*

📕 *_[अबूूदाऊद शरीफ, अहमद शरीफ, नसाई शरीफ वगै़रा]_*
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📚 *_हदीस :_* *_रसूलुल्लाह ﷺ_* _ने इर्शाद फरमाया........._

*_لاينظر الله يوم القيامة إلى رجل أتى رجلاً، أو امرأة في دّبرها_*

💎 *_"अल्लाह तआ़ला क़ियामत के दिन ऐेैसे शख़्स की तरफ़ नज़रे रहमत नही फरमाएगा जिसने औरत के पीछे के मक़ाम से सोहबत की"।_*

📚 *_[ बुखारी शरीफ, तिर्मिज़ी शरीफ, अबूू दाऊद शरीफ, इब्ने माज़ा शरीफ, मुस्लिम शरीफ, नसाई शरीफ (जिसे स्याह ए सित्ता शरीफ कहा गया है मोअत्तेबर हदिस की (6) किताबे]_*
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📚 *_हदीस :_* _हज़रत अबू ह़ुरैरा [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है की ..... *रसूलुल्लाह ﷺ* ने इर्शाद फरमाया.........._

💎 *_"दुबूर (पिछे के मकाम ) मे जिमा करने वाला मलऊन है"!_*

📕 *_[अबूू दाऊद शरीफ, जिल्द 2, बाब नंबर 123, हदीस नं 395]_*
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💫 _इमाम मुहम्मद गजाली रदी अल्लाहु तआला अन्हु नक्ल फरमाते है........._

👉 *_"औरत के दुबुर मे (सोहबत) दुरुस्त नही, इसलिये की उसका हराम होना ऐसा ही है जैसे हैज मे जिमा हराम है! दूबूर (पिछे के मकाम) मे जिमा से औरत को तक्लीफ पहुंचती है!चुनांचे उसका हराम व नाजाईज होना यह निस्बते हैज की हुरमत से ज्यादा सख्त तर है!"_*

📕 *_[इहया उल उलुम, जिल्द 2, सफा नं 95]_*
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_अगर हम गौ़र करे तो मालूम होगा कि अक़्ल की रू से भी यह काम निहायत ही गंदा और ना पसंदीदा है। हर मिजाजे सलीम और तबअे मुस्तकीम इससे खुद ब खुद घिन आती है। और इसको एक करीह, बदमजा काम जानती है! उलमा-ए-किराम ने औरत से उस के दुबुर मे सोहबत करने के होनेवाले कई नुक़्सानात पर तफ्सीली तब्सीरा किया है जिनमें से चंद यहाँ बयान किये जाते हैं।_
✍🏻 *_अव्वल तो यह गिलाज़त, और गन्दगी के निकलने का मकाम है! वती (सोहबत) की लज्जत व लुत्फ अंदोजी को इस गंदगी और गिलाजत की जगह से क्या इलाका (काम)! बल्के ऐसे मौके पर तो इंसान लताफत व पाकीजगी को मुतलाशी (ढुढना) होता है!_*

✍🏻 *_दूसरा यह कि वती औरत का मर्द पर एक हक होता है! और वह हक इस शक्ल मे तबाह होता है_*

✍🏻 *_तीसर यह कि कुदरत ने इस मकाम को इस बुरे, बेहुदा काम के लिये नही बनाया है, गोया ऐसे काम का इर्तिकाब कुदरत के बनाए हुए उसुल (नियम) से बगावत करना है!_*

✍🏻 *_चौथा यह की मर्द के लिये जिमा की यह शक्ल निहायत ही मुजीर सेहत (सेहत के लिये नुक्सान देह) है! हालीया रिसर्च (AIDS) Acquired Amino Deficiency Syndrome होने की भी एक वजह है!_*

 ✍🏻 *_पॉंचवा यह है कि इस सूरत में ऊज़ू-ए-तनासुल (लिंग) की रगो और जिस्म के दूसरे हिस्सों पर ख़िलाफ़े फितरत जोर पड़ता है जो रगों के लिए नुकसानदेह है! इस तरह के दिगर कई और ऐब, नुक़्सानात व बुराईयॉ के पेशे नजर शरीयत ने इस काम को हराम करार दिया है और इस अमले बद से मना किया है!_*
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  📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕

  ✍🏻 *_....भाग-5⃣5⃣_*

      *_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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🔵 *_इस्तेहाज़ा का बयान_*  🔵
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              👉🏻 _वोह खून जो औरत के आगे के मक़ाम से निकले और हैज़ व निफ़ास का न हो वोह इस्तेहाज़ा है। इस्तेहाज़ा का खून बीमारी की वजह से आता है।_
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✍🏻 *_मसअ़ला :_* _हैज़ की मुद्दत ज़्यादा से ज़्यादा दस दिन और दस राते है! और कम से कम तीन दिन और तीन राते रात है। अगर खुन दस दिन, दस रात से कुछ ज्यादा आया,या तीन दिन, तीन रात से कुछ भी कम आया तो वोह खून हैज़ का नही इस्तेहाज़ा का है। अगर किसी औरत को पहली मर्तबा हैज़ आया है तो दस दिन, दस रात हैज़ है, और बाद का इस्तेहाज़ा है ! और अगर पहले उसे हैज़ आ चुके है और आ़दत दस दिन, दस रात से कम की थी तो आ़दत से जितने ज़्यादा दिन आया वोह इस्तेहाज़ा है। उसे यूं समझिए कि किसी औरत को पाँच दिन, पॉंच रात की आ़दत थी (यानी उसे हमेशा हैज़ पाँच दिन पॉंच रात आता फिर बंद हो जाता था) लेकिन अगर बाराह दिन आया तो पॉंच दिन व रात (जो आदत के थे) बाकी सात दिन व सात राते इस्तेहाज़ा के है । और अगर हालत मुक़र्रर न थी बल्कि हैज़ कभी चार दिन, कभी पाँच दिन, और कभी छह दिन वगैरह आता था, तो पिछली मर्तबा जितने दिन आया इतने ही दिन हैज़ के समझे जाएंगे और बाकी इस्तेहाज़ा के।_

📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 42, कानूने शरीयत सफ नं 52]_*
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✍🏻 *_मसअ़ला :_* _इस्तेहाज़ा मे नमाज़ माफ नही (बल्कि नमाज़ छोड़ना गुनाह है) न ही रमजान शरीफ के रोजे माफ है, ऐसी हालत मे औरत से जिमाअ भी हराम नही।_
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*_✍🏻 मसअ़ला :_* _अगर इस्तेहाज़ा का खून इस क़दर आ रहा हो कि इतनी मोहलत नही मिलती कि वुज़ू करके फ़र्ज़ नमाज़ अदा कर सके, तो एक वुज़ू से इस एक वक्त़ में जितनी नमाज़े चाहे पढ़े, खून आने से भी इस पूरे वक्त़ के अंदर वुज़ू न जाऐगा अगर कपड़ा वगै़रह रख कर नमाज़ पढ़ने तक खून रोक सकती है तो वुज़ू करके नमाज़ पढ़े।_

📕 *_[कानूने शरीयत, जिल्द नं , सफा नं 54,]_*
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*_💎 तहारत का बयान 💎_*
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*_💎 अल्लाह रब्बुल इज्जत इर्शाद फरमाता है..._*

*_اِنَّ اللّٰہَ یُحِبُّ التَّوَّابِیۡنَ وَ یُحِبُّ الۡمُتَطَہِّرِیۡنَ ﴿۲۲۲﴾_*

*_💎 "बेशक अल्लाह! पसंद करता है, बहुत तौबा करने वालो को, और पसंद करता है सुथरो को!"_*

📕 *_[ सुरह ए बखराह आयत 222, तर्जुमा कंजुल इमान]_*
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*_📚 हदिस :_* _अल्लाह के रसुल ﷺ इर्शाद फरमाते है..........._ *_"पाकीजगी आधा इमान है!"_*
_और फर्माते है........ हमारे प्यारे आका ﷺ_ *_" दीन की बुनियाद पाकीजगी पर है!"_*

📕 *_[ किमीया ए सआदत सफ नं 132]_*
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  📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕

  ✍🏻 *_....भाग-5⃣6⃣_*

      *_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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*_🔵 गुस्ल कब फर्ज होता ह🔵_*
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👉🏻 _गुस्ल पॉंच चीजों से फर्ज होता है! यानी इन पॉंच चीजो मे से कोई एक भी सुरत पायी जाए तो गुस्ल फर्ज है! हर एक के बारे मे तफ्सील यह है!_

1⃣ *_मनी निकलने से :_* _मर्द ने औरत को छुआ, या देखा, या सिर्फ औरत के खयाल से ही मजे के साथ मनी (विर्य) अपने मकाम से निकली तो गुस्ल फर्ज हो गया! चाहे सोते मे हो या जागते मे, इसी तरह औरत ने मर्द को छुआ, या देखा, या उसका खयाल लाई और लज्जत के साथ मनी निकली तो औरत पर भी गुस्ल फर्ज हो गया!_

💫 *_इन तमाम बातो का हासील यही है की अगर शहवत और मजे के साथ मनी अपने मकाम से निकले चाहे औरत से हो या मर्द से तो गुस्ल फर्ज हो जाता है_*

2⃣ *_एहतलाम से :_* _यानी सोते मे मनी का निकलना जिसे (Nightfall) भी कहते है, इससे भी गुस्ल फर्ज हो जाता है! यह मर्द और औरत दोनो को होता है! चुनांचे हदीस पाक मे है......_

*_📚 हदीस :_* _हजरत उम्मे सलमा रदी अल्लाहु तआला अन्हा ने रसुल ए करीम ﷺ से अर्ज किया... "या रसुलुल्लाह! अल्लाह तआला हक बात बयान करने मे हया नही फरमाता, जब औरत को एहतलाम हो जाए यानी वह मर्द को ख्वाब मे देखे तो उसके लिये गुस्ल जरुरी है"? हुजुर ﷺ ने इर्शाद फरमाया...... " हॉं अगर वह तरी (गिलापन) देखे तो गुस्ल करे"!_
     
📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द 1, बाब नं 195, हदीस नं 275, सफ नं 193, तिर्मीजी शरीफ, जिल्द 1, बाब नं 89, हदीस नं 114, सफ नं 130]_*
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*_✍🏻 मस्अला :_* _रोजे की हालत मे था, और एहतलाम हो गया, तो रोजा न टुटा और न ही रोजे मे कोई खराबी आई, लेकीन गुस्ल फर्ज हो गया!_
📕 *_[बहार ए शरीयत, व कानुन ए शरीयत]_*
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*_3⃣ मुबाशरत (सोहबत) करने से :_* _मर्द ने औरत से जिमाअ किया और अपने आले (लिंग) को औरत के आगे के मकाम (योनी) मे हश्फा दाखील किया चाहे शहवत के साथ हो या बगैर शहवत, इंजाल (Discharge) हो या न हो (सिर्फ मर्द का अपने उज्व (लिंग) को औरत की फरज (योनी) मे हश्फा तक दाखील कर देने से ही) मर्द और औरत दोनो पर गुस्ल फर्ज हो गया!_
📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द 1, बाब नं 201, हदीस नं 284, सफ नं 195]_*
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*_4⃣ हैज के बाद :_* _औरत को हैज का खुन आना जब बंद हो जाए, तो उसके बाद उसे गुस्ल करना फर्ज है!_
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*_5⃣ निफास के बाद :_* _औरत को बच्चा पैदा करने के बाद जो खुन फरज से आता है, उसे निफास कहते है! उस खुन के बंद हो जाने के बाद औरत पर गुस्ल करना फर्ज है!_ *_यह जो मशहुर है की औरत बच्चा पैदा करने के चालीस दिन बाद पाक होती है, यह गलत है! (उसकी तफ्सील और निफास का मुफस्सल बयीन आगे आएंगा)_*

📕 *_[कानुन ए शरीयत जिल्द 1 सफ नं 38]_*
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*_💫 इन पॉंच चिजो से गुस्ल फर्ज हो जाता है! इसके अलावा चंद जरुरी मसाइल है जिनका जानना और याद रखना हर मुसलमान को जरुरी है!_*
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*_1⃣ मनी :_* _मनी वह है जो शहवत के साथ निकलती है!_

*_2⃣ मजी :_* _मजी वह है जो बगैर मजा के ऐसे ही उज्व ए तनासुल (लिंग) मे से चिप-चिपा सा माद्दा निकलता है! नरीयल के तेल की तरह का माद्दा कभी कब्ज से कभी हाज्मे की खराबी से भी निकलता है!_

*_3⃣ वदी :_* _गाढे पेशाब को कहते है, जो गालीबन देखने मे गाढे दुध की तरह होता है!_

*_💫मनी निकलने से गुस्ल फर्ज होता है, जब की मजी और वदी के नीकलने से गुस्ल फर्ज नही होता लेकीन वुजु टुट जाता है!_*
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*_✍🏻 मस्अला :_* _अगर मनी इतनी पतली पड गई के पेशाब के साथ या वैसे ही कुछ कतरे बगैर शहवत (बगैर मजे) के निकल जाए तो गुस्ल फर्ज न हुआ!_

📕 *_[कानुन ए शरीयत जिल्द 1 सफ नं 38]_*
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*_✍🏻 मस्अला (बिमारी से मनी निकलना) :_* _किसी ने बोझ उठाया, या ऊंचाई से निचे गिरा, या बिमारी की वजह से बगैर किसी मजे के मनी निकल गई तो गुस्ल फर्ज न हुआ, अल्बत्ता वुजु टुट गया!_
📕 *_[कानुन ए शरीयत जिल्द 1 सफ नं 38]_*

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  📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕

  ✍🏻 *_....भाग-5⃣7⃣_*

      *_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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*_🔵 गुस्ल कब फर्ज होता ह🔵_*
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*_✍🏻 मस्अला पेशाब के साथ मनी निकलना) :_* _अगर किसी ने पेशाब किया और मनी निकली, तो देखा जाए उस वक्त उज्व ए तनासुल (लिंग) मे तनाव था या नही! अगर तनाव था तो गुस्ल फर्ज हो गया, और अगर तनाव न था और बगैर किसी मजे के पेशाब के साथ मनी(विर्य) निकल गई तो गुस्ल फर्ज न हुआ_
📕 *_[फतावा आलमगिरी बहार ए शरीयत व कुतुब ए कसीरा]_*
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*_✍🏻 मस्अला :_* _मर्द और औरत एक ही बिस्तर पर सोए! बेदारी के बाद बिस्तर पर मनी के निशान पाया गया और दोनो मे से किसी को एहतलाम (Nightfall) याद नही तो एहतियात यह है के दोनो गुस्ल करे, यही ही सही है!_
📕 *_[बहार ए शरीयत जिल्द 1, हिस्सा नं 2,सफ नं 21]_*
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*_✍🏻 मस्अला :_* _किसी औरत ने अपने शौहर से सोहबत की, मुबाशरत के बाद गुस्ल कर लिया! फिर उसकी शर्मगाह (योनी) से उसके शौहर की मनी निकली तो उसपर गुस्ल वाजीब न होंगा लेकीन वुजु टुट जाएंगा!_
📕 *_[बहार ए शरीयत जिल्द 1, हिस्सा नं 2,सफ नं 22]_*
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*_💫नापाकी के हालत मे कौन सी बाते हराम है! 💫_*
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👉🏻 _जिस को नहाने (गुस्ल) की जरुरत हो, उसको मस्जीद मे जाना, काबा का तवाफ करना, कुरआन ए करीम को छुना, बे देखे या जुबानी पढना, या किसी आयत का लिखना, या ऐसी अंगुठी पहनना या छुना जिसपर कुरआन की कोई आयत या अदद या हुरुफे मुकत्तआत लिखे हुए हो, दिनी किताबे जैसे हदीस, तफ्सीर, और फिक्ह वगैरह की कितीबे छुना यह सब हराम है!अगर कुरआन ए करीम जुज्दान मे हो या कपडे मे लिपटा हुआ हो तो उसपक हाथ लगाने मे हर्ज नही! अगर कुरआन की कोई आयत कुरआन पढने की नियत से न पढी सिर्फ तबर्रुक के लिये बिस्मिल्लाह!अलहम्दु लिल्लाह! या सुरह ए फातीहा या आयतल कुर्सी या ऐसी कोई आयत पढी तो कोई हर्ज नही! इसी तरह दरूद शरीफ और कलमा भी पढ सकते है!_
📕 *_[कानुन ए शरीयत जिल्द 1, सफा नं 28]_*
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*_📚 हदीस : (मस्अला : नापाक का झुठा)_* _नापाक मर्द व औरत का और हैज व निफास वाली औरत का झुठा पाक है! इसी तरह उसका पसीना या थुक किसी कपडे या जिस्म से लग जाए तो नापाक न होंगा_

📕 *_[बुखारी शरीफ जिल्द 1 सफ: 193, कानुन ए शरीयत जिल्द 1, सफा नं 46, ]_*
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*_✍🏻 मस्अला : नापाक का नमाज पढना)_* _रात मे सोहबत की हो तो नमाजे फज्र से पहले, और अगर दिन मे सोहबत की हो तो अगली नमाज से पहले गुस्ल करले ताकी नमाज कजा न हो जाए, और ज्यादा वक्त तक नापाकी की हालत मे रहना न पडे की नापाक शख्स से रहमत के फरीश्ते दुर रहते है! गुस्ल की जरुरत है, और वक्त तंग है की अगर गुस्ल करता है तो फज्र की नमाज का वक्त खत्म हो जाएंगा और नमाज कजा हो जाएंगी ऐसी हालत मे तयम्मुम करके घर पर ही नमाज पढले, फिर उसके बाद गुस्ल करके उसी नमाज को दुबारा पढे! (इस तरह से अदा नमाज पढने का ही सवाब मिलेंगा)!_

📕 *_[अहकाम ए शरीयत जिल्द 2, सफा नं 172, ]_*
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*_👉🏻 जिस घर मे नापाक हो :_* _अक्सर मर्द और औरते शर्म व हया से गुस्ल नही करते और नापाकी की हालत मे कई कई दिन गुजार देते है! यह बहुत ही बडी नहुसत और जाहीलाना तरीका है! हदीस ए पाक मे है जिस घर मे नापाक मर्द या औरत हो, उस घर मे रहेमत के फरीशते नही आते, उस घर मे नहुसत व बेबरकती आ जाती है, कारोबार रिज्क से बरकत दुर हो जाती है और मुफ्लीसी, गुरबत, तंगदस्ती का बसेरा हो जाता है!_

*_👉🏻 गुस्ल से पहले बाल काटना :_* _गुस्ल करने से पहले नापाकी की हालत मे जेरे नाफ, बगल, सर, नाक के बाल और नाखुन वगैरह न काटे_

*_[किमीया ए सआदत सफ नं 267, ]_*
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*_💫"नापाक हालत मे जेरे नाफ के बाल, नाखुन, और सर के बाल वगैरह कांटना मना है, क्यु की आखीरत मे तमाम अज्जा उसके पास वापस आऐंगे तो नापाक अज्जा का मिलना अच्छा नही! यह भी लिखा है के हर बाल इंसान से अपनी नापाकी का मुतालबा करेंगा!"_*

*_[ इहया उल उलुम जिल्द 2, सफा नं 96, ]_*

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  ✍🏻 *_....भाग-5⃣8⃣_*

      *_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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*_🔵🔵नजासतो के पाक करने का तरीका 🔵🔵_*
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*_✍🏻 गुस्ल से पहले कपडो को पाक करना जरुरी है!_*

*_👉🏻 कपडो को पाक करना :_* _वह कपडा जिस पर नजासत (गंदगी) लगी हो, उस पर पहले साफ पानी बहा कर खुब अच्छी तरह मले! फिर कपडे को अच्छी तरह निचोड ले, फिर दुसरा साफ पानी ले और कपडे पर बहाए, फिर साबुन या सर्फ से अच्छी तरह धोए, फिर उस कपडे को निचोड ले! अब तिसरी मर्तबा साफ पानी लेकर कपडे पर बहाए और निचोड ले! अब आपका कपडा शरई रु से पाक हो गया! *यानी तिन मर्तबा नया (साफ) पानी लेना और तिन मर्तबा अच्छी तरह कपडे पर बहाना और फिर अच्छी तरह निचोड लेना जरुरी है*_
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*_✍🏻 मस्अला :_* _नजासत अगर पतली है, तो कपडा तिन मर्तबा धोने और तिन मर्तबा निचोडने से पाक होंगा! कपडे को अच्छी तरह निचोडने का मतलब यह है के हर बार अपनी कुव्वत से इस तरह निचोडे के पानी के कतरे टपकना बंद हो जाए! अगर कपडे का खयाल करके अच्छी तरह न निचोडा तो कपडा शरीयत के मुताबीक पाक नही समझा जाएंगा_
*________________________________*

*_✍🏻 मस्अला :_* _कपडे को तिन मर्तबा धो कर हर बार खुब निचोड लिया है की, अब निचोडने से पानी के कतरे नही टपके, फिर उसको लटका दिया और उससे पानी टपका तो यह पानी पाक है!_
*________________________________*

*_✍🏻 मस्अला :_* _अगर एक शख्स ने नापाक कपडे धोकर अच्छी तरह निचोड लिया, मगर एक दुसरा शख्स ऐसा है जो उस पहले शख्स से ज्यादा ताकतवर है! अगर वह कपडा निचोडे तो कुछ बुंदे टपक सकती थी, तो वह कपडा पहले वाले शख्स के लिये पाक है, और इस दुसरे ताकतवर शख्स के लिये नापाक है, क्यु के अगर वह धोता और निचोडता तो वह कपडा उसके लिये और पहले शख्स के लिये भी पाक होता_

👉🏻 *_इस मस्अले से मालुम हुआ के मर्द को अपने नापाक कपडे खुद ही धोने चाहीये! बीवी से न धुलवाए, क्यो केआम तौर पर औरत की ताकत मर्द की ताकत से कम होती है! अगर मर्द उन कपडो को निचोडे तो पानी की कुछ बुंदे कपडे से निकल सकती है, इसलिये मर्द के हक मे कपडे नापाक ही होंगे! लेकीन किसी की बीवी उस से ज्याजा ताकतवर हो और उसने अच्छी तरह से निचोडा है, तो मर्द के लिये कपडा पाक है! ऐसे मर्द जिनकी बीवी उन से ज्यादा ताकतवर है, उसके हाथो धुले कपडे पहनने मे कोई हर्ज नही!_*
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*_✍🏻 मस्अला :_* _कपडे को पहली मर्तबा धोने, निचोडने के बाद हाथ दुसरे नये पानी से अच्छी तरह धोए, फिर दुसरी मर्तबा कपडा धोने और निचोडने के बाद हाथ दुसरे पानी से फिर अच्छी तरह धोए! तिसरी मर्तबा कपडा धोने और निचोडने से कपडा और हाथ दोनो पाक हो गये!_
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*_✍🏻 मस्अला :_* _ऐसी चिजे जिन्हे निचोडा नही जा सकता, जैसे रूई का गद्दा, चटाई, कार्पेट, शतरंजी वगैरह, उन्हे पाक करने का तरीका यह है के, उन पर पहले इतना पानी बहाए की वह पुरी तरह भिग जाए, और पानी बहने लगे, उसके बाद हाथ से अच्छी तरह मले, और उसे उस वक्त तक छोड दे जब तक की पानी गद्दे, चटाई वगैरह से टपकना बंद हो जाए! फिर दुसरी मर्तबा पानी बहाए फिर छोड दे! जब पानी की बुंदे टपकना बंद हो जाए, तो अब तिसरी मर्तबा उस पर पानी बहाए और सुखने के लिये छोड दे! अब वह गद्दा या चटाई पाक हो गयी! तिन मर्तबा नया पानी उस चिज पर बहाना और हर मर्तबा पानी टपकने तक इंतजार करना जरुरी है_

📕 *_[उपर के तमाम मसाईल अहकाम ए शरीयत जिल्द 3, सफा नं 252, कानुन ए शरीयत 1, सफा नं 56, 75]_*

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_✍🏻 मुसन्नीफ -मुहम्मद फारुख खान अशरफी रजवी साहब, नागपुर महाराष्ट्
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*_क्या ऑटोमेटीक वाशींग मशीन (Automatic Washing Machine) मे नापाक कपडे पाक हो जाते है?_*
जवाब : मुफ्ती मुहम्मद अकमल साहब
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*✭ﺑِﺴْــــــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ✭*

*★الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ★*
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  📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕

  ✍🏻 *_....भाग-5⃣9⃣_*

      *_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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*_🔵गुस्ल का बयान 🔵_*
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*_💎 अल्लाह रब्बुल इज्जत इर्शाद फर्माता है!_*

*_وَإِن كُنتُمْ جُنُبًا فَاطَّهَّرُو ۚ_*
*_💎 तर्जुमा : और अगर तुम्हें नहाने की हाज़त हो तो खूब सुथरे हो लो।_*

📕 *_[कुरआन शरीफ, तर्जुमा कन्जुल ईमान, पारा 6, सूर ए मायेदा, आयत नं 6,]_*
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📚 *_[हदीस :_* _उम्मुल मोमिनीन हज़रत आएशा सिद्दीक़ा (रदि अल्लाहु तआला अन्हा) से रिवायत है कि *रसूलुल्लाह ﷺ* ने इर्शाद फ़रमाया..........!_

 💫 _"जब मर्द मुबाशरत के बाद ग़ुस्ल करता है तो बदन के जिस बाल पर से पानी गुज़रता है! उस हर बाल के बदले उसकी एक नेकी लिखी जाती है एक गुनाह कम कर दिया जाता है और एक दर्जा ऊँचा कर दिया जाता है। और अल्लाह तआला उस बंदे पर फख़्र फर्माता है, और फ़रिश्तों से फर्माता है कि "मेरे इस बंदे की तरफ देखो के इस सर्द रात में ग़ुस्ल ए जनाबत के लिए उठा है, उसे मेरे परवरदिगार होने का यक़ीन है, तुम गवाह हो जाओ कि मैने इसे बख़्श दिया"।_

*_👉🏻 यहॉ गौर करने वाली बात यह है के रात मे गुस्ल के लिये उठने की दो ही वजुहात नजर आती है! एक नमाजो की फिक्र या दुसरी माहे रमजान के लिये सेहरी के लिये_*

📕 *_[गुनीयातुत्तालिबीन, बाब नं 5, सफा नं 113,]_*
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_ग़ुस्ल में तीन फ़र्ज़ है इन में से अगर कोई एक भी फर्ज छूट गया तो चाहे समंदर में भी नहा ले तो भी ग़ुस्ल न होगा, और इस्लामी शरीयत के मुताबिक़ नापाक ही रहेगा ग़ुस्ल में तीन फ़र्ज़ है।_

1⃣ *_गरारा करना :_* _मुँह भर कर गरारा करना, इस तरह की हलक़ का आख़िरी हिस्सा, दाँतों की खिड़कियाँ, मसूढ़े, वगै़रह सब से पानी बह जाए। दाँतों में अगर कोई चीज़ अटकी हुई हो तो उसे निकालना ज़रूर है! अगर वहां पानी न लगा तो ग़ुस्ल न होगा। अगर रोज़ा हो तो गरारा न करे सिर्फ़ कुल्ली करे, कि अगर गलती से भी पानी हलक़ के नीचे चला गया तो रोज़ा टूट जाएंगा।_

*_ मसअ़ला :_* _कोई शख़्स पान, कथ्था वगै़रह खाता है और चूना व कथ्था दाँतों की जड़ों में ऐसा जम गया कि उसका छुड़ाना बहुत ज़्यादा नुक़्सान का  सबब है तो माफ है! और अगर बगै़र किसी नुक़्सान के छुड़ा सकता है तो छुड़ाना वाज़िब है बगै़र उस के छुड़ाए ग़ुस्ल न होगा।_

📕 *_[फ़तावा-ए-रज़्वीया, जिल्द नं 2, किताबुत्तहारत, बाबुल ग़ुस्ल सफ नं 18,]_*
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2⃣ *_नाक में पानी डालना :_* _नाक के आख़िरी नर्म हिस्से तक पानी पहुँचाना फ़र्ज़ है! नाक की गन्दगी को उँगली से अच्छी तरह से निकाले। पानी नाक की हड्डी तक लगाना चाहिए और नाक में पानी महसुस होने लगे।_
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*_3⃣ तमाम बदन पर पानी बहाना :_* _तमाम बदन पर पानी बहाना कि बाल बराबर भी बदन का कोई हिस्सा सूखा न रहे, बग़ल, नाफ, कान के सूराख वगैरह तक पानी बहाना ज़रूरी है_

📕 *_[बहारे शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा 18, कानूने शरीयत, जिल्द नं 1, सफा नं 37]_*
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  📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕

  ✍🏻 *_....भाग-6⃣0⃣_*

      *_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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*_🔵गुस्ल करने का तरीका 🔵_*
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             👉🏻 _ग़ुस्ल में नियत करना सुन्नत है! अगर न भी की तब भी ग़ुस्ल हो जाएगा। ग़ुस्ल की नियत यह है कि *"मैं पाक होने और नमाज़ के जाइज़ होने के वास्ते ग़ुस्ल कर रहा हूँ / या कर रही हूँ।*_

     👉🏻 _नियत के बाद पहले दोनों हाथ गट्टो (कलाई) समेत तीन मरतबा अच्छी तरह धोए, फिर शर्मगाह और उसके आस पास के हिस्सों को धोए ! चाहे वहां गंदगी लगी हो या न लगी हो, फिर बदन पर जहाँ जहाँ गन्दगी हो उन जगह को धोए, उस के बाद गरारा करे कि पानी हलक़ के आख़िरी हिस्से, दाँतों की खिड़कीयो, मसूढ़ो वगै़रह में बह जाए, कोई चीज़ दाँतों में अटकी हो तो लकड़ी वगै़रह से उसे निकाल ले, फिर नाक में पानी डाले, इस तरह की नाक की आख़िरी हिस्सा (हड्डी) तक पहुँच जाए और वह नाक में हल्का तेज़ मालुम हो! फिर चेहरा को धोए इस तरह के पेशानी से लेकर ठोढी तक, और एक कान की लौ से दूसरे कान की लौ तक, फिर तीन मर्तबा कोहनियो समेत हाथों पर पानी बहाए फिर सर का मसह करे, जिस तरह वुज़ू में करते है!_
            _उस के बाद बदन पर तेल की तरह पानी मले। फिर तीन मर्तबा सर पर पानी डाले फिर तीन मर्तबा सीधे मोन्ढ़े (कान्धे) पर और तीन मरतबा दाएँ मोन्ढ़े पर लोटे या मग वगै़रह से पानी डाले और जिस्म को मलते भी जाए इस तरह कि बदन का कोई हिस्सा सूखा न रहे! सर के बालों की जड़ों, बगल में शर्मगाह और उसके आस पास के हर हिस्सो पर सब जगह पानी पहुंच जाए! इसी तरह औरत अपने कान की बाली, नाक की नथुनी वगैरह को घुमा घुमा कर  वहाँ पानी पहुँचाए! सर की जडो तक पानी जरुर पहुंचे! अब आप इस्लामी शरीअ़त के मुताबिक़ पाक हो गये और आपका ग़ुस्ल सही हो गया! इसके बाद साबुन वगै़रह जो भी जाइज़ चीज लगाना हो तो वह लगा सकते है, आखिर में पैर धो कर अलग हो जाए।_

📕 *_[फ़तावा-ए-रज़्वीया, जिल्द नं 2, सफ नं 18, बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा 2 सफा नं 36,]_*
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*मसअ़ला :* _नहाने के पानी में बे वुज़ू शख़्स का  हाथ, उँगली, नाखून, या बदन का कोई और हिस्सा पानी में बे  धोए चला गया तो वह पानी ग़ुस्ल और वुज़ू के लाएक नही रहा! इसी तरह जिस शख़्स पर (ग़ुस्ल) फ़र्ज़ है उसके जिस्म का भी कोई हिस्सा बे धोए पानी से छू गया तो वह पानी ग़ुस्ल के लाएक नही। इस लिए टाकी वगै़रह का पानी जिस मे घर के कई लोगों के हाथ बगै़र धुले हुए पड़ते है उस पानी से ग़ुस्ल व वुज़ू नही हो सकता! ग़ुस्ल के लिए पहले से ही एहतियात से किसी बाल्टी या ड्रम मे अलग ही  नल से पानी भर ले। अगर ऐसी टाकी है जिसमे किसी का हाथ नहीं जाता और उसमे नल वगैरह लगा है, जैसे अमुमन मस्जीद मे होते है या आजकल बिंल्डींग मे छत के उपर प्लास्टीक के बडे-बडे टाकी (Water Tanks) लगाए जाते है, तो ऐसे टाकी के पानी से गुस्ल करना सही है! अगर गुस्ल के पानी मे धुला हुआ हाथ या बदन का कोई हिस्सा पानी में चला गया या छू गया तो कोई हर्ज नही। *इसी तरह ग़ुस्ल करते वक्त़ यह भी एहतियात रखे कि नापाक बदन से पानी के छींटे बाल्टी में मौजूद पानी जिस से ग़ुस्ल कर रहे है उसमें न जाने पाए*_

📕 *_[कानूने शरीयत, जिल्द नं 1, सफा नं 39,]_*
*________________________________*

*_मसअ़ला :_* _ऐसा हौज़ या तालाब जो कम से कम दस हाथ लम्बा, दस हाथ चौड़ा, (यानी कम अज कम 10X10 fits का) हो तो उसके पानी में अगर हाथ या नजासत (गन्दगी) चली गई तो वह पानी नापाक नही होगा, जब तक कि उस का रंग, या मज़ा, और बू (Smell) न बदल जाए। उससे ग़ुस्ल और वुज़ू जाइज़ है। हॉ अगर नजासत इतनी चली गई के पानी का रंग, या मज़ा या बू (Smell) बदल गई तो उस पानी से ग़ुस्ल व वुज़ू न होगा।_


📕 *_[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 39,]_*
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*✭ﺑِﺴْــــــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ✭*

*★الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ★*
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  ✍🏻 *_....भाग-6⃣1⃣_*

      *_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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*_🔵गुस्ल करने का तरीका 🔵_*
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*_मसअ़ला :_* _ग़ुस्ल करते वक्त़ किबले की तरफ रुख़ कर के नहाना मना है। ग़ुस्लखाने में छत हो और बंद दरवाजे हो, या ऐसी जगह जहॉ किसी के अचानक देखने का गुमान न हो तो वहॉ बरहाना (नंगे) नहाने में कोई हर्ज नही है! औरतों को ज़्यादा एहतियात की ज़रूरत है यहाँ तक कि बैठ कर नहाना बेहतर है। ऐसी जगह नहाए जहाँ किसी के देखने का अंदेशा न हो। नहाते वक्त़ बात चीत करना, कुछ पढ़ना, चाहे कोई दुआ ही क्यों न हो, कलमा शरीफ, दुरूद शरीफ़, वगै़रा पढ़ना सख्त मना है।_

*_🔥 कुछ लोग नहाते वक्त फिल्मी गित गाते है! और कुछ तो मआजअल्लाह! बे खयाली मे नात वगैरह गुनगुनाने लगते है! याद रखीये अव्वल तो गाना ही गाना जाइज नही! इसी तरह गुस्ल करते वक्त नात शरीफ वगैरह पढना भी सख्त ना जाइज व गुनाह है!_*

*_🔥कुछ लोग चड्डी पहने कर सड़कों के किनारेे नल में नहाते है यह जाइज़ नही! बल्कि सख़्त नाजाइज व गुनाह व हराम है! क्योंकि मर्द को मर्द से भी घुटने से नाफ़ तक का बदन का हिस्सा छुपाना फ़र्ज़ है_*


📕 *_[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 37,]_*
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*_ मसअ़ला : कुछ लोग नापाक चड्डी या कपड़ा पहने हुए ही ग़ुस्ल करते है! और यह समझते है कि नहाने में सब कुछ पाक हो जाएगा। यह बेवकूफ़ी है! इससे तो गंदगी फैल कर पूरे बदन को नापाक कर देती है। और वैसे भी इस तरीक़े से चड्डी पाक नही समझी जाएगी, क्योंकि नापाक कपड़े को तीन बार धोना, और हर बार अच्छी तरह निचोड़ना ज़रूरी है (जिस का बयान पहले ही आ चुका है) इसलिए नापाक चड्डी या कपड़े को उतार ले, पाक चड्डी या कपड़ा ही बाँध कर ग़ुस्ल करें।_*
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*_💫नाखून पॉलिश होने पर ग़ुस्ल न होगा 💫_*
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👉🏻 _कुछ मर्द और अक्सर औरतें अपने हात पांव के नाखूनो पर पॉलिश (Nail Polish) लगाते है! नाखून पॉलिश में स्प्रीट ( Alcohol) होता है जो कि शरीअ़त में हराम है! मर्दों के लिए तो बहुत ही ज़्यादा सख्त हराम व गुनाह है की यह औरतो से मुशाबहत (नकल) पैदा करना है! नाखूनो पर पॉलिश होने की वजह से वुज़ू और ग़ुस्ल करते वक्त़ पानी नाखूनो पर नही लगता बल्कि पॉलिश पर लग कर फिसल जाता है! और सिरे से ही ग़ुस्ल नही होता। जब ग़ुस्ल ही न हुआ तो नापाक ही रहा और नापाकी की हालत में नमाज़ पढ़ी तो नमाज़ न होगी, और जान बूझकर नापाक रहना सख़्त गुनाह है! अल्लाह न करे अगर इस हालत में मौत आ गई तो उस का वबाल अलग, और नापाकी मे अक्सर शैतान जिन्न का असर हो जाता है! इस लिए औरतों को चाहिए कि नाखून पॉलिश न लगाए।_   
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*_करीना ए जिंदगी शुरू से पढने के लिये इस लिंक पर जाए!_*
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