राजस्थान के क्षेत्रीय लोक नृत्य--:🔰
🔷 घूमर नृत्य
▪️स्थान – मारवाड़, जयपुर
▪️विशेष विवरण – राजस्थान के लोक नृत्यों की आत्मा।
🔷 ढोल नृत्य
▪️स्थान – जालौर
▪️विशेष विवरण – शादी के अवसर पर पुरुषों द्वारा समूह-नृत्य।
🔷 चंग नृत्य
▪️स्थान – शेखावाटी
▪️विशेष विवरण – होली पर पुरुषों का समूह-नृत्य।
🔷 गीदड़ नृत्य
▪️स्थान – शेखावाटी
▪️विशेष विवरण – होली से पूर्व डांडा रोपण से होली के सप्ताह भर बाद तक चलता है।
🔷 झूमर नृत्य
▪️स्थान – हाड़ोती
▪️विशेष विवरण – स्त्रियों द्वारा त्योहारों व मांगलिक अवसरों पर।
🔷 बिंदौरी नृत्य
▪️स्थान – झालावाड़
▪️विशेष विवरण – होली व विवाह पर पुरुषों द्वारा समूह- नृत्य।
🔷 घुड़ला नृत्य
▪️स्थान – मारवाड़
▪️विशेष विवरण – लड़कियाँ नाचती हुई घर-घर तेल मांगती है।
🔷 अग्नि नृत्य
▪️स्थान – कतरियासर (बीकानेर)
▪️विशेष विवरण – बीकानेर के जसनाथी सिद्धों द्वारा फतै-फतै के उद्घोष के साथ जलते अंगारोंं पर किया जाता है।
🔷 बम नृत्य
▪️स्थान – भरतपुर, अलवर
▪️विशेष विवरण – होली पर ढ़ाईं-तीन फुट ऊंचे नगाड़े पर पुरुषों का समुह-नृत्य।
🔷 लांगुरिया नृत्य
▪️स्थान – करौली
▪️विशेष विवरण – करौली में कैला देवी के मेले में किया जाने वाला नृत्य।
🔷 डांग नृत्य
▪️स्थान – नाथद्वारा (राजसमंद)
▪️विशेष विवरण – होली के अवसर पर किए जाने वाला नृत्य।
🔷 डांडिया नृत्य
▪️स्थान – मारवाड़
▪️विशेष विवरण – पुरुषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य।
🔷 नाहर नृत्य
▪️स्थान – मांडल (भीलवाड़ा)
▪️विशेष विवरण – शेर की वेशभूषा में किया जाता है।
🔷 ढप नृत्य
▪️स्थान – शेखावाटी
▪️विशेष विवरण – बसंत पंचमी पर किया जाता है।
🔷 चोगोला नृत्य
▪️स्थान – डूंगरपुर
▪️विशेष विवरण – होली पर स्त्रियों-पुरुषों का सामूहिक नृत्य।
🔷 रण नृत्य
▪️स्थान – मेवाड़
▪️विशेष विवरण – पुरुषों द्वारा हाथों में तलवार लेकर किया जाता है।
🔷 पेजण नृत्य
▪️स्थान – वागड़ (डूंगरपुर, बांसवाड़ा)
▪️विशेष विवरण – दीपावली के अवसर पर किया जाता है।
🔷 चारकुला
▪️स्थान – भरतपुर,अलवर
▪️विशेष विवरण – महिलाएं सिर पर बर्तन के ऊपर दीपक जलाकर करती है।
🔰
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🔷 घूमर नृत्य
▪️स्थान – मारवाड़, जयपुर
▪️विशेष विवरण – राजस्थान के लोक नृत्यों की आत्मा।
🔷 ढोल नृत्य
▪️स्थान – जालौर
▪️विशेष विवरण – शादी के अवसर पर पुरुषों द्वारा समूह-नृत्य।
🔷 चंग नृत्य
▪️स्थान – शेखावाटी
▪️विशेष विवरण – होली पर पुरुषों का समूह-नृत्य।
🔷 गीदड़ नृत्य
▪️स्थान – शेखावाटी
▪️विशेष विवरण – होली से पूर्व डांडा रोपण से होली के सप्ताह भर बाद तक चलता है।
🔷 झूमर नृत्य
▪️स्थान – हाड़ोती
▪️विशेष विवरण – स्त्रियों द्वारा त्योहारों व मांगलिक अवसरों पर।
🔷 बिंदौरी नृत्य
▪️स्थान – झालावाड़
▪️विशेष विवरण – होली व विवाह पर पुरुषों द्वारा समूह- नृत्य।
🔷 घुड़ला नृत्य
▪️स्थान – मारवाड़
▪️विशेष विवरण – लड़कियाँ नाचती हुई घर-घर तेल मांगती है।
🔷 अग्नि नृत्य
▪️स्थान – कतरियासर (बीकानेर)
▪️विशेष विवरण – बीकानेर के जसनाथी सिद्धों द्वारा फतै-फतै के उद्घोष के साथ जलते अंगारोंं पर किया जाता है।
🔷 बम नृत्य
▪️स्थान – भरतपुर, अलवर
▪️विशेष विवरण – होली पर ढ़ाईं-तीन फुट ऊंचे नगाड़े पर पुरुषों का समुह-नृत्य।
🔷 लांगुरिया नृत्य
▪️स्थान – करौली
▪️विशेष विवरण – करौली में कैला देवी के मेले में किया जाने वाला नृत्य।
🔷 डांग नृत्य
▪️स्थान – नाथद्वारा (राजसमंद)
▪️विशेष विवरण – होली के अवसर पर किए जाने वाला नृत्य।
🔷 डांडिया नृत्य
▪️स्थान – मारवाड़
▪️विशेष विवरण – पुरुषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य।
🔷 नाहर नृत्य
▪️स्थान – मांडल (भीलवाड़ा)
▪️विशेष विवरण – शेर की वेशभूषा में किया जाता है।
🔷 ढप नृत्य
▪️स्थान – शेखावाटी
▪️विशेष विवरण – बसंत पंचमी पर किया जाता है।
🔷 चोगोला नृत्य
▪️स्थान – डूंगरपुर
▪️विशेष विवरण – होली पर स्त्रियों-पुरुषों का सामूहिक नृत्य।
🔷 रण नृत्य
▪️स्थान – मेवाड़
▪️विशेष विवरण – पुरुषों द्वारा हाथों में तलवार लेकर किया जाता है।
🔷 पेजण नृत्य
▪️स्थान – वागड़ (डूंगरपुर, बांसवाड़ा)
▪️विशेष विवरण – दीपावली के अवसर पर किया जाता है।
🔷 चारकुला
▪️स्थान – भरतपुर,अलवर
▪️विशेष विवरण – महिलाएं सिर पर बर्तन के ऊपर दीपक जलाकर करती है।
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राजस्थान की प्रमुख लोक देवियां
1.बाड़मेर-?विरात्रा मातवांकल माता:मंदिर:चौहटन भोपों की कुल देवी
2.जालौर-
सुंधा माता?:मंदिर:-भीनमाल,सुंधा/सुगधादरी पर्वत पर चामुंडा माता का मंदिर
?चामुंडा माता को सुंधा पर्वत के नाम पर सुंधा माता कहने लगे।
?राजस्थान का प्रथम रोप वे सुंधा माता मंदिर पर है।
आशापुरा माता या महोदरी माता:-मंदिर:?मोदरा(जालौर)-
?बड़े उदर वाली माता के नाम से विख्यात
?जालौर के चौहान शासकों की कुल देवी
3.सिरोही-
अर्बुदा देवी/अधर देवी:?मंदिर:माउंट आबू?राजस्थान की वैष्णो देवी / राजस्थान का सबसे ऊँचाई पर मंदिर
सीमल माता/क्षमकरी/खीमल माता:मंदिर-? वसंतगड मे स्थित?निर्माण:विक्रम सवंत 682 मे / क्षमकरी माता को ही खीमल माता कहते है।
4.पाली:
सुगाली माता:?:आउवा (पाली) के ठाकुरो (चम्पावतो) की कुल देवी ?सुगाली माता के काले पत्थरो की मूर्ति के म्यूजियम मे रखी हुई है।
मगर मंडी माता :(निमाज, जैतारण)
आशा पूरा माता:नाड़ोल.
5.राजसमन्द:
घेवर माता -मंदिर:राजसमन्द की पाल
ऊनवास की पिप्लाद माता:मंदिर:?हल्दी घाटी के निकट ऊनवास गांव में
चारभुजा देवी:मंदिर:?खमनोर मे
6.चितोड़गड:
बडली माता :मंदिर छिपो का अकोला में बेड़च नदी के किनारे
आवरी माता या आसावरी माता:?निकुम्भ में यह शक्ति पीठ शारीरिक व्याधियो के निवारण के लिए प्रसिद्ध है
कालिका माता:मंदिर ?चितौड़ गड दुर्ग मे
तुलजा भवानी:मंदिर?चितोड गड दुर्ग मे? छत्र पति शीवाजी के वंश की कुल देवी
वटयइक्षनी देवी /झांतला माता/राठासण देवी:?मंदिर:राष्ट्र शयेना देवी को अपभ्रंश में राठासण देवी कहा जाता है।
बिरवडी माता::मंदिर ?चितौड़ गड दुर्ग मे
(6).बूंदी:
इन्दर माता/बीजासण माता:मंदिर?इंदरगढ़
सथूर माता :मंदिर?सथूर
(7). भीलवाड़ा:
बदनोर की कुशाल माता:मंदिर?बदनोर(भीलवाड़ा)?राणा कुम्भा ने 1457 ई.के युद्ध मे महमूद खिलजी को पराजित कर इस विजय की याद मे यह मंदिर बनवाया।
जोगनिया माता(अन्नपूर्णा माता)?भीलवाड़ा:
धनोप माता:?राजाधुन्ध की कुल देवी:भीलवाड़
(8).जयपुर:
शीला देवी:?कछवाहा राजवंश की कुल देवी / प्रमुख स्थान-आमेर, जयपुर
शीतला माता:?प्रमुख स्थान-शील की डुंगरी, चाकसू(जयपुर)/ चेचक की देवी के रूप मे प्रसिद्ध /अन्य नाम-सेढल माता या महामाई
छींक माता:मंदिर?गोपालजी का रास्ता(जयपुर)
जमुवाय माता:स्थान:?जमुवा रामगढ(जयपुर) , कछवाहो की कुलदेवी, अन्नपूर्णा नाम से भी प्रसिद्ध, जमुवाय माता के अन्य मंदिर:?भोड़की(झुझुनु),महरोली एवं मादनी मंढा(सीकर)एवं भूनास( नागौर)
सांभर की शाकम्भरी माता:?चौहान वंश की कुल देवी , साभर की अधिस्टात्रि देवी
ज्वाला माता:मंदिर?जोबनेर?कछवाह वंश की शाखा खंगारोत शासको की कुल देवी
नकटी माता:मंदिर?जय भवानीपुरा गॉंव(जयपुर)
(9).अलवर:
नारायणी माता या करमेती माता: मंदिर ?राजगढ तहसील मे बरवा डुंगरी मे।
जीलानी माता:मंदिर?बहरोड़ कस्बे मे
धोलागड माता:मंदिर?कठूमर मे धौलागिरी पर्वत पर?गौड़ ब्राह्मण वंश की कुल देवी
(10).नागौर:
दधिमाता :मंदिर? नागौर जिले के गोठ और मांगलोद गांवों के मध्य स्थित?दधिच ब्राह्मण समाज की कुल देवी
कैवाय माता:मंदिर?परबरतसर तहसिल के किनसरिया गाँव मे
भावल माता:नागौर
(11).भरतपुर:
राजेश्वरी देवी:मंदिर?भरतपुर के जाट वंश की कुल देवी
(12).कैलादेवी-करौली
राजस्थान के विभिन्न राजवंश की कुल देविया,,
1.मेवाड़ के गुहिल: ?बाण माता
2.जोधपुर के राठौड़:?नागणेची माता
3.अजमेर के चौहान:?जीणमाता
4.जालौर के चौहान:?आशापुरा माता(जालौर)
(5).सांभर के चौहान:?शाकंभरी माता(सांभर)
(6).करौली के यादव:?कैलादेवी
(7).गुर्जर प्रतिहार:?चामुंडा माता
1.बाड़मेर-?विरात्रा मातवांकल माता:मंदिर:चौहटन भोपों की कुल देवी
2.जालौर-
सुंधा माता?:मंदिर:-भीनमाल,सुंधा/सुगधादरी पर्वत पर चामुंडा माता का मंदिर
?चामुंडा माता को सुंधा पर्वत के नाम पर सुंधा माता कहने लगे।
?राजस्थान का प्रथम रोप वे सुंधा माता मंदिर पर है।
आशापुरा माता या महोदरी माता:-मंदिर:?मोदरा(जालौर)-
?बड़े उदर वाली माता के नाम से विख्यात
?जालौर के चौहान शासकों की कुल देवी
3.सिरोही-
अर्बुदा देवी/अधर देवी:?मंदिर:माउंट आबू?राजस्थान की वैष्णो देवी / राजस्थान का सबसे ऊँचाई पर मंदिर
सीमल माता/क्षमकरी/खीमल माता:मंदिर-? वसंतगड मे स्थित?निर्माण:विक्रम सवंत 682 मे / क्षमकरी माता को ही खीमल माता कहते है।
4.पाली:
सुगाली माता:?:आउवा (पाली) के ठाकुरो (चम्पावतो) की कुल देवी ?सुगाली माता के काले पत्थरो की मूर्ति के म्यूजियम मे रखी हुई है।
मगर मंडी माता :(निमाज, जैतारण)
आशा पूरा माता:नाड़ोल.
5.राजसमन्द:
घेवर माता -मंदिर:राजसमन्द की पाल
ऊनवास की पिप्लाद माता:मंदिर:?हल्दी घाटी के निकट ऊनवास गांव में
चारभुजा देवी:मंदिर:?खमनोर मे
6.चितोड़गड:
बडली माता :मंदिर छिपो का अकोला में बेड़च नदी के किनारे
आवरी माता या आसावरी माता:?निकुम्भ में यह शक्ति पीठ शारीरिक व्याधियो के निवारण के लिए प्रसिद्ध है
कालिका माता:मंदिर ?चितौड़ गड दुर्ग मे
तुलजा भवानी:मंदिर?चितोड गड दुर्ग मे? छत्र पति शीवाजी के वंश की कुल देवी
वटयइक्षनी देवी /झांतला माता/राठासण देवी:?मंदिर:राष्ट्र शयेना देवी को अपभ्रंश में राठासण देवी कहा जाता है।
बिरवडी माता::मंदिर ?चितौड़ गड दुर्ग मे
(6).बूंदी:
इन्दर माता/बीजासण माता:मंदिर?इंदरगढ़
सथूर माता :मंदिर?सथूर
(7). भीलवाड़ा:
बदनोर की कुशाल माता:मंदिर?बदनोर(भीलवाड़ा)?राणा कुम्भा ने 1457 ई.के युद्ध मे महमूद खिलजी को पराजित कर इस विजय की याद मे यह मंदिर बनवाया।
जोगनिया माता(अन्नपूर्णा माता)?भीलवाड़ा:
धनोप माता:?राजाधुन्ध की कुल देवी:भीलवाड़
(8).जयपुर:
शीला देवी:?कछवाहा राजवंश की कुल देवी / प्रमुख स्थान-आमेर, जयपुर
शीतला माता:?प्रमुख स्थान-शील की डुंगरी, चाकसू(जयपुर)/ चेचक की देवी के रूप मे प्रसिद्ध /अन्य नाम-सेढल माता या महामाई
छींक माता:मंदिर?गोपालजी का रास्ता(जयपुर)
जमुवाय माता:स्थान:?जमुवा रामगढ(जयपुर) , कछवाहो की कुलदेवी, अन्नपूर्णा नाम से भी प्रसिद्ध, जमुवाय माता के अन्य मंदिर:?भोड़की(झुझुनु),महरोली एवं मादनी मंढा(सीकर)एवं भूनास( नागौर)
सांभर की शाकम्भरी माता:?चौहान वंश की कुल देवी , साभर की अधिस्टात्रि देवी
ज्वाला माता:मंदिर?जोबनेर?कछवाह वंश की शाखा खंगारोत शासको की कुल देवी
नकटी माता:मंदिर?जय भवानीपुरा गॉंव(जयपुर)
(9).अलवर:
नारायणी माता या करमेती माता: मंदिर ?राजगढ तहसील मे बरवा डुंगरी मे।
जीलानी माता:मंदिर?बहरोड़ कस्बे मे
धोलागड माता:मंदिर?कठूमर मे धौलागिरी पर्वत पर?गौड़ ब्राह्मण वंश की कुल देवी
(10).नागौर:
दधिमाता :मंदिर? नागौर जिले के गोठ और मांगलोद गांवों के मध्य स्थित?दधिच ब्राह्मण समाज की कुल देवी
कैवाय माता:मंदिर?परबरतसर तहसिल के किनसरिया गाँव मे
भावल माता:नागौर
(11).भरतपुर:
राजेश्वरी देवी:मंदिर?भरतपुर के जाट वंश की कुल देवी
(12).कैलादेवी-करौली
राजस्थान के विभिन्न राजवंश की कुल देविया,,
1.मेवाड़ के गुहिल: ?बाण माता
2.जोधपुर के राठौड़:?नागणेची माता
3.अजमेर के चौहान:?जीणमाता
4.जालौर के चौहान:?आशापुरा माता(जालौर)
(5).सांभर के चौहान:?शाकंभरी माता(सांभर)
(6).करौली के यादव:?कैलादेवी
(7).गुर्जर प्रतिहार:?चामुंडा माता
राजस्थान के प्रमुख नृत्य का परिचय
1. क्षेत्रिय नृत्य
1. बम नृत्य,
2. ढोल नृत्य
3. डांडिया नृत्य,
4. डांग नृत्य
5. बिन्दौरी नृत्य
6. अग्नि नृत्य
7. चंग नृत्य
8. ढफ नृत्य
9. गीदड़ नृत्य
2. जातिय नृत्य
(अ) भीलों के नृत्य
1. गैर 2. गवरी/ राई, 3. द्विचकी, 4. घुमरा नृत्य, 5. युद्ध 6. हाथीमना
(ब) गरासियों के नृत्य
1. वालर, 2. कूद 3 मांदल 4. गौर, 5. मोरिया 6. जवारा 7. लूर
(स) कथौड़ी जाति के नृत्य
1. मावलिया, 2. होली
(द) मेव जाति के नृत्य
1. रणबाजा 2. रतवई
(य) गुर्जर जाति के नृत्य
1. चरी नृत्य
(र) सहरियों के नृत्य
1.शिकारी
3. सामाजिक नृत्य/धार्मिक नृत्य
1. धूमर नृत्य 2. घुडला नृत्य 3. गरबा नृत्य, 4. गोगा नृत्य 5. तेजा नृत्य
4. व्यावसायिक नृत्य
1. भवाई नृत्य 2. तेरहताली नृत्य 3. कच्छी घोड़ी नृत्य 4. चकरी नृत्य 5. कठपुतली नृत्य 6. कालबेलियों के नृत्य 7. भोपों के नृत्य
1. क्षेत्रिय नृत्य
1. बम नृत्य,
2. ढोल नृत्य
3. डांडिया नृत्य,
4. डांग नृत्य
5. बिन्दौरी नृत्य
6. अग्नि नृत्य
7. चंग नृत्य
8. ढफ नृत्य
9. गीदड़ नृत्य
2. जातिय नृत्य
(अ) भीलों के नृत्य
1. गैर 2. गवरी/ राई, 3. द्विचकी, 4. घुमरा नृत्य, 5. युद्ध 6. हाथीमना
(ब) गरासियों के नृत्य
1. वालर, 2. कूद 3 मांदल 4. गौर, 5. मोरिया 6. जवारा 7. लूर
(स) कथौड़ी जाति के नृत्य
1. मावलिया, 2. होली
(द) मेव जाति के नृत्य
1. रणबाजा 2. रतवई
(य) गुर्जर जाति के नृत्य
1. चरी नृत्य
(र) सहरियों के नृत्य
1.शिकारी
3. सामाजिक नृत्य/धार्मिक नृत्य
1. धूमर नृत्य 2. घुडला नृत्य 3. गरबा नृत्य, 4. गोगा नृत्य 5. तेजा नृत्य
4. व्यावसायिक नृत्य
1. भवाई नृत्य 2. तेरहताली नृत्य 3. कच्छी घोड़ी नृत्य 4. चकरी नृत्य 5. कठपुतली नृत्य 6. कालबेलियों के नृत्य 7. भोपों के नृत्य
राजस्थान के प्रमुख कलाकार 🔰
▪️सदिक खां मांगणियार - बाड़मेर - खड़ताल
▪️जहूर खां मेवाती - अलवर - भपंग
▪️कमल साकर खां - जैसलमेर - कमायचा
▪️पेपे खां - जैसलमेर - सुरणाई
▪️चांद मोहम्मद खां - जयपुर - शहनाई
▪️राम किशन सौलंकी - पुष्कर - नगाड़ा
▪️प. पुरूषोतम - नाथद्वारा - पखावज
▪️करणा भील - जैसलमेर - नड़़
▪️मांगीबाई - जैसलमेर - मांड गायिका
▪️गवरी देवी - पाली - मांड गायिका
▪️बन्नो बेगम – जयपुर – मांड गायिका
▪️फलकू बाई - किशनगढ़ - चरी नृत्य
▪️कृपालसिंह शेखावत - सिकर - ब्लू पाॅटरी
▪️अली अकबर खां - जोधपुर - इन्हें जोधपुर का तानसेन कहते हैं।
▪️कैलास जागोटिया - क्लोथ आर्ट का जनक
▪️प. उदय शंकर - उदयपुर - भारतीय बेले के जनक
▪️प. विश्वमोहन भट्ट - इन्होंने वीणा व गिटार को मिलाकर मोहनवीणा का आविष्कार किया।
▪️गणपत लाल डांगी - जोधपुर - रंगमंचकर्मी
▪️इन्हें गिगले का बापू कहा जाता है।
▪️भारत-पाक युद्ध के दौरान आकाशवाणी से प्रसारित इनका प्रोग्राम काफी लोकप्रिय हुआ।
▪️सदिक खां मांगणियार - बाड़मेर - खड़ताल
▪️जहूर खां मेवाती - अलवर - भपंग
▪️कमल साकर खां - जैसलमेर - कमायचा
▪️पेपे खां - जैसलमेर - सुरणाई
▪️चांद मोहम्मद खां - जयपुर - शहनाई
▪️राम किशन सौलंकी - पुष्कर - नगाड़ा
▪️प. पुरूषोतम - नाथद्वारा - पखावज
▪️करणा भील - जैसलमेर - नड़़
▪️मांगीबाई - जैसलमेर - मांड गायिका
▪️गवरी देवी - पाली - मांड गायिका
▪️बन्नो बेगम – जयपुर – मांड गायिका
▪️फलकू बाई - किशनगढ़ - चरी नृत्य
▪️कृपालसिंह शेखावत - सिकर - ब्लू पाॅटरी
▪️अली अकबर खां - जोधपुर - इन्हें जोधपुर का तानसेन कहते हैं।
▪️कैलास जागोटिया - क्लोथ आर्ट का जनक
▪️प. उदय शंकर - उदयपुर - भारतीय बेले के जनक
▪️प. विश्वमोहन भट्ट - इन्होंने वीणा व गिटार को मिलाकर मोहनवीणा का आविष्कार किया।
▪️गणपत लाल डांगी - जोधपुर - रंगमंचकर्मी
▪️इन्हें गिगले का बापू कहा जाता है।
▪️भारत-पाक युद्ध के दौरान आकाशवाणी से प्रसारित इनका प्रोग्राम काफी लोकप्रिय हुआ।
🔰 प्रदेश के प्रमुख बांध 🔰
💠 बीसलपुर बांध - राजमहल, टोंक
💠 टोरडी सागर बांध - टोंक
💠 रामगढ बांध - जयपुर
💠 काणोता बांध,पाटन टैंक व गूलर बांध - जयपुर
💠 बंध बारेठा बांध - भरतपुर
💠 पाँचना बांध - करौली
💠 मोरेल बांध - सवाई माधोपुर
💠 काली सिंध व भीमसागर बांध - झालावाड
💠 सोम-कमला- अम्बा सिंचाई परियोजना - डूंगरपुर
💠 जवाई बांध,बांकली बांध,हेमावास बांध - पाली
💠 नारायण सागर बांध - अजमेर
💠 जवाहर सागर,कोटा सिंचाई बांध - कोटा
💠 राणा प्रताप सागर,भूपाल सागर,ओराई बांध सोनियाना बांध - चित्तौड़गढ़
💠 माही बजाज सागर,कागदी पिक अप बांध - बाँसवाडा
💠 जाखम बांध - प्रतापगढ
💠 मेजा बांध,खारी बांध,अडवान बांध,राम सागर बांध - भीलवाड़ा
💠 जसवंत सागर व तख्त सागर बांध - जोधपुर
💠 वाकल बांध - उदयपुर
💠 अनूप सागर व गजनेर बांध - बीकानेर
💠 तालछापर बांध - चूरू
💠 अजीत सागर बांध - झुंझुंनू
💠 माधोसागर, कालाखोह व रेडियो सागर बांध - दौसा
💠 पार्वती बांध - धौलपुर
💠 गरदडा बांध - बूंदी
💠 उम्मेद सागर,सीताबाडी बांध व परवन बांध - बारा
💠 बीसलपुर बांध - राजमहल, टोंक
💠 टोरडी सागर बांध - टोंक
💠 रामगढ बांध - जयपुर
💠 काणोता बांध,पाटन टैंक व गूलर बांध - जयपुर
💠 बंध बारेठा बांध - भरतपुर
💠 पाँचना बांध - करौली
💠 मोरेल बांध - सवाई माधोपुर
💠 काली सिंध व भीमसागर बांध - झालावाड
💠 सोम-कमला- अम्बा सिंचाई परियोजना - डूंगरपुर
💠 जवाई बांध,बांकली बांध,हेमावास बांध - पाली
💠 नारायण सागर बांध - अजमेर
💠 जवाहर सागर,कोटा सिंचाई बांध - कोटा
💠 राणा प्रताप सागर,भूपाल सागर,ओराई बांध सोनियाना बांध - चित्तौड़गढ़
💠 माही बजाज सागर,कागदी पिक अप बांध - बाँसवाडा
💠 जाखम बांध - प्रतापगढ
💠 मेजा बांध,खारी बांध,अडवान बांध,राम सागर बांध - भीलवाड़ा
💠 जसवंत सागर व तख्त सागर बांध - जोधपुर
💠 वाकल बांध - उदयपुर
💠 अनूप सागर व गजनेर बांध - बीकानेर
💠 तालछापर बांध - चूरू
💠 अजीत सागर बांध - झुंझुंनू
💠 माधोसागर, कालाखोह व रेडियो सागर बांध - दौसा
💠 पार्वती बांध - धौलपुर
💠 गरदडा बांध - बूंदी
💠 उम्मेद सागर,सीताबाडी बांध व परवन बांध - बारा
तुम्हारी सबसे बड़ी दौलत ना तुम्हारा वक्त हैं
जिसे दे रहे हो सोच समझकर देना...!
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राजस्थान की नदियाँ
राजस्थान के जल संसाधनों को प्रमुख रूप से दो भागो मैं बांटा गया है।
1. नदियों का जल
2. झीलों का जल
राजस्थान में प्रवाह के आधार पर नदियों को तीन भागों में बांटा गया है।
1. अरब सागर में गिरने वाली नदियां
2. बंगाल की खाड़ी की ओर जाने वाली नदियां
3. अंतः प्रवाह वाली नदियां
1. अरब सागर में गिरने वाली नदियां -
Trick - सालू की मां पश्चिमी बनास पर सोजा
साबरमती, लूनी, माही, पश्चिमी बनास, सोम, जाखम
1. लूनी नदी -
उदगम स्थल - अजमेर जिले की आनासागर झील/नाग पर्वत
प्रवाह की दिशा - दक्षिण-पश्चिम
लूनी नदी की लंबाई - 330 किलोमीटर
लूनी नदी पश्चिमी राजस्थान की प्रमुख नदी है।
भारत की एकमात्र नदी जिसका आधा भाग खारा तथा आधा भाग मीठा हैं।
लूनी नदी बाड़मेर जिले के बालोतरानामक स्थान से खारी हो जाती है।
लूनी नदी के खारी होने का एक प्रमुख कारण मिट्टी की लवणीयता है।
लूनी नदी के उपनाम - लवणवती, मारवाड़ की गंगा, रेगिस्तान की गंगा
लूनी नदी के प्रवाह वाले जिले - अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालौरपी
लूनी नदी की सहायक नदियां - लीलडी, सूकड़ी, जोजड़ी, सागी, मीठड़ी, जवाई, बांडी
लूनी नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी - जवाई
लूनी नदी की सहायक नदी जिसका उद्गम स्थल अरावली पर्वत नहीं है - जोजड़ी
लूनी नदी राजस्थान के जालौर जिले से निकलकर कच्छ की खाड़ी में गिरती है।
जवाई नदी का उदगम स्थल - गोरिया गांव (पाली)
जवाई नदी के प्रवाह वाले जिले - पाली, जालौर, बाड़मेर
सुमेरपुर (पाली) के निकट जवाई नदी पर जवाई बांध बना हुआ है। इसे मारवाड़ का अमृत सरोवर कहते हैं।
2. पश्चिमी बनास -
उदगम स्थल - नया सानवारा गांव (सिरोही)
पश्चिमी बनास कच्छ के रन (कच्छ की खाड़ी) में विलुप्त हो जाती है।
यह सिरोही जिले में प्रवाहित होती है।
3. माही नदी -
उदगम स्थल - (धार जिला) मध्य प्रदेश की विंध्याचल पहाड़ियों से (मेहद झील)
माही नदी दक्षिणी राजस्थान की प्रमुख नदी है।
माही नदी राजस्थान में बांसवाड़ा जिले के खांदू गांव से प्रवेश करती हैं।
माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है।
माही नदी बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले की सीमा बनाती है।
माही नदी अपने प्रवाह क्षेत्र में "उल्टा V" बनाती है।
माही नदी के उपनाम - कांठल की गंगा, आदिवासियों की गंगा, वागड़ की गंगा, दक्षिण राजस्थान की गंगा
माही नदी डूंगरपुर जिले में सोम और जाखम नदियों के साथ मिलकर बेणेश्वर नामक स्थान पर त्रिवेणी का निर्माण करती है।
बेणेश्वर में लगने वाला मेला आदिवासियों का कुंभ कहलाता है।
माही नदी पर बांसवाड़ा जिले में बरखेड़ा नामक स्थान पर माही बजाज सागर बांध बनाया गया है।
अनास नदी - विंध्याचल (MP) से निकलकर बांसवाड़ा में बहती हुई माही नदी में मिल जाती है।
माही नदी पर पंचमहल, रामपुर (गुजरात) में कडाना बांध बनाया गया है।
माही नदी सिंचाई परियोजना से लाभान्वित राज्य - राजस्थान, गुजरात
माही नदी की कुल लंबाई - 576 किलोमीटर
माही नदी की राजस्थान में लंबाई - 171 किलोमीटर
माही की सहायक नदियां - सोम, जाखम, अनास, हरण, चाप, मोरेन (Trick - SJAHCM)
माही के प्रवाह की दिशा - पहले उत्तर-पश्चिम और पुनः वापसी में दक्षिण-पश्चिम
माही नदी गुजरात में बहते हुए खंभात की खाड़ी में विलुप्त हो जाती है।
माही नदी तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, एवं गुजरात में बहती हैं।
इसके प्रवाह क्षेत्र को छप्पन का मैदान कहा जाता है।
माही की सहायक नदी इरु नदी इसमें माही बजाज सागर बांध से पहले आकर मिलती है। शेष नदियां बांध के पश्चात मिलती हैं।
4. सोम नदी -
उदगम स्थल - बीछामेडा की पहाड़ियां (उदयपुर)
सोम नदी उदयपुर व डूंगरपुर की सीमा बनाती है।
सोम नदी डूंगरपुर में बेणेश्वर में माही नदी में मिलती है!
प्रवाह वाले जिले - उदयपुर, डूंगरपुर
राजस्थान के जल संसाधनों को प्रमुख रूप से दो भागो मैं बांटा गया है।
1. नदियों का जल
2. झीलों का जल
राजस्थान में प्रवाह के आधार पर नदियों को तीन भागों में बांटा गया है।
1. अरब सागर में गिरने वाली नदियां
2. बंगाल की खाड़ी की ओर जाने वाली नदियां
3. अंतः प्रवाह वाली नदियां
1. अरब सागर में गिरने वाली नदियां -
Trick - सालू की मां पश्चिमी बनास पर सोजा
साबरमती, लूनी, माही, पश्चिमी बनास, सोम, जाखम
1. लूनी नदी -
उदगम स्थल - अजमेर जिले की आनासागर झील/नाग पर्वत
प्रवाह की दिशा - दक्षिण-पश्चिम
लूनी नदी की लंबाई - 330 किलोमीटर
लूनी नदी पश्चिमी राजस्थान की प्रमुख नदी है।
भारत की एकमात्र नदी जिसका आधा भाग खारा तथा आधा भाग मीठा हैं।
लूनी नदी बाड़मेर जिले के बालोतरानामक स्थान से खारी हो जाती है।
लूनी नदी के खारी होने का एक प्रमुख कारण मिट्टी की लवणीयता है।
लूनी नदी के उपनाम - लवणवती, मारवाड़ की गंगा, रेगिस्तान की गंगा
लूनी नदी के प्रवाह वाले जिले - अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालौरपी
लूनी नदी की सहायक नदियां - लीलडी, सूकड़ी, जोजड़ी, सागी, मीठड़ी, जवाई, बांडी
लूनी नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी - जवाई
लूनी नदी की सहायक नदी जिसका उद्गम स्थल अरावली पर्वत नहीं है - जोजड़ी
लूनी नदी राजस्थान के जालौर जिले से निकलकर कच्छ की खाड़ी में गिरती है।
जवाई नदी का उदगम स्थल - गोरिया गांव (पाली)
जवाई नदी के प्रवाह वाले जिले - पाली, जालौर, बाड़मेर
सुमेरपुर (पाली) के निकट जवाई नदी पर जवाई बांध बना हुआ है। इसे मारवाड़ का अमृत सरोवर कहते हैं।
2. पश्चिमी बनास -
उदगम स्थल - नया सानवारा गांव (सिरोही)
पश्चिमी बनास कच्छ के रन (कच्छ की खाड़ी) में विलुप्त हो जाती है।
यह सिरोही जिले में प्रवाहित होती है।
3. माही नदी -
उदगम स्थल - (धार जिला) मध्य प्रदेश की विंध्याचल पहाड़ियों से (मेहद झील)
माही नदी दक्षिणी राजस्थान की प्रमुख नदी है।
माही नदी राजस्थान में बांसवाड़ा जिले के खांदू गांव से प्रवेश करती हैं।
माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है।
माही नदी बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले की सीमा बनाती है।
माही नदी अपने प्रवाह क्षेत्र में "उल्टा V" बनाती है।
माही नदी के उपनाम - कांठल की गंगा, आदिवासियों की गंगा, वागड़ की गंगा, दक्षिण राजस्थान की गंगा
माही नदी डूंगरपुर जिले में सोम और जाखम नदियों के साथ मिलकर बेणेश्वर नामक स्थान पर त्रिवेणी का निर्माण करती है।
बेणेश्वर में लगने वाला मेला आदिवासियों का कुंभ कहलाता है।
माही नदी पर बांसवाड़ा जिले में बरखेड़ा नामक स्थान पर माही बजाज सागर बांध बनाया गया है।
अनास नदी - विंध्याचल (MP) से निकलकर बांसवाड़ा में बहती हुई माही नदी में मिल जाती है।
माही नदी पर पंचमहल, रामपुर (गुजरात) में कडाना बांध बनाया गया है।
माही नदी सिंचाई परियोजना से लाभान्वित राज्य - राजस्थान, गुजरात
माही नदी की कुल लंबाई - 576 किलोमीटर
माही नदी की राजस्थान में लंबाई - 171 किलोमीटर
माही की सहायक नदियां - सोम, जाखम, अनास, हरण, चाप, मोरेन (Trick - SJAHCM)
माही के प्रवाह की दिशा - पहले उत्तर-पश्चिम और पुनः वापसी में दक्षिण-पश्चिम
माही नदी गुजरात में बहते हुए खंभात की खाड़ी में विलुप्त हो जाती है।
माही नदी तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, एवं गुजरात में बहती हैं।
इसके प्रवाह क्षेत्र को छप्पन का मैदान कहा जाता है।
माही की सहायक नदी इरु नदी इसमें माही बजाज सागर बांध से पहले आकर मिलती है। शेष नदियां बांध के पश्चात मिलती हैं।
4. सोम नदी -
उदगम स्थल - बीछामेडा की पहाड़ियां (उदयपुर)
सोम नदी उदयपुर व डूंगरपुर की सीमा बनाती है।
सोम नदी डूंगरपुर में बेणेश्वर में माही नदी में मिलती है!
प्रवाह वाले जिले - उदयपुर, डूंगरपुर
“सफ़र में मुश्किलें आए ,तो हिम्मत और बढ़ती है.. अगर कोई रास्ता रोके, तो जुर्रत और बढ़ती है.. अगर बिकने पर आ जाओ, तो घट जाता है दम अक्सर.. ना बिकने का इरादा हो तो, कीमत और बढ़ती है।”
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महिला के आभूषण 😍
Song kesa laga batana 😄
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Kya apke pass hain esa dost 😊?
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BSER कक्षा 10 हेतु पाठ्यक्रम 2025
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राजस्थान वैवाहिक रीति रिवाज
▪️इकताई :- वर की अंगरखी, कुर्ता व चूड़ीदार पायजामा (सब गुलाबी रंग के कपडे) बनाने के लिए दर्जी मुहुर्त से नाप लेता है। ये निकासी पर पहने जाते है ।
▪️निकासी :- वर अपने संबंधियो व मित्रो के साथ वधू के घर की ओर प्रस्थान करता है। इसे "जान चढाना" या "निकासी" कहते हैं ।
▪️चाक-भात :- विवाह से एक दिन पहले दूल्हे-दुल्हन के मामा की ओर से वस्त्राभूषण परिवार वालो को भेंट किए जाते है वह भात कहलाता है।
▪️तोरण :- जब वर कन्या के घर प्रथम बार पहुँचता है तो घर के दरवाजे पर बँधे तोरण को घोडी पर बैठे हुए छडी या तलवार द्वारा सात बार छूता है। तोरण मांगलिक चिन्ह होता है।
▪️जांनोटण :- वर पक्ष की ओर से दिया जाने वाला भोज ।
▪️पाणिग्रहण :- वर और वधू को मामा ले जाकर वधू व वर के हाथो में मेहंदी रखकर हाथ जोड़े जाते हैं। इसे हथलेवा कहते है । सात फेरो के पश्चात् वैध रूप से विवाह पूर्ण समझा जाता है ।
▪️मायरा :- अपने लड़के / लड़की के विवाह पर माता अपने पीहर वालो को न्यौता भेजती है तब पीहर वाले अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार उसे जो कुछ देते हैं, उसे मायरा या भात भरना कहते है
▪️पहरावणी :- बारात बिदा करते समय प्रत्येक बाराती तथा वर-वधू को यथा शक्ति धन व उपहारादि दिये जाते हैं, जिसे पहरावणी कहते है ।
▪️ओझण :- बेटी को फेरी के बाद दिया जाने वाला दहेज |
▪️लडार :- कायस्थ जाति में विवाह के 6 वें दिन वधू पक्ष की ओर से वर पक्ष को दिया जाने वाला बडा भोज ।
▪️हीरावणी - विवाह के दौरान दुल्हन को दिया गया कलेवा |
▪️हथबोलणी :- दुल्हन का प्रथम परिचय
▪️इकताई :- वर की अंगरखी, कुर्ता व चूड़ीदार पायजामा (सब गुलाबी रंग के कपडे) बनाने के लिए दर्जी मुहुर्त से नाप लेता है। ये निकासी पर पहने जाते है ।
▪️निकासी :- वर अपने संबंधियो व मित्रो के साथ वधू के घर की ओर प्रस्थान करता है। इसे "जान चढाना" या "निकासी" कहते हैं ।
▪️चाक-भात :- विवाह से एक दिन पहले दूल्हे-दुल्हन के मामा की ओर से वस्त्राभूषण परिवार वालो को भेंट किए जाते है वह भात कहलाता है।
▪️तोरण :- जब वर कन्या के घर प्रथम बार पहुँचता है तो घर के दरवाजे पर बँधे तोरण को घोडी पर बैठे हुए छडी या तलवार द्वारा सात बार छूता है। तोरण मांगलिक चिन्ह होता है।
▪️जांनोटण :- वर पक्ष की ओर से दिया जाने वाला भोज ।
▪️पाणिग्रहण :- वर और वधू को मामा ले जाकर वधू व वर के हाथो में मेहंदी रखकर हाथ जोड़े जाते हैं। इसे हथलेवा कहते है । सात फेरो के पश्चात् वैध रूप से विवाह पूर्ण समझा जाता है ।
▪️मायरा :- अपने लड़के / लड़की के विवाह पर माता अपने पीहर वालो को न्यौता भेजती है तब पीहर वाले अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार उसे जो कुछ देते हैं, उसे मायरा या भात भरना कहते है
▪️पहरावणी :- बारात बिदा करते समय प्रत्येक बाराती तथा वर-वधू को यथा शक्ति धन व उपहारादि दिये जाते हैं, जिसे पहरावणी कहते है ।
▪️ओझण :- बेटी को फेरी के बाद दिया जाने वाला दहेज |
▪️लडार :- कायस्थ जाति में विवाह के 6 वें दिन वधू पक्ष की ओर से वर पक्ष को दिया जाने वाला बडा भोज ।
▪️हीरावणी - विवाह के दौरान दुल्हन को दिया गया कलेवा |
▪️हथबोलणी :- दुल्हन का प्रथम परिचय