लेख | सामाजिक पहचान | राजनीतिक आरक्षण के वितरणात्मक परिणाम | चिन्मय कुमार (Azim Premji University), एम.आर. शरण (University of Maryland)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/social-identity/the-distributional-consequences-of-political-reservations-hindi.html
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राजनीतिक आरक्षण के वितरणात्मक परिणाम
सन 2011 से 25 जनवरी को भारत में राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले सभी मतदातों को मतदान के महत्त्व के बारे में जागरूक बनाया जाए। मतदान में हमेशा अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों का महत्त्व रहा…
दृष्टिकोण | विविध विषय | रॉबर्ट सोलोव और 'राष्ट्रों की संपन्नता' | परीक्षित घोष (Delhi School of Economics, Editor-in-Chief,I4I)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/miscellany/robert-solow-and-the-wealth-of-nations-hindi.html
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रॉबर्ट सोलोव और 'राष्ट्रों की संपन्नता'
माइक्रोइकॉनॉमिक्स में नोबेल पुरस्कार विजेता रॉबर्ट सोलोव की हाल ही, दिसम्बर 2023 में मृत्यु हुई। उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, I4I के प्रधान सम्पादक परीक्षित घोष इस दिवंगत के कुछ योगदानों को रेखांकित करते हैं और अर्थव्यवस्था के लिए उदाहरणों व रूपकों…
लेख | उत्पादकता तथा नवप्रवर्तन | पीढ़ी-दर-पीढ़ी बुनाई : ग्रामीण भारत में पारिवारिक व्यवसायों में उत्पादकता लाभ | श्रेया बेनर्जी एवं अन्य (3ie)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/productivity-innovation/productivity-innovationweaving-through-generations-productivity-gains-in-family-owned-businesses-in-rural-india-hindi.html
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पीढ़ी-दर-पीढ़ी बुनाई : ग्रामीण भारत में पारिवारिक व्यवसायों में उत्पादकता लाभ
हर साल 12 फरवरी को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में उत्पादकता, नवाचार और निपुणता के महत्त्व पर ज़ोर देना है। इसी सन्दर्भ में प्रस्तुत इस लेख में पारिवारिक स्वामित्व वाले बुनाई उद्यम की चर्चा की गई है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना…
लेख | मानव विकास | भारत के मिशन परिवार विकास का प्रजनन दर व परिवार नियोजन पर प्रभाव | सार्थक अग्रवाल (IIM Lucknow), सोमदीप चटर्जी (IIM Calcutta), ओइन्ड्रिला डे (IIFT)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/human-development/impact-of-india-s-mission-parivar-vikas-on-fertility-rates-and-family-planning-hindi.html
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भारत के मिशन परिवार विकास का प्रजनन दर व परिवार नियोजन पर प्रभाव
भारत का बड़े पैमाने का परिवार नियोजन कार्यक्रम, मिशन परिवार विकास, गर्भनिरोधक तक पहुँच में सुधार करता है, कार्यक्रम अपनाने वाले लाभार्थियों को नकद प्रोत्साहन प्रदान करता है और 146 जिलों में प्रजनन की वर्तमान उच्च दर को कम करने के उद्देश्य से परिवार नियोजन…
दृष्टिकोण | सामाजिक पहचान | भारत का महिला आरक्षण अधिनियम : शासन के लिए एक बड़ी सफलता और उससे परे | अक्षरा गोपालन, उर्वशी वट्टल (JPAL)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/social-identity/india-s-women-s-reservation-act-a-big-win-for-governance-and-beyond-hindi.html
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भारत का महिला आरक्षण अधिनियम : शासन के लिए एक बड़ी सफलता और उससे परे
20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस, जिसका मूल लैंगिक असमानता, बहिष्कार, गरीबी बेरोज़गारी व सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर आधारित है, के उपलक्ष्य में प्रस्तुत इस लेख में महिला आरक्षण अधिनियम पर चर्चा है। पिछले वर्ष सितम्बर में पारित महिला आरक्षण अधिनियम…
लेख | शासन | भारत में समाचार पत्र बाज़ार के राजनीतिक निर्धारक | जूलिया कैगे (Sciences Po Paris), गुइलहेम कैसान (University of Namur), फ्रांसेस्का आर. जेन्सेनियस (University of Oslo)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/governance/political-determinants-of-newspaper-markets-in-india-hindi.html
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भारत में समाचार पत्र बाज़ार के राजनीतिक निर्धारक
समाचार पत्र भारतीय मतदाताओं के लिए राजनीतिक जानकारी का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। लेख में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि राजनीतिक कारक समाचार पत्र बाज़ार को किस तरह से प्रभावित करते हैं। 2000 के दशक के मध्य में की गई परिसीमन की घोषणा को एक बाहरी झटके के रूप…
दृष्टिकोण | मानव विकास | महिलाओं में ग़ैर-संचारी रोगों की वृद्धि को रोकने के लिए स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच में सुधार करना | नंदिता भान (OP Jindal University), प्राजक्ता प्रदीप शुक्ला (CSEP)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : http://www.ideasforindia.in/topics/human-development/improving-healthcare-access-to-address-the-rise-in-non-communicable-diseases-among-indian-women-hindi.html
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महिलाओं में ग़ैर-संचारी रोगों की वृद्धि को रोकने के लिए स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच में सुधार करना
ग़ैर-संचारी रोगों के कारण मृत्यु दर में हो रही वृद्धि के चलते महिलाओं के लिए बदलते स्वास्थ्य देखभाल बोझ को देखते हुए, भान और शुक्ला पिछले दो दशकों में विभिन्न भारतीय राज्यों में हुई बीमारियों की घटनाओं और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच में आने वाली बाधाओं को कम…
फ़ील्ड नोट | सामाजिक पहचान | क्या लड़कियों पर 'नियंत्रण' रखा जाना चाहिए? बिहार के लड़कों और अभिभावकों की राय | अनामिका प्रियदर्शिनी, मधु जोशी, शुभा भट्टाचार्य (Centre for Catalyzing Change, C3)
#IWD2024
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/social-identity/should-girls-be-controlled-opinions-among-young-boys-and-parents-in-bihar-hindi-classentry-content.html
#IWD2024
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क्या लड़कियों पर 'नियंत्रण' रखा जाना चाहिए? बिहार के लड़कों और अभिभावकों की राय
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में मार्च महीने में प्रस्तुत लेखों की श्रृंखला के इस द्वितीय शोध आलेख में लड़कियों और महिलाओं की लैंगिकता पर नियंत्रण की चर्चा है। बिहार में लड़कियों के बाल विवाह की प्रथा आज भी आम है। प्रियदर्शनी, जोशी और भट्टाचार्य…
एक शोध से पता चला कि माँ-बाप का आम तर्क यह था कि शिक्षित लड़की के लिए वर ढूँढ़ना कठिन और महंगा है, शिक्षित वर को अधिक दहेज चाहिए। तो क्या लड़कियों की पढ़ाई, प्रगति पर अंकुश लगाना चाहिए? पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/social-identity/should-girls-be-controlled-opinions-among-young-boys-and-parents-in-bihar-hindi-classentry-content.html
दृष्टिकोण | मानव विकास | मानसिक बीमारी की 'अदृश्य' विकलांगता : सामाजिक सुरक्षा तक पहुँच में बाधाएं | साक्षी शारदा (Social Policy Research Foundation)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/human-development/the-invisible-disability-of-mental-illness-challenges-of-social-security-access-hindi.html
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मानसिक बीमारी की 'अदृश्य' विकलांगता : सामाजिक सुरक्षा तक पहुँच में बाधाएं
विश्वव्यापी अनिश्चितता और सन्घर्ष में अंतर्राष्ट्रीय ख़ुशी दिवस, 20 मार्च का महत्व और बढ़ जाता है। इसी सन्दर्भ में दिव्यांगता के आयाम में प्रस्तुत इस शोध आलेख में साक्षी शारदा लिखती हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के मूल्याँकन और उसके निदान के बारे में स्पष्टता की…
लेख | मानव विकास | क्या सुरक्षित पेयजल से बच्चों के शैक्षिक परिणामों में सुधार हो सकता है? | नर्बदेश्वर मिश्र (KREA University), ज्योति प्रसाद मुखोपाध्याय (KREA University)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/human-development/can-safe-drinking-water-improve-children-s-educational-outcomes-hindi.html
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क्या सुरक्षित पेयजल से बच्चों के शैक्षिक परिणामों में सुधार हो सकता है?
यह अच्छी तरह से प्रमाणित हो चुका है कि शुद्ध पानी पीने से स्वास्थ्य संबंधी लाभ होते हैं, लेकिन क्या इससे बच्चों के शैक्षिक परिणामों में भी सुधार हो सकता है? साफ पानी का अधिकार एक मूल अधिकार है और एक सतत विकास लक्ष्य भी। विश्व स्वास्थ्य दिवस, जो हर साल 7 अप्रैल…
दृष्टिकोण | सामाजिक पहचान | भारत में उद्यमिता और रोज़गार में लैंगिक असमानताओं का आकलन | एजाज़ ग़नी (Pune International Center)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/social-identity/assessing-gender-disparities-in-entrepreneurship-and-employment-in-india-hindi.html
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भारत में उद्यमिता और रोज़गार में लैंगिक असमानताओं का आकलन
आर्थिक विकास सम्पूर्ण कार्यबल के सफल उपयोग पर निर्भर करता है। एजाज़ ग़नी का तर्क है कि लैंगिक समानता न केवल मानवाधिकारों का एक प्रमुख स्तम्भ है, बल्कि उच्च और अधिक समावेशी आर्थिक विकास को बनाए रखने का एक शक्तिशाली साधन हो सकता है। उनके अनुसार भारत की आर्थिक…
लेख | पर्यावरण | क्या कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों को बन्द करना व्यवहार्य है? वैश्विक दृष्टिकोण सर्वेक्षण से प्राप्त साक्ष्य | टिमोथी बेस्ली, अज़हर हुसैन (London School of Economics and Political Science
#WorldEarthDay2024
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/environment/how-feasible-is-it-to-phase-out-coal-fired-power-plants-evidence-from-a-global-attitudes-survey-hindi.html
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क्या कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों को बन्द करना व्यवहार्य है? वैश्विक दृष्टिकोण सर्वेक्षण से प्राप्त साक्ष्य
हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला ‘पृथ्वी दिवस’ आधुनिक पर्यावरण जन-आन्दोलन के जन्म की सालगिरह को चिह्नित करता है और पर्यावरण के प्रति मनुष्य के दायित्व को रेखांकित करता है। इस अवसर पर प्रस्तुत शोध आलेख में कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों पर चर्चा की गई है…
लेख | मानव विकास | अच्छी नौकरियों की खोज में सहायता : युगांडा में शोध से प्राप्त साक्ष्य | ओरियाना बैंडिएरा, रॉबिन बर्जेस (London School of Economics & Political Science0, विटोरियो बस्सी (University of South California), इमरान रसूल (University College London), मुंशी सुलेमान (Brac Institute off Governance and Development), ऐना विटाली (Dartmouth College)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/human-development/aiding-the-search-for-good-jobs-evidence-from-uganda-hindi.html
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अच्छी नौकरियों की खोज में सहायता : युगांडा में शोध से प्राप्त साक्ष्य
ऐसी नीतियाँ बनाने के लिए जो श्रम-बाज़ार में प्रवेश करने वाले युवाओं को अच्छी नौकरियों की ओर ले जाएं, नौकरी खोज प्रक्रियाओं को समझना महत्वपूर्ण है। यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि इनका लाभकारी रोज़गार खोजने की क्षमता पर क्या प्रभाव पड़ता है। युगांडा में एक प्रयोग…
दृष्टिकोण | उत्पादकता तथा नव-प्रवर्तन | भारत के विनिर्माण क्षेत्र के श्रमिकों में निवेश और उत्पादकता | अच्युत अध्वर्यु (University of California, San Deigo), स्मित गाडे (Good Business Lab), जीन-फ़्रांस्वा गौथियर (Boston College), अनन्त निषादम (University of Michigan), संध्या श्रीनिवास (Good Business Lab)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/productivity-innovation/how-worker-investments-can-fuel-productivity-in-india-s-manufacturing-sector-hindi.html
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भारत के विनिर्माण क्षेत्र के श्रमिकों में निवेश और उत्पादकता
पहली मई को दुनिया भर में श्रम दिवस मनाया जाता है और आधुनिक विश्व की अर्थ व्यवस्था और प्रगति में श्रम, श्रम बाज़ार व श्रमिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसी सन्दर्भ में आज के इस लेख में, अध्वर्यु एवं अन्य भारत में घटती विनिर्माण उत्पादकता तथा राज्यों और उद्योगों…
दृष्टिकोण | पर्यावरण | सतत विकास की दिशा में भारत के अवसर | टिम डोबरमन , निकिता शर्मा (International Growth Centre)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/environment/india-s-opportunity-for-sustainable-growth-hindi.html
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सतत विकास की दिशा में भारत के अवसर
गत सप्ताहांत लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स एंड पोलिटिकल साइंस में 'भारत सतत विकास सम्मेलन' का आयोजन किया गया जिसमें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रो. एस्थर दुफ्लो समेत कई प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों, विशेषज्ञों व शोधार्थियों ने भाग लिया। इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर (आईजीसी)…
दृष्टिकोण | शहरीकरण | भारत में ज़मीन की महँगाई और इसके उपाय | गुरबचन सिंह (Independent Economist)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/urbanisation/why-is-land-expensive-in-india-and-what-can-be-done-about-it-hindi.html
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भारत में ज़मीन की महँगाई और इसके उपाय
भारत में ज़मीन की कीमत उसके मौलिक मूल्य की तुलना में अधिक है, जिसके चलते देश में आर्थिक विकास प्रभावित हो रहा है। इस लेख में, गुरबचन सिंह दो व्यापक कारकों- शहरी भारत में लाइसेंस-परमिट-कोटा राज और ग्रामीण भारत में भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के सन्दर्भ में…
दृष्टिकोण | मुद्रा तथा वित्त | भारत में निजी ऋण बाज़ार का उद्भव | प्रतीक दत्ता (Shardul Amarchand Mangaldas & Co), राजेश्वरी सेनगुप्ता (Indira Gandhi Institute of Development Research)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : http://www.ideasforindia.in/topics/money-finance/emergence-of-a-private-credit-market-in-india-hindi.html
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भारत में निजी ऋण बाज़ार का उद्भव
भारत में पिछले कुछ वर्षों में अपेक्षाकृत उच्च डिफ़ॉल्ट जोखिम वाली छोटी और मध्यम आकार की फर्मों को वित्तपोषण करने वाले निजी ऋण बाज़ार में वृद्धि देखी गई है। इस लेख में दत्ता और सेनगुप्ता उभरते वाणिज्यिक ऋण परिदृश्य के सन्दर्भ में वैकल्पिक निवेश कोष के उभरने…
दृष्टिकोण | व्यापार | पिछले तीन दशकों में भारत में मोटे अनाज की खपत और व्यापार | मनन भान (ATREE)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/trade/india-s-millets-consumption-and-trade-over-the-last-three-decades-hindihtml.html
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पिछले तीन दशकों में भारत में मोटे अनाज की खपत और व्यापार
गत वर्ष, 2023 को 'अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष’ के रूप में मनाया गया। जलवायु परिवर्तन के झटकों को देखते हुए बढ़ती जनसँख्या को भविष्य के खाद्य संकट से बचाने में मोटे अनाजों की एक बड़ी भूमिका हो सकती है। कदन्न के विषय में अपने इस लेख के माध्यम से, मनन भान ने ‘सन्निहित…
दृष्टिकोण | पर्यावरण | लाल में रहते हुए हरित होने के प्रयास | परीक्षित घोष (Editor-in-chief, I4I, Delhi School of Economics)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : https://www.ideasforindia.in/topics/environment/going-green-while-being-in-the-red-hindi.html
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लाल में रहते हुए हरित होने के प्रयास
स्वीडन के स्टॉकहोम में 5 से 16 जून, 1972 को आयोजित पहली पर्यावरण संगोष्ठी के परिणामस्वरूप 1973 की 5 जून को 'मात्र एक पृथ्वी' के थीम से मनाए जाने वाले विश्व पर्यावरण दिवस ने एक लम्बी अवधि का सफर तय कर लिया है। परन्तु क्या पृथ्वी के समस्त देशों और भारत ने भी…
#Nochildlabourday लेख | शासन | भारत के बाल श्रम प्रतिबंध के अनपेक्षित परिणाम | (University of California, San Deigo), लिया के. लकड़ावाला (Michigan State University), निकोलस ली (University of Toronto)
पूरा आलेख यहाँ पढ़ें : http://www.ideasforindia.in/topics/governance/unintended-consequences-of-indias-child-labour-ban-hindi.html
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भारत के बाल श्रम प्रतिबंध के अनपेक्षित परिणाम
हर जून में दो महत्वपूर्ण दिन आते हैं, एक पर्यावरण से संबंधित और दूसरा बाल श्रम से संबंधित।